669 केवल पीड़ादायक परीक्षणों के माध्यम से तुम परमेश्वर की सुंदरता को जान सकते हो

1

ईश्वर की संतुष्टि का प्रयास करना

ईश्वर के लिए प्रेम सहित उसके वचनों पर अमल करना है।

समय से बेपरवाह, गर शक्ति नहीं दूसरों में,

फिर भी तुम्हारा दिल चाहता है ईश्वर को, दिल तुम्हारा चाहे ईश्वर को,

बहुत तड़पता है, कमी महसूस करता है ईश्वर की,

यही असली आध्यात्मिक कद है, आध्यात्मिक कद है।

मुश्किलों और शुद्धिकरण से ही

इंसान ईश्वर की सुंदरता को जान सकता है।

अब तक के अनुभव से,

इंसान ईश्वर की सुंदरता के एक हिस्से को ही जानता है।


मगर ये काफ़ी नहीं, क्योंकि इंसान में बहुत कमियाँ हैं।

उसे ईश्वर के काम का और अनुभव करना चाहिए

कष्टों के तमाम शुद्धिकरण का अनुभव करना चाहिए

तब इंसान के स्वभाव में बदलाव आ सकता है,

तब इंसान के स्वभाव में बदलाव आ सकता है।


2

तुम्हारे ईश्वर-प्रेम पर निर्भर है तुम्हारे आध्यात्मिक कद की ऊँचाई,

क्या इम्तहानों में टिके रह सकते हो तुम,

क्या किसी ख़ास हालात में कमज़ोर पड़ जाते हो तुम,

क्या नकारे जाने पर मज़बूत रह सकते हो तुम।

इन बातों की सच्चाई बताएगी कैसा है तुम्हारा ईश्वर-प्रेम।

मुश्किलों और शुद्धिकरण से ही

इंसान ईश्वर की सुंदरता को जान सकता है।

अब तक के अनुभव से,

इंसान ईश्वर की सुंदरता के एक हिस्से को ही जानता है।


मगर ये काफ़ी नहीं, क्योंकि इंसान में बहुत कमियाँ हैं।

उसे ईश्वर के काम का और अनुभव करना चाहिए

कष्टों के तमाम शुद्धिकरण का अनुभव करना चाहिए

तब इंसान के स्वभाव में बदलाव आ सकता है,

तब इंसान के स्वभाव में बदलाव आ सकता है।


3

ईश्वर के अधिकतर कामों से पता चलता है,

ईश्वर को सचमुच प्रेम है इंसान से।

मगर इंसान की आध्यात्मिक आँखें खुली नहीं पूरी तरह।

इंसान ईश्वर की इच्छा को, ईश्वर के ज़्यादातर कामों को,

ईश्वर की सुंदरता की बहुत-सी बातों को देख नहीं पाता।

इंसान को ईश्वर से बहुत कम सच्चा प्रेम है।

तुमने अब तक आस्था रखी है ईश्वर में।

ईश्वर के कठोर न्याय और परम उद्धार ने ही सही राह दिखायी है तुम्हें।

मुश्किलों और शुद्धिकरण से ही

इंसान ईश्वर की सुंदरता को जान सकता है।

अब तक के अनुभव से,

इंसान ईश्वर की सुंदरता के एक हिस्से को ही जानता है।

मगर ये काफ़ी नहीं, क्योंकि इंसान में बहुत कमियाँ हैं।

उसे ईश्वर के काम का और अनुभव करना चाहिए

कष्टों के तमाम शुद्धिकरण का अनुभव करना चाहिए

तब इंसान के स्वभाव में बदलाव आ सकता है,

तब इंसान के स्वभाव में बदलाव आ सकता है।

मुश्किलों और शुद्धिकरण से ही

इंसान ईश्वर की सुंदरता को जान सकता है।

अब तक के अनुभव से,

इंसान ईश्वर की सुंदरता के एक हिस्से को ही जानता है।


मगर ये काफ़ी नहीं, क्योंकि इंसान में बहुत कमियाँ हैं।

उसे ईश्वर के काम का और अनुभव करना चाहिए

कष्टों के तमाम शुद्धिकरण का अनुभव करना चाहिए

तब इंसान के स्वभाव में बदलाव आ सकता है,

तब इंसान के स्वभाव में बदलाव आ सकता है।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पीड़ादायक परीक्षणों के अनुभव से ही तुम परमेश्वर की मनोहरता को जान सकते हो से रूपांतरित

पिछला: 668 इंसान का शोधन बेहद सार्थक है परमेश्वर के द्वारा

अगला: 670 मुश्किलों और परीक्षणों के ज़रिए ही तुम ईश्वर को सचमुच प्रेम कर सकते हो

परमेश्वर का आशीष आपके पास आएगा! हमसे संपर्क करने के लिए बटन पर क्लिक करके, आपको प्रभु की वापसी का शुभ समाचार मिलेगा, और 2023 में उनका स्वागत करने का अवसर मिलेगा।

संबंधित सामग्री

610 प्रभु यीशु का अनुकरण करो

1पूरा किया परमेश्वर के आदेश को यीशु ने, हर इंसान के छुटकारे के काम को,क्योंकि उसने परमेश्वर की इच्छा की परवाह की,इसमें न उसका स्वार्थ था, न...

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों का संकलन मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवों की गवाहियाँ मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें