प्रश्न 7: परमेश्वर के दो देहधारण इस बात की गवाही देते हैं कि मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन हैं। मसीह के सत्य, मार्ग और जीवन होने को हम कैसे समझें?

उत्तर:

अगर विश्वासी सच में यह जान सकते हैं कि मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन हैं, तो यह सही मायनों में बहुत अहम है, और यह दिखाता है कि ऐसे विश्वासियों को मसीह के सार का सच्चा ज्ञान है। केवल ऐसे इंसान के बारे में कहा जा सकता है कि वह वाकई परमेश्वर को जानता है। मसीह ही व्यावहारिक अवतारी परमेश्वर हैं। सिर्फ वे लोग जो मसीह को पहचान सकते हैं और उनकी आज्ञा का पालन कर सकते हैं, असल में परमेश्वर को जानते हैं, क्योंकि सत्य, मार्ग और जीवन सब कुछ परमेश्वर से उत्पन्न होता है, सभी देहधारी मसीह की अभिव्यक्तियों से आते हैं। मसीह के अलावा, किसी को भी सत्य, मार्ग और जीवन नहीं कहा जा सकता, इस बात को बहुत कम लोग समझते हैं। परमेश्वर मनुष्य की योग्यता का इस्तेमाल उस मानक के रूप में परमेश्वर के देहधारण को पहचानने के लिए करते हैं जिसके द्वारा वे मनुष्य की परीक्षा लेते हैं। केवल वही लोग जो उनके विश्वास में इस मानक को पूरा करते हैं, वे परमेश्वर की प्रशंसा प्राप्त कर सकते हैं। वे सभी लोग जो परमेश्वर के देहधारण को स्वीकार करते हैं और उनका पालन करते हैं ऐसे विजेता हैं जिन्हें सबसे पहले सिद्ध करने के लिए परमेश्वर के समक्ष पहुंचाया जाएगा। ऐसे जो लोग मसीह को स्वीकार नहीं कर सकते हैं और उनका पालन नहीं कर सकते, उन्हें विपत्तियों की पीड़ा को सहन करने के लिए भेजा जाएगा क्योंकि वे परमेश्वर के देहधारण को नहीं पहचानते हैं और मूर्ख कुंवारियां समझे जाते हैं। जिस तरह जब प्रभु यीशु आए थे, वे उन सबको साथ ले कर आए, जो सत्य से प्रेम करते थे और जो उनके वचन को स्वीकार करके निष्ठा से उनके पीछे पर्वत पर आ गए थे वे उन सबका स्वयं मार्गदर्शन करते और उनको सीख देते, पर उन लोगों पर ज़रा भी ध्यान दिए बिना, जो धार्मिक संसार के तो थे लेकिन केवल अपने निजी लाभ के लिए ही परमेश्वर में विश्वास करते थे क्योंकि वे केवल उच्च स्वर्ग के अज्ञात परमेश्वर में विश्वास करते थे और परमेश्वर के देहधारण को स्वीकार नहीं करते थे। वे परमेश्वर को पहचानने की अपनी असमर्थता में अंधे थे। इसलिए केवल वही लोग जो देहधारी मसीह पर विश्वास करते हैं उन्हें ही परमेश्वर की प्रशंसा मिलेगी और वे उनके द्वारा सिद्ध किए जाएंगे। ऐसा क्यों है कि सिर्फ मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन हैं? आइये सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन का एक अंश पढ़ते हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "जीवन का मार्ग कोई ऐसी चीज नहीं है जो हर किसी के पास होता है, न ही यह कोई ऐसी चीज है जिसे हर कोई आसानी से प्राप्त कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जीवन केवल परमेश्वर से ही आ सकता है, कहने का तात्पर्य है कि केवल स्वयं परमेश्वर के पास ही जीवन का सार है, और केवल स्वयं परमेश्वर के पास ही जीवन का मार्ग है। और इसलिए केवल परमेश्वर ही जीवन का स्रोत है, और जीवन के जल का सदा बहने वाला सोता है। जब से परमेश्वर ने संसार को रचा है, उसने जीवन की प्राणशक्ति से जुड़ा बहुत-सा कार्य किया है, बहुत-सा कार्य मनुष्य को जीवन प्रदान करने के लिए किया है, और मनुष्य जीवन प्राप्त कर सके इसके लिए उसने भारी मूल्य चुकाया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि परमेश्वर स्वयं अनंत जीवन है, और परमेश्वर स्वयं वह मार्ग है जिससे मनुष्य पुनर्जीवित होता है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है)।। "केवल परमेश्वर के पास ही जीवन का मार्ग है। चूँकि परमेश्वर अपरिवर्तनीय है, इसलिए वह अनंत जीवन है; चूँकि केवल परमेश्वर ही जीवन का मार्ग है, इसलिए परमेश्वर स्वयं ही अनंत जीवन का मार्ग है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है)।। