अपने जीवन को भक्ति के लिए तप्रतिज्ञाबद्ध करना
3 अप्रैल 2003 को, मैं एक बहन के साथ एक नए विश्वासी के पास मुलाकात करने गई। यह नया विश्वासी अभी भी परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को लेकर निश्चित नहीं था और उसने पुलिस को हमारी रिपोर्ट कर दी। परिणामस्वरूप, सादे-कपड़ों में चार दुष्ट पुलिस वाले आए और आक्रामक रूप से हम दोनों को अपनी गाड़ी में ज़बरदस्ती डालकर पुलिस स्टेशन ले गए। रास्ते में, मेरा दिल बहुत घबरा रहा था, क्योंकि मेरे पास एक पेजर, हमारे कलीसिया के सदस्यों के नामों की आँशिक सूची और एक नोटपैड था। मुझे डर था कि दुष्ट पुलिस इन चीज़ों को ढूँढ लेगी और मुझे और भी अधिक डर था कि मेरे भाई-बहन मेरे पेजर पर कॉल करेंगे, इसलिए मैं मन में लगातार और तीव्रता से परमेश्वर से प्रार्थना कर रही थी: "परमेश्वर, मुझे क्या करना चाहिए? मैं तुझसे याचना करती हूँ कि तू मुझे राह दिखा और इन चीज़ों को दुष्ट पुलिस के हाथों में न पड़ने दे।" इसके बाद, मैंने इन चीज़ों को अपने थैले में से निकालकर चुपचाप उन्हें अपनी कमर में खिसका लिया और कहने लगी कि मेरे पेट ठीक नहीं है और मुझे शौचालय जाना है। दुष्ट पुलिस वालों ने मुझे यह कहते हुए गाली दी: "तू गंदगी से भरी है!" मेरे बार-बार अनुरोध करने पर, जब मैं बाथरूम गई तो उन्होंने एक महिला पुलिस अधिकारी को मुझ पर नज़र रखने के लिए भेज दिया। जब मैंने अपनी बेल्ट खोली, तो पेजर निकल कर बाहर गिर गया और मैंने उसे तुरंत उठाकर सीवर पाइप में फेंक दिया। इस डर से कि महिला अधिकारी को मेरी कमर के बैग का पता न चल जाए, मैंने उसे पाइप में न फेंककर उसे कचरे के डिब्बे में डाल दिया; मैंने सोचा कि रात में जब मैं फिर से बाथरूम जाऊँगी तब उसे शौचालय में फेंक दूँगी। लेकिन, मैं वापस उस बाथरूम में कभी नहीं गयी और दुष्ट पुलिस को वह थैला मिल गया जिसे मैंने कूड़े के डिब्बे में फेंका था।
दुष्ट पुलिस ने मुझे और बहन को एक कमरे में बंद कर हमारे सारे कपड़े उतरवा दिए ताकि वे हमारी तलाशी ले सकें। यहाँ तक कि उन्होंने यह देखने के लिए कि हमने कुछ छुपा तो नहीं रखा है, हमारे बालों की भी जाँच की। तलाशी लेने के बाद, उन्होंने हमें हथकड़ी लगा दी और हमें कमरे में बंद कर दिया। जब रात हुई, तो दुष्ट पुलिस ने गहन पूछताछ के लिए हमें अलग कर दिया; उन्होंने मुझसे पूछा: "तू कहाँ से है? तेरा नाम क्या है? तू यहाँ कब आई? तू यहाँ पर क्या कर रही है? तू कहाँ रहती है? तू क्या विश्वास करती है? तेरे साथ जो औरत है उसका क्या नाम है?" मेरे जवाब उन्हें पसंद नहीं आए, इसलिए दुष्ट पुलिस ने क्रोध में आकर कहा: "हम उन लोगों के प्रति नरमी दिखाते हैं जो अपनी गलती मान लेते हैं और उनके प्रति कठोरता दिखाते हैं जो विरोध करते हैं। यदि तूने सच नहीं बताया, तो गलती तेरी होगी! बोल! कौन है तेरा प्रभारी?तुम लोग क्या कर रहे हो? बोल और हम तेरे साथ नरमी से पेश आएंगे।" यह देखते हुए वे कितनी खौफ़नाक रूप से भयानक दिख रहे थे, मैं मन में एक संकल्प लिया: मैं यहूदा बिल्कुल नहीं बनूँगी, मैं अपने भाई-बहनों को नहीं बेचूँगी और मैं परमेश्वर के परिवार के हितों के साथ धोखा नहीं करूंगी। जब उन्होंने देखा कि उन्हें मुझसे कुछ नहीं मिल सकता है, तो वे परेशान होने लगे और यह कहते हुए मुझे भयंकर रूप से हाथों और पैरों से मारने लगे: "क्योंकि तू कुछ नहीं कह रही है, इसलिए हम तुझे यातना दे-देकर सबक सिखाएँगे!" फिर अचानक घूँसे और लातें पड़ने लगीं। उसके बाद, उनमें से एक ने मुझे ज़मीन पर बैठने का आदेश दिया, और मेरे हाथों में हथकड़ी लगा दी और उन्हें मेरी पीठ के पीछे की ओर जितना वह कस सकता था उतना कस कर मरोड़ दिया। फिर उसने मेरे पीछे एक कुर्सी रखी और मेरे हाथों को कुर्सी की पीठ पर रस्सी से बाँध दिया अपनी सारी ताकत नीचे की ओर लगाते हुए उसने अपने हाथों से मेरी बाहों पर दबाव डाला। ऐसा करते ही मुझे लगा कि जैसे कि मेरे हाथ टूट जाएंगे; इससे इतनी बुरी तरह से दर्द हुआ कि मेरी कर्णभेदी चीख निकल गई। मुझे यातना देने के लिए वे कुछ घंटों तक लगातार मेरी बाँहों को इसी तरह से पीछे और आगे करते रहे। उसके बाद, मैं इसे सहन नहीं कर सकी और मेरे पूरे शरीर में झटके आने लगे। जब उन्होंने यह देखा, तो उन्होंने कहा: "तू पागल होने का नाटक मत कर, हम पहले कई बार ऐसा देख चुके हैं। तुझे क्या लगता है कि तू किसे डरा रही है? क्या तुझे लगता है कि ऐसा करके तू बच जाएगी?" उन्होंने देखा कि मुझे अभी भी झटके आ रहे थे और एक दुष्ट पुलिसकर्मी ने कहा: "बाथरूम में जाओ और इसके मुँह में कुछ मल रखो, देखो कि क्या यह इसे खाती है या नहीं।" उन्होंने एक छड़ी से कुछ मल उठाया और इसे मेरे मुँह में मल दिया और इसे खाने पर मजबूर किया; मेरे मुँह से अब