42 समय जो गँवा दिया कभी वापस न आएगा
1
जागो भाइयो! जागो बहनो!
परमेश्वर का दिन विलम्ब नहीं करेगा।
वक्त जीवन है, वक्त को पकड़ने से बचता जीवन है।
समय अब दूर नहीं है!
इम्तहान में गर हो गए नाकाम,
रट सकते हो, दे सकते हो तुम फिर इम्तहान।
जान लो अच्छी तरह से तुम, देरी न करेगा दिन परमेश्वर का मगर।
अपने परमेश्वर में, अपने उद्धारक में आस्था रखो!
वही है तुम्हारा सर्वशक्तिमान!
नज़र रखो! गुज़रा वक्त लौटकर आएगा नहीं।
मलाल करते रहने का फिर कोई इलाज नहीं।
कैसे समझाए परमेश्वर तुम्हें?
क्या उसके वचन काफी नहीं कि तुम चिंतन करो, विचार करो?
2
याद रखो, परमेश्वर तुमसे गुहार लगा रहा है, सद्वचन बोल रहा है।
तुम्हारी आँखों के सामने अंत प्रकट हो रहा है, नज़दीक आ रही हैं आपदाएं।
ज़िंदगी अहम है तुम्हारी या तुम्हारा खाना-पहनना?
अब वक्त आ गया है कि इन बातों पर विचार करो।
इंसान के तौर-तरीके कितने तरस के लायक हैं, दरिद्र हैं, अंधे हैं, बेरहम हैं!
मुँह फेरते हो परमेश्वर के वचनों से, क्या वो व्यर्थ बोलता है तुमसे?
फिर अभी भी तुम बेपरवाह क्यों हो?
क्या कभी सोचा नहीं पहले तुमने?
फिर परमेश्वर ये बातें कर रहा है किसके लिए?
अपने परमेश्वर में, अपने उद्धारक में आस्था रखो!
वही है तुम्हारा सर्वशक्तिमान!
नज़र रखो! गुज़रा वक्त लौटकर आएगा नहीं।
मलाल करते रहने का फिर कोई इलाज नहीं।
कैसे समझाए परमेश्वर तुम्हें?
क्या उसके वचन काफी नहीं कि तुम चिंतन करो, विचार करो?
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 30 से रूपांतरित