अध्याय 104

मुझसे बाहर के सभी लोग, घटनाएँ और चीज़ें शून्य में विलीन हो जाएँगी, जबकि मेरे भीतर के सभी लोग, घटनाएँ और चीज़ें मुझसे सब कुछ पा लेंगी और मेरे साथ महिमा में प्रवेश कर जाएँगी, मेरे सिय्योन पर्वत, मेरे निवास में प्रवेश कर जाएँगी, और सदा के लिए मेरे साथ मिलजुल कर रहेंगी। मैंने शुरू में सभी चीज़ें बनाईं और अंत में अपना काम पूरा करूँगा। मैं सदा के लिए अस्तित्व में रहूँगा और राजा के रूप में शासन करूँगा। बीच की अवधि में, मैं पूरे ब्रह्मांड का नेतृत्व करता हूँ और उसकी कमान भी संभालता हूँ। कोई भी मेरे अधिकार को नहीं छीन सकता, क्योंकि मैं स्वयं एकमात्र परमेश्वर हूँ। साथ ही मेरे पास अपने पहलौठे पुत्रों को अपना अधिकार सौंपने की शक्ति भी है, ताकि वे मेरे साथ-साथ शासन कर सकें। ये चीज़ें हमेशा मौजूद रहेंगी और इन्हें कभी भी बदला नहीं जा सकता। यह मेरा प्रशासनिक आदेश है। (जहाँ भी मैं अपने प्रशासनिक आदेश की चर्चा करता हूँ, मैं यह उल्लेख कर रहा होता हूँ कि मेरे राज्य में क्या होता है और हमेशा क्या अस्तित्व में रहेगा और जिसे कभी भी बदला नहीं जा सकता है।) हर किसी को पूरे मन से आश्वस्त होना चाहिए, और उन लोगों में मेरी महान शक्ति को देखना चाहिए जिन्हें मैं प्रेम करता हूँ। कोई भी मेरे नाम को लज्जित नहीं कर सकता; जो भी ऐसा करता है उसे यहाँ से बाहर निकलना होगा! ऐसा नहीं है कि मैं निर्दयी हूँ, बल्कि बात यह है कि तुम अधर्मी हो। यदि तुम मेरी ताड़ना का उल्लंघन करते हो तो मैं तुमसे निपट लूँगा और तुम्हें अनंत काल के लिए नष्ट कर दूँगा। (निस्संदेह, यह सब उन लोगों पर लक्षित है जो मेरे पहलौठे पुत्र नहीं हैं।) मेरे घर में ऐसे कूड़े-कचरे का स्वागत नहीं है, इसलिए जल्दी करो और यहाँ से दफ़ाहो जाओ! एक मिनट की भी देर न करो, एक सेकंड की भी नहीं! तुम्हें वह अवश्य करना होगा जो मैं कहता हूँ, अन्यथा मैं तुम्हें एक वचन से नष्ट कर दूँगा। अच्छा होगा कि तुम अब और संकोच न करो और अच्छा होगा कि तुम अब भी मुझे धोखा देने की कोशिश न करो। तुम मेरे सम्मुख बकवास करते हो और मेरे मुँह पर झूठ बोलते हो। जल्दी से यहाँ से दफ़ा हो जाओ! मेरे पास ऐसी चीज़ों के लिए बहुत सीमित समय है। (जब सेवा करने का समय होगा तो ये लोग सेवा करेंगे, और जब जाने का समय होगा तो ये चले जाएँगे। मैं बुद्धिमत्ता के साथ काम करता हूँ, एक मिनट या सेकंडभी इधर-उधर नहीं; कभी भी जरा-सा भी नहीं। मेरे सभी कृत्य धर्मसम्मत और पूरी तरह से सही हैं।) फिर भी, अपने पहलौठे पुत्रों के प्रति मैं असीमरूप से सहिष्णु हूँ और तुम्हारे प्रति मेरा प्रेम सनातन है, जिसके कारण तुम लोग सदा मेरे वरदानों का और मेरे साथ अनंत जीवन का आनंद ले सकतेहो। इस बीच तुम्हें कभी भी विघ्नों या मेरे न्याय का सामना नहीं करना होगा। (इसका संदर्भ उस समय से है जब तुम मेरे वरदानों का आनंद लेना शुरू करते हो।) यह वो शाश्वत वरदान और वचन है जो मैंने दुनिया का सृजन करने परअपने पहलौठेपुत्रों को दिया था। तुम लोगों को इसमें मेरी धर्मपरायणता दिखाई देनी चाहिए—मैं उनसे प्रेम करता हूँ जिन्हें मैंने पूर्वनियत किया है, और उन लोगों से घृणा करता हूँ जिन्हें मैंने हमेशा-हमेशा के लिए त्यागकर बाहर निकाल दिया है।

मेरे पहलौठे पुत्रों के तौर पर, तुम सभी को अपने कर्तव्यों पर डटे रहना चाहिए और अपनी स्थिति में दृढ़रहना चाहिए। मेरे सामने उठाए गए पहले पके फल बनो और मेरा व्यक्तिगत निरीक्षण स्वीकार करो, ताकि तुम लोग मेरी महिमामयी छवि को जी सको और मेरी महिमा का प्रकाश तुम लोगों के चेहरों से झलक सके, ताकि मेरे कथनों को तुम्हारे मुखों से फैलाया जा सके, ताकि मेरा राज्य तुम लोगों द्वारा चलाया जा सके, और ताकि मेरे लोग तुम लोगों द्वारा शासित हो सकें। यहाँ मैं “पहले पके फलों” और “उठाए गए” जैसे शब्दों का उल्लेख कर रहा हूँ। “पहले पके फल” क्या हैं? लोगों की धारणाओं में, वे उठाए गए लोगों का पहला जत्था हैं, या विजयी लोग हैं, या वे लोग हैं जो पहलौठे पुत्र हैं। ये सभी मेरे वचनों की भ्रांतिपूर्ण और ग़लत व्याख्याएँ हैं। पहले पके फल वे लोग हैं जिन्होंने मुझसे प्रकाशन ग्रहण किया है और जिन्हें मेरे द्वारा अधिकार प्रदान किया गया है। “पहले पके” का अर्थ मेरे अधिकारमें होने, मेरे द्वारा पूर्वनियत और चयनित होने से है। “पहले पके” का अर्थ “अनुक्रम में सबसे पहले होना” नहीं है। “पहले पके फल” मनुष्य की आँखों से देखी जा सकने वाली कोई कोई भौतिक चीज़ नहीं। ये तथाकथित “फल” उस चीज़ को इंगित करते हैं जिससे सुगंध निकलती है (यह एक प्रतीकात्मक अर्थ है), अर्थात्, यह उन लोगों के संदर्भ में है जो मुझे जी सकते हैं, मुझे अभिव्यक्त कर सकते हैं, और जो सदा मेरे साथ रहते हैं। जब मैं “फलों” की बात करता हूँ, तो मैं अपने सभी पुत्रों और लोगों की बात कर रहा होता हूँ, जबकि “पहले पके फल” पहलौठे पुत्रों को इंगित करते हैं, जो मेरे साथ राजाओं के रूप में शासन करेंगे। इसलिए, “पहले पके” की व्याख्या अधिकार वहन करने वालों के रूप में की जानी चाहिए। यही इसका सच्चा अर्थ है। “उठाया जाना” निचले स्थान से किसी ऊँचे स्थान पर ले जाया जाना नहीं है जैसा कि लोग सोच सकते हैं; यह एक बहुत बड़ी मिथ्या धारणा है। “उठाया जाना” मेरे द्वारा पूर्वनियत और फिर चयनित किए जाने को इंगित करता है। यह उन सभी के लिए है जिन्हें मैंने पूर्वनियत और चयनित किया है। उठाए गए लोग वे सभी लोग हैं जिन्होंने पहलौठे पुत्रों या पुत्रों का स्तर प्राप्त कर लिया है या जो परमेश्वर के लोग हैं। यह लोगों की धारणाओं के बिलकुल भी संगत नहीं है। वे सभी लोग जिन्हें भविष्य में मेरे घर में हिस्सा मिलेगा, ऐसे लोग हैं जो मेरे सामने उठाए जा चुके हैं। यह एक सम्पूर्ण सत्य है, कभी न बदलने वाला और जिसे झुठलाया नहीं जा सकता। यह शैतान के विरुद्ध एक जवाबी हमला है। जिस किसी को भी मैंने पूर्वनियत किया है, वह मेरे सामने उठाया जाएगा।

