769 जो करें परमेश्वर से प्रेम, उनके पास अवसर है पूर्ण बनाए जाने का

1

इंसान को कर्म के अनुसार पूर्ण बनाता है ईश्वर।

गर पूरी शक्ति का इस्तेमाल करो,

ईश्वर-कार्य के आज्ञाकारी बनो, तो ईश्वर तुम्हें पूर्ण बनाएगा।

तुम लोगों में अभी न है कोई पूर्ण।

तुम एक काम करो या दो, पूरी शक्ति लगाओ और खुद को खपाओ,

तो अंत में पूर्ण बनाएगा ईश्वर।

बूढ़े-जवान में फर्क नहीं, सच्चा प्रेम ईश्वर से करे जो भी,

उसे ही तो मिलता है पूर्णता पाने का मौका।

आज्ञाकारी ईश्वर के रहो, श्रद्धा भी रखो उसके प्रति,

तो वो अंत में बनाएगा तुम्हें पूर्ण।


2

तुम जानते हो तुम्हें क्या है करना, चाहे छोटे हो या बड़े कलीसिया में तुम।

जो युवा हैं वो अभिमानी नहीं, बूढ़े निराश नहीं, वो पीछे हटते नहीं।

निष्पक्ष सेवा करते एक-दूजे की, सुधारने को खुद को सीखते परस्पर।

बनता है इस तरह मित्रता का पुल। ईश-प्रेम से समझते एक-दूजे को।

कलीसिया के भाई-बहनों के बीच, युवा देखते नहीं नीची नज़र से बड़ों को,

बड़े ना करें अभिमान। क्या नहीं है ये सुसंगत भागीदारी?

बूढ़े-जवान में फर्क नहीं, सच्चा प्रेम ईश्वर से करे जो भी,

उसे ही तो मिलता है पूर्णता पाने का मौका।

आज्ञाकारी ईश्वर के रहो, श्रद्धा भी रखो उसके प्रति,

तो वो अंत में बनाएगा तुम्हें पूर्ण।

ठान लो ये तुम अगर अब, तो ईश-इच्छा होगी पूरी।

तुम्हारी पीढ़ी में ही होगी पूरी।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, सभी के द्वारा अपना कार्य करने के बारे में से रूपांतरित

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