21 परमेश्वर का राज्य मनुष्यों के बीच स्थापित है

1

पृथ्वी और ब्रह्मांड में, देखी जा सकती है परमेश्वर की बुद्धि।

सभी चीजों और सभी लोगों के बीच, मधुर फलों को उपजाती है उसकी बुद्धि।

सबकुछ दिखे जैसे है परमेश्वर के राज्य का उत्पाद।

मानवता परमेश्वर के आसमान के नीचे विश्राम करती है

जैसे परमेश्वर के चरागाह में हो भेड़।

परमेश्वर फिर सिय्योन में विश्राम कर सकता है;

मानव परमेश्वर के मार्गदर्शन में रह सकता है।

परमेश्वर के हाथ में लोग सब प्रबंध करते हैं।

बुद्धि और पहली दृष्टि, वे आखिरकार करते हैं उनको पुनःप्राप्त।

अब और धूल से ढंकना नहीं, शुद्ध हैं जैसे हरिताश्म, सबका चेहरा ऐसे जैसे एक संत।

परमेश्वर का राज्य क्योंकि सब मनुष्यों के बीच स्थापित हो गया है।


2

परमेश्वर सब लोगों के ऊपर चलता है,

आस-पास देखने के लिए वो अपनी दृष्टि घुमा रहा है।

कोई भी चीज नहीं है उतनी पुरानी,

ना कोई अकेला आदमी है जैसे वह था।

परमेश्वर अपने सिंहासन पर आराम करता है,

वह लेटा है ब्रह्माण्ड के एक छोर से दूसरे छोर तक।

सभी चीजों को पुनः प्राप्त होती है उनकी पवित्रता,

और परमेश्वर का हृदय संतुष्ट हुआ है।

परमेश्वर फिर सिय्योन में विश्राम कर सकता है;

मानव परमेश्वर के मार्गदर्शन में रह सकता है।

परमेश्वर के हाथ में लोग सब प्रबंध करते हैं।

बुद्धि और पहली दृष्टि, वे आखिरकार करते हैं उनको पुनःप्राप्त।

अब और धूल से ढंकना नहीं, शुद्ध हैं जैसे हरिताश्म, सबका चेहरा ऐसे जैसे एक संत।

परमेश्वर का राज्य क्योंकि सब मनुष्यों के बीच स्थापित हो गया है।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 16 से रूपांतरित

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