भी झाग निकल रही थी और उन्होंने देखा कि मुझे अभी-भी झटके आ रहे हैं, इसलिए उन्होंने मुझे सीट से उतार दिया। मेरे पूरे शरीर में असहनीय रूप से पीड़ा हो रही थी, जब मैं फर्श पर शक्तिहीन पड़ी थी तो मेरे सिर से पैर की अँगुली तक ऐंठन हो रही थी और मैं दर्द से चीख रही थी। एक लंबे समय के बाद, मेरे हाथों और बाँहों में फिर से हरकत होने लगी। दुष्ट पुलिस को डर था कि मैं अपने सिर को दीवार पर दे मारूँगी और आत्महत्या कर लूँगी, इसलिए उन्होंने मुझे एक हेलमेट पहना दिया। उसके बाद, उन्होंने मुझे खींच कर छोटे से लोहे के कमरे में वापस डाल दिया। मैं रो-रोकर परमेश्वर से प्रार्थना की: "हे परमेश्वर, मेरी देह बहुत कमज़ोर है। मैं चाहती हूँ तू मेरी रक्षा करे। चाहे शैतान मुझे कैसे भी प्रताड़ित करे, मैं तेरे साथ यहूदा की तरह विश्वासघात करने की अपेक्षा बल्कि मर जाना चाहूँगी। मैं अपने भाई-बहनों या परमेश्वर के परिवार के हित को धोखा नहीं दूँगी। मैं उस शैतान को शर्मिंदा करने के लिए तेरी गवाही देने के लिए तैयार हूँ।"
तीसरे दिन, दुष्ट पुलिस ने नोटपैड और कलीसिया के सदस्यों के नामों की सूची ले ली जिन्हें मैंने कचरे के डिब्बे में डाल दिया था और मुझसे पूछताछ की। जब मैंने इन चीज़ों को देखा, तो मैंने बहुत असहज और और अफ़सोस महसूस किया, मैं खुद को दोष देने लगी। मुझे अपने आप से नफ़रत हो रही थी कि मैं इतना कायर और डरपोक हूँ कि मैंने उस समय थैले को सीवर के पाइप में फेंकने की हिम्मत नहीं की, जिसके इतने गंभीर परिणाम हो गए। मुझे और भी नफ़रत हो रही थी कि मैंने परमेश्वर के परिवार की व्यवस्थाओं की नहीं सुनी और अपने कर्तव्य को पूरा करते समय इन चीज़ों को साथ ले आई, जिससे कलीसिया को इतनी बड़ी परेशानी हो गयी है। उस समय, आगे जो होने वाला था उसका सामना करने के लिए मैं बस परमेश्वर पर भरोसा करना चाहती थी। उससे भी बढ़कर, शैतान पर विजय पाने के लिए मैं परमेश्वर पर भरोसा करना चाहती थी। इस समय मैंने एक भजन के बारे में सोचा "परमेश्वर को प्रेम करने के मार्ग पर चलना": "मुझे परवाह नहीं कि परमेश्वर में विश्वास करने का रास्ता कितना कठिन है, मैं अपने उद्यम के रूप में केवल परमेश्वर की इच्छा को पूरा करता हूं; मुझे इस बात की ज़रा भी परवाह नहीं है कि भविष्य में मुझे आशीष मिलते हैं या मैं दुख उठाता हूँ। अब जबकि मैंने परमेश्वर से प्रेम करने का संकल्प ले लिया है, मैं अंत तक निष्ठावान रहूँगा। मेरे पीछे कितने भी ख़तरे या मुश्किलें घात लगाए बैठी हों, मुझे परवाह नहीं है, मेरा अंत चाहे कुछ भी हो, परमेश्वर के गौरवमय दिन का स्वागत करने के लिए, मैं परमेश्वर के पदचिह्नों के नज़दीक चलता हूँ और आगे बढ़ने का प्रयास करता हूँ" (मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ)। मैंने इस गाने को शांति से गुनगुनाया और मेरे हृदय में फिर से विश्वास और शक्ति आ गई। दुष्ट पुलिस ने मुझसे पूछा: "क्या ये चीजें तेरी हैं? सच-सच बता, हम तेरे साथ गलत व्यवहार नहीं करेंगे। तू एक पीड़िता है और तुझस झूठ बोला गया है। जिस परमेश्वर में तू विश्वास करती है वह बहुत अस्पष्ट और दूर-दराज है, यह बस ख़्यालों मे अच्छा लगता है। कम्युनिस्ट पार्टी अच्छी है, और तुझे पार्टी और सरकार पर भरोसा करना चाहिए। अगर तुझे कोई परेशानी है, तो तू हमारे पास आ सकती है और हम इसे हल करने में तेरी सहायता करेंगे। यदि तुझे काम ढूँढने में सहायता की आवश्यकता है, तब भी हम तेरी सहायता कर सकते हैं। बस अपनी कलीसिया के बारे में सब कुछ बता दे; हमें बता कि तेरी सूची में जो लोग हैं वे क्या करते हैं? वे कहाँ रहते हैं? तेरा प्रधान कौन है?" मैं उनकी झूठ और चालाकी को समझ गई थी और मैंने कहा: "ये चीज़ें मेरी नहीं हैं, मैं नहीं जानती।" जब उन्होंने देखा कि मैं कुछ भी नहीं बताने वाली, तो उनका असली चेहरा सामने आ गयाऔर उन्होंने मुझे क्रूरता से पीट कर ज़मीन पर गिरा दिया और लगातार हिंसात्मक रूप से पीटते और अपनी पूरी ताकत लगते हुए मुझे मेरी हथकड़ियों से खींचना जारी रखा। जितना अधिक वे मुझे घसीटते थे, हथकड़ी उतनी ही अधिक कस जाती थी और मेरे शरीर में धंस जाती थी। इससे इतनी अधिक पीड़ा हो रही थी कि मैं ज़ोर से चीख पड़ी और दुष्ट पुलिस ने क्रूरता से कहा: "हम तुझे बताने पर मजबूर कर देंगे, तुझसे उगलवाने के लिए हम तुझे एक टूथपेस्ट की तरह एक बार में थोड़ा-थोड़ा करके निचोंड़ेंगे!" आखिर में, उन्होंने मेरे दोनों हाथों को पकड़ कर उन्हें कुर्सी के पीछे की ओर बाँध दिया और मुझे जमीन पर बिठा दिया। वे मुझे मारते और मेरी बाँहों पर अपनी ताकत लगा कर नीचे दबाते थे; मुझे एक असहनीय तेज़ पीड़ा महसूस हो रही थी जैसे कि मेरी बाहें टूटने वाली हों। दुष्ट पुलिस मुझे यंत्रणा देती रही और मुझसे कर्कश स्वर में कहा: "बोल!" मैंने बिना हिचकिचाए कहा: "मुझे नहीं पता।" "अगर तू नहीं बोलेगी तो हम तुझे मार डालेंगे; अगर तू नहीं बोलेगी, तो जीने की अपेक्षा मत करना; हम तुझे दस वर्ष, बीस वर्ष, या जीवन-भर के लिए कैद में डाल देंगे; बाहर निकलने की कभी भी अपेक्षा मत करना!" जब मैंने ये सुना, तो एक विचार मेरे मन में कौंधा: मुझे जीवन भर के लिए सहर्ष जेल जाने का संकल्प लेना ही चाहिए। इसके बाद मैंने एक भजन के बारे में सोचा "परमेश्वर के महिमा दिवस को देखना मेरी अभिलाषा है": "मैं अपना प्यार और अपनी निष्ठा परमेश्वर को अर्पित कर दूँगा और परमेश्वर को महिमान्वित करने के अपने लक्ष्य को पूरा करूँगा। मैं परमेश्वर की गवाही में डटे रहने, और शैतान के आगे कभी हार न मानने के लिये दृढ़निश्चयी हूँ। मेरा सिर फूट सकता है, मेरा लहू बह सकता है, मगर परमेश्वर-जनों का जोश कभी ख़त्म नहीं हो सकता। परमेश्वर के उपदेश दिल में बसते हैं, मैं दुष्ट शैतान को अपमानित करने का निश्चय करता हूँ" (मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ)। परमेश्वर ने, मुझे सब कुछ भुगतने और परमेश्वर के लिए गवाही देने के लिए दृढ़ और साहसी बना कर, मुझे विश्वास और दृढ़ संकल्प देकर, प्रबुद्ध किया था। परिणामस्वरूप, दुष्ट पुलिस की साजिश कामयाब नहीं हुई; वे मुझे तब तक यातना देते थे जब तक कि वे थक नहीं जाते थे फिर मे मुझे लोहे के कमरे में वापस भेज देते थे।
कुछ दिनों बाद, मुझे दुष्ट पुलिस ने तब तक यातना दी जब तक कि मुझमें कोई ताकत नहीं बची। मैं एक पूर्ण रूप से बेहोशी में थी और मेरे हाथ और बाँहें सुन्न थीं। इस क्रूर और अमानवीय यातना का सामना करते हुए, मुझे विशेष रूप से इस बात का डर था कि दुष्ट पुलिस वापस आकर मुझसे पूछताछ करेगी। जैसे ही मैंने इस पर विचार किया, मेरा हृदय भय से काँपे बिना नहीं रह पाया। मुझे वास्तव में नहीं पता था कि वे मुझे यातना देने के लिए और किस चीज़ का उपयोग करेंगे, और मुझे नहीं पता था कि यह पूछताछ कब समाप्त होगी। मैं केवल अपने हृदय में परमेश्वर से प्रार्थना कर सकती थी और परमेश्वर से मेरे हृदय की रक्षा करने और मुझे कष्टों को सहने की इच्छा और शक्ति देने के लिए प्रार्थना कर सकती थी ताकि मैं परमेश्वर के लिए गवाही देने और शैतान को पूरी तरह अपमानित करके विफल करने में समर्थ हो सकती।
जब दुष्ट पुलिस ने देखा कि मैं कुछ भी स्वीकार नहीं करूँगी, तो वे मुझसे पूछताछ करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा ब्रिगेड और सार्वजनिक सुरक्षा ब्यूरो के साथ जुड़ गए। वहाँ बीस से ज्यादा लोग थे जो बारी-बारी मुझसे दिन-रात पूछताछ कर रहे थे, और सब कुछ स्वीकार करने के लिए मुझे बाध्य करने का प्रयास कर रहे थे। उस दिन, राष्ट्रीय सुरक्षा ब्रिगेड के दो दुष्ट पुलिसवाले जो मुझसे पहले ही पूछताछ कर चुके थे मेरे पास आए और शुरू में बड़े अच्छे ढंग से बोले: "यदि तू सच्चाई को स्वीकार कर लेती है, तो हम तुझे जाने देंगे और हम तेरी सुरक्षा की गारंटी देंगे। ... केवल कम्युनिस्ट पार्टी ही तुझे बचा सकती है, परमेश्वर तुझे नहीं बचा सकता है...।" जब उनमें से एक ने देखा कि मैं एक शब्द भी नहीं बोलूँगी, तो वह चिढ़ गया और मुझे फर्श पर बिठा कर अभद्रता से मुझ पर चिल्लाने लगा। उसने मेरे पैरों पर चमड़े के जूतों से पूरी ताकत से लात मारी, जिस कारण मुझे असहनीय दर्द हुआ। एक अन्य दुष्ट पुलिसकर्मी ने उससे पूछा: "कैसा चल रहा है, क्या वह बात कर रही है?" उसने कहा: "वह बहुत अड़ियल है, चाहे तुम उसे कैसे ही क्यों न पीटो, वह कुछ नहीं बोलती।" उस व्यक्ति ने क्रूरता से कहा: "यदि वह बात नहीं करती है, तो उसे पीट-पीट कर मार डालो!" दुष्ट पुलिसकर्मी ने मुझे धमकाते हुए कहा, "क्या तू नहीं बताएगी? तो हम तुझे मार डालेंगे!" मैंने कहा: "मैंने वह सब कह दिया है जो कुछ भी बताने की आवश्यकता है, बाकी मैं नहीं जानती!" वह इतना गुस्सा हो गया कि वह पूरी तरह से पागल लग रहा था, फिर वह एक जंगली जानवर की तरह दहाड़ा और उसने मेरी पिटाई करनी और मुझे लातें मारना शुरू कर दिया। आखिर में वह मुझे मारते-मारते थक गया और उसने लगभग एक अँगुली की मोटाई के बराबर मोटी रस्सी ढूँढी और उसे कुछ बार अपने हाथ के चारों ओर लपेटा। उसने क्रोध से बार-बार मेरे चेहरे पर यह कहते हुए प्रहार किया: "तू परमेश्वर पर विश्वास करती है ना? तू कष्ट भुगत रही है, तो तेरा परमेश्वर आकर तुझे क्यों नहीं बचाता है? वह क्यों नहीं आ कर तेरी हथकड़ी को खोलता है? कहाँ है तेरा परमेश्वर?" मैंने अपने दाँतों को भींच लिया और दर्द को सहती रही। मैंने अपने हृदय में चुपचाप परमेश्वर से प्रार्थना की: "हे परमेश्वर! भले ही आज वे मुझे पीट-पीट कर मार डालें, मैं कभी भी यहूदा की तरह नहीं होऊँगी। मैं