397 परमेश्वर में विश्वास परमेश्वर को जानने की खोज है
1 जिसकी भी तुम कोशिश करते हो उस पर ध्यान दिए बिना, यह सब परमेश्वर के द्वारा सिद्ध किये जाने के उद्देश्य से है, यह सब परमेश्वर के वचन को अनुभव करने, परमेश्वर के हृदय को संतुष्ट करने के उद्देश्य से है; यह सब परमेश्वर की मनोरमता की खोज के लिए है, यह सब वास्तविक अनुभव में अभ्यास करने के लिए अपने विद्रोही स्वभाव को उतार फेंकने, अपने भीतर एक स्वाभाविक स्थिति को प्राप्त करने, पूर्ण रूप से परमेश्वर की इच्छा के अधीन होने के योग्य होने, एक सही व्यक्ति बनने और जो कुछ तुम करते हो उसमें सही मन्तव्य रखने के लक्ष्य से एक मार्ग की खोज करने के लिए है। तुम्हारे द्वारा इन सब बातों को अनुभव करने का कारण परमेश्वर को जानने और जीवन के विकास को प्राप्त करने के लिए है।
2 यद्यपि जो तुम अनुभव करते हो वह परमेश्वर का वचन है और जो तुम अनुभव करते हो वे वास्तविक घटनाएँ, लोग, विषय और तुम्हारे आस-पास की वस्तुएँ हैं, अन्ततः तुम परमेश्वर को जानने और परमेश्वर के द्वारा सिद्ध किए जाने के योग्य हो जाते हो। चाहे तुम परमेश्वर के द्वारा सिद्ध किए जाने, या परमेश्वर के लिए गवाही देने की कोशिश करो, कुल मिलाकर, यह अन्ततः परमेश्वर को जानने के लिए है, यह इसलिए है कि जो कार्य वह तुम में करता है, वह व्यर्थ नहीं है, जिससे अन्ततः तुम परमेश्वर की वास्तविकता, उसकी महानता और इससे भी अधिक परमेश्वर की नम्रता और गोपनीयता और तुम में उसके द्वारा किए गए कार्य को जान जाते हो।
— "वचन देह में प्रकट होता है" में "मात्र वे लोग जो अभ्यास करने पर केन्द्रित रहते हैं, उन्हें ही सिद्ध बनाया जा सकता है" से रूपांतरित