303 क्या तुम्हें है सच्चा भरोसा मसीह में?

1

तुम्हारे शब्द, कर्म, और लक्ष्य और निगाहें भी

दिखायें मसीह पर तुम्हारा अविश्वास, जिसे तुम थामे हो हर पल।

कभी भी दे सकते तुम धोखा उसे। शक बहता है तुम्हारी रगों में।

आस्था के पथ पर चलते हुए तुम डगमगाते, सब कुछ बेमन से करते।


परमेश्वर उन्हीं को करता पूर्ण जो करते सच्चा यकीन,

ना कि शक्की को, उन्हें तो बिलकुल नहीं, जो करते हैं अनिच्छा से अनुसरण,

वह परमेश्वर है ऐसा यकीन करते नहीं, वह परमेश्वर है ऐसा यकीन करते नहीं।


मसीह के वचनों में नहीं होता तुम्हें पूरा भरोसा

और नहीं ला पाते तुरंत उन्हें अपने अभ्यास में।

ये तुम्हारे भरोसे में कमी का एक कारण है,

दूसरा कारण है धारणाओं का होना।


2

रहते हो संशय में मसीह के कामों पर,

उसके वचन पड़ते मानो बहरे कानों पर,

रखते हो राय मसीह के कामों पर, फिर भी समझ नहीं पाते इसको,

अपनी धारणाओं को छोड़ने में करते संघर्ष

चाहे जितना भी समझाया जाए तुम्हें,

यही सारे तरीके तो अविश्वास के छाये रहते हैं दिलों में तुम्हारे।


परमेश्वर उन्हीं को करता पूर्ण जो करते सच्चा यकीन,

ना कि शक्की को, उन्हें तो बिलकुल नहीं, जो करते हैं अनिच्छा से अनुसरण,

वह परमेश्वर है ऐसा यकीन करते नहीं, वह परमेश्वर है ऐसा यकीन करते नहीं।


3

हालांकि करते हो अनुसरण मसीह के काम का

और नहीं हटते हो पीछे कभी भी,

लेकिन विद्रोह जो तुम्हारे दिलों में घुला कर देता है अपवित्र विश्वास तुम्हारा।

शायद तुम न सोच रहे हो ऐसा, अगर नहीं देख सकते मकसद अपना,

तो तुम भी पक्का उन्हीं में से हो, एक दिन हो जाएगा नाश जिनका।


परमेश्वर उन्हीं को करता पूर्ण जो करते सच्चा यकीन,

ना कि शक्की को, उन्हें तो बिलकुल नहीं, जो करते हैं अनिच्छा से अनुसरण,

वह परमेश्वर है ऐसा यकीन करते नहीं।

परमेश्वर उन्हीं को करता पूर्ण जो करते सच्चा यकीन,

ना कि शक्की को, उन्हें तो बिलकुल नहीं, जो करते हैं अनिच्छा से अनुसरण,

वह परमेश्वर है ऐसा यकीन करते नहीं, वह परमेश्वर है ऐसा यकीन करते नहीं।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, क्या तुम परमेश्वर के सच्चे विश्वासी हो? से रूपांतरित

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