चाहती हूँ कि तू मेरे साथ रहे और मेरे हृदय की रक्षा करे। मैं तेरी गवाही देने और पुराने शैतान को अपमानित करने के लिए अपने प्राण देने को तैयार हूँ।" मैंने एक भजन के बारे में सोचा "मैं बस इतना चाहूँ कि परमेश्वर को संतुष्टि मिले": "मैं हूँ पूरा निष्ठा में डूबा हुआ, परमेश्वर को समर्पित, मौत के भय के बिना। हमेशा सबसे ऊपर है उनकी इच्छा। शपथ लेता हूँ परमेश्वर को प्रेम के बदले प्रेम देने की । मैं गुणगान करता हूँ उनका दिल में। मैंने देखा है धार्मिकता के सूर्य को, सत्य करता है काबू धरती की हर चीज़ को। परमेश्वर का स्वभाव है धर्मी और मानवता द्वारा गुणगान के लायक है मेरा दिल सदा-सदा करेगा प्रेम सर्वशक्तिमान परमेश्वर से, और मैं उनके नाम को करूँगा बुलंद" (मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ)। मैं अपनी आँखों को बंद कर लिया और शैतान की पागलपन भरी यातना और पिटाई को सहन करती रही। उस पल, ऐसा लगता था मानो कि मैं अपने दर्द के बारे में भूल गयी। मैं नहीं जानती थी कि यातना कब खत्म होगी। मैं इस बारे में सोचने की हिम्मत नहीं करती थी, और यहाँ तक कि मैं इस बारे में सोच भी नहीं सकती थी। केवल एक चीज़ जो मैं कर सकती थी वह थी कि परमेश्वर से निरंतर प्रार्थना करना और उसे पुकारना। परमेश्वर के वचनों ने मुझे लगातार विश्वास प्रदान किया: "डरो मत, समुदायों का सर्वशक्तिमान परमेश्वर निश्चित रूप से तुम्हारे साथ होगा; वह तुम लोगों के पीछे खड़ा है और तुम्हारी ढाल है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 26)। "जो शरीर को घात करते हैं, पर आत्मा को घात नहीं कर सकते, उनसे मत डरना; पर उसी से डरो, जो आत्मा और शरीर दोनों को नरक में नष्ट कर सकता है" (मत्ती 10:28)। मैंने इस बारे में सोचा कि किस प्रकार बड़ा लाल अजगर केवल एक कागज़ी शेर है जो परमेश्वर के हाथों से पराजित होने के लिए अभिशप्त है। यदि परमेश्वर की अनुमति नहीं है, तो मुझ पर मृत्यु नहीं आएगी; परमेश्वर की अनुमति के बिना, मेरा बाल भी बाँका नहीं होगा। मैंने परमेश्वर के इन वचनों के बारे में भी सोचा: "क्या तुम लोगों ने कभी मिलने वाले आशीषों को स्वीकार किया है? क्या कभी तुमने उन वादों को खोजा जो तुम्हारे लिए किए गए थे? तुम लोग निश्चय ही मेरी रोशनी के नेतृत्व में, अंधकार की शक्तियों के गढ़ को तोड़ोगे। तुम अंधकार के मध्य निश्चय ही मार्गदर्शन करने वाली ज्योति को नहीं खोओगे। तुम सब निश्चय ही सम्पूर्ण सृष्टि के स्वामी होगे। तुम लोग निश्चय ही शैतान के सामने विजेता बनोगे। तुम सब निश्चय ही बड़े लाल अजगर के राज्य के पतन के समय, मेरी विजय की गवाही देने के लिए असंख्य लोगों की भीड़ में खड़े होगे। तुम लोग निश्चय ही सिनिम के देश में दृढ़ और अटूट खड़े रहोगे। तुम लोग जो कष्ट सह रहे हो, उनसे तुम मेरे आशीष प्राप्त करोगे और निश्चय ही सकल ब्रह्माण्ड में मेरी महिमा का विस्तार करोगे" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 19)। परमेश्वर के वचन की सामर्थ्य असीम है और इसने मेरे विश्वास को कई गुना बढ़ा दिया है; मेरे पास शैतान से अंत तक लड़ने का दृढ़ निश्चय था। जब दुष्ट पुलिसकर्मी मुझे पीटते हुए थक गया, तो उसने मुझसे फिर से पूछा: "तू बोलेगी या नहीं?" मैंने दृढ़ता से कहा: "भले ही तुम मुझे पीट-पीट कर मार डाल, मुझे तब भी नहीं पता होगा!" जब दुष्ट पुलिसकर्मी ने यह सुना, तो कुछ भी नहीं कर सका। उसने रस्सी को फेंक दिया और कहा: "तू एक खच्चर की तरह बहुत अड़ियल है। तू वास्तव में अच्छी है, तू कुछ भी नहीं बोलेगी भले ही तू मर जाए। तुझे इतनी शक्ति और विश्वास कहाँ से मिला? तू वास्तव में ल्यू हुलान से भी अधिक ल्यू हुलान है!" जब मैंने उसे यह कहते सुना, तो ऐसा लगा था मानो कि मैंने परमेश्वर को विजयी भाव से अपने सिंहासन पर बैठा हुआ देखा हो, जो शैतान को अपमानित होता हुआ देख रहा था। मैंने रो भी रही थी औरपरमेश्वर की स्तुति भी कर रही थी: हे परमेश्वर, तेरी सामर्थ्य पर निर्भर करने से, मैं इस राक्षस, शैतान को जीत सकती हूँ! तथ्यों के प्रकाश में, मैं देखती हूँ कि तू सर्वशक्तिमान है और शैतान सामर्थ्यहीन है; तेरे नियंत्रण में शैतान हमेशा पराजित होगा। यदि तू अनुमति न दे, तो शैतान मुझे यातना दे कर मारने में समर्थ नहीं होगा। इस समय, परमेश्वर के वचनों ने मुझे फिर से प्रबुद्ध किया: "परमेश्वर का स्वभाव सभी चीज़ों और जीवित प्राणियों के शासक का स्वभाव है...। उसका स्वभाव अधिकार का प्रतीक है ... इस के अतिरिक्त, यह उस परमेश्वर का भी प्रतीक है जिसे अंधकार और शत्रु बल के द्वारा हराया या आक्रमण नहीं किया जा सकता है,[क]..." (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के स्वभाव को समझना बहुत महत्वपूर्ण है)। बड़े