70 लोगों का वर्गीकरण विजय के कार्य से किया जाता है
1 वर्तमान जीतने वाला कार्य यह स्पष्ट करने के लिए अभीष्ट है कि मनुष्य का अन्त क्या होगा। मैं क्यों कहता हूँ कि आज की ताड़ना और न्याय, अन्तिम दिनों के श्वेत सिंहासन के सामने का महान न्याय है? जीतने वाला कार्य अन्तिम चरण क्यों है? क्या यह निश्चित रूप से वह प्रकट करने के लिए नहीं है कि मनुष्य के प्रत्येक वर्ग का अन्त कैसे होगा? क्या यह प्रत्येक व्यक्ति को, ताड़ना और न्याय के जीतने वाले कार्य के मार्ग में, अपना वास्तविक स्वभाव दिखाने और उसके पश्चात उसी स्वभाव के अनुसार वर्गीकृत किया जाने के लिए नहीं है। यह कहने की बजाय, कि यह मनुष्यजाति को जीतना है, यह कहना बेहतर होगा कि यह उस बात को दर्शाना है कि मनुष्य के प्रत्येक वर्ग का अन्त कैसे होगा। अर्थात, यह उनके पापों का न्याय करना और फिर मनुष्यों के विभिन्न वर्गों को प्रदर्शित करना और इस प्रकार यह निर्णय करना है कि वे दुष्ट हैं या धर्मी।
2 जीतने वाले कार्य के पश्चात धर्मी को प्रतिफल देने और दुष्ट को दण्ड देने का कार्य आता है: वे लोग जो पूर्णत: आज्ञापालन करते हैं अर्थात जो पूर्ण रूप से जीत लिए गए हैं, उन्हें सम्पूर्ण आकाशमण्डल में कार्य को फैलाने के अगले चरण में रखा जाएगा; जिन्हें जीता नहीं जा सका उन को अन्धकार में रखा जाएगा और उनकी भेंट महाविपत्ति से होगी, इस प्रकार मनुष्य को उसके स्वभाव के अनुसार वर्गीकृत किया जाएगा, दुष्कर्म करने वालों को फिर कभी सूर्य का प्रकाश पुनः न देखने के लिए दुष्टों के साथ रखा जाएगा, और धर्मियों को ज्योति प्राप्त करने और सर्वदा ज्योति में रहने के लिए भले लोगों के साथ रखा जाएगा। जब सभी बातों का अन्त निकट हो तो मनुष्य के प्रत्येक वर्ग के अन्त को प्रकट कर दिया जाता है, और यह सम्पूर्ण आकाशमण्डल (इसमें समस्त जीतने वाला कार्य सम्मिलित है जो वर्तमान कार्य से आरम्भ होता है) को जीतने के कार्य के दौरान पूर्ण किया जाता है। समस्त मनुष्यजाति के अन्त का प्रकटीकरण, न्याय के सिंहासन के सामने, ताड़ना देने में और अन्तिम दिनों के जीतने वाले कार्य में किया जाता है।
— "वचन देह में प्रकट होता है" में "विजयी कार्यों का आंतरिक सत्य (1)" से रूपांतरित