345 तुम इतने मग़रूर क्यों हो?
Ⅰ
मत सोचो कि जानो तुम सब;
जो तुमने देखा
वो परमेश्वर की प्रबंधन-योजना का
अंश भी नहीं।
क्यों हो इतने मग़रूर,
ज़रा-सी प्रतिभा और ज्ञान पर?
यीशु के काम के एक पल के लिए भी
ये काफी नहीं।
जो तुमने देखा,
सुना और सोचा जीवन-भर,
है उससे कम जो करे ईश्वर एक क्षण में!
घमंड में आकर नुक़्स न निकालो,
क्योंकि तुम चींटी के बराबर भी नहीं!
Ⅱ
तुम्हारे पेट में है जो,
चींटियों के पेट में उससे ज़्यादा है।
न सोचो अपने पद और अनुभव के कारण
कर सकते तुम बातें बड़ी।
क्या तुम्हारी हैसियत, अनुभव
ईश-वचनों के कारण नहीं?
क्या कमाया तुमने इन्हें
अपनी मेहनत से?
आज परमेश्वर देहधारी हुआ,
तुम्हारी अवधारणाओं का,
तुम्हारी धारणाओं का अंत नहीं।
परमेश्वर के देहधारण बिना,
न होतीं ये अवधारणाएँ।
क्या इन्हीं से नहीं आतीं तुम्हारी धारणाएँ?
जो तुमने देखा,
सुना और सोचा जीवन-भर,
है उससे कम जो करे ईश्वर एक क्षण में!
घमंड में आकर नुक़्स न निकालो,
क्योंकि तुम चींटी के बराबर भी नहीं!
जो यीशु देह न बनता, तो क्या
जान पाते देहधारण के बारे में?
पहले देहधारण ने ज्ञान दिया तुम्हें,
और अब तुम दूसरे देहधारण की
आलोचना करते?
अनुसरण के बजाय जाँचते हो क्यों?
जो आए हो देहधारी ईश्वर के सामने,
क्या वो जाँचने देगा तुम्हें?
Ⅲ
अपने परिवार का इतिहास
जितना चाहे पढ़ो,
पर जाँचोगे ईश्वर का इतिहास
तो क्या आज का ईश्वर करने देगा ये?
क्या अंधे नहीं हो गए तुम,
खुद का यों तिरस्कार करवाते हो?
जो तुमने देखा,
सुना और सोचा जीवन-भर,
है उससे कम जो करे ईश्वर एक क्षण में!
घमंड में आकर नुक़्स न निकालो,
क्योंकि तुम चींटी के बराबर भी नहीं!
जो तुमने देखा,
सुना और सोचा जीवन-भर,
है उससे कम जो करे ईश्वर एक क्षण में!
घमंड में आकर नुक़्स न निकालो,
क्योंकि तुम चींटी के बराबर भी नहीं!
— 'वचन देह में प्रकट होता है' से रूपांतरित