प्रतिदिन की रोटी
आप कितनी धार्मिक परम्पराओं को मानते हैं? कितनी बार आपने परमेश्वर के वचन का विरोध किया और अपने-अपने मार्गों को अपनाया? कितनी बार आपने परमेश्वर के वचनों का आचरण किया क्योंकि आपमें उसके बोझ का एहसास है और उसकी इच्छा पूरी करना चाहते हो? परमेश्वर के वचनों को समझें और उसको निभाएं। करनी और कथनी के प्रति सिद्धांतवादी बनें, यह नियम में बंधना नहीं है या कुड़कुड़ाकर बस किसी तरह पालन करना है। अपितु, यह एक सत्य पर चलना है और परमेश्वर के वचन से जीवन व्यतीत करना है। मात्र इस प्रकार का चाल चलन ही परमेश्वर को संतुष्ट करता है। कोई परम्परा जो परमेश्वर को प्रसन्न करे, वह कोई नियम नहीं है बल्कि सत्य पर चलना है।