894 ईश्वर इंसानों के बीच उन्हें बचाने आता है
यदि ईश्वर ना उतरता इंसानों के बीच, अपने व्यक्तित्व में,
तो वो धारणाओं से भर गए होते बहुत पहले ही, शैतान की होते संपत्ति,
तुम्हारा ये विश्वास शैतान की ही छवि है ईश्वर से उसका लेना-देना नहीं।
क्या ये ईश्वर का उद्धार नहीं है?
1
ईश्वर प्रतिदिन मनुष्यों के संग रहता भी है, कार्य भी करता।
ईश्वर है मानवजाति के बीच, किसी का ध्यान नहीं।
पवित्र आत्मा मनुष्यों का मार्गदर्शन ना कर रहा होता,
तो उनमें से किसका अस्तित्व होगा इस युग में अभी भी?
अतीत में, ईश्वर ने कहा था "मैंने बनाया इंसान को,
राह दिखायी इंसान को, आज्ञा दी इंसान को"; क्या सच में ऐसा नहीं?
2
इन चीज़ों में तुम्हारा अनुभव कम हो, क्या ये संभव है?
सिर्फ़ "सेवाकर्मी" शब्द ही काफ़ी होना चाहिए, होना चाहिए
जीवन भर के प्रयास समझाने के लिए।
अनुभव बिन मानव जान न पाएगा ईश्वर को उसके वचनों से।
किन्तु आज ईश्वर आया है, आया है वो तुम्हारे बीच में।
ईश्वर को जानना आसान ना करेगा क्या ये?
और क्या ईश्वर का देहधारण भी तुम्हारे लिए उद्धार नहीं?
यदि ईश्वर ना उतरता इंसानों के बीच, अपने व्यक्तित्व में,
तो वो धारणाओं से भर गए होते बहुत पहले ही, शैतान की होते संपत्ति,
तुम्हारा ये विश्वास शैतान की ही छवि है ईश्वर से उसका लेना-देना नहीं।
यदि ईश्वर ना उतरता इंसानों के बीच, अपने व्यक्तित्व में,
तो वो धारणाओं से भर गए होते बहुत पहले ही, शैतान की होते संपत्ति,
तुम्हारा ये विश्वास शैतान की ही छवि है ईश्वर से उसका लेना-देना नहीं।
क्या ये ईश्वर का उद्धार नहीं है?
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 13 से रूपांतरित