385 इंसान के लिये परमेश्वर के प्रबंधनों का प्रयोजन
1 यदि तू परमेश्वर के शासन में विश्वास करता है, तो तुझे यह विश्वास करना होगा कि जो चीजें हर दिन होती हैं, वे अच्छी हों या बुरी, यूँ ही हुई घटनाएँ नहीं होती हैं। ऐसा नहीं है कि कोई व्यक्ति जानबूझकर तुझ पर सख़्त है या तुझ पर निशाना साध रहा है; वास्तव में यह सब परमेश्वर द्वारा व्यवस्थित और आयोजित है। परमेश्वर इन चीज़ों को किस लिए आयोजित करता है? यह तेरी कमियों को प्रकट करने के लिए या तुझे उजागर करने के लिए नहीं है; तुझे उजागर करना अंतिम लक्ष्य नहीं है। अंतिम लक्ष्य तुझे सिद्ध बनाना और तुझे बचाना है। परमेश्वर ऐसा कैसे करता है? सबसे पहले, वह तुझे तेरे स्वयं के भ्रष्ट स्वभाव, तेरी प्रकृति और सार, तेरे दोषों और तेरी कमी के बारे में अवगत कराता है। केवल अपने हृदय में इन बातों को समझ कर ही तू सत्य की खोज कर सकता है और धीरे-धीरे अपने भ्रष्ट स्वभाव को दूर कर सकता है। यह परमेश्वर का तुझे एक अवसर प्रदान करना है।
2 यदि तू परमेश्वर के शासन में विश्वास करता है, तो तुझे यह विश्वास करना होगा कि जो चीजें हर दिन होती हैं, वे अच्छी हों या बुरी, यूँ ही हुई घटनाएँ नहीं होती हैं। ऐसा नहीं है कि कोई व्यक्ति जानबूझकर तुझ पर सख़्त है या तुझ पर निशाना साध रहा है; वास्तव में यह सब परमेश्वर द्वारा व्यवस्थित और आयोजित है। तुझे यह जानना होगा कि इस अवसर को कैसे हाथ में लिया जाए, और परमेश्वर के साथ लड़ाई में कैसे न उलझा जाए। विशेष रूप से उन लोगों, घटनाओं और चीज़ों का सामना करते समय, जिनकी परमेश्वर तेरे आस-पास व्यवस्था करता है, हमेशा बचकर निकलना चाहते हुए, हमेशा परमेश्वर को दोष देते और ग़लत समझते हुए, यह मत सोच कि चीजें तेरे मन के हिसाब से नहीं हैं। यह परमेश्वर के कार्य से गुज़रना नहीं है, और इससे सत्य की वास्तविकता में प्रवेश करना तेरे लिए बहुत मुश्किल बन जाएगा। जो भी बात तू पूरी तरह से नहीं समझ पाता है, या जब तुझ पर कठिनाइयाँ आती हैं, तो तुझे समर्पण करना अवश्य सीखना चाहिए। तुझे सबसे पहले परमेश्वर के सामने आना चाहिए तथा और अधिक प्रार्थना करनी चाहिए। इस तरह, इससे पहले कि तू इसे जाने तेरी आंतरिक स्थिति में एक बदलाव होगा और तू अपनी समस्या को हल करने के लिए सत्य की तलाश कर पाएगा—तू परमेश्वर के कार्य का अनुभव करने में सक्षम होगा।
— "मसीह की बातचीतों के अभिलेख" में "सत्य को प्राप्त करने के लिए, तुझे लोगों, मामलों और अपने आसपास की चीज़ों से अवश्य सीखना चाहिए" से रूपांतरित