479 परमेश्वर के वचनों के प्रति इंसान का जो रवैया होना चाहिए

1

मैं बोलता हूँ सत्य वचन

कोई भी हो तुम चाहे, वचन हैं सारी इंसानियत के लिए।

सत्य के सेवक बनो।

तुम्हें अपने जीवन में सत्य से अधिक वास्ता नहीं,

मैं साफ़ कहता हूँ, सत्य के सेवक बनो।

ये तुम्हें मेरी चेतावनी है। ये तुम्हें मेरी चेतावनी है।


सत्य की नज़र से देखो मेरे वचनों को, ध्यान से, ईमानदारी से देखो।

किसी वचन या सत्य को अनदेखा न करो। अनादर से न देखो मेरे वचनों को।


2

दुष्टता को त्याग दो, बदसूरती को त्याग दो, इनके दास न बनो।

सत्य के सेवक बनो।

सत्य को न रौंदो, ईश्वर के घर के किसी कोने को न गंदा करो।

सत्य के सेवक बनो।

ये तुम्हें मेरी चेतावनी है। ये तुम्हें मेरी चेतावनी है।


सत्य की नज़र से देखो मेरे वचनों को, ध्यान से, ईमानदारी से देखो।

किसी वचन या सत्य को अनदेखा न करो। अनादर से न देखो मेरे वचनों को।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तीन चेतावनियाँ से रूपांतरित

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