978 परमेश्वर की इंसान को चेतावनी

1

बहुत-सी इच्छाएँ हैं परमेश्वर की।

उसकी इच्छा है, तू आचरण अपना बेहतर रख सके,

अपने फ़र्ज़ में वफ़ादार रहे,

सत्य और इंसानियत हो तुझमें, इंसानियत हो तुझमें।

बन सके एक ऐसा इंसान, जो परमेश्वर की ख़ातिर अपना सबकुछ दे सके,

अपनी ज़िंदगी के अलावा और भी बहुत कुछ दे सके, बहुत कुछ दे सके।


2

पैदा होती हैं ये सारी उम्मीदें तेरी कमियों से, भ्रष्टता से और नाफ़रमानी से।

अपने उल्लंघनों की पहले जाँच करनी चाहिये तुझे।

यहीं से तू पहले शुरुआत कर।

जो अनुरूप नहीं हैं सच्चाई के,

अपने उन तमाम विचारों-व्यवहारों की जाँच कर।

सीधी-सादी हैं अपेक्षाएं परमेश्वर की,

मगर इतना ही नहीं है, जो वो चाहता है तुझसे।

न उपहास कर, न तुच्छ समझ परमेश्वर की अपेक्षाओं को,

संजीदा बन, ख़ारिज न कर तू इस काम को।


3

आगे, हर उल्लंघन, हर विद्रोह के लिये,

हर एक से निपटे जो, ऐसे सत्य की तलाश कर,

अपने विद्रोही ख़्यालों, बर्ताव और उल्लंघन की जगह,

सच्चाई का अभ्यास कर।

तीसरा, ज़िंदगी सच्चाई से जी, चालाकी या कपट न कर।

इन तीन बातों को अगर पूरा करता है तू,

जिसके सपने साकार होते हैं, ऐसा ख़ुशकिस्मत इंसान है तू।


4

शायद इन तीन शर्तों को संजीदगी से ले या लापरवाही से तू,

ख़ैर, परमेश्वर का प्रयोजन है कि तू

साकार करे अपने सपनों को और अमल में लाए अपने आदर्शों को तू, आदर्शों को तू।

तुझे बेवकूफ़ बनाना मकसद नहीं उसका।

अपने विचारों, योजनाओं, हिसाब-किताब को, दरकिनार कर दे तू।

परमेश्वर की माँगों को संजीदगी से लेना शुरु कर दे तू।

वरना, अपने काम का वो अंत कर देगा, भस्म करके तमाम इंसानों को।

क्योंकि कर नहीं सकते प्रवेश परमेश्वर के राज्य में,

या अगले युग में शैतान की तर्ज़ पर, बुराई में लिप्त इंसान हैं जो।


आधिकारिक तौर पर कहता है तुझसे परमेश्वर,

परवाह नहीं उसे, कितनी मेहनत से

या कितने बेहतर ढंग से काम करता है तू,

कितना काबिल या नामवर है तू,

कितनी बारीकी से उसका अनुसरण करता है तू,

अपनी प्रवृत्ति में कितना उन्नत है तू,

परमेश्वर की माँगों को अगर पूरा नहीं करता,

तो उसकी प्रशंसा कभी पा नहीं सकता तू।

सीधी-सादी हैं अपेक्षाएं परमेश्वर की,

मगर इतना ही नहीं है, जो वो चाहता है तुझसे।

न उपहास कर, न तुच्छ समझ परमेश्वर की अपेक्षाओं को,

संजीदा बन, ख़ारिज न कर तू इस काम को,

तू इस काम को, तू इस काम को।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, अपराध मनुष्य को नरक में ले जाएँगे से रूपांतरित

पिछला: 977 तुम्हें परमेश्वर की स्वीकृति प्राप्त करनी चाहिए

अगला: 979 परमेश्वर मनुष्य के कर्मों के बारे में क्या सोचता है

परमेश्वर का आशीष आपके पास आएगा! हमसे संपर्क करने के लिए बटन पर क्लिक करके, आपको प्रभु की वापसी का शुभ समाचार मिलेगा, और 2024 में उनका स्वागत करने का अवसर मिलेगा।

संबंधित सामग्री

775 तुम्हारी पीड़ा जितनी भी हो ज़्यादा, परमेश्वर को प्रेम करने का करो प्रयास

1समझना चाहिये तुम्हें कितना बहुमूल्य है आज कार्य परमेश्वर का।जानते नहीं ये बात ज़्यादातर लोग, सोचते हैं कि पीड़ा है बेकार:अपने विश्वास के...

610 प्रभु यीशु का अनुकरण करो

1पूरा किया परमेश्वर के आदेश को यीशु ने, हर इंसान के छुटकारे के काम को,क्योंकि उसने परमेश्वर की इच्छा की परवाह की,इसमें न उसका स्वार्थ था, न...

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में I सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें