परमेश्वर के बारे में तुम्हारी समझ क्या है?
लोगों ने लंबे समय से परमेश्वर में विश्वास किया है, फिर भी उनमें से ज्यादातर को इस बात की समझ नहीं है कि “परमेश्वर” शब्द का अर्थ क्या है, वे बस घबराहट में अनुसरण करते हैं। उन्हें नहीं पता कि वास्तव में मनुष्य को परमेश्वर में विश्वास क्यों करना चाहिए, या परमेश्वर क्या है। अगर लोग सिर्फ परमेश्वर में विश्वास करना और उसका अनुसरण करना जानते हैं, लेकिन यह नहीं जानते कि परमेश्वर क्या है, और अगर वे परमेश्वर को भी नहीं जानते, तो क्या यह बस एक बहुत बड़ा मजाक नहीं है? इतनी दूर आने के बाद, भले ही लोगों ने अब तक बहुत-से स्वर्गिक रहस्य देखे हैं और गहन ज्ञान की बहुत-सी बातें सुनी हैं, जो मनुष्य ने पहले कभी नहीं समझी थीं, फिर भी वे बहुत-से अत्यंत प्राथमिक सत्यों से अनजान हैं, जिन पर मनुष्य ने पहले कभी चिंतन नहीं किया। कुछ लोग कह सकते हैं, “हमने कई वर्ष परमेश्वर में विश्वास किया है। हम कैसे नहीं जान सकते कि परमेश्वर क्या है? क्या यह प्रश्न हमारा निरादर नहीं करता?” लेकिन वास्तविकता यह है कि यद्यपि आज लोग मेरा अनुसरण करते हैं, किंतु वे आज के किसी भी कार्य के बारे में कुछ नहीं जानते, और सबसे स्पष्ट और आसान प्रश्नों को भी समझने में विफल हो जाते हैं, परमेश्वर से संबंधित अत्यंत जटिल प्रश्नों की तो बात ही छोड़ दो। जान लो कि जिन प्रश्नों से तुम लोगों का कोई वास्ता नहीं है, जिन्हें तुम लोगों ने पहचाना नहीं है, वही वे प्रश्न हैं जिन्हें समझना तुम लोगों के लिए सबसे आवश्यक है, क्योंकि तुम केवल भीड़ के पीछे चलना जानते हो और उस चीज पर कोई ध्यान नहीं देते और उसकी कोई परवाह नहीं करते, जिससे तुम्हें स्वयं को सुसज्जित करना चाहिए। क्या तुम सचमुच जानते हो कि तुम्हें परमेश्वर में विश्वास क्यों करना चाहिए? क्या तुम सचमुच जानते हो कि परमेश्वर क्या है? क्या तुम सचमुच जानते हो कि मनुष्य क्या है? परमेश्वर में विश्वास रखने वाले व्यक्ति के रूप में, अगर तुम इन बातों को समझने में विफल रहते हो, तो क्या तुम परमेश्वर के विश्वासी होने की गरिमा खो नहीं देते? आज मेरा कार्य यह है : लोगों को उनका सार समझाना, वह सब समझाना जो मैं करता हूँ, और परमेश्वर के असली चेहरे से परिचित करवाना। यह मेरी प्रबंधन-योजना का अंतिम कार्य है, मेरे कार्य का अंतिम चरण है। यही कारण है कि मैं तुम लोगों को जीवन के सारे रहस्य पहले से बता रहा हूँ, ताकि तुम लोग उन्हें मुझसे स्वीकार कर सको। चूँकि यह अंतिम युग का कार्य है, इसलिए मुझे तुम लोगों को सभी जीवन सत्य बताने होंगे, जिन्हें तुम लोगों ने पहले कभी ग्रहण नहीं किया है, भले ही बहुत अपूर्ण और बहुत अनुपयुक्त होने के कारण तुम लोग उन्हें समझने या सहन करने में असमर्थ हो। मैं अपना कार्य समाप्त करूँगा; मैं वह कार्य पूरा करूँगा जो मुझे करना है, और तुम लोगों को उन सब आदेशों के बारे में बताऊँगा जो मैंने तुम लोगों को दिए हैं, ताकि ऐसा न हो कि जब अँधेरा छाए, तो तुम लोग फिर से भटक जाओ और उस दुष्ट के कुचक्रों में फँस जाओ। कई तरीके हैं जिन्हें तुम नहीं समझते, कई मामले हैं जिनकी तुम्हें जानकारी नहीं है। तुम लोग इतने अज्ञानी हो; मैं तुम लोगों का आध्यात्मिक कद और तुम लोगों की कमियाँ अच्छी तरह जानता हूँ। इसलिए, यद्यपि कई वचन हैं जिन्हें समझने में तुम लोग असमर्थ हो, फिर भी मैं तुम सब लोगों को ये सारे सत्य बताने का इच्छुक हूँ, जिन्हें तुम लोगों ने पहले कभी ग्रहण नहीं किया है, क्योंकि मुझे इस बात की चिंता रहती है कि अपने वर्तमान आध्यात्मिक कद में तुम लोग मेरे प्रति अपनी गवाही पर कायम रहने में समर्थ हो या नहीं। ऐसा नहीं है कि मैं तुम लोगों के बारे में कम सोचता हूँ; लेकिन तुम सभी लोग जंगली हो, जिन्हें अभी मेरे औपचारिक प्रशिक्षण से गुजरना है, और मैं बिल्कुल नहीं देख सकता कि तुम लोगों के भीतर कितनी महिमा है। हालाँकि तुम लोगों पर कार्य करते हुए मैंने बहुत ऊर्जा व्यय की है, फिर भी तुम लोगों में सकारात्मक तत्त्व व्यावहारिक रूप से न के बराबर लगते हैं, और नकारात्मक तत्त्व उँगलियों पर गिने जा सकते हैं और केवल ऐसी गवाहियों का काम करते हैं, जो शैतान को लज्जित करती हैं। तुम्हारे भीतर बाकी लगभग हर चीज शैतान का जहर है। तुम लोग मुझे ऐसे दिखते हो, जैसे तुम उद्धार से परे हो। वर्तमान स्थिति में, मैं तुम लोगों की विभिन्न अभिव्यक्तियाँ और व्यवहार देखता हूँ, और अंततः, मैं तुम लोगों का असली आध्यात्मिक कद जानता हूँ। यही कारण है कि मैं तुम लोगों पर कुढ़ता रहता हूँ : जीने के लिए अकेले छोड़ दिए जाएँ, तो क्या मनुष्य जैसे आज हैं, उसके तुल्य या उससे बेहतर हो पाएँगे? क्या तुम लोगों का बचकाना आध्यात्मिक कद तुम लोगों को व्याकुल नहीं करता? क्या तुम लोग सचमुच इस्राएल के चुने हुए लोगों जैसे हो सकते हो—हर समय मेरे और केवल मेरे प्रति निष्ठावान? तुम लोगों में जो प्रकट होता है, वह अपने माता-पिता से भटके बच्चों का शरारतीपन नहीं है, बल्कि अपने स्वामियों के कोड़ों की पहुँच से बाहर हो जाने वाले जानवरों से फूटकर बाहर आने वाला जंगलीपन है। तुम लोगों को अपनी प्रकृति जाननी चाहिए, जो तुम लोगों में समान कमजोरी भी है; यह एक रोग है, जो तुम लोगों में समान है। इसलिए आज तुम लोगों से मेरा एकमात्र आग्रह यह है कि मेरे प्रति अपनी गवाही पर अडिग रहो। किसी भी परिस्थिति में पुरानी बीमारी फिर न उभरने दो। गवाही देना ही सबसे महत्वपूर्ण है—यह मेरे कार्य का मर्म है। तुम लोगों को मेरे वचन वैसे ही स्वीकार करने चाहिए, जैसे मरियम ने सपने में आया यहोवा का प्रकाशन स्वीकार किया था : विश्वास करके, और फिर समर्पण करके। केवल यही पवित्र होने की पात्रता रखता है। क्योंकि तुम लोग ही हो, जो मेरे वचन सबसे अधिक सुनते हो, जिन्हें मेरा सबसे अधिक आशीष प्राप्त है। मैंने तुम लोगों को अपनी समस्त मूल्यवान चीजें दे दी हैं, मैंने सब-कुछ तुम लोगों को प्रदान कर दिया है, फिर भी तुम लोग इस्राएल के लोगों से इतनी अधिक भिन्न स्थिति के हो; तुम एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हो। लेकिन उनकी तुलना में तुम