642 वह संकल्प जो मोआब की संतानों के पास होना चाहिए

1

मोआब की संतानों से नहीं कोई अधिक पिछड़ा और भ्रष्ट।

वो परमेश्वर को स्वीकारते नहीं।

इसलिए केवल जब इन पर पाई जा सके विजय,

केवल जब ये कर सकें प्रेम परमेश्वर को,

केवल जब वो कर सकें उसकी स्तुति,

तभी होगी वो गवाही विजय की, विजय की।

अंत में तू कहेगा, "हम हैं शापित, हम हैं संतान मोअब की।

इसे तो हम बदल, बदल सकते नहीं,

क्योंकि ये थी आज्ञा परमेश्वर की, परमेश्वर की।

लेकिन हमारा जीना और ज्ञान बदल सकता है,

परमेश्वर को संतुष्ट करने के लिए हम हैं संकल्पित,

परमेश्वर को संतुष्ट करने के लिए हम हैं संकल्पित।"


2

ये सच है कि तुम लोग पतरस नहीं,

लेकिन जी सकते हो तुम पतरस की छवि,

अय्यूब और पतरस के समान दे सकते हो गवाही।

यही है सबसे बड़ी गवाही।

अंत में तू कहेगा, "हम तो इस्राएली नहीं।

हम हैं त्यागी गईं संतानें मोअब की।

हम परमेश्वर के आशीषों के योग्य नहीं।"

अंत में तू कहेगा, "हम हैं शापित, हम हैं संतान मोअब की।

इसे तो हम बदल सकते नहीं,

क्योंकि ये थी आज्ञा परमेश्वर की, परमेश्वर की।

लेकिन हमारा जीना और ज्ञान बदल सकता है,

परमेश्वर को संतुष्ट करने के लिए हम हैं संकल्पित,

परमेश्वर को संतुष्ट करने के लिए हम हैं संकल्पित।"


3

"हम पतरस नहीं, हममें उसकी योग्यता नहीं।

हम अय्यूब नहीं, हममें पौलुस का संकल्प नहीं।

परमेश्वर को जितना समर्पण किया पौलुस ने,

पौलुस ने उतना हम कर सकते नहीं, कर सकते नहीं।

लेकिन फिर भी आज हमें उठाया है परमेश्वर ने, परमेश्वर ने।

तो हमें संतुष्ट करना है परमेश्वर को, परमेश्वर को, और हैं हम तैयार भी।

हम योग्य नहीं, लेकिन संकल्पित हैं हम फिर भी,

और हैं हम तैयार, और हैं हम तैयार।"

अंत में तू कहेगा, "हम हैं शापित, हम हैं संतान मोअब की।

इसे तो हम बदल, बदल सकते नहीं,

क्योंकि ये थी आज्ञा परमेश्वर की, परमेश्वर की।

लेकिन हमारा जीना और ज्ञान बदल सकता है,

परमेश्वर को संतुष्ट करने के लिए हम हैं संकल्पित,

परमेश्वर को संतुष्ट करने के लिए हम हैं संकल्पित।"


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, विजय के कार्य की आंतरिक सच्चाई (2) से रूपांतरित

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