385 इंसान के लिये परमेश्वर के प्रबंधनों का प्रयोजन

1

गर यकीन है तुम्हें परमेश्वर के शासन में,

तो जान लो कुछ भी संयोगवश नहीं होता।

हर चीज़ की व्यवस्था करता है परमेश्वर।

किस लिये करता है परमेश्वर ये सब? अंतिम लक्ष्य क्या है उसका?

ये सब नहीं है तुम्हें उजागर करने के लिये,

ये सब है तुम्हें पूर्ण करने, बचाने के लिये।

कैसे पूर्ण करता है, बचाता है तुम्हें परमेश्वर?

ये सब करता है वो दिखाकर तुम्हें भ्रष्टता तुम्हारी,

प्रकृति, सार और ग़लतियाँ तुम्हारी।

जानकर इन चीज़ों को, तुम निकाल फेंकोगे इन्हें, निकाल फेंकोगे इन्हें।


2

सीख लो इस अवसर को पकड़ना। जान लो इसे तुम्हें पकड़ना ही है।

न टकराओ, न तकरार करो, न विरोध का प्रयास करो।

परमेश्वर की व्यवस्थित हर चीज़ का गर मुकाबला करोगे,

फिर सत्य में प्रवेश करना मुश्किल होगा तुम्हारा।


3

पालन करो, खोजो, प्रार्थना करो, और आओ सम्मुख परमेश्वर के।

भीतर से अवस्था बदल जाएगी तुम्हारी, सत्य गढ़ा जाएगा तुम में।

तब तरक्की करोगे तुम, जीवन को बदला हुआ पाओगे।

जब ये सच साकार होगा,

तो कद तुम्हारा जीवन का सृजन करेगा, जीवन का सृजन करेगा।

कैसे पूर्ण करता है, बचाता है तुम्हें परमेश्वर?

ये सब करता है वो दिखाकर तुम्हें भ्रष्टता तुम्हारी,

प्रकृति, सार और ग़लतियाँ तुम्हारी।

जानकर इन चीज़ों को, तुम निकाल फेंकोगे इन्हें, निकाल फेंकोगे इन्हें।


—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, सत्य प्राप्त करने के लिए अपने आसपास के लोगों, मामलों और चीज़ों से सीखना चाहिए से रूपांतरित

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