“पवित्र तुरही” को कैसे समझाया जा सकता है? इस बारे में तुम लोगों की क्या समझ है? ऐसा क्यों कहा जाता है कि यह पवित्र है और पहले से ही बजाई जा चुकी है? इसे मेरे कार्य के चरणों से समझाया जाना चाहिए और मेरी कार्य की विधि से समझा जाना चाहिए। जब मेरा न्याय सार्वजनिक रूप से घोषित किया जाता है तो मेरा स्वभाव सभी राष्ट्रों और लोगों के सामने प्रकट हो जाता है। यही वह समय होता है जब पवित्र तुरही बजाई जाती है। अर्थात्, मैं प्रायः कहता हूँ कि मेरा स्वभाव पवित्र है और अपमानित नहीं किया जा सकता है, यही कारण है कि “तुरही” का वर्णन करने के लिए “पवित्र” का उपयोग किया जाता है। इससे यह प्रमाणित होता है कि “तुरही” मेरे स्वभाव को इंगित करती है और इसका प्रतिनिधित्व करती है कि मैं क्या हूँ और मेरे पास क्या है। यह भी कहा जा सकता है कि मेरा न्याय हर दिन प्रगति पर होता है, मेरा कोप हर दिन छलक रहा है, और मेरा शाप प्रतिदिन हर उस चीज़ पर पड़ता है जो मेरे स्वभाव के अनुरूप नहीं है। तब यह कहा जा सकता है कि मेरा न्याय उस समय शुरू होता है जब पवित्र तुरही बजती है, और यह एक पल के लिए भी ठहरे बिना और एक मिनट या एक सेकंडके लिए भी रुके बिना, हर दिन बजती रहती है। अब से, एक के बाद एक भारी आपदाओं के आने के साथ हीपवित्र तुरही और तेज़ आवाज़ में बजेगी। दूसरे शब्दों में, मेरे धार्मिक न्याय के प्रकटन के साथ-साथ मेरा स्वभाव अधिकाधिक सार्वजनिक रूप से स्पष्ट होता जाएगा, और मैं जो हूँ और मेरे पास जो है, वह उत्तरोत्तर मेरे पहलौठेपुत्रों में जुड़ता जाएगा। मैं भविष्य में इसी तरह से काम करूँगा : एक तरफ, उन लोगों को बनाए और बचाए रखना जिन्हें मैं प्रेम करता हूँ, और दूसरी तरफ अपने वचनों का उपयोग करके उन सभी को उजागर करना जिनसे मैं घृणा करता हूँ। याद रखो! यही मेरी कार्यविधि है, मेरे कार्य के चरण हैं, जो पूर्णतः सत्य है। सृजन के समय से ही मैं इसकी योजना बनाता रहा हूँ, और कोई भी इसे बदल नहीं सकता।

मेरे वचनों के अभी भी कई भाग हैं जिन्हें समझना लोगों के लिए मुश्किल है, इसलिए मैंने अपने बोलने की शैली और रहस्यों को प्रकट करने के अपने तरीकों में और सुधार किया है। अर्थात् मेरे बोलने की शैली, अलग स्वरूपों और विधियों के साथ हर दिन बदल और सुधर रही है। ये मेरे कार्य के चरण हैं और ये किसी के द्वारा भी बदले नहीं जा सकते। लोग केवल उसके अनुरूप ही कुछ बोल और कर सकते हैं, जो मैं कहता हूँ। यह एक पूर्ण सत्य है। मैंने अपने व्यक्तित्व और अपनी देह दोनों में उपयुक्त व्यवस्थाएँ की है। मेरी मानवता के हर कार्य और कर्म के भीतर मेरी दिव्यता की बुद्धिमत्ता का एक पहलू होता है। (चूँकि मानवजाति के पास बिल्कुल भी बुद्धिमत्ता नहीं है, इसलिए यह कहना कि पहलौठे पुत्रों के पास मेरी बुद्धिमत्ता है इस तथ्य को इंगित करना है कि उनमें मेरा दिव्य स्वभाव है।) जब पहलौठे पुत्र मूर्खतापूर्ण काम करते हैं, तो ऐसा इसलिए होता है क्योंकि तुम लोगों में अब भी मानवता के तत्व हैं। इसलिए तुम लोगों को ऐसी मानवीय मूर्खता से छुटकारा पाना होगा और वह करना होगा जो मुझे पसंद है और वह अस्वीकार करना होगा जिससे मैं घृणा करता हूँ। जो कोई भी मुझसे आता है उसे मेरे भीतर रहने के लिए अवश्य लौटना चाहिए और जो कोई भी मुझसे पैदा हुआ है उसे मेरी महिमा के भीतर अवश्य वापस लौटना चाहिए। जिनसे मुझे घृणा है, मुझे उन्हें एक-एक करके त्यागना और खुद से अलग करना होगा। ये मेरे कार्य के चरण हैं; यह मेरा प्रबंधन है और मेरे छह हजार वर्ष के सृजन की योजना है। जिन लोगों का मैं परित्याग करता हूँ, उन सभी को समर्पण करना चाहिए और आज्ञाकारी तरीके से मुझे छोड़ देना चाहिए। जिन लोगों से मैं प्रेम करता हूँ उन सभी को, मेरे द्वारा उन्हें दिए गए वरदानों के कारण मेरी स्तुति करनी चाहिए, ताकि मेरे नाम की महिमा और ज्यादा बढ़ती रहे, और ताकि महिमामयी प्रकाश को मेरे महिमामयी मुखमंडल में जोड़ा जा सके, ताकि वे मेरी महिमा में मेरी बुद्धिमत्ता से परिपूर्ण हो सकें, और मेरे महिमामयी प्रकाश में मेरे नाम को और भी महिमामंडित कर सकें!

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