921  सारी सृष्टि परमेश्वर के प्रभुत्व के अधीन होनी चाहिए

1  परमेश्वर ने सभी चीजों की सृष्टि की थी, और इसलिए वह समूची सृष्टि को अपने प्रभुत्व के अधीन लाता और अपने प्रभुत्व के प्रति समर्पित करवाता है; वह सभी चीजों पर अधिकार रखेगा, ताकि सभी चीजें उसके हाथों में हों। परमेश्वर की सारी सृष्टि, पशुओं, पेड़-पौधों, मानवजाति, पहाड़ तथा नदियों, और झीलों सहित—सभी को उसके प्रभुत्व के अधीन आना ही होगा। आकाश में और धरती पर सभी चीजों को उसके प्रभुत्व के अधीन आना ही होगा। उनके पास कोई विकल्प नहीं हो सकता है और सभी को उसके आयोजनों के समक्ष समर्पण करना ही होगा। इसकी आज्ञा परमेश्वर द्वारा दी गई थी, और यह परमेश्वर का अधिकार है।

2  परमेश्वर सभी चीजों पर नियंत्रण रखता है, और सभी चीजों को व्यवस्थित और श्रेणीबद्ध करता है, जिसमें प्रत्येक को उनके प्रकार के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है और परमेश्वर की इच्छाओं के अनुसार उनका अपना स्थान प्रदान किया जाता है। चाहे वह कितनी भी बड़ी क्यों न हो, कोई भी चीज़ परमेश्वर से बढ़कर नहीं हो सकती है, और सभी चीजें परमेश्वर द्वारा सृजित मानवजाति की सेवा करती हैं, और कोई भी चीज परमेश्वर के खिलाफ विद्रोह करने या परमेश्वर से कोई भी माँग करने की हिम्मत नहीं करती है। इसलिए मनुष्य को भी सृजित प्राणी होने के नाते मनुष्य का कर्तव्य अच्छे से निभाना ही चाहिए। चाहे वह सभी चीजों का स्वामी हो या देख-रेख करने वाला हो, सभी चीजों के बीच मनुष्य का दर्जा चाहे जितना भी ऊँचा हो, तो भी वह परमेश्वर के प्रभुत्व के अधीन एक अदना मानव भर है, और तुच्छ मानव, सृजित प्राणी से अधिक कुछ भी नहीं है, और वह कभी परमेश्वर से ऊपर नहीं होगा।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, सफलता या विफलता उस पथ पर निर्भर होती है जिस पर मनुष्य चलता है

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