लोगों ने इतना अधिक प्राप्त किया है; जहाँ वे मेरे प्रकटन की बेतहाशा प्रतीक्षा करते हैं, वहीं तुम लोग मेरे इनाम साझा करते हुए मेरे साथ सुखद दिन बिताते हो। इस अंतर को देखते हुए, मेरे ऊपर चीखने-चिल्लाने और मेरे साथ झगड़ा करने और मेरी संपत्ति में अपने हिस्से की माँग करने का अधिकार तुम लोगों को कौन देता है? क्या तुम लोगों को बहुत नहीं मिला है? मैं तुम लोगों को इतना अधिक देता हूँ, लेकिन बदले में तुम लोग मुझे सिर्फ हृदयविदारक उदासी और चिंता, और अदम्य रोष और असंतोष ही देते हो। तुम बहुत घृणास्पद हो—तथापि तुम दयनीय भी हो, इसलिए मेरे पास इसके सिवा कोई चारा नहीं है कि मैं अपना सारा रोष निगल लूँ और तुम लोगों के सामने बार-बार अपनी आपत्तियाँ जाहिर करूँ। हजारों वर्षों के कार्य के दौरान मैंने कभी मानवजाति के साथ प्रतिवाद नहीं किया, क्योंकि मैंने पाया है कि मानवता के समूचे विकास में तुम लोगों के बीच केवल “चकमेबाज” ही हैं, जो प्राचीन काल के प्रसिद्ध पुरखों द्वारा तुम लोगों के लिए छोड़ी गई बहुमूल्य धरोहरों की तरह सर्वाधिक विख्यात हुए हैं। उन अव-मानवीय सूअरों और कुत्तों से मुझे कितनी घृणा है। तुम लोगों में अंतरात्मा की बहुत कमी है! तुम लोग बहुत अधम चरित्र के हो! तुम लोगों के हृदय बहुत कठोर हैं! अगर मैं ऐसे वचन और कार्य इस्राएलियों के बीच ले गया होता, तो बहुत पहले ही महिमा प्राप्त कर चुका होता। लेकिन तुम लोगों के बीच यह अप्राप्य है; तुम लोगों के बीच सिर्फ क्रूर उपेक्षा, तुम्हारा रूखा सहारा और तुम्हारे बहाने हैं। तुम लोग बहुत संवेदनाशून्य, बिल्कुल बेकार हो!
तुम लोगों को अपना सर्वस्व मेरे कार्य के लिए अर्पित कर देना चाहिए। तुम्हें वह कार्य करना चाहिए, जिससे मुझे लाभ हो। मैं तुम लोगों को वह सब समझाने के लिए तैयार हूँ, जो तुम लोग नहीं समझते, ताकि तुम लोग मुझसे वह सब प्राप्त कर सको, जिसका तुम लोगों में अभाव है। यद्यपि तुम लोगों के दोष इतने ज्यादा हैं कि गिने नहीं जा सकते, फिर भी, तुम लोगों को अपनी अंतिम दया प्रदान करते हुए, मैं तुम लोगों पर वह कार्य करते रहने के लिए तैयार हूँ जो मुझे करना चाहिए, ताकि तुम लोग मुझसे लाभान्वित हो सको और वह महिमा प्राप्त कर सको, जो तुम लोगों में अनुपस्थित है और जिसे संसार ने कभी देखा नहीं है। मैंने इतने अधिक वर्षों तक कार्य किया है, फिर भी किसी मनुष्य ने मुझे कभी जाना नहीं है। मैं तुम लोगों को वे रहस्य बताना चाहता हूँ, जो मैंने कभी किसी और को नहीं बताए हैं।
मनुष्यों के बीच मैं वह पवित्रात्मा था, जिसे वे देख नहीं सकते थे, वह पवित्रात्मा जिसके साथ वे कभी जुड़ नहीं सकते थे। पृथ्वी पर अपने कार्य के तीन चरणों (संसार का सृजन, छुटकारा और विनाश) के कारण, मैं उनके बीच अपना कार्य करने के लिए भिन्न-भिन्न समयों पर प्रकट हुआ हूँ (सार्वजनिक रूप से कभी नहीं)। पहली बार मैं उनके बीच छुटकारे के युग के दौरान आया था। निस्संदेह मैं यहूदी परिवार में आया; इसलिए पृथ्वी पर परमेश्वर का आगमन देखने वाले पहले लोग यहूदी थे। मैंने इस