348 अपने क़द को संजोये रखने का क्या मोल है?
1 लोग नहीं जानते कि मेरी इच्छा का ध्यान कैसे रखें, वे मेरे कार्यों को नहीं देख पाते, प्रकाश के भीतर चल-फिर नहीं पाते और प्रकाश से दीप्त नहीं हो पाते। हालाँकि इंसान ने हमेशा मेरे वचनों को सँजोकर रखा है, फिर भी वह शैतान की कपटपूर्ण योजनाओं समझ नहीं पाता; चूँकि इंसान का आध्यात्मिक कद बहुत छोटा है, वह अपने मन मुताबिक काम नहीं कर पाता। इंसान ने कभी भी मुझसे ईमानदारी से प्रेम नहीं किया। जब मैं उसकी प्रशंसा करता हूँ, तो वह अपने आपको अयोग्य समझता है, लेकिन इससे वह मुझे संतुष्ट करने की कोशिश नहीं करता। वह मात्र उस "स्थान" को पकड़े रहता है जो मैंने उसके हाथों में सौंपा है और उसकी बारीकी से जाँच करता है; मेरी मनोरमता के प्रति असंवेदनशील बनकर, वह खुद को अपने स्थान से प्राप्त आशीषों से भरने में जुटा रहता है। क्या यह मनुष्य की कमी नहीं है?
2 जब पहाड़ सरकते हैं, तो क्या वे तुम्हारे स्थान की खातिर अपना रास्ता बादल सकते हैं? जब समुद्र बहते हैं, तो क्या वे मनुष्य के स्थान के सामने रुक सकते हैं? क्या मनुष्य का स्थान आकाश और पृथ्वी को पलट सकता है? मैं कभी इंसान के प्रति दयावान हुआ करता था, बार-बार—लेकिन कोई इसे सँजोता नहीं या खज़ाने की तरह संभालकर नहीं रखता, उन्होंने इसे मात्र एक कहानी की तरह सुना या उपन्यास की तरह पढ़ा। क्या मेरे वचन सचमुच इंसान के हृदय को नहीं छूते? क्या मेरे कथनों का वास्तव में कोई प्रभाव नहीं पड़ता? क्या ऐसा हो सकता है कि कोई भी मेरे अस्तित्व में विश्वास ही नहीं करता? इंसान खुद से प्रेम नहीं करता; बल्कि, वह मुझ पर आक्रमण करने के लिए शैतान के साथ मिल जाता है और मेरी सेवा करने के लिए शैतान को एक "परिसम्पत्ति" के रूप में इस्तेमाल करता है। मैं शैतान की सभी कपटपूर्ण योजनाओं को भेद दूँगा और पृथ्वी के लोगों को शैतान के धोखों को स्वीकार करने से रोक दूँगा, ताकि वे उसके अस्तित्व की वजह से मेरा विरोध न करें।
— "वचन देह में प्रकट होता है" में 'संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन' के 'अध्याय 22' से रूपांतरित