लाल अजगर के क्रूर उत्पीड़न का अनुभव करने के बाद, मैंने वास्तव में अपने लिए परमेश्वर का प्रेम और उद्धार देखा और मैंने परमेश्वर के वचन के सामर्थ्य और अधिकार का अनुभव किया। मार्ग के हर कदम पर परमेश्वर के वचन की अगुआई के बिना और केवल अपनी शक्ति पर निर्भर करके, बड़े लाल अजगर की यातना और मार से जीत पाना मेरे लिए असंभव होता। इसी तरह, इसने मुझे बड़े लाल अजगर की कमज़ोर और जीर्ण-शीर्ण छवि दिखायी। मैंने इसकी अमानवीयता और जीवन के लिए अनादर के राक्षसी सार को समझा और मुझे इससे घृणा हुई और मैंने अपने हृदय में इसे शाप दिया। मैंने इसके साथ सभी संबंधों को पूरी तरह से तोड़ने और हमेशा के लिए मसीह का अनुसरण करने और मसीह की सेवा करने की कामना की।
अगले दिन, दुष्ट पुलिस आई और उसने मुझसे फिर से पूछताछ की, वे वास्तव में आश्चर्यचकित थे और उन्होंने कहा: "तेरे चेहरे को क्या हुआ?" जब मैंने आईने में देखा, तो मैं स्वयं को पहचान नहीं सकी। दुष्ट पुलिस ने एक दिन पहले मेरे चेहरे पर रस्सी से प्रहार किए थे जिससे यह किसी पांडा भालू जैसा सूज गया था और काला और नीला पड़ गया था। जब मैंने देखा कि मेरा चेहरा इतना बादल गया है कि पहचान में नहीं आ रहा, तो मुझे बड़े लाल अजगर से बुरी तरह नफ़रत महसूस हुई और मैंने गवाही देने का संकल्प लिया। मैं इसकी साज़िश को बिल्कुल भी सफल नहीं होने दे सकती! मेरे पैरों पर इतनी बुरी तरह मारा गया था कि मैं नहीं चल सकती थी और जब मैं शौचालय में गयी, तो मैं देख सकती थी कि मेरे दोनों पैरों में कुछ भी सामान्य नहीं रह गया था, पूरा पैर काला और नीला पड़ गया था। दुष्ट पुलिसकर्मियों में से एक ने कहा: "तुझे इस तरह से कष्ट भुगतने की ज़रूरत नहीं है; अगर तू बता दे तो तुझे भुगतना नहीं पड़ेगा; तू स्वयं अपने साथ ऐसा कर रही है! इसके बारे में सोच; स्वीकार कर ले और हम तुझे तेरे पति और बेटी के पास घर भेज देंगे।" उन्हें यह कहते हुए सुनकर, मैं उनसे पूरी तरह से नफ़रत करने लगी थी। इसके बाद, उन्होंने अपना तरीका बदल दिया और मुझे एक पल भी सोने न देने के लिए पारियों में काम करने लगे। जैसे ही मैं सोने लगती, तो वे चिल्लाते और मुझे जगाने के लिए बहुत शोर करते; वे मुझे सोने न देकर मेरी इच्छाशक्ति को तोड़ने का प्रयास करते थे ताकि मैं बेहोशी और भ्रम की स्थिति में अपना मुँह खोल दूँ। मेरी रक्षा करने के लिए मैंने परमेश्वर को धन्यवाद दिया। भले ही दुष्ट पुलिसवालों ने मुझे चार दिन और चार रात इसी स्थिति में रखा, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ा कि उन्होंने मुझसे पूछताछ किस तरह से की, मैं सहनशक्ति और विश्वास के लिए परमेश्वर पर भरोसा करती थी, और न केवल मैं सुध नहीं खोयी, बल्कि मैं बहुत सतर्क थी। दुष्ट पुलिस ने मुझसे जितनी बार पूछताछ करते, वे उतना ही अधिक निराश और हतोत्साहित हो जाते थे। उन्होंने अधूरे मन से पूछताछ करनी शुरू कर दी; वे कोसते थे और बड़बड़ाते थे, वे नाराज थे कि मैंने उनकी भूख खत्म कर दी थी, उन्हें अच्छी तरह से आराम नहीं लेने दिया था। वे मुझसे पीड़ित हो गए थे, उन्हें महसूस होता था कि वे बहुत दुर्भाग्यशाली हैं। आखिर में, उन्होंने बस मुझसे यूँ ही प्रश्न पूछे क्योंकि उनमें मुझसे पूछताछ करने की अब और इच्छाशक्ति नहीं थी। लड़ाई के इस क्रम में शैतान फिर से विफल हुआ।
दुष्ट पुलिस ने इसे इतने पर ही नहीं छोड़ा, उन्होंने मेरा शील भंग करने का प्रयास किया। एक दुष्ट पुलिसकर्मी आया और मेरी ठोड़ी के नीचे अपनी अँगुलियाँ लगाई, मेरा हाथ पकड़कर मेरा नाम पुकारा। "प्यार भरी" आवाज़ में उसने कहा: "तुम बहुत सुंदर हो; यहाँ इतना अधिक कष्ट झेलने का कोई मतलब नहीं है। तुम्हारी जो भी कठिनाइयाँ हैं, उन्हें हल करने में मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ। परमेश्वर पर विश्वास से तुम्हें कुछ नहीं मिला है। मेरे पास दो घर हैं, एक दिन, कुछ मज़ा लेने के लिए मैं तुम्हें वहाँ ले जाऊँगा; हम दोनों एक भागीदारी कर सकते हैं। यदि तू स्वीकार करती है, तो तू मुक्त हो जाएगी। जो कुछ भी तुम चाहो, मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ। मैं तुम्हारे साथ गलत तरीके से व्यवहार नहीं करूँगा...।" जब मैंने उसके निर्लज्ज, गंदे झूठों को सुना, तो मुझे उल्टी सी आने लगी और मैंने सीधे इनकार कर दिया। उसके पास अपनी दुम दबा कर पीछे हटने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था। इससे मुझे इन निंदनीय और बेशर्म तथाकथित "लोगों की पुलिस" के बारे में अच्छी तरह से समझ आ गय। वे अपने प्रयोजनों को पूरा करने के लिए बिना शर्म किए निंदनीय और अश्लील तरीकों का उपयोग करते हैं; उनके पास कोई गरिमा या सत्यनिष्ठा नहीं है; वे वास्तव में दुष्ट गंदी आत्माएँ हैं!
