271 परमेश्वर बचाता है उन्हें जो उसकी आराधना करते और बुराई से दूर रहते हैं

1

नूह के समय में, इंसान भटक गया था,

बेहद भ्रष्ट होकर, परमेश्वर की आशीष से वंचित हो गया था,

परमेश्वर की देखभाल से वंचित, उसकी प्रतिज्ञाओं को खो चुका था।

परमेश्वर की रोशनी के बग़ैर, अंधकार में जी रहा था,

वो प्रकृति से दुराचारी हो गया था,

वो घिनौनी भ्रष्टता के वशीभूत हो गया था।

सिर्फ़ नूह बुराई से दूर रहा और परमेश्वर की आराधना की,

इसलिये परमेश्वर की वाणी को वो सुन पाया,

परमेश्वर के निर्देशों को सुन पाया,

परमेश्वर के हुक्म के मुताबिक़ नाव बना पाया।

हर तरह के, हर क़िस्म, ढंग और विशेषता के

जीवित प्राणियों को उसने इकट्ठा किया।

हो गई जब हर तैयारी पूरी,

तो परमेश्वर ने शुरू की अपनी विनाशलीला, अपनी विनाशलीला।


2

इंसान इतना गिर गया था,

वो फिर परमेश्वर की नेक प्रतिज्ञाओं को ग्रहण नहीं कर पाया।

वो परमेश्वर का चेहरा देखने के बिल्कुल काबिल न था,

न ही उसकी वाणी सुनने के काबिल था।

क्योंकि त्याग दिया था उसने परमेश्वर को,

दर-किनार कर दिया था उसने जो दिया था।

छोड़ दिया था, और भुला दिया था उसने परमेश्वर की सारी सीख को।


3

इतनी ज़्यादा थी इंसान की भटकन और उसका दुराचार।

खो दी थी उसने अपनी सारी तर्क-बुद्धि और इंसानियत।

इतनी व्यापक और अधम थी दुष्टता उसकी,

लगातार वो मौत के क़रीब आता गया।

दूर होता गया वो परमेश्वर के मार्ग से,

इस तरह वो परमेश्वर की सज़ा और कोप का भागी बना।

सिर्फ़ नूह बुराई से दूर रहा और परमेश्वर की आराधना की,

इसलिये परमेश्वर की वाणी को वो सुन पाया,

परमेश्वर के निर्देशों को सुन पाया,

परमेश्वर के हुक्म के मुताबिक़ नाव बना पाया।

हर तरह के, हर क़िस्म, ढंग और विशेषता के

जीवित प्राणियों को उसने इकट्ठा किया।

हो गई जब हर तैयारी पूरी,

तो परमेश्वर ने शुरू की अपनी विनाशलीला, अपनी विनाशलीला।


सिर्फ़ नूह और उसका कुटुम्ब ज़िंदा बचा,

सिर्फ़ नूह और उसके कुटुम्ब के सात लोग ज़िंदा बचे।

क्योंकि सिर्फ़ नूह बुराई से दूर रहा और यहोवा की आराधना की,

और यहोवा की आराधना की।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 2: परमेश्वर संपूर्ण मानवजाति के भाग्य का नियंता है से रूपांतरित

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