434 अपना हृदय परमेश्वर की ओर मोड़ कर ही तुम परमेश्वर की सुंदरता कर सकते हो महसूस
1
ईश्वर को संतुष्ट करोगे जितना, दिल तुम्हारा उसकी ओर होगा उतना।
करोगे जितनी तुम प्रार्थना उतनी सुंदरता उसकी खोज सकोगे।
उसे संतुष्ट करोगे जितना, उतना ही देगा बोझ अपना वो तुम्हें,
जितना प्रेम करोगे, उसकी ओर होगा दिल भी उतना।
जब तुम पहुँचो वहाँ, जहाँ उसकी सुंदरता दिखे,
तब तुम तह-ए-दिल से उसकी स्तुति कर सकोगे।
न रोक कोई सकेगा जब स्तुति तुम करोगे।
उसकी सुंदरता देखोगे जब उसकी ओर हो तुम्हारा दिल,
जब उसकी ओर हो तुम्हारा दिल।
2
ईश्वर के लिए प्रेम तुम्हारा बढ़े जितना, उतना कम ग़लत हो सोच-विचार तुम्हारा।
शैतान को मौका न मिलेगा कि तुम में अपना काम कर सके।
तब बहिष्कृत मौत का माहौल होगा पूरी तरह,
तुम्हारा दिल होगा ईश्वर की ओर देखने को उसकी सुंदरता।
जब तुम पहुँचो वहाँ, जहाँ उसकी सुंदरता दिखे,
तब तुम तह-ए-दिल से उसकी स्तुति कर सकोगे।
न रोक कोई सकेगा जब स्तुति तुम करोगे।
उसकी सुंदरता देखोगे जब उसकी ओर हो तुम्हारा दिल,
जब उसकी ओर हो तुम्हारा दिल।
—परमेश्वर की संगति से रूपांतरित