दुष्ट पुलिस के पास एक के बाद दूसरी कुटिल साजिश थी और मुझे मजबूर करने के प्रयास करने में उन्होंने मेरे परिवार के सदस्यों का शोषण किया और कहा: "तू केवल परमेश्वर पर विश्वास करती है, तू अपने पति, बेटी, माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों के बारे में नहीं सोच रही है; किसी दिन तेरी बेटी विद्यालय जाएगी और काम की तलाश करेगी। अगर तू अपनी आस्था पर चलती रही तो यह उसकी भावी संभावनाओं को सीधे प्रभावित करेगा। क्या तू उसके साथ ऐसा होने देगी? तू उसके बारे में नहीं सोच रही है; क्या तू उसे इसमें शामिल होने देगी?" इसके बाद, वे मेरे पति, बेटी और चाची को मुझे समझाने का प्रयास करने के लिए ले आए। जब मैंने अपनी बेटी को देखा जिसे मैंने कई वर्षों से नहीं देखा था, तो मेरे आँसू लगातार बहने लगे। इस पल, मैंने अपनी पूरी शक्ति के साथ परमेश्वर से प्रार्थना की: "हे परमेश्वर, मैं तुझसे मेरे हृदय की रक्षा करने के लिए प्रार्थना करती हूँ, क्योंकि मेरी देह बहुत कमज़ोर है। इस समय, मैं शैतान की चालाकियों का शिकार नहीं बन सकती हूँ और भावनाओं में पड़ने के लिए शैतान द्वारा प्रलोभित नहींकी जा सकती हूँ; मैं तेरे साथ विश्वासघात नहीं कर सकती हूँ या अपने भाई- बहनों को धोखा नहीं दे सकती हूँ; मैं परमेश्वर से केवल मेरे साथ होने और मुझे विश्वास और सामर्थ्य देने के लिए प्रार्थना कर सकती हूँ।" मेरी चाची ने मुझसे कहा: "जल्दी करो और बोल दो, तुम इतनी मूर्खता क्यों कर रही हो? क्या परमेश्वर पर अपने विश्वास के लिए इस तरह से पीड़ित होने का कोई फ़ायदा है? अगर कुछ हो जाता है तो तुम्हारी देखभाल कौन करेगा? तुम्हारी माँ और पिताजी तुम्हारे बारे में चिंतित हैं, वे हर दिन तुम्हारे बारे में चिंता करते रहते हैं, वे अच्छी तरह से खा या सो नहीं सकते हैं। तुम्हें हमारे बारे में सोचना होगा और वापस आकर हमारे साथ जीना होगा। परमेश्वर में विश्वास मत करो। परमेश्वर में अपने विश्वास की वजह से तुमने जिन कठिनाइयों को झेला है उन्हें देखो;तुम इतनी परेशानी क्यों मोल ले रही हो?" भले ही मैं निर्बल थी, फिर भी मैं परमेश्वर द्वारा संरक्षित थी और मुझे पता था कि यह एक आध्यात्मिक संघर्ष है और मैं शैतान की चालाकियों की वास्तविक प्रकृति को समझ पा रही थी; परमेश्वर के वचनों ने मेरे हृदय में मुझे याद दिलाया कि: "... तुम्हें अपनी किसी प्यारी चीज़ से अलग होने की अनिच्छा, या बुरी तरह रोने के बावजूद तुम्हें अवश्य परमेश्वर को संतुष्ट करना चाहिए" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जिन्हें पूर्ण बनाया जाना है उन्हें शोधन से गुजरना होगा)। उस समय, मैंने उनसे कहा: "चाची, मुझे समझाने का प्रयास मत कीजिए, मैंने वह सब कह दिया है जो मुझे उनसे कहना चाहिए। मुझे नहीं पता कि मुझे उन्हें और क्या कहना चाहिए। वे मुझसे जैसा भी चाहे वैसा व्यवहार कर सकते हैं, यह उन पर निर्भर करता है। आपको मेरे बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए। आपको वापस चले जाना चाहिए!" जब दुष्ट पुलिस ने मेरा दृढ़ रवैया देखा, तो उनके पास मेरे परिवार को जाने देने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था। दुष्ट पुलिस की चालाकियाँ और षड्यंत्र विफल हो गए थे, और वे इंटने गुस्से में थे कि उन्होंने दाँत भींचकर मुझसे कहा: "तू सचमुच निष्ठुर है! तू बहुत स्वार्थी है। तुझमें वास्तव में कोई मानवीय प्रकृति नहीं है। तेरा परमेश्वर कहाँ है? यदि वह इतना सर्वशक्तिमान है, तो वह तुझे यहाँ कष्ट क्यों भुगतने देता है? तेरा परमेश्वर आकर तुझे बचाता क्यों नहीं है? यदि वास्तव में कोई परमेश्वर है, तो वह क्यों नहीं आ कर तेरी हथकड़ी खोलता है और तुझे बचाता है? कहाँ है परमेश्वर? इन झूठों से बेवकूफ़ मत बन, मूर्ख मत बन। जागने और सच्चाई को देखने के लिए अभी भी बहुत देर नहीं हुई है। यदि तू स्वीकार नहीं करेगी, तो हम तुझे वर्षों तक के लिए जेल में भेज देंगे!" दुष्ट पुलिस के झूठों के कारण मेरे मन में प्रभु यीशु को सलीब पर चढ़ाए जाने के दृश्य के बारे में विचार आया। मानवजाति को छुड़ाने के लिए परमेश्वर ने व्यक्तिगत रूप से आकर देह धारण किया था; उसने सब कुछ मनुष्य के लाभ के लिए किया था; हालाँकि, फरीसियों और सत्ताधारियों के द्वारा उसका उपहास उड़ाया गया था, उसे कलंकित किया गया था, उस पर दोषारोपण किया गया था, उसे बदनाम, अपमानित किया गया था और उसका वध कर दिया गया था। मानवजाति को बचाने के लिए परमेश्वर ने चरम अपमान झेला था, और अंततः उसे मानवजाति के लिए सलीब पर चढ़ा दिया गया था। परमेश्वर ने समस्त पीड़ा को मानवजाति के लिए झेला था और आज मैं जिस पीड़ा को झेल रही हूँ, यह वही है जो मुझे झेलन चाहिए। क्योंकि मुझमें बड़े लाल अजगर का ज़हर है, उसलिए परमेश्वर एक ओर मेरी परीक्षा लेने के लिए, और