418 प्रार्थना के मायने

1

प्रार्थनाएँ वह मार्ग होती हैं जो जोड़ें मानव को परमेश्वर से,

जिससे वह पुकारे पवित्र आत्मा को और प्राप्त करे स्पर्श परमेश्वर का।

जितनी करोगे प्रार्थना, उतना ही स्पर्श पाओगे,

प्रबुद्ध होगे और मन में शक्ति आएगी।

ऐसे ही लोगों को मिल सकती है पूर्णता शीघ्र ही, शीघ्र ही, शीघ्र ही, शीघ्र ही।


2

तो जो ना करे प्रार्थना वह है जैसे मृत बिना आत्मा के।

ना मिले स्पर्श परमेश्वर का, ना कर सके अनुपालन परमेश्वर के कार्यों के।

जो नहीं करोगे प्रार्थना तो छूट जाएगा सामान्य आत्मिक जीवन,

नहीं पाओगे परमेश्वर का साथ; वो तुमको अपनाएगा नहीं,

वो तुमको अपनाएगा नहीं।

जितनी करोगे प्रार्थना, उतना ही स्पर्श पाओगे,

प्रबुद्ध होगे और मन में शक्ति आएगी।

ऐसे ही लोगों को मिल सकती है पूर्णता शीघ्र ही,

ऐसे ही लोगों को मिल सकती है पूर्णता शीघ्र ही,

शीघ्र ही, शीघ्र ही, शीघ्र ही, शीघ्र ही।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, प्रार्थना के अभ्यास के बारे में से रूपांतरित

पिछला: 417 मनुष्य की पुकार पर परमेश्वर देता है वो जिसकी उसे ज़रूरत है

अगला: 419 सच्ची प्रार्थना में प्रवेश कैसे किया जाता है

परमेश्वर का आशीष आपके पास आएगा! हमसे संपर्क करने के लिए बटन पर क्लिक करके, आपको प्रभु की वापसी का शुभ समाचार मिलेगा, और 2024 में उनका स्वागत करने का अवसर मिलेगा।

संबंधित सामग्री

610 प्रभु यीशु का अनुकरण करो

1पूरा किया परमेश्वर के आदेश को यीशु ने, हर इंसान के छुटकारे के काम को,क्योंकि उसने परमेश्वर की इच्छा की परवाह की,इसमें न उसका स्वार्थ था, न...

775 तुम्हारी पीड़ा जितनी भी हो ज़्यादा, परमेश्वर को प्रेम करने का करो प्रयास

1समझना चाहिये तुम्हें कितना बहुमूल्य है आज कार्य परमेश्वर का।जानते नहीं ये बात ज़्यादातर लोग, सोचते हैं कि पीड़ा है बेकार:अपने विश्वास के...

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें