159 मसीह की मानवता उसकी दिव्यता से संचालित होती है

1 मसीह की मानवता उसकी दिव्यता द्वारा संचालित होती है। यद्यपि वह देह में है, किंतु उसकी मानवता पूर्ण रूप से देह वाले एक मनुष्य के समान नहीं है। उसका अपना अनूठा चरित्र है और यह भी उसकी दिव्यता द्वारा संचालित होता है। उसकी दिव्यता में कोई निर्बलता नहीं है; मसीह की निर्बलता उसकी मानवता से संबंधित है। एक निश्चित सीमा तक, यह निर्बलता उसकी दिव्यता को विवश करती है, पर इस प्रकार की सीमाएं एक निश्चित दायरे और समय के भीतर होती हैं और असीम नहीं हैं। जब उसकी दिव्यता का कार्य क्रियान्वित करने का समय आता है, तो वह उसकी मानवता की परवाह किए बिना किया जाता है। मसीह की मानवता पूर्णतः उसकी दिव्यता द्वारा निर्देशित होती है। उसके मानवता के साधारण जीवन से अलग, उसकी मानवता के अन्य सभी काम उसकी दिव्यता द्वारा प्रेरित, प्रभावित और निर्देशित होते हैं।

2 यद्यपि मसीह में मानवता है, पर इससे उसकी दिव्यता का कार्य बाधित नहीं होता और ऐसा ठीक इसलिए है क्योंकि मसीह की मानवता उसकी दिव्यता द्वारा निर्देशित है; हालांकि उसकी मानवता दूसरों के साथ आचरण में परिपक्व नहीं है, इससे उसकी दिव्यता का सामान्य कार्य प्रभावित नहीं होता। जब मैं यह कहता हूँ कि उसकी मानवता भ्रष्ट नहीं हुई है, तब मेरा मतलब है कि मसीह की मानवता उसकी दिव्यता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से निर्देशित की जा सकती है और यह कि वह साधारण मनुष्य की तुलना में उच्चतर समझ से संपन्न है। उसकी मानवता उसके कार्य में दिव्यता द्वारा निर्देशित होने के लिए सबसे अनुकूल है; उसकी मानवता दिव्यता के कार्य को अभिव्यक्त करने के लिए सबसे अनुकूल है और साथ ही ऐसे कार्य के प्रति समर्पण करने के सबसे योग्य है। जब परमेश्वर देह में कार्य करता है, वह कभी उस कर्तव्य से नज़र नहीं हटाता, जिसे मनुष्य को देह में होते हुए पूरा करना चाहिए; वह सच्चे हृदय से स्वर्ग में परमेश्वर की आराधना करने में सक्षम है। उसमें परमेश्वर का सार है और उसकी पहचान स्वयं परमेश्वर की पहचान है।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति आज्ञाकारिता ही मसीह का सार है से रूपांतरित

पिछला: 158 मानवता में परमेश्वर के कार्य का तरीक़ा और सिद्धांत

अगला: 160 व्यावहारिक परमेश्वर को कैसे जानें

परमेश्वर का आशीष आपके पास आएगा! हमसे संपर्क करने के लिए बटन पर क्लिक करके, आपको प्रभु की वापसी का शुभ समाचार मिलेगा, और 2024 में उनका स्वागत करने का अवसर मिलेगा।

संबंधित सामग्री

610 प्रभु यीशु का अनुकरण करो

1पूरा किया परमेश्वर के आदेश को यीशु ने, हर इंसान के छुटकारे के काम को,क्योंकि उसने परमेश्वर की इच्छा की परवाह की,इसमें न उसका स्वार्थ था, न...

775 तुम्हारी पीड़ा जितनी भी हो ज़्यादा, परमेश्वर को प्रेम करने का करो प्रयास

1समझना चाहिये तुम्हें कितना बहुमूल्य है आज कार्य परमेश्वर का।जानते नहीं ये बात ज़्यादातर लोग, सोचते हैं कि पीड़ा है बेकार:अपने विश्वास के...

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें