282 बहुत पहले ही तय कर दिया इंसान की नियति को परमेश्वर ने

1

आज़ाद है हर इंसान, जहाँ तक सवाल है नियति का।

जहां तक सवाल है नियति का, हर एक की अपनी तकदीर है।

इसलिये टाल नहीं सकते माँ-बाप किसी की नियति को,

जिसे जो किरदार निभाना है, डाल नहीं सकते उस पर थोड़ा भी असर।


सृष्टिकर्ता के बनाये पूर्वनियति के सिवा

इंसान की नियति पर नहीं होता किसी का असर।

कैसा होगा भविष्य किसी का, नहीं काबू किसी का इस पर,

पूर्व-नियत हुआ बहुत पहले, माँ-बाप का भी बस नहीं है इस पर।


2

परिवार जिसमें पैदा होता है जो, होती है पूर्व-शर्त, अपना मिशन पाने की वो,

जिस परिवेश में पलता-बढ़ता है जो, होती है पूर्व-शर्त ये भी।

वो तय नहीं करते किसी भी तरह

नियति या कैसी होगी तकदीर किसी इंसान की,

जिसमें रहकर मिशन पूरा होता है इंसान का।


3

मिशन पूरा करने में उसका मदद कर नहीं सकते माता-पिता किसी के।

उसे अपनी भूमिका अपनाने में, मदद कर नहीं सकते संबंधी किसी के।

कोई कैसे करता है मिशन पूरा अपना,

किन हालात में निभाता है वो किरदार अपना,

तय होता है उसकी नियति से, काबू नहीं है इस पर किसी का।


सृष्टिकर्ता के बनाये पूर्वनियति के सिवा

इंसान की नियति पर नहीं होता किसी का असर।

कैसा होगा भविष्य किसी का, नहीं काबू किसी का इस पर,

पूर्व-नियत हुआ बहुत पहले, माँ-बाप का भी बस नहीं है इस पर।


4

बाहरी हालात प्रभावित कर नहीं सकते किसी के मिशन को,

करता है पूर्व-नियत इसे सृष्टिकर्ता केवल।

अलग-अलग परिवेश में बढ़ता है हर इंसान,

अपने तरीके से, अपने आप बड़ा होता है हर इंसान।


सृष्टिकर्ता के बनाये पूर्वनियति के सिवा

इंसान की नियति पर नहीं होता किसी का असर।

कैसा होगा भविष्य किसी का, नहीं काबू किसी का इस पर,

पूर्व-नियत हुआ बहुत पहले, माँ-बाप का भी बस नहीं है इस पर।


धीरे-धीरे, अपनी राह पर निकल पड़ता है इंसान।

धीरे-धीरे, अपनी तय नियति को भोगता है इंसान।

धीरे-धीरे, विशाल जन-सागर में प्रवेश करता है इंसान।

धीरे-धीरे, अपने ओहदे को हासिल करता है इंसान।

धीरे-धीरे, ज़िम्मेदारियों को निभाता है इंसान।

सृष्टिकर्ता की पूर्वनियति की वजह से।

धीरे-धीरे, अनजाने में ये सब करता है इंसान।

सृष्टिकर्ता की प्रभुता की वजह से करता है सब इंसान।

बहुत पहले ही तय कर दिया इंसान की नियति को परमेश्वर ने।


सृष्टिकर्ता के बनाये पूर्वनियति के सिवा

इंसान की नियति पर नहीं होता किसी का असर।

कैसा होगा भविष्य किसी का, नहीं काबू किसी का इस पर,

पूर्व-नियत हुआ बहुत पहले, माँ-बाप का भी बस नहीं है इस पर।


—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है III से रूपांतरित

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