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों से हमें यह पता चलता है कि सत्य, मार्ग और जीवन सब परमेश्वर से ही आता है। केवल परमेश्वर ही जीवन का मार्ग हैं। बाइबल कहती है, "आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था" (यूहन्ना1:1)। वचन परमेश्वर है। वचन परमेश्वर के वचन हैं। वचन ही सत्य, मार्ग और जीवन हैं। वचन का देह में प्रकट होना परमेश्वर की आत्मा के शरीर रूप धारण करने को दर्शाता है, यानी सत्य, मार्ग और जीवन, सभी शरीर में आते हैं। जैसा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "वचन देह बन गया है और सत्य का आत्मा देह में साकार हुआ है—कि समस्त सत्य, मार्ग और जीवन देह में आ गया है, परमेश्वर के आत्मा का वास्तव में पृथ्वी पर आगमन हो गया है और आत्मा देह में आ गया है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, अभ्यास (4))।। परमेश्वर के दो अवतार इस तथ्य की गवाही देते हैं कि वे ही सत्य, मार्ग और जीवन हैं। इसने मनुष्य को एक गहन प्रकाशन दिया है, इसने उन्हें दिखाया है कि केवल मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन हैं मसीह के वचन और कार्य, वह सब जो उनमें है और वे स्वयं हैं, सत्य, मार्ग और जीवन है। यही मसीह का सार है। जब मसीह परमेश्वर के वचनों को अभिव्यक्त करते हैं, तो वे ऐसा इस तरीके से करते हैं जैसे परमेश्वर खुद अपना कार्य कर रहे हैं, पिछले युग को पूरा करके एक नए युग का आरंभ करते हैं, पूरी मानव जाति के लिए एक संपूर्ण युग का कार्य करते हैं। परमेश्वर का वचन जो मसीह व्यक्त करते हैं वह कार्य के एक चरण में उनके वचन की संपूर्णता है। यह वास्तव में परमेश्वर के स्वभाव की अभिव्यक्ति है, वह सब जो परमेश्वर में है और वे स्वयं हैं, परमेश्वर की प्रबंधन योजना के रहस्य और मानव जाति के लिए परमेश्वर की अपेक्षाओं और इरादों को अभिव्यक्त करते हैं। उनके सभी वचन सत्य हैं। न केवल यह मनुष्य के जीवन को बना सकते हैं, बल्कि यह मनुष्य के जीवन को पोषित भी कर सकते हैं। जिस तरह जब प्रभु यीशु आये थे, तो उन्होंने वह सारा सत्‍य व्यक्त किया था जिसकी अनुग्रह के युग में मनुष्य को आवश्यकता थी, जो मनुष्य को अपने पापों को स्वीकार करने, परमेश्वर के समक्ष वापस आने और पश्चाताप करने, उन्हें परमेश्वर की प्रार्थना करने के योग्य बनाता है और परमेश्वर के समक्ष आकर उनकी कृपा का आनंद लेने, और उनकी दया और प्रेम को जानने का मौक़ा देता है। यह मुक्ति के कार्य से प्राप्त किया गया प्रभाव था। प्रभु यीशु के कार्य ने मनुष्यों के पापों को क्षमा करने, पापों से मनुष्यों को छुटकारा दिलाने में मदद की। प्रभु यीशु ने मानव जाति के उद्धार के कार्य का एक चरण पूरा किया, अनुग्रह के युग की शुरुआत करके और व्यवस्था के युग का समापन करके। अंत के दिनों के देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर आ चुके हैं, उन्होंने उन सारी सच्चाइयों को व्यक्त किया है जो मानवता को बचाते और शुद्ध करते हैं, उन्होंने परमेश्वर के घर से शुरू होने वाले न्याय का कार्य पूरा किया है, जो मनुष्य को परमेश्वर के धर्मी स्वभाव, सर्वशक्तिमत्ता और बुद्धिमत्‍ता को जानने में मदद करता है, मनुष्य जीवन के स्वभाव को बदलता और शुद्ध करता है, ताकि मनुष्य परमेश्वर से डरे और बुराई से दूर हो जाए, और शैतान के प्रभाव से अपने आपको पूरी तरह से मुक्त कर सके, परमेश्वर के समक्ष लौट आने और परमेश्वर का लाभ प्राप्त कर पाने में सक्षम हो। सर्वशक्तिमान परमेश्वर का कार्य राज्य के युग की शुरूआत करता है और अनुग्रह के युग को समाप्त करता है। यह हमें दिखाता है कि मसीह जो कुछ भी कहते हैं, करते हैं, अभिव्यक्त करते हैं और प्रकट करते हैं, वह सब सत्‍य है। केवल मसीह ही मनुष्य को सही रास्ता दिखा सकते हैं, वही मनुष्य को जीवन की आपूर्ति और मुक्ति प्रदान करते हैं, किसी भी मनुष्य के पास ऐसी चीजें नहीं होती हैं या ना ही वह इन्हें व्यक्त कर सकता है। मसीह मनुष्य के जीवन का स्रोत हैं, वे परमेश्वर का स्वरूप हैं। वे ही सत्य, मार्ग और जीवन हैं, मनुष्य की एकमात्र मुक्ति और उद्धार हैं। मसीह के अलावा, किसी भी मनुष्य के पास सत्य, मार्ग और जीवन नहीं है, यह तथ्य देखने में साधारण है!

