209 न्याय से गुज़रने पर उपजा पछतावा
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मसीह के न्याय से गुज़रकर, मैं अति-भावुक हो गया हूँ।
परमेश्वर का हर वचन सत्य है, जो इंसान की भ्रष्टता के सत्य को दिखाता है।
अपने कार्यों और व्यवहार पर आत्म-मंथन करके, मैं पश्चाताप से भर गया हूँ।
मैं अभिमानी, दंभी, स्वार्थी और घिनौना हूँ, मुझमें ज़रा-सी भी इंसानियत नहीं है।
परमेश्वर के न्याय के बिना, मैं अभी भी अपने आप को अच्छा मानूँगा।
परमेश्वर के वचन मुझे सचेत करते हैं, चेतावनी देते हैं; मैं जागता क्यों नहीं?
वह बार-बार मुझे प्रेरित करता है, उसका प्यार एक माँ के प्यार से भी बढ़कर है।
परमेश्वर को उम्मीद है कि हर कोई उसके वचनों का अभ्यास करेगा और उसकी आज्ञा मानेगा।
2
परमेश्वर ने बहुत सारे वचन बोले हैं, उसकी इच्छा पूरी तरह से प्रकट हुई है।
मैं देखता हूँ कि इंसान के लिए परमेश्वर का प्यार कितना विशाल और वास्तविक है।
अपने कार्यों और व्यवहार पर आत्म-मंथन करके, मैं पश्चाताप से भर गया हूँ।
मेरी बार-बार की ज़िद और विद्रोह परमेश्वर को बहुत पीड़ा देते हैं।
जिस सड़क पर हमने यात्रा की है, वह उसके खून और आँसुओं से बनी है।
परमेश्वर को उम्मीद है कि जल्द ही हमारे स्वभाव बदल जाएँगे।
जब परमेश्वर का न्याय होगा, तो मैं फिर भागूँगा नहीं।
मैं शुद्ध और पूर्ण होने के लिए न्याय और ताड़ना स्वीकारने को तैयार हूँ।
परमेश्वर ने हमसे कितनी उम्मीदें लगा रखी हैं,
परमेश्वर को अभी भी इस बात की प्रतीक्षा है कि लोग उसे अपना हृदय अर्पित करेंगे,
मैंने इंसान के लिए उसकी सच्ची आशाएँ देखी हैं।
मैं परमेश्वर के श्रमसाध्य प्रयासों पर खरा उतरूँगा।
मैं परमेश्वर से प्रेम करूँगा और उसके दिल को हमेशा के लिए सुकून दूँगा।