927 परमेश्वर का अधिकार स्वर्गिक आदेश है जिसे शैतान कभी नहीं तोड़ सकता

1

शैतान जाने परमेश्वर की हैसियत,

समझे उसका प्रतापी अधिकार

और उसके सामर्थ्य के इस्तेमाल के सिद्धांत।

उसकी हिम्मत नहीं उन्हें भंग या अनदेखा करने की,

ईश्वर के अधिकार को लांघने की,

या उसके क्रोध को ललकारने की।


शैतान भले ही दुष्ट और अहंकारी है,

उसने कभी ईश्वर की बनाई सीमाएँ नहीं लाँघीं।


ईश-अधिकार को लाँघने की

शैतान ने कभी हिम्मत नहीं की है।

मानी है उसने हमेशा ईश्वर की आज्ञा,

उसकी बातें ध्यान से सुनी हैं।

ईश्वर की आज्ञा बदलने या

उसका विरोध करने की कभी हिम्मत नहीं की है।

ईश्वर ने बांधी ये सीमाएं शैतान के लिए,

उसने इन्हें तोड़ने की कभी हिम्मत नहीं की है।


2

करोड़ों साल से शैतान ने ईश्वर की सीमा नहीं लांघी है,

ईश्वर के हर आदेश का पालन किया,

उसके द्वारा तय निशान कभी पार नहीं किया है।

शैतान बड़ा ही दुष्ट है पर इन भ्रष्ट इंसानों

से बुद्धिमान है, क्योंकि वो सृष्टिकर्ता को जानता है,

अपनी सीमाओं के दायरे को पहचानता है।


शैतान भले ही दुष्ट और अहंकारी है,

उसने कभी ईश्वर की बनाई सीमाएँ नहीं लाँघीं।


ईश-अधिकार को लाँघने की

शैतान ने कभी हिम्मत नहीं की है।

मानी है उसने हमेशा ईश्वर की आज्ञा,

उसकी बातें ध्यान से सुनी हैं।

ईश्वर की आज्ञा बदलने या

उसका विरोध करने की कभी हिम्मत नहीं की है।

ईश्वर ने बांधी ये सीमाएं शैतान के लिए,

उसने इन्हें तोड़ने की कभी हिम्मत नहीं की है।


3

शैतान के समर्पण कार्यों से

देखा जा सके कि शैतान ईश्वर

के अधिकार को न लांघ सके;

जो है स्वर्गिक आदेश।

ईश्वर की अनन्यता और सामर्थ्य के कारण,

चीज़ें बढ़ें, व्यवस्थित ढंग से बदलें,

ईश्वर ने जो पथ बनाया है, उस पर

इंसान जी सके, उसकी संख्या बढ़ सके।

कोई इंसान या चीज़ ये नियम न तोड़ सके,

न कोई ये व्यवस्था बदल सके,

क्योंकि इन्हें बनाया है सृष्टिकर्ता ने,

अपने अधिकार और आदेश से।


ईश-अधिकार को लाँघने की

शैतान ने कभी हिम्मत नहीं की है।

मानी है उसने हमेशा ईश्वर की आज्ञा,

उसकी बातें ध्यान से सुनी हैं।

ईश्वर की आज्ञा बदलने या

उसका विरोध करने की कभी हिम्मत नहीं की है।

ईश्वर ने बांधी ये सीमाएं शैतान के लिए,

उसने इन्हें तोड़ने की कभी हिम्मत नहीं की है।


—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है I से रूपांतरित

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