कार्य को व्यक्तिगत रूप से इसलिए किया, क्योंकि छुटकारे के अपने कार्य में मैं अपने देहधारी शरीर का उपयोग पापबलि के रूप में करना चाहता था। इस प्रकार मुझे सबसे पहले देखने वाले अनुग्रह के युग के यहूदी थे। यह पहली बार था, जब मैंने देह में कार्य किया था। राज्य के युग में मेरा कार्य जीतना और पूर्ण बनाना है, इसलिए मैं पुनः देह में चरवाही का कार्य करता हूँ। यह दूसरी बार है, जब मैं देह में कार्य कर रहा हूँ। कार्य के अंतिम दो चरणों में लोग जिसके साथ जुड़ते हैं, वह अदृश्य, अमूर्त पवित्रात्मा नहीं है, बल्कि एक व्यक्ति है जो देह के रूप में साकार पवित्रात्मा है। इस प्रकार, मनुष्य की नजरों में मैं पुनः इंसान बन जाता हूँ, जिसमें परमेश्वर के रूप और एहसास का लेशमात्र भी नहीं है। इतना ही नहीं, जिस परमेश्वर को लोग देखते हैं, वह न सिर्फ नर, बल्कि नारी भी है, जो उनके लिए सबसे अधिक विस्मयकारी और उलझन में डालने वाला है। मेरे असाधारण कार्य ने कई-कई वर्षों से चले आ रहे पुराने विश्वास चूर-चूर कर दिए हैं। लोग अवाक् रह गए हैं! परमेश्वर केवल पवित्र आत्मा, पवित्रात्मा, सात गुना तीव्र पवित्रात्मा या सर्व-व्यापी पवित्रात्मा ही नहीं है, बल्कि एक मनुष्य भी है—एक साधारण मनुष्य, एक अत्यधिक सामान्य मनुष्य। वह नर ही नहीं, नारी भी है। वे इस बात में एक-समान हैं कि वे दोनों ही मनुष्यों से जन्मे हैं, और इस बात में असमान हैं कि एक पवित्र आत्मा द्वारा गर्भ में आया और दूसरा मनुष्य से जन्मा किंतु सीधे पवित्रात्मा से उत्पन्न है। वे इस बात में एक-समान हैं कि परमेश्वर द्वारा धारित दोनों देह परमपिता परमेश्वर का कार्य करते हैं, और असमान इस बात में हैं कि एक ने छुटकारे का कार्य किया, जबकि दूसरा विजय का कार्य करता है। दोनों परमपिता परमेश्वर का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन एक प्रेममय-करुणा और दयालुता से भरा मुक्तिदाता है और दूसरा कोप और न्याय से भरा धार्मिकता का परमेश्वर है। एक सर्वोच्च सेनापति है जिसने छुटकारे का कार्य आरंभ किया, जबकि दूसरा धार्मिक परमेश्वर है जो विजय का कार्य संपन्न करता है। एक आरंभ है, दूसरा अंत। एक निष्पाप देह है, दूसरा वह देह जो छुटकारे को पूरा करता है, कार्य जारी रखता है और कभी भी पापी नहीं है। दोनों एक ही पवित्रात्मा हैं, लेकिन वे भिन्न-भिन्न देहों में वास करते हैं और भिन्न-भिन्न स्थानों पर पैदा हुए थे और उनके बीच कई हजार वर्षों का अंतर है। फिर भी उनका संपूर्ण कार्य एक-दूसरे का पूरक है, कभी परस्पर-विरोधी नहीं है, और एक-दूसरे के तुल्य है। दोनों ही मनुष्य हैं, लेकिन एक बालक था और दूसरी बालिका। इन तमाम वर्षों में लोगों ने न सिर्फ पवित्रात्मा को और न सिर्फ एक मनुष्य, एक नर को देखा है, बल्कि कई ऐसी चीजें भी देखी हैं, जो मानव-धारणाओं से मेल नहीं खातीं; इसलिए मनुष्य मुझे कभी पूरी तरह नहीं समझ पाते। वे मुझ पर आधा विश्वास और आधा संदेह करते रहते हैं—मानो मेरा अस्तित्व भी हो, लेकिन मैं एक मायावी सपना भी हूँ—यही कारण है कि आज तक