सुसमाचार के प्रचार का मार्ग

04 फ़रवरी, 2022

मुझे याद है जब मैं पहली बार सुसमाचार साझा करना सीख रहा था, मैं हुबेई में ग्रेज प्रेज़ कलीसिया के सदस्य भाई शू से मिला। जल्दी ही, हमने प्रभु के आगमन के बारे में बातें करनी शुरू कर दी। उन्होंने कहा, उनके अगुआ हमेशा यही कहते थे कि साल 2000 में प्रभु एक बादल पर सवार होकर आएगा और उन्हें अपने राज्य में ले जाएगा। हर किसी ने पूरी आस्था से उसके आगमन की प्रतीक्षा की। मगर साल-दर-साल गुजरते गए, प्रभु अब तक बादल पर सवार होकर नहीं आया। उनके अगुआ नहीं जानते कि इसे कैसे समझाया जाए, इसलिए उन्होंने प्रभु के आगमन के बारे में बात करना ही बंद कर दिया है। कुछ विश्वासी बड़ी उलझन में हैं, वे कहते हैं कि आपदाएं बढ़ती जा रही हैं और प्रभु के आगमन की सभी भविष्यवाणियां पूरी हो चुकी हैं, तो उसे अब तक आ जाना चाहिए था। वे सोचते थे कि उन्होंने अब तक प्रभु को बादल पर सवार होकर आते क्यों नहीं देखा। भाई शू ने कहा, उन्हें भी नहीं पता था कि इस बारे में भाई-बहनों को कैसे समझाया जाये। मैंने सहभागिता करते हुए कहा, "इस सवाल ने धार्मिक जगत के बहुत से लोगों को सांसत में डाल दिया है। इस पर बहुत से लोगों का जोश ठंडा पड़ गया है, कुछ लोग पूछ रहे हैं, प्रभु आपदाओं से पहले आएगा या आपदाओं के बीच या फिर उनके बाद। कुछ लोग कह रहे हैं, यह प्रभु ही तय करेगा, हम तो बस इंतज़ार ही कर सकते हैं। भाई शू, क्या आपको कभी ऐसा लगा है कि प्रभु पहले ही लौट आया है और किसी वजह से हमने इतने बरसों तक उसका स्वागत नहीं किया है? वह कब प्रकट होगा, इसे लेकर शायद हमारी सोच में ही कुछ गलत हो?" मैंने उन्हें एक उदाहरण दिया। अगर कोई महत्वपूर्ण मेहमान सामने के दरवाज़े से आ रहा है, लेकिन हम पिछले दरवाज़े पर इंतज़ार कर रहे हैं, तो हम अलग-अलग जगहों पर हैं, ऐसे में हम उनका स्वागत करने के लिए सैकड़ों साल तक इंतज़ार ही करते रहेंगे। फिर मैंने प्रभु के आगमन की भविष्यवाणियों पर कुछ सहभागिता की। मैंने कहा कि बाइबल को समझने वाला हर इंसान यह जानता है कि बाइबल में सिर्फ प्रभु के बादल पर सवार होकर आने की भविष्यवाणियां ही नहीं हैं, बल्कि कुछ भविष्यवाणियां उसके गुप्त रूप से मनुष्य के पुत्र के रूप में आने की भी हैं। जैसे कि "आधी रात को धूम मची : 'देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो'" (मत्ती 25:6)। "देख, मैं चोर के समान आता हूँ" (प्रकाशितवाक्य 16:15)। "क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा" (मत्ती 24:44)। "क्योंकि जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्‍चिम तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा" (मत्ती 24:27)। ये सभी पद मनुष्य के पुत्र के रूप में प्रभु के दूसरे आगमन की भविष्यवाणी करते हैं। "मनुष्य के पुत्र" का मतलब हमेशा देहधारी परमेश्वर ही होता है, अगर हम प्रभु के आगमन को सिर्फ बादल पर सवार होकर आने तक सीमित कर देते हैं, तो मनुष्य के पुत्र के बारे में वे भविष्यवाणियां कैसे पूरी होंगी? फिर मैंने उनसे कहा, "प्रभु पहले गुप्त रूप से आता है और फिर खुले तौर पर प्रकट होता है। बाइबल की भविष्यवाणियों के आधार पर, परमेश्वर अंत के दिनों में पहले देहधारण करेगा, सत्य व्यक्त करेगा और लोगों के बीच न्याय का कार्य करेगा। जो लोग परमेश्वर की वाणी सुनकर अंत के दिनों के उसके कार्य को स्वीकार करेंगे, उन्हें उसके सिंहासन के सामने उठाया जाएगा। अपने वचनों के न्याय और शुद्धिकरण के ज़रिये परमेश्वर आपदा से पहले विजेताओं का एक समूह बनाएगा, परमेश्वर द्वारा उन्हें पूर्ण किये जाने के बाद, इंसानों के बीच देहधारी परमेश्वर का कार्य पूरा हो जाएगा, फिर वह नेक लोगों को इनाम और बुरे लोगों को दंड देने के लिए आपदाओं की बारिश करेगा। उसके बाद, वह सभी देशों और सभी लोगों के बीच खुले तौर पर एक बादल पर सवार होकर आएगा। ऐसे में, जो लोग आसमान की ओर टकटकी लगाये उसके आने इंतज़ार कर रहे हैं, वे देहधारी परमेश्वर के उद्धार कार्य का लाभ लेने से चूक जाएंगे और आपदाओं में घिरकर रोते और दांत पीसते रह जाएंगे, इससे प्रकाशितवाक्य की यह भविष्यवाणी पूरी हो जाएगी : 'देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे' (प्रकाशितवाक्य 1:7)।" यह सुनकर भाई शू बहुत हैरान हुए। यह सब उनकी पुरानी सोच के बिल्कुल विपरीत था। फिर मैंने सहभागिता की, "प्रभु यीशु ने बहुत पहले ही हमें बताया है कि प्रभु का स्वागत करने के लिए हमें मुख्य रूप से परमेश्वर की वाणी सुननी होगी। प्रभु यीशु ने कहा था, 'मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं; मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं' (यूहन्ना 10:27)। प्रकाशितवाक्य में कहा गया है, 'देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ' (प्रकाशितवाक्य 3:20)। 'जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है' (प्रकाशितवाक्य अध्याय 2, 3)। प्रकाशितवाक्य में सात बार ऐसा क्यों कहा गया है कि हमें पवित्र आत्मा की वाणी सुननी होगी? यह हमारे इस मार्ग की ओर इशारा करता है : प्रभु का स्वागत करने की कुंजी है कलीसियाओं को संबोधित पवित्र आत्मा के वचनों की खोज करना, हर हाल में परमेश्वर की वाणी को सुनना। जो परमेश्वर की वाणी सुनकर प्रभु का स्वागत करते हैं, वे बुद्धिमान कुंवारियां हैं। जो परमेश्वर की वाणी नहीं सुनते हैं, वे मूर्ख कुंवारियां हैं जो प्रभु का स्वागत नहीं कर पाएंगी।" यह सब सुनकर हैरानी से भाई शू की आँखें चौड़ी हो गईं और वे हाँ में सिर हिलाने लगे।

