776 पतरस ने सच्चे विश्वास और प्रेम को बनाए रखा
वह प्रार्थना करने के लिए प्रायः यीशु के पास आता, परमेश्वर की इच्छा को संतुष्ट न कर पाने और परमेश्वर के मानकों पर खरा न उतर पाने के कारण हमेशा पछतावा और आभार महसूस करता। ये मामले उसका सबसे बड़ा बोझ बन गए। उसने कहा, "एक दिन मैं तुझे वह सब अर्पित कर दूँगा जो मेरे पास है और सब कुछ जो मैं हूँ, मैं तुझे वह दूँगा जो सबसे अधिक मूल्यवान है। परमेश्वर! मेरे जीवन का कुछ भी मूल्य नहीं है, और मेरे शरीर का कुछ भी मूल्य नहीं है। मेरे पास केवल एक ही विश्वास और केवल एक ही प्रेम है। मेरे मन में तेरे लिए विश्वास है और हृदय में तेरे लिए प्रेम है; ये ही दो चीज़ें मेरे पास तुझे देने के लिए हैं, इसके अलावा और कुछ नहीं है।" इतनी कि जब वह सलीब पर था, तो वह यह कहने में समर्थ थाः "परमेश्वर! मैं तुझे बेहद प्यार करता हूँ! यहाँ तक कि यदि तू मुझे मरने के लिए कहे, तब भी मैं तुझे बेहद प्यार करता हूँ! तू जहाँ कहीं भी मेरी आत्मा को भेजे, चाहे तू अपनी प्रतिज्ञाओं को पूरा करे या न करे, इसके बाद तू चाहे जो कुछ भी करे, मैं तुझे प्यार करता हूँ और तुझ पर विश्वास करता हूँ।" उसने जो थामे रखा वह था उसका विश्वास और सच्चा प्रेम।
— "वचन देह में प्रकट होता है" में "पतरस ने यीशु को कैसे जाना" से रूपांतरित