225 मैं परमेश्वर को अपनी वफादारी अर्पित करना चाहता हूँ
1 जब परमेश्वर देह में काम करने को प्रकट हुआ, उसने बहुत अपमान सहा। विनम्र और छिपा हुआ, उसने मनुष्य के उद्धार के लिए सत्य व्यक्त किया। फिर भी, जब मैंने परमेश्वर की वाणी सुनी, तो मैंने उसे नहीं पहचाना, और उसके काम के बारे में आलोचना करने और उसे नकारने में मैंने एल्डरों और पादरियों का अनुसरण किया। परमेश्वर ने मुझे मेरे अपराधों के लिए दंडित नहीं किया, उसने मेरी अवज्ञा को सहन किया और मेरे दरवाजे पर दस्तक दी। मेरे प्रति उसकी करुणा देखकर, मुझे अत्यधिक शर्म महसूस हुई; मैं वास्तव में परमेश्वर का प्रेम पाने के लायक नहीं था।
2 परमेश्वर के वचन मेरे दिल को धारदार तलवार की तरह चीरते हैं। मैं देखता हूँ कि मेरे अहंकार ने मुझसे समझ और मानवता छीन ली है और मैं उसके प्रकटन और कार्य की निंदा करने के लिए धारणाओं और कल्पनाओं का उपयोग करता हूँ, जिससे कई विश्वासियों को बचाये जाने में अवरोध उत्पन्न होता। परमेश्वर की आलोचना और उसका विरोध करता हूँ, मैं कितना पापी हूँ। मैं वास्तव में उसके द्वारा शापित होने के योग्य हूँ; मैं उसके सामने रहने लायक नहीं हूँ। उसके न्याय से गुजरने से मैं जाग्रत हो गया हूँ, और मेरा दिल शर्मिंदगी से भर गया है। सत्य का अनुसरण करने और परमेश्वर को संतुष्ट करने के लिए नए सिरे से शुरुआत करने का संकल्प करता हूँ। परमेश्वर इतना दयालु है; यह मेरे दिल से कठोरता को हटा देता है। मैं निष्ठा से अपना कर्तव्य निभाना चाहता हूँ, और केवल परमेश्वर को आराम देना चाहता हूँ। चाहे कितना भी उत्पीड़न और विपत्ति का सामना करना पड़े, मैं बहुत अंत तक वफादार रहूंगा। मैं परमेश्वर की अद्भुत गवाही देने और उसे महिमा देने का संकल्प करता हूँ।