153 मसीह की पहचान स्वयं परमेश्वर है

1

चूँकि ईश्वर देहधारी हो गया है,

इसलिए वो उस पहचान के साथ काम करे,

वो काम पूरा करे जो उसे देह में रहते हुए करना चाहिए।

ईश्वर इंसानी देह में!


चाहे हो वो मसीह या हो आत्मा ईश्वर का,

दोनों ही हैं स्वयं ईश्वर, इसमें शक नहीं।

वो करे सेवकाई और काम वो, जो उसे करना चाहिए।

मसीह अपना काम चाहे जैसे भी करे,

वो कभी ईश्वर की अवज्ञा न करेगा।


कितनी भी सामान्य हो मानवता मसीह की,

कोई इसे नकार न सके

कि उसके पास है पहचान स्वयं ईश्वर की।

चाहे वो जिस भी दृष्टिकोण से बोल रहा हो,

चाहे जैसे भी ईश्वर की इच्छा माने,

वो स्वयं ईश्वर है, हाँ, वो स्वयं ईश्वर है।


2

मसीह जो भी माँगे इंसान से,

वो नहीं होता कुछ ऐसा जिसे इंसान हासिल न कर सके।

उसके द्वारा किया गया हर काम ईश्वर की इच्छा पूरी करे,

और होता वो उसके प्रबंधन के लिए।


मसीह की दिव्यता सभी इंसानों से ऊपर है,

उनके बीच वो सर्वोच्च अधिकारी है।

ये अधिकार ईश्वर का स्वभाव और अस्तित्व है,

जो मसीह की पहचान तय करते हैं।


कितनी भी सामान्य हो मानवता मसीह की,

कोई इसे नकार न सके

कि उसके पास है पहचान स्वयं ईश्वर की।

चाहे वो जिस भी दृष्टिकोण से बोल रहा हो,

चाहे जैसे भी ईश्वर की इच्छा माने,

वो स्वयं ईश्वर है, हाँ, वो स्वयं ईश्वर है।

कितनी भी सामान्य हो मानवता मसीह की,

कोई इसे नकार न सके

कि उसके पास है पहचान स्वयं ईश्वर की।

चाहे वो जिस भी दृष्टिकोण से बोल रहा हो,

चाहे जैसे भी ईश्वर की इच्छा माने,

वो स्वयं ईश्वर है, हाँ, वो स्वयं ईश्वर है, वो स्वयं ईश्वर है।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति आज्ञाकारिता ही मसीह का सार है से रूपांतरित

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