—राज्य के सुसमाचार पर विशिष्ट प्रश्नोत्तर

पिछला: प्रश्न 6: अनुग्रह के युग में, परमेश्वर मानवजाति की पाप-बलि के रूप में सेवा करने के लिए देह बना, और पापों से उन्हें बचा लिया। अंतिम दिनों में परमेश्वर सत्य को प्रकट करने और न्याय के अपने कार्य को करने के लिए फिर से देह बन गया है, ताकि मनुष्य को पूरी तरह से शुद्ध किया जा सके और बचाया जा सके। तो मानव जाति को बचाने का कार्य करने के लिए परमेश्वर को दो बार देहधारण की आवश्यकता क्यों पड़ती है? और परमेश्वर का दो बार देहधारण करने का वास्तविक महत्व क्या है?

अगला: 1. परमेश्वर मानवजाति को बचाने का कार्य क्यों करता है?

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1. प्रभु ने हमसे यह कहते हुए, एक वादा किया, "मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूँ। और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूँ, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा कि जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो" (यूहन्ना 14:2-3)। प्रभु यीशु पुनर्जीवित हुआ और हमारे लिए एक जगह तैयार करने के लिए स्वर्ग में चढ़ा, और इसलिए यह स्थान स्वर्ग में होना चाहिए। फिर भी आप गवाही देते हैं कि प्रभु यीशु लौट आया है और पृथ्वी पर ईश्वर का राज्य स्थापित कर चुका है। मुझे समझ में नहीं आता: स्वर्ग का राज्य स्वर्ग में है या पृथ्वी पर?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद :"हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए। तेरा राज्य आए। तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी...

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