232 परमेश्वर ने बहुत प्रतीक्षा की है

कौन बता सकता है कि इंसान के तेरी शरण में वापस आने के लिये तूने कितना इंतजार किया है? कौन बता सकता है कि तूने इंसान के लिए कितना श्रमसाध्य मूल्य चुकाया है? कौन बता सकता है कि तेरी दया कितनी व्यापक है? इस बात का मूल्यांकन कौन कर सकता है कि तेरा हृदय कितना सुंदर और नेक है?

1 मैंने बरसों तुझमें विश्वास रखा लेकिन कभी सत्य का अनुसरण नहीं किया। हालाँकि ऐसा लगता था जैसे कि मैं तेरा अनुसरण करता हूँ, लेकिन मेरा दिल कभी तेरा नहीं हुआ। मैंने प्रार्थनाओं में हमेशा तुझे धोखा दिया, मैंने केवल शब्दों से तेरी स्तुति की। मैं थोड़ा-बहुत काम करके ही अपने आप से बहुत खुश था, मैंने सारी महिमा स्वयं ले ली। मैं तेरे सामने तो खड़ा हुआ, लेकिन कभी तुझे जाना नहीं, न कभी यह जाना कि सत्य या जीवन क्या है। मैंने अपने आप को केवल सिद्धांतों से भरता रहा, लेकिन कभी तेरे वचनों का अभ्यास या अनुभव नहीं किया। सिद्धांतों और शब्दों का अधकचरा ज्ञान हासिल करके, मैं ख़ुद को बहुत महान समझने लगा।

2 तेरा प्रेम मेरे पास चुपके से आया, तूने मुझे फटकारा, अनुशासित किया, मेरी काट-छाँट की और मेरा निपटारा किया। तेरे वचनों के न्याय ने मेरे पाखंड का मुखौटा उतार फेंका। मैंने तेरे प्रेम के प्रतिदान के लिए कष्ट नहीं झेले, ख़ुद को नहीं खपाया, बल्कि मैंने केवल अपने अंत, अपनी आख़िरी मंज़िल के लिए ऐसा किया। मैंने देखा कि मैं कितना ज़्यादा भ्रष्ट हूँ, कितना कपटी और निंदनीय हूँ। जब मुझे परीक्षण में उजागर किया गया, तो मैंने तुझे गलत समझा, मैं रोया और कष्ट से हताश हो गया। मैंने तेरे नेक इरादों को कभी नहीं सराहा। मुझमें न ज़मीर था, न विवेक। इतना विद्रोही होकर, मैं इंसान कहलाने का हकदार कैसे हो सकता हूँ?

3 तेरा प्रेम किसी तप्त धारा की तरह था जिसने मेरे कठोर दिल को पिघला दिया। हालाँकि परीक्षण और शुद्धिकरण पीड़ादायक थे, लेकिन उनका मकसद मेरी भ्रष्टता को शुद्ध करना था। अब जबकि मैं तेरी इच्छा को समझता हूँ, मेरा हृदय वापस तेरी शरण आ गया, मैं पश्चाताप के आँसू बहाता हूँ। इतना विद्रोही और अनभिज्ञ होने पर, तेरी इच्छा का ख़्याल न करने पर मुझे अपने आपसे नफ़रत हो गई। लेकिन तू हमेशा मुझ पर नज़र रखता है, और मेरा इंतज़ार कर रहा है। तू मुझे बचाने के लिये सब-कुछ कर रहा है। तेरा दिल बहुत सुंदर और नेक है, मैं सत्य का अनुसरण और वास्तविकता में प्रवेश करना चाहता हूँ। मैं इंसान की तरह आचरण करने, और तेरे दिल को सुकून देने के लिए अपना कर्तव्य निभाने का संकल्प लेता हूँ।

मैंने देखा है कि तू कितना मिलनसार और मनभावन है। केवल तू ही इंसान के प्रेम का हकदार है। अब मैं तुझे और इंतज़ार नहीं कराऊँगा, मैं अपना सच्चा दिल तुझे अर्पित करूँगा। मैं केवल इतना चाहता हूँ कि मेरा हृदय तुझे प्रेम करे, ताकि मुझे कोई पश्चाताप न रहे। मैं केवल इतना चाहता हूँ कि मेरा हृदय तुझे प्रेम करे, और मैं तेरे अनुरूप हो सकूँ।

पिछला: 231 सत्य का अनुसरण किए बिना विफलता निश्चित है

अगला: 233 अंतिम क्षणों को संजो कर रखो

परमेश्वर का आशीष आपके पास आएगा! हमसे संपर्क करने के लिए बटन पर क्लिक करके, आपको प्रभु की वापसी का शुभ समाचार मिलेगा, और 2024 में उनका स्वागत करने का अवसर मिलेगा।

संबंधित सामग्री

775 तुम्हारी पीड़ा जितनी भी हो ज़्यादा, परमेश्वर को प्रेम करने का करो प्रयास

1समझना चाहिये तुम्हें कितना बहुमूल्य है आज कार्य परमेश्वर का।जानते नहीं ये बात ज़्यादातर लोग, सोचते हैं कि पीड़ा है बेकार:अपने विश्वास के...

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना सत्य के अनुसरण के बारे में I न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें