292 लोग परमेश्वर के उद्धार को नहीं जानते हैं
1 मनुष्य के बीच मेरे आगमन का उद्देश्य और महत्व सम्पूर्ण मानवजाति का उद्धार करना, सम्पूर्ण मानवजाति को अपने घराने में वापस लाना, स्वर्ग और पृथ्वी का पुनर्मिलन करना, और मनुष्य से स्वर्ग और पृथ्वी के बीच "संकेतों" का सम्प्रेषण करवाना है, क्योंकि मनुष्य का अंतर्निहित प्रकार्य ऐसा ही है। जिस समय जब मैंने मानवजाति का सृजन किया, उस समय मैंने सभी चीज़ों को मानवजाति के लिए तैयार किया था, और बाद में, मैंने मानवजाति को उस सम्पत्ति को प्राप्त करने की अनुमति दी जो मैंने उसे अपनी आवश्यकताओं के अनुसार दी। इस प्रकार, मैं कहता हूँ कि यह मेरे मार्गदर्शन के अंतर्गत है कि संपूर्ण मानवजाति आज के दिन पहुँची है। और यह सब मेरी योजना है।
2 संपूर्ण मानवजाति के बीच, अनगिनित लोग मेरे प्रेम की सुरक्षा में विद्यमान हैं, और अनगिनित संख्या में मेरी घृणा की ताड़ना के अधीन रहते हैं। यद्यपि सभी लोग मुझ से प्रार्थना करते हैं, तब भी वे अपनी वर्तमान परिस्थितियों को बदलने में असमर्थ हैं; एक बार जब वे आशा खो देते हैं, तो वे केवल प्रकृति को अपना काम करने दे सकते हैं और मेरी अवज्ञा करने से रूक सकते हैं, क्योंकि यह वह सब कुछ है जिसे मनुष्य के द्वारा पूरा किया जा सकता है। जब मनुष्य के जीवन की अवस्था की बात आती है, तो मनुष्य को अभी भी वास्तविक जीवन को ढूँढ़ना है, उसने अभी भी अन्याय, वीरानी और संसार की दयनीय स्थितियों की वास्तविक प्रकृति का पता नहीं लगाया है—और इसलिए, यह आपदा के आगमन के लिए नहीं होता, तो अधिकतर लोग अभी भी प्रकृति माँ को गले से लगाते, और अभी भी अपने आपको "जीवन" के स्वाद में तल्लीन कर देते हैं। क्या यह संसार की सच्चाई नहीं है? क्या यह उस उद्धार की आवाज़ नहीं है जिसे मैं मनुष्य से कहता हूँ?
3 क्यों, मानवजाति के बीच, कभी भी किसी ने मुझ से सच में प्रेम नहीं किया है? क्यों मनुष्य केवल ताड़ना और परीक्षणों के बीच ही मुझ से प्रेम करता है, मगर कोई भी मेरी सुरक्षा के अधीन मुझ से प्रेम नहीं करता है? मैंने कई बार मानवजाति को ताड़ना दी है। वे इस पर एक नज़र डालते हैं, लेकिन फिर वे उसे अनदेखा कर देते हैं, और वे इस समय इसका अध्ययन और मनन नहीं करते हैं, और इसलिए मनुष्य के ऊपर जो कुछ भी आता वह है निष्ठुर न्याय। यह मेरे कार्य करने के तरीकों में से केवल एक है, परन्तु यह तब भी मनुष्य को बदलने और उसे मुझसे प्रेम करवाने के लिए है।
— "वचन देह में प्रकट होता है" में संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन के "अध्याय 29" से रूपांतरित