175 केवल देहधारी परमेश्वर ही मानवजाति को बचा सकता है
1 भ्रष्ट मनुष्य की आवश्यकताएँ ही वह एकमात्र कारण है कि देहधारी परमेश्वर देह में आया है। क्योंकि जिन्हें बचाया जाना है उनके लिए, पवित्रात्मा का उपयोगिता मूल्य देह की अपेक्षा कहीं अधिक निम्नतर है: पवित्रात्मा का कार्य संपूर्ण विश्व, सारे पहाड़ों, नदियों, झीलों और महासागरों को ढकने में समर्थ है, मगर देह का कार्य और अधिक प्रभावकारी ढंग से प्रत्येक ऐसे व्यक्ति से सम्बन्ध रखता है जिसके साथ उसका सम्पर्क है। इसके अलावा, स्पर्श-गम्य रूप वाले परमेश्वर के देह को मनुष्य के द्वारा बेहतर ढंग से समझा जा सकता है और उस पर भरोसा किया जा सकता है, और यह परमेश्वर के बारे में मनुष्य के ज्ञान को और गहरा कर सकता है, और मनुष्य पर परमेश्वर के वास्तविक कर्मों का और अधिक गंभीर प्रभाव छोड़ सकता है।
2 आत्मा का कार्य रहस्य से ढका हुआ है, इसकी थाह पाना नश्वर प्राणियों के लिए कठिन है, और यहाँ तक कि उनके लिए उसे देख पाना और भी अधिक मुश्किल है, और इसलिए वे मात्र खोखली कल्पनाओं पर ही भरोसा रख सकते हैं। हालाँकि, देह का कार्य सामान्य, और वास्तविकता पर आधारित है, और समृद्ध बुद्धि धारण किए हुए है, और ऐसा तथ्य है जिसे मनुष्य की भौतिक आँख के द्वारा देखा जा सकता है; मनुष्य परमेश्वर के कार्य की बुद्धि का व्यक्तिगत रूप से अनुभव कर सकता है, और उसे अपनी ढेर सारी कल्पना को काम में लगाने की आवश्यकता नहीं है। यह देह में परमेश्वर के कार्य की परिशुद्धता और उसका वास्तविक मूल्य है।
3 पवित्रात्मा केवल उन कार्यों को कर सकता है जो मनुष्य के लिए अदृश्य हैं और जिनकी कल्पना करना उसके लिए कठिन हैं, उदाहरण के लिए पवित्रात्मा की प्रबुद्धता, पवित्रात्मा द्वारा हृदय स्पर्श करना, और आत्मा का मार्गदर्शन, परन्तु मनुष्य के लिए जिसके पास एक मस्तिष्क है, ये कोई स्पष्ट अर्थ प्रदान नहीं करते हैं। वे केवल हृदय स्पर्शी, या एक विस्तृत अर्थ प्रदान करते हैं, और वचनों से कोई निर्देश नहीं दे सकते हैं। हालाँकि, देह में परमेश्वर का कार्य बहुत भिन्न होता है: इसमें वचनों का परिशुद्ध मार्गदर्शन होता है, स्पष्ट इच्छा होती है, और उसमें स्पष्ट अपेक्षित लक्ष्य होते हैं।
4 जो कार्य भ्रष्ट मनुष्य के लिए सबसे अधिक मूल्य रखता है यह वह है जो परिशुद्ध वचनों, खोज करने के लिए स्पष्ट लक्ष्यों को प्रदान करता है, और जिसे देखा या स्पर्श किया जा सकता है। केवल यथार्थवादी कार्य और समयोचित मार्गदर्शन ही मनुष्य की अभिरुचियों के लिए उपयुक्त है, और केवल वास्तविक कार्य ही मनुष्य को उसके भ्रष्ट और दूषित स्वभाव से बचा सकता है। इसे केवल देहधारी परमेश्वर के द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है; केवल देहधारी परमेश्वर ही मनुष्य को उसके पूर्व के भ्रष्ट और दुष्ट स्वभाव से बचा सकता है।
— "वचन देह में प्रकट होता है" में "भ्रष्ट मनुष्यजाति को देहधारी परमेश्वर के उद्धार की अधिक आवश्यकता है" से रूपांतरित