भी लोग नहीं जानते कि परमेश्वर क्या है। क्या तुम वास्तव में मुझे एक सरल वाक्य में समेट सकते हो? क्या तुम सचमुच यह कहने का साहस करते हो, “यीशु और कोई नहीं बल्कि परमेश्वर है, और परमेश्वर और कोई नहीं बल्कि यीशु है”? क्या तुम सचमुच इतने निर्भीक हो कि यह कह सको, “परमेश्वर और कोई नहीं बल्कि पवित्रात्मा है, और पवित्रात्मा और कोई नहीं बल्कि परमेश्वर है”? क्या तुम सहजता से कह सकते हो, “परमेश्वर केवल देहधारी मनुष्य है”? क्या तुममें सचमुच दृढ़तापूर्वक यह कहने का साहस है, “यीशु की छवि परमेश्वर की महान छवि है”? क्या तुम अपनी वाक्पटुता का उपयोग करके परमेश्वर के स्वभाव और छवि को पूर्ण रूप से समझाने में सक्षम हो? क्या तुम वास्तव में यह कहने की हिम्मत करते हो, “परमेश्वर ने अपनी छवि के अनुरूप सिर्फ नरों की रचना की, नारियों की नहीं”? अगर तुम ऐसा कहते हो, तो फिर मेरे चुने हुए लोगों के बीच कोई नारी नहीं होगी, नारियाँ मानवजाति का एक वर्ग तो बिल्कुल भी नहीं होंगी। क्या अब तुम वास्तव में जानते हो कि परमेश्वर क्या है? क्या परमेश्वर मनुष्य है? क्या परमेश्वर पवित्रात्मा है? क्या परमेश्वर वास्तव में नर है? क्या जो कार्य मुझे करना है, वह केवल यीशु ही पूरा कर सकता है? अगर तुम मेरा सार प्रस्तुत करने के लिए उपर्युक्त में से केवल एक को ही चुनते हो, तो फिर तुम एक अत्यंत अज्ञानी निष्ठावान विश्वासी हो। अगर मैं एक बार, और केवल एक बार, देहधारी के रूप में कार्य करता, तो क्या तुम लोग मेरा सीमांकन करते? क्या तुम सचमुच एक झलक में मुझे पूरी तरह समझ सकते हो? क्या तुम वास्तव में मुझे अपने जीवनकाल के दौरान अनुभव की गई चीजों के आधार पर पूरी तरह से समेट सकते हो? अगर मैं अपने दोनों देहधारणों में एक-जैसा कार्य करता, तो तुम मुझे किस तरह देखते? क्या तुम मुझे हमेशा के लिए सलीब पर कीलों से जड़ा छोड़ दोगे? क्या परमेश्वर उतना सरल हो सकता है, जितना तुम दावा करते हो?
यद्यपि तुम लोगों की आस्था बहुत सच्ची है, फिर भी तुम लोगों में से कोई भी मेरा पूर्ण विवरण दे पाने में समर्थ नहीं है, कोई भी उन सारे तथ्यों की पूर्ण गवाही नहीं दे सकता जिन्हें तुम देखते हो। इसके बारे में सोचो : आज तुम लोगों में से ज्यादातर अपने कर्तव्यों में लापरवाह हैं, इसके बजाय वे देह-सुखों का अनुसरण कर रहे हैं, देह को तृप्त कर रहे हैं, और ललचाते हुए देह-सुखों का आनंद ले रहे हैं। तुम्हारे पास सत्य बहुत कम है। तो फिर तुम उस सबकी गवाही कैसे दे सकते हो, जो तुम लोगों ने देखा है? क्या तुम लोग सचमुच आश्वस्त हो कि तुम मेरे गवाह बन सकते हो? अगर कोई ऐसा दिन आता है, जब तुम उस सबकी गवाही देने में असमर्थ होते हो जो तुमने आज देखा है, तो तुम सृजित प्राणी का कार्यकलाप गँवा चुके होगे, और तुम्हारे अस्तित्व का कोई अर्थ नहीं होगा। तुम मनुष्य होने के लायक नहीं होगे। यहाँ तक कहा जा सकता है कि तुम मनुष्य नहीं रहोगे! मैंने तुम लोगों पर अथाह कार्य किया है, लेकिन चूँकि तुम फिलहाल कुछ नहीं सीख रहे, कुछ नहीं जानते, और तुम्हारा