दूसरी ओर मुझे बड़े लाल अजगर की दुष्ट प्रकृति को सच में समझने और, बड़े लाल अजगर से घृणा करने और उसका साथ छोडने, और पूरे मन से परमेश्वर का अनुसरण करने देने के लिए इस परिवेश का उपयोग कर रहा है। ठीक जैसे कि परमेश्वर के वचन कहते हैं: "परमेश्वर बुरी आत्माओं के कार्य के एक हिस्से का उपयोग मानव-जाति के एक हिस्से को पूर्ण बनाने के लिए करने का इरादा रखता है, ताकि ये लोग हैवानों के अन्यायपूर्ण कार्यों को पूरी तरह देखने में सक्षम हो सकें और वास्तव में अपने 'पूर्वजों' को जान सकें। केवल इसी तरह से मनुष्य पूरी तरह से स्वतंत्र हो सकते हैं, न केवल शैतान के वंशजों को, बल्कि शैतान के पूर्वजों को भी त्यागकर। बड़े लाल अजगर को पूरी तरह से हराने में यह परमेश्वर का मूल इरादा है : ताकि सभी मनुष्य बड़े लाल अजगर का असली स्वरूप जानें, उसका मुखौटा पूरी तरह से उतारकर उसका वास्तविक स्वरूप देख सकें। परमेश्वर यही प्राप्त करना चाहता है, और यही पृथ्वी पर उसके द्वारा किए गए समस्त कार्य का अंतिम लक्ष्य है; और यही उसका सभी मनुष्यों में हासिल करने का उद्देश्य है। इसे परमेश्वर के प्रयोजन के लिए सभी चीज़ों को जुटाने के रूप में जाना जाता है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, “संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचनों” के रहस्यों की व्याख्या, अध्याय 41)।
अंततः, दुष्ट पुलिस ने मुझे निरोध केंद्र में भेज दिया और मुझे एक महीने तक अपराधी के रूप में हिरासत में रखा गया। इस महीने के दौरान, उन्होंने मुझसे एक बार और पूछताछ की। दो दिन और दो रातों तक, उन्होंने मुझे सोने नहीं दिया और मुझे खाने के लिए पर्याप्त वस्तुएँ नहीं दीं। कभी-कभी वे मुझे कोई भोजन नहीं देते थे, किन्तु इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ। बड़ा लाल अजगर लोगों को इसी तरह से बेइंतिहा यातना देता और सताता है! जब मेरी नजरबंदी खत्म हो गई, तो उन्होंने बिना किसी साक्ष्य के "ज़ी जियाओ में विश्वास करने और समाज की व्यवस्था में विघ्न डालने" के लिए मुझे सश्रम सुधार की दो वर्ष की सजा दी। मेरे श्रम शिविर में जाने से पहले, मेरे परिवार ने निर्वाह खर्च के लिए मुझे 2,000 युआन भेजे थे, किन्तु उन्होंने सब ग़बन कर लिया गया था। ये राक्षस वास्तव में शैतान और दुष्ट आत्मा थे जो रक्त और मानव जीवन के प्यासे थे। यह विशुद्ध रूप से दुष्टता थी! बड़े लाल अजगर के देश में, कोई कानून नहीं है; जो भी इसका विरोध करता है, उसका यह इच्छानुसार वध और शोषण कर सकता है; यह लोगों को नियंत्रित करने और लोगों को सताने के लिए जैसा चाहे वैसा आपराधिक आरोप लगा सकता है। बड़ा लाल अजगर लोगों पर झूठे आरोप लगाता और उन्हें फँसाता है, वह निर्दोष लोगों की हत्या करता है, वह बिना बात की बात बनाता है, और यह अनुचित ढंग से लोगों पर ठप्पा लगा देता है। वे एक वास्तविक और सच्चे कुपंथ हैं, वे संगठित अपराधियों और डकैतों का एक समूह हैं जो मानवजाति पर विपत्तियाँ और आपदाएँ लाते हैं। श्रम शिविर में दो वर्ष तक, मैंने देखा कि चीनी सरकार की दुष्ट पुलिस मजदूरों के साथ दासों के समान बदसलूकी करती है और उन्हें आदेश देती है। वे लोगों को हर दिन भाप में पकाए गए रोल और सब्जी का सूप देते थे; वे रात-दिन हमसे अधिक समय तक कार्य करवाते थे। मैं हर दिन असहनीय रूप से थक जाती थी और मुझे कोई मुआवजा नहीं मिलता था। यदि मैं अच्छा कार्य नहीं करती थी, तो मुझे उनकी कठोर आलोचना और दण्ड मिलता था (बढ़ी सज़ा, भोजन को रोकना, स्थिर खड़े रहने के लिए बाध्य किया जाना)। इस समय के दौरान, दुष्ट पुलिस मुझे अभी भी नहीं छोड़ती थी, वे मुझसे कलीसिया की परिस्थितियों को स्वीकार करवाने का प्रयास करते हुए मुझसे पूछताछ करते थे। मैं इससे अत्यधिक नफ़रत करती थी, परमेश्वर के विश्वास और सामर्थ्य पर भरोसा रखते हुए, मैंने क्रोध से कहा: "तुम लोगों ने मुझे मारा है और मुझे दंड दिया; तुम लोगों को और क्या चाहिए? मुझसे जो अपेक्षित था वह सब कुछ मैंने कह दिया है; तुम लोग मुझसे दस, बीस वर्षों तक पूछताछ कर सकते हो, और मुझे तब भी कुछ नहीं पता होगा। तुम लोग इसके बारे में भूल जाओ!" जब उन्होंने यह सुना, तो उन्होंने भड़कते हुए कहा: "तू लाइलाज है, तू बस यहाँ इंतजार कर सकती है!" अंत में, दुष्ट पुलिसकर्मी अपनी दुम दबा कर चले गए।
