582 केवल ईमानदार लोग अपना कर्तव्य ठीक से कर सकते हैं
1 अपना कर्तव्य निभाते समय तुम्हें हमेशा खुद को जांच कर देखना चाहिए कि क्या तुम सिद्धांत के अनुसार काम कर रहे हो, तुम्हारा कर्तव्य निर्वाह सही स्तर का है या नहीं, कहीं तुम इसे सतही तौर पर तो नहीं कर रहे हो, कहीं तुमने अपनी ज़िम्मेदारियां निभाने से जी चुराने की कोशिश तो नहीं की है, कहीं तुम्हारे रवैये और तुम्हारे सोचने के तरीके में कोई खोट तो नहीं। एक बार तुम्हारे आत्मचिंतन कर लेने और तुम्हारे सामने इन चीज़ों के स्पष्ट हो जाने से, अपना कर्तव्य निभाने में तुम्हें आसानी होगी। अपना कर्तव्य निभाते समय तुम्हारा किसी भी चीज़ से सामना हो—नकारात्मकता और कमज़ोरी, या निपटान के बाद बुरी मन:स्थिति में होना—तुम्हें कर्तव्य के साथ ठीक से पेश आना चाहिए, और तुम्हें साथ ही सत्य को खोजना और परमेश्वर की इच्छा को समझना चाहिए। ये काम करने से तुम्हारे पास अभ्यास करने का मार्ग होगा।
2 अगर तुम अपना कर्तव्य निर्वाह बहुत अच्छे ढंग से करना चाहते हो, तो तुम्हें अपनी मन:स्थिति से बिल्कुल प्रभावित नहीं होना चाहिए। तुम्हें चाहे जितनी निराशा या कमज़ोरी महसूस हो रही हो, तुम्हें अपने हर काम में पूरी सख्ती के साथ सत्य का अभ्यास करना चाहिए, और सिद्धांतों पर अडिग रहना चाहिए। अगर तुम ऐसा करोगे, तो न सिर्फ दूसरे लोग तुम्हें स्वीकार करेंगे, बल्कि परमेश्वर भी तुम्हें पसंद करेगा। इस तरह, तुम एक ऐसे व्यक्ति होगे जो ज़िम्मेदार है; तुम एक ऐसे व्यक्ति होगे, जो अपने कर्तव्य को सही स्तर पर निभाता है और जो पूरी तरह से एक सच्चे इंसान की तरह जीता है। ऐसे लोगों का शुद्धिकरण किया जाता है और वे अपना कर्तव्य निभाते समय वास्तविक बदलाव हासिल करते हैं, उन्हें परमेश्वर की दृष्टि में ईमानदार कहा जा सकता है। केवल ईमानदार लोग ही सत्य का अभ्यास करने में डटे रह सकते हैं और सिद्धांत के साथ कर्म करने में सफल हो सकते हैं, और मानक स्तर के अनुसार कर्तव्य निभा सकते हैं।
— "अंत के दिनों के मसीह की बातचीत के अभिलेख" में 'जीवन में प्रवेश अपने कर्तव्य को निभाने का अनुभव करने से प्रारंभ होना चाहिए' से रूपांतरित