430 परमेश्वर के समक्ष शांत रहने का अभ्यास
1
जब तू लोगों से बोलता या घूमता है, तू कहे, मेरा दिल है ईश्वर के पास।
मैं नहीं हूँ केंद्रित बाहरी चीज़ों पे। तब तू शांत है ईश्वर के समक्ष।
ऐसी चीज़ों के संपर्क में मत आ जो तेरे दिल को खींचे बाहर की ओर।
ऐसे लोगों के सम्पर्क में मत रह जो तेरे दिल को करते हैं परमेश्वर से दूर।
गर तू पीछा करता है ईश्वर के सिवा, किसी और का,
तू कभी पूर्ण नहीं हो पाएगा।
जो आज सुन सकते हैं उसके वचनों को लेकिन उसके समक्ष शांत नहीं रहते,
वे लोग सत्य से प्रेम नहीं करते। वे लोग ईश्वर से प्रेम नहीं करते।
गर तू ख़ुद को अर्पित नहीं करता अभी,
फिर तू कब अर्पित करेगा अपना सबकुछ?
छोड़ दे जो ध्यान भंग करता है तेरा परमेश्वर के समक्ष जाने से,
या दूर रह उस से। यही अच्छा तेरे जीवन के लिए।
पवित्र आत्मा महान कार्य करता है, ख़ुद ईश्वर बनाता है लोगों को पूर्ण।
तू नहीं रह सकता गर शांत ईश्वर के समक्ष
तू सामने नहीं आया ईश्वर के सिंहासन के, सिंहासन की ओर।
2
शांत करना दिल ईश्वर के समक्ष एक सार्थक बलिदान है।
जो सचमुच अपना दिल अर्पित करते हैं ईश्वर द्वारा पूर्ण किये जाएँगे।
अबाधित, चाहे छंटाई या हो निपटना, चाहे असफलता मिले या निराशा,
तेरा दिल होना चाहिए हमेशा ही, हमेशा शांत रहे ईश्वर के समक्ष।
छोड़ दे जो ध्यान भंग करता है तेरा परमेश्वर के समक्ष जाने से,
या दूर रह उस से। यही अच्छा तेरे जीवन के लिए।
पवित्र आत्मा महान कार्य करता है, ख़ुद ईश्वर बनाता है लोगों को पूर्ण।
तू नहीं रह सकता गर शांत ईश्वर के समक्ष
तू सामने नहीं आया ईश्वर के सिंहासन के, सिंहासन की ओर।
3
चाहे लोगों का व्यवहार कैसा भी हो, शांत रखना अपना दिल ईश्वर के समक्ष।
चाहे जैसी परिस्थिति का सामना हो, मुश्किल हो या पीड़ा,
चाहे सामना हो इम्तिहानों का, शांत रखना अपना दिल ईश्वर के समक्ष।
यही तरीका है, सिद्ध किए जाने का। यही तरीका है, सिद्ध किए जाने का।
छोड़ दे जो ध्यान भंग करता है तेरा परमेश्वर के समक्ष जाने से,
या दूर रह उस से। यही अच्छा तेरे जीवन के लिए।
पवित्र आत्मा महान कार्य करता है, ख़ुद ईश्वर बनाता है लोगों को पूर्ण।
तू नहीं रह सकता गर शांत ईश्वर के समक्ष
तू सामने नहीं आया ईश्वर के सिंहासन के, सिंहासन की ओर।
तू सामने नहीं आया ईश्वर के सिंहासन के।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के समक्ष अपने हृदय को शांत रखने के बारे में से रूपांतरित