618 उस तरह सेवा करो जैसे इस्राएलियों ने की
1 आज तुम लोगों की एक साथ मिलकर काम करने की अपेक्षा वैसी ही है जैसी यहोवा की अपेक्षा थी कि इस्राएली उसकी सेवा करें। अन्यथा, तुम्हारी सेवा समाप्त हो जाएगी। क्योंकि तुम सब वे लोग हो जो सीधे परमेश्वर की सेवा करते हो, कम से कम तुम लोगों को अपनी सेवा में वफादार और आज्ञाकारी होने में सक्षम होना चाहिए, और व्यवाहारिक तरीके से सबक सीखने में सक्षम होना चाहिए। विशेष रूप से जो कलीसिया में काम कर रहे हैं, क्या नीचे के स्तर के भाइयों और बहनों में से कोई भी तुम सभी के साथ व्यवहार बनाने की हिम्मत करेगा? क्या कोई तुम लोगों को तुम्हारे मुँह पर तुम्हारी गलतियों के बारे में बताने की हिम्मत करेगा? तुम लोग सबों से ऊपर खड़े हो, तुम लोग वास्तव में राजा के रूप में राज्य कर रहे हो! तुम लोग इस तरह के व्यावहारिक सबक का अध्ययन या प्रवेश भी नहीं करते हो, और तुम फिर भी परमेश्वर की सेवा करने की बात करते हो!
2 वर्तमान में तुमको कई कलीसियाओं का नेतृत्व करने के लिए कहा जाता है, न केवल तुम खुद को समर्पित नहीं करते, तुम अपने विचारों और धारणाओं से भी चिपके रहते हो, और ऐसी बातें करते हो तुम कई चीजों की जिम्मेदारी नहीं लेते हो जिनसे निपटा जाना चाहिए, या तुम बस कैसे भी काम चला लेते हो, चतुरता से अपनी खुद की स्थिति, प्रतिष्ठा, और चेहरे की रक्षा करते हुए, प्रत्येक व्यक्ति अपनी राय प्रकट करता है। कोई भी खुद को विनम्र बनाने के लिए तैयार नहीं है, दूसरे में संशोधन करने के लिए और स्वयं भी संशोधित होने के लिए, कोई व्यक्ति आगे बढ़कर खुद को समर्पित नहीं करता ताकि जीवन और तेजी से आगे बढ़ सके। जब तुम लोगों का किसी से सामना होता है, तो तुम लोगों को एक दूसरे के साथ सहभागिता करनी चाहिए, ताकि तुम्हारा जीवन लाभ पा सके। तुमने जिन मुद्दों को खोजा है और काम में आने वाली समस्याओं के बारे में तुम लोगों को एक साथ मिलकर साहचर्य करना चाहिए और तुम सबको प्राप्त हुए ज्ञान और प्रबोधन का संचार करना चाहिए—यह सेवा का अनिवार्य अभ्यास है।
3 तुम सभी को कलीसिया के लाभ के लिए, परमेश्वर के काम के उद्देश्य के लिए, और भाइयों और बहनों को आगे बढ़ाने के लिए सामंजस्यपूर्ण सहयोग प्राप्त करना ही होगा। तुम उसके साथ समन्वय करो और वह तुम्हारे साथ समन्वय करे, प्रत्येक एक दूसरे में संशोधन करे, एक बेहतर कार्य परिणाम तक पहुंचे, ताकि परमेश्वर की इच्छा का ध्यान रख सकें। केवल यह एक सच्चा सहयोग है, और केवल ऐसे लोगों के पास सच्ची प्रविष्टि है। तुम में से प्रत्येक को, ऐसे लोगों के तौर पर, जो सेवा करते हैं, जो कुछ तुम करते हो उन सभी चीजों में कलीसिया के हितों की रक्षा करने में सक्षम होना चाहिए, इसके बजाय कि तुम अपने हितों की रक्षा लगे रहो। यह अकेले किये जाने के लिए अस्वीकार्य है, जहां तुम उसे कमजोर करो और वह तुम्हें कमज़ोर करे। इस तरह का बर्ताव करने वाले लोग परमेश्वर की सेवा के लिए उपयुक्त नहीं हैं! इस तरह के व्यक्तियों का स्वभाव इतना बुरा है; मानवता का एक औंस भी उनमें शेष नहीं बचता है। वे एक-सौ प्रतिशत शैतान हैं! वे जानवर हैं!
— "वचन देह में प्रकट होता है" में "वैसे सेवा करो जैसे कि इस्राएलियों ने की" से रूपांतरित