635 शैतान के प्रभाव को दूर करने के लिए परमेश्वर के न्याय का अनुभव करो

1

इंसानी जीवन शैतान के अधीन है। सभी भ्रष्ट हैं।

ख़ुद को छुड़ा न सके कोई शैतान के पंजे से।

सभी रहते मलिन दुनिया में, जहाँ न मूल्य, न अर्थ है,

देह, वासना और शैतान की ख़ातिर बेफिक्री से जीते हैं।

इंसान भले ही ईश्वर को माने, बाइबल पढ़े,

पर खोज न पाए सत्य, जो उसे शैतान से छुड़ा सके।

युगों-युगों से, इस राज़ को कुछ ही लोग समझ सके।

इंसान देह और शैतान से घृणा करे, पर इनसे ख़ुद को छुड़ा न सके।

इंसान शैतान के जाल में फँसा रहे...


अगर तुम पूर्ण किए जाना चाहो,

तो ईश-कार्य और ईश्वर द्वारा इंसान के न्याय के मायने समझो।

क्या तुम ईश्वर की ताड़ना और न्याय को स्वीकार कर पाते हो?

क्या तुम पतरस के ज्ञान और अनुभव को पा सकते हो?

अगर तुम करते हो कोशिश ईश्वर और पवित्र आत्मा के काम को जानने की,

अपने स्वभाव को बदलने की, तो तुम पूर्ण बनाए जा सकते हो।


2

अगर इंसान शुद्ध न हुआ, तो मलिन है वो।

अगर वो ईश्वर की सुरक्षा में न हो, तो शैतान का बंदी है वो।

अगर वो ताड़ित न हो, उसका न्याय न हो,

तो शैतान के बुरे प्रभाव से न बच सके वो।

इंसान को ईश्वर की सुरक्षा चाहिए...


अगर तुम्हारा मन और विचार शुद्ध न हों,

तो उन पर कब्ज़ा कर लेता शैतान।

अगर तुम्हारा मन और विचार शुद्ध न हों,

अगर तुम्हारे स्वभाव का न्याय न हो, तो तुम पर कब्ज़ा कर लेता शैतान।


अगर तुम पूर्ण किए जाना चाहो,

तो ईश-कार्य और ईश्वर द्वारा इंसान के न्याय के मायने समझो।

क्या तुम ईश्वर की ताड़ना और न्याय को स्वीकार कर पाते हो?

क्या तुम पतरस के ज्ञान और अनुभव को पा सकते हो?

अगर तुम करते हो कोशिश ईश्वर और पवित्र आत्मा के काम को जानने की,

अपने स्वभाव को बदलने की, तो तुम पूर्ण बनाए जा सकते हो।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पतरस के अनुभव : ताड़ना और न्याय का उसका ज्ञान से रूपांतरित

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