परिश्रम अकारथ है, इसलिए जब मेरे पास अपने कार्य का विस्तार करने का समय होगा, तब तुम बस भावशून्य दृष्टि से ताकोगे, तुम्हारे मुँह से आवाज नहीं निकलेगी और तुम बिल्कुल बेकार होगे। क्या यह तुम्हें सदा के लिए पापी नहीं बना देगा? जब वह समय आएगा, तो क्या तुम्हें गहरा अफसोस नहीं होगा? क्या तुम उदासी में नहीं डूब जाओगे? आज मेरा सारा कार्य बेकारी और ऊब के कारण नहीं, बल्कि भविष्य के मेरे कार्य की नींव रखने के लिए किया जाता है। ऐसा नहीं है कि मेरे सामने गतिरोध है और मुझे कुछ नया करने की जरूरत है। मैं जो कार्य करता हूँ, उसे तुम्हें समझना चाहिए; यह गली में खेल रहे किसी बच्चे द्वारा की गई कोई चीज नहीं है, बल्कि मेरे पिता के प्रतिनिधित्व में किया जाने वाला कार्य है। तुम लोगों को पता होना चाहिए कि यह सब मैं स्वयं नहीं कर रहा हूँ; बल्कि मैं अपने पिता का प्रतिनिधित्व कर रहा हूँ। इस बीच, तुम लोगों की भूमिका दृढ़ता से अनुसरण करने, समर्पण करने, बदलने और गवाही देने की है। तुम लोगों को यह समझना चाहिए कि तुम लोगों को मुझमें विश्वास क्यों करना चाहिए; यह सबसे अधिक महत्वपूर्ण प्रश्न है जो तुम लोगों में से प्रत्येक को समझना चाहिए। मेरे पिता ने अपनी महिमा के वास्ते तुम सब लोगों को उसी क्षण से मेरे लिए पूर्वनियत कर दिया था, जिस क्षण उसने इस संसार की सृष्टि की थी। मेरे कार्य और अपनी महिमा के वास्ते उसने तुम लोगों को पूर्वनियत किया था। यह मेरे पिता के कारण ही है कि तुम लोग मुझमें विश्वास करते हो; यह मेरे पिता द्वारा पूर्वनियत करने के कारण ही है कि तुम मेरा अनुसरण करते हो। इसमें से कुछ भी तुम लोगों का अपना चुनाव नहीं है। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि तुम लोग यह समझो कि तुम वही लोग हो, जिन्हें मेरे लिए गवाही देने के उद्देश्य से मेरे पिता ने मुझे प्रदान किया है। चूँकि उसने तुम लोगों को मुझे दिया है, इसलिए तुम लोगों को उन तरीकों का पालन करना चाहिए, जो मैं तुम लोगों को प्रदान करता हूँ, साथ ही उन तरीकों और वचनों का भी, जो मैं तुम लोगों को सिखाता हूँ, क्योंकि मेरे मार्ग का पालन करना तुम लोगों का कर्तव्य है। यह मुझमें तुम्हारे विश्वास का मूल उद्देश्य है। इसलिए मैं तुम लोगों से कहता हूँ : तुम लोग बस मेरे पिता द्वारा मेरे तरीकों का पालन करने के लिए मुझे प्रदान किए गए लोग हो। हालाँकि तुम लोग सिर्फ मुझमें विश्वास करते हो; लेकिन तुम मेरे नहीं हो, क्योंकि तुम लोग इस्राएली परिवार के नहीं हो, और इसके बजाय प्राचीन साँप जैसे हो। मैं तुम लोगों से सिर्फ इतना करने के लिए कह रहा हूँ कि मेरे लिए गवाही दो, लेकिन आज तुम लोगों को मेरे मार्ग पर चलना चाहिए। यह सब भविष्य की गवाही के वास्ते है। अगर तुम लोग केवल उन लोगों की तरह कार्य करते हो जो मेरे तरीकों को सुनते हैं, तो तुम्हारा कोई मूल्य नहीं होगा और मेरे पिता द्वारा तुम लोगों को मुझे प्रदान किए जाने का महत्त्व खो जाएगा। मैं तुम लोगों को यह बताने पर जोर देता हूँ : तुम्हें मेरे मार्ग पर चलना चाहिए।