783 परमेश्वर को जानना सृजित प्राणियों के लिए सबसे बड़े सम्मान की बात है
1
सत्य का अभ्यास बहुत कठिन है तुम्हारे लिए,
ईश्वर को जानना समस्या है और भी बड़ी।
ये सभी इंसानों की समस्या है।
कुछ लोग ईश्वर को बेहतर जानें लेकिन कोई कसौटी पर खरा न उतरे।
इंसान न जाने ईश्वर को जानना क्या है,
ये क्यों ज़रूरी है, कहाँ तक उसे जानना है।
इंसान चकराये, समझ न पाये।
कोई इसका जवाब न दे पाये,
क्योंकि इस काम में कोई सफल नहीं हुआ आज तक।
गर तुम बन सको ईश्वर को पहले जानने वालों में से एक,
क्या ये नहीं होगा गौरव सबसे बड़ा?
क्या किसी और प्राणी को मिल सकेगी तुमसे
ज़्यादा प्रशंसा ईश्वर की? प्रशंसा ईश्वर की?
2
जब ईश्वर के तीन चरणों के काम की पहेली इंसान को दिखाई जायेगी,
तो ईश्वर को जानने वाली प्रतिभाओं का एक समूह सामने आएगा।
अपना काम करते हुए ईश्वर ने इसी की आशा की है,
एक दिन ऐसी और प्रतिभाओं को देखने की वो आशा करे।
होंगे वो अग्रदूत जो देंगे गवाही कार्य के तीन चरणों की।
ईश्वर करे आशा ये आशीष पा सकें सच्चे खोजी।
कभी ऐसा कोई काम न हुआ आरंभ से, न कभी हुआ इंसानी इतिहास में।
गर तुम बन सको ईश्वर को पहले जानने वालों में से एक,
क्या ये नहीं होगा गौरव सबसे बड़ा?
क्या किसी और प्राणी को मिल सकेगी तुमसे ज़्यादा प्रशंसा ईश्वर की?
3
ये आज का काम है और कल का भी,
छह हज़ार सालों का सर्वोच्च काम, एक तरीका
जो हर किस्म के इंसान को उजागर करे।
ऐसा काम नहीं आसान, लेकिन ये फल देगा।
चाहे हों नर या नारी, हों निवासी कहीं के भी,
जो भी ईश्वर के बारे में ज्ञान पाने योग्य होंगे
ईश्वर से सबसे बड़ा सम्मान पाएंगे।
केवल उन्हीं के पास ईश्वर का अधिकार होगा।
गर तुम बन सको ईश्वर को पहले जानने वालों में से एक,
क्या ये नहीं होगा गौरव सबसे बड़ा?
क्या किसी और प्राणी को मिल सकेगी तुमसे
ज़्यादा प्रशंसा ईश्वर की? प्रशंसा ईश्वर की?
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों को जानना ही परमेश्वर को जानने का मार्ग है से रूपांतरित