128 काम परमेश्वर का, आगे बढ़ता रहता है

1

काम परमेश्वर का, आगे बढ़ता रहता है;

हालाँकि लक्ष्य नहीं बदलता,

मगर साधन उसके काम के निरंतर बदलते रहते हैं,

और उसी तरह उसका अनुसरण करने वाले भी बदलते रहते हैं।

जितना ज़्यादा कार्य परमेश्वर करता है,

इंसान उसे उतना ज़्यादा जान जाता है, पूरी तरह जान जाता है,

परमेश्वर के कार्य के साथ उसी के अनुरूप

उतना ही ज़्यादा इंसान का स्वभाव भी बदल जाता है।

काम परमेश्वर का, आगे बढ़ता रहता है;

काम उसका कभी पुराना नहीं पड़ता, सदा नया रहता है।

पुराने कार्य को वह कभी नहीं दोहराता,

करेगा उसी काम को वो, जो पहले कभी नहीं किया है।


2

उसी कार्य को परमेश्वर बनाए नहीं रखता है;

ये सदा बदलता रहता है और सदा नया रहता है।

उसी तरह है ये जैसे परमेश्वर नए वचन बोलता है

और तुम सब पर हर रोज़ नया कार्य करता है।

ये कार्य है जिसे परमेश्वर करता है;

ख़ास बातें "चमत्कारिक" और "नया" जैसे लफ़्ज़ों में छिपी हैं।

"बदलता नहीं है कभी परमेश्वर, वो रहता है सदा परमेश्वर।"

कहावत है ये जो वाकई सच है।


3

मगर चूँकि बदलता रहता है परमेश्वर का काम सदा,

इसलिये जो जानते नहीं कार्य पवित्र आत्मा का,

और ऐसे बेतुके लोग जो जानते नहीं सत्य को,

विरोधी बन जाते हैं परमेश्वर के वो लोग।

बदलेगा नहीं सार कभी परमेश्वर का;

परमेश्वर रहता है परमेश्वर सदा, वो कभी शैतान नहीं बनता।

इसके मायने ये नहीं हैं मगर, उसके सार की तरह,

उसका कार्य भी अचल है।

परमेश्वर नहीं बदलता कभी कहता है तू,

मगर "कभी पुराना नहीं, सदा नया" का तू क्या जवाब देगा?

बढ़ता और बदलता रहता है, परमेश्वर का कार्य सदा,

अपनी इच्छा ज़ाहिर करता है वो, और बता भी देता है इंसान को।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, वो मनुष्य, जिसने परमेश्वर को अपनी ही धारणाओं में सीमित कर दिया है, किस प्रकार उसके प्रकटनों को प्राप्त कर सकता है? से रूपांतरित

पिछला: 127 परमेश्वर ने अंतिम दिनों में अपना पूरा स्वभाव प्रकट किया है

अगला: 129 परमेश्वर काम नहीं दोहराता

परमेश्वर का आशीष आपके पास आएगा! हमसे संपर्क करने के लिए बटन पर क्लिक करके, आपको प्रभु की वापसी का शुभ समाचार मिलेगा, और 2024 में उनका स्वागत करने का अवसर मिलेगा।

संबंधित सामग्री

775 तुम्हारी पीड़ा जितनी भी हो ज़्यादा, परमेश्वर को प्रेम करने का करो प्रयास

1समझना चाहिये तुम्हें कितना बहुमूल्य है आज कार्य परमेश्वर का।जानते नहीं ये बात ज़्यादातर लोग, सोचते हैं कि पीड़ा है बेकार:अपने विश्वास के...

610 प्रभु यीशु का अनुकरण करो

1पूरा किया परमेश्वर के आदेश को यीशु ने, हर इंसान के छुटकारे के काम को,क्योंकि उसने परमेश्वर की इच्छा की परवाह की,इसमें न उसका स्वार्थ था, न...

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें