236 आखिरकार मैं एक इंसान की तरह जी रहा हूँ

1 दुनियावी प्रवृतियों का अनुसरण करने से मैं चालाक और धोखेबाज बन गया। मैं लोगों के साथ इतना सावधान और सतर्क रहा कि सच बोलना मेरे लिए कभी आसान नहीं रहा। मैंने जीवन के दर्शनों के अनुसार काम किया, और चालाकी से अपने आपको नेक इंसान माना। मैंने अपने अहं को तुष्ट किया, लेकिन अपने दिल की दहशत नहीं छिपा सका। परमेश्वर के वचन इंसान की शैतानी प्रकृति का न्याय और खुलासा करते हैं। जैसे कि सपने से जागने पर, मुझे एहसास हुआ कि मैं एक इंसान की तरह नहीं जी रहा; झूठ बोलना, कुटिलता और छल करना मेरा जीवन बन गया था। एक ईमानदार, नेक हृदय के बिना भी क्या कोई गरिमा या ईमानदारी है? धोखेबाज लोग हैवान होते हैं, जिनकी परमेश्वर द्वारा छँटाई और सफाई कर दी जानी चाहिए। अपने अंदर इंसानियत न होने से मुझे नफरत है, और मैं एक नया इंसान होने के लिए संकल्पित हूँ।

2 परमेश्वर का सार निष्ठावान और धार्मिक है और वह सबकी जाँच करता है। इंसान का कपट उसकी आँखों से छिप नहीं सकता; अंततः वह उजागर होकर रहेगा। ईमानदार लोग सत्य से प्यार करते हैं और परमेश्वर के आशीष और सुरक्षा पाते हैं। अब जबकि मैं सत्य को समझता हूँ, मैं अपना छद्मवेष फाड़ रहा हूँ और एक ईमानदार इंसान बनने का इच्छुक हूँ। सहजता और खुलेपन से मैं अपना विश्लेषण करता हूँ और खुद को उघाड़ता हूँ, और अब मैं लोगों के अपने ऊपर हँसने से नहीं डरता। अब मैं अपनी बातचीत में ईमानदार हूँ, भावनाओं पर निर्भर नहीं हूँ और मेरे अंदर गूढ़ मंशाओं की कोई मिलावट नहीं है। परमेश्वर के सामने मेरे अंदर कोई धोखा नहीं है, और मैं उसे अपना हृदय अर्पित करता हूँ। मैं निष्ठापूर्वक अपना कर्तव्य निभाता हूँ, बदले में कुछ नहीं माँगता, और इसके पीछे मेरा केवल परमेश्वर को संतुष्ट करने का प्रयोजन है। सत्य का अभ्यास करना अच्छा लगता है; मेरा दिल सुकून में है। अब कोई भी चीज मुझे एक ईमानदार इंसान होने और अपना कर्तव्य निभाने से नहीं रोकती। मैं परमेश्वर का भय मानता हूँ और बुराई से दूर रहता हूँ, और इंसान की तरह जी रहा हूँ। मुझे बचाने के लिए परमेश्वर के न्याय और ताड़ना का धन्यवाद!

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