बड़े लाल अजगर की अमानवीय यातना और क्रूर व्यवहार और साथ ही अनुचित रूप से दो वर्ष तक जेल में रहने का अनुभव लेने के बाद, मैंने स्पष्ट रूप से देखा था कि बड़े लाल अजगर का सार झूठ, दुष्टता, अहंकार और क्रूरता है। वो मवेशी से भी तुच्छ है। वे "धार्मिक आज़ादी" लिखे बैनर लगाते हैं, फिर वे हर संभव तरीके से परमेश्वर के चुने हुए लोगों का पीछा और उत्पीड़न करते हैं। वे व्यग्रतापूर्वक परमेश्वर के कार्य में विघ्न डाल रहे हैं और उसे तोड़-फोड़ रहे हैं। वे हत्यारे हैं जो निसंकोच मार डालते हैं, वे "दान, न्याय, शांति और धार्मिकता" के चोग़े में लूटमार करने वाले डाकू हैं। अंत में, परमेश्वर के कार्य की बुद्धि के माध्यम से उनके मुखौटे पूरी तरह से टूट गए हैं, और उनके हिंसात्म्क राक्षसी चेहरे प्रकाश में उजागर हो गए हैं ताकि मैं अपनी दृष्टि के दायरे को खोल सकूँ और अपने सपनों से जाग सकूँ। ठीक वैसे ही जैसे कि परमेश्वर का वचन कहता है: "हज़ारों सालों से यह भूमि मलिन रही है। यह गंदी और दुःखों से भरी हुई है, चालें चलते और धोखा देते हुए, निराधार आरोप लगाते हुए,[1] क्रूर और दुष्ट बनकर इस भुतहा शहर को कुचलते हुए और लाशों से पाटते हुए प्रेत यहाँ हर जगह बेकाबू दौड़ते हैं; सड़ांध ज़मीन पर छाकर हवा में व्याप्त हो गई है, और इस पर ज़बर्दस्त पहरेदारी[2] है। आसमान से परे की दुनिया कौन देख सकता है? शैतान मनुष्य के पूरे शरीर को कसकर बांध देता है, उसकी दोनों आंखें बाहर निकालकर उसके होंठ मज़बूती से बंद कर देता है। शैतानों के राजा ने हज़ारों वर्षों तक उपद्रव किया है, और आज भी वह उपद्रव कर रहा है और इस भुतहा शहर पर बारीक नज़र रखे हुए है, मानो यह राक्षसों का एक अभेद्य महल हो; इस बीच रक्षक कुत्ते चमकती हुई आंखों से घूरते हैं, वे इस बात से अत्यंत भयभीत रहते हैं कि कहीं परमेश्वर अचानक उन्हें पकड़कर समाप्त न कर दे, उन्हें सुख-शांति के स्थान से वंचित न कर दे। ऐसे भुतहा शहर के लोग परमेश्वर को कैसे देख सके होंगे? क्या उन्होंने कभी परमेश्वर की प्रियता और मनोहरता का आनंद लिया है? उन्हें मानव-जगत के मामलों की क्या कद्र है? उनमें से कौन परमेश्वर की उत्कट इच्छा को समझ सकता है? फिर, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं कि देहधारी परमेश्वर पूरी तरह से छिपा रहता है : इस तरह के अंधकारपूर्ण समाज में, जहां राक्षस बेरहम और अमानवीय हैं, पलक झपकते ही लोगों को मार डालने वाला शैतानों का सरदार, ऐसे मनोहर, दयालु और पवित्र परमेश्वर के अस्तित्व को कैसे सहन कर सकता है? वह परमेश्वर के आगमन की सराहना और जयजयकार कैसे कर सकता है? ये अनुचर! ये दया के बदले घृणा देते हैं, ये लंबे समय से परमेश्वर का तिरस्कार करते रहे हैं, ये परमेश्वर को अपशब्द बोलते हैं, ये बेहद बर्बर हैं, इनमें परमेश्वर के प्रति थोड़ा-सा भी सम्मान नहीं है, ये लूटते और डाका डालते हैं, इनका विवेक मर चुका है, ये विवेक के विरुद्ध कार्य करते हैं, और ये लालच देकर निर्दोषों को अचेत देते हैं। प्राचीन पूर्वज? प्रिय अगुवा? वे सभी परमेश्वर का विरोध करते हैं! उनके हस्तक्षेप ने स्वर्ग के नीचे की हर चीज़को अंधेरे और अराजकता की स्थिति में छोड़ दिया है! धार्मिक स्वतंत्रता? नागरिकों के वैध अधिकार और हित? ये सब पाप को छिपाने की चालें हैं!" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, कार्य और प्रवेश (8))।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर शाश्वत रूप से बुद्धिमान, सर्वशक्तिमान और अद्भुत है, और शैतान, बड़ा लाल अजगर, शाश्वत रूप से निंदनीय, अशुद्ध और अक्षम है। चाहे वो कितना भी क्रूर और निरंकुश हो, और चाहे वो कैसे भी संघर्ष और विद्रोह करे, यह हमेशा परमेश्वर के लिए अपने चुने हुए लोगों को प्रशिक्षित करने का एक साधनहोगा। इसके अलावा, यह परमेश्वर द्वारा नरक में मार गिराए जाने के अनन्त दंड के लिए अभिशप्त है। यह अपने अमानवीय उत्पीड़न के माध्यम से लोगों की इच्छाशक्ति को तोड़ने का प्रयास करता है ताकि लोग स्वयं को परमेश्वर से दूर कर लें और परमेश्वर को त्याग दें। किन्तु यह ग़लत है! इसका उत्पीड़न निश्चित रूप से हमें दुष्टात्मा के सार को अच्छी तरह दिखाता है। यह हमें पूरी तरह से उसका साथ छोडने के लिए जागृत करता है और जीवन के सही रास्ते पर परमेश्वर का अनुसरण करने के लिए विश्वास और साहस देता है। मैं बुद्धिमान और सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर हमेशा निर्भर रहूँगी। अब से, इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता है कि आगे के रास्ते में कौन से अनकहे खतरे और कठिनाइयाँ आती हैं, मैं दृढ़प्रतिज्ञ हो कर अंत तक परमेश्वर का अनुसरण करूँगी और बड़े लाल अजगर को अपमानित करने के लिए परमेश्वर की जबर्दस्त गवाही दूँगी।
फुटनोट :
1. "निराधार आरोप लगाते हुए" उन तरीकों को संदर्भित करता है, जिनके द्वारा शैतान लोगों को नुकसान पहुँचाता है।
2. "ज़बर्दस्त पहरेदारी" दर्शाता है कि वे तरीके, जिनके द्वारा शैतान लोगों को यातना पहुँचाता है, बहुत ही शातिर होते हैं, और लोगों को इतना नियंत्रित करते हैं कि उन्हें हिलने-डुलने की भी जगह नहीं मिलती।
क. मूल पाठ में "यह असमर्थ होने का प्रतीक है" लिखा है।
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