फिर मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों का एक अंश पढ़कर सुनाया। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "मैं कभी यहोवा के नाम से जाना जाता था। मुझे मसीहा भी कहा जाता था, और लोग कभी मुझे प्यार और सम्मान से उद्धारकर्ता यीशु भी कहते थे। किंतु आज मैं वह यहोवा या यीशु नहीं हूँ, जिसे लोग बीते समयों में जानते थे; मैं वह परमेश्वर हूँ जो अंत के दिनों में वापस आया है, वह परमेश्वर जो युग का समापन करेगा। मैं स्वयं परमेश्वर हूँ, जो अपने संपूर्ण स्वभाव से परिपूर्ण और अधिकार, आदर और महिमा से भरा, पृथ्वी के छोरों से उदित होता है। लोग कभी मेरे साथ संलग्न नहीं हुए हैं, उन्होंने मुझे कभी जाना नहीं है, और वे मेरे स्वभाव से हमेशा अनभिज्ञ रहे हैं। संसार की रचना के समय से लेकर आज तक एक भी मनुष्य ने मुझे नहीं देखा है। यह वही परमेश्वर है, जो अंत के दिनों के दौरान मनुष्यों पर प्रकट होता है, किंतु मनुष्यों के बीच में छिपा हुआ है। वह सामर्थ्य से भरपूर और अधिकार से लबालब भरा हुआ, दहकते हुए सूर्य और धधकती हुई आग के समान, सच्चे और वास्तविक रूप में, मनुष्यों के बीच निवास करता है। ऐसा एक भी व्यक्ति या चीज़ नहीं है, जिसका मेरे वचनों द्वारा न्याय नहीं किया जाएगा, और ऐसा एक भी व्यक्ति या चीज़ नहीं है, जिसे जलती आग के माध्यम से शुद्ध नहीं किया जाएगा। अंततः मेरे वचनों के कारण सारे राष्ट्र धन्य हो जाएँगे, और मेरे वचनों के कारण टुकड़े-टुकड़े भी कर दिए जाएँगे। इस तरह, अंत के दिनों के दौरान सभी लोग देखेंगे कि मैं ही वह उद्धारकर्ता हूँ जो वापस लौट आया है, और मैं ही वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर हूँ जो समस्त मानवजाति को जीतता है। और सभी देखेंगे कि मैं ही एक बार मनुष्य के लिए पाप-बलि था, किंतु अंत के दिनों में मैं सूर्य की ज्वाला भी बन जाता हूँ जो सभी चीज़ों को जला देती है, और साथ ही मैं धार्मिकता का सूर्य भी बन जाता हूँ जो सभी चीज़ों को प्रकट कर देता है। अंत के दिनों में यह मेरा कार्य है। मैंने इस नाम को इसलिए अपनाया और मेरा यह स्वभाव इसलिए है, ताकि सभी लोग देख सकें कि मैं एक धार्मिक परमेश्वर हूँ, दहकता हुआ सूर्य हूँ और धधकती हुई ज्वाला हूँ, और ताकि सभी मेरी, एक सच्चे परमेश्वर की, आराधना कर सकें, और ताकि वे मेरे असली चेहरे को देख सकें : मैं केवल इस्राएलियों का परमेश्वर नहीं हूँ, और मैं केवल छुटकारा दिलाने वाला नहीं हूँ; मैं समस्त आकाश, पृथ्वी और महासागरों के सारे प्राणियों का परमेश्वर हूँ" ("वचन देह में प्रकट होता है" में "उद्धारकर्ता पहले ही एक 'सफेद बादल' पर सवार होकर वापस आ चुका है")। उसके बाद, उन्होंने उत्साहित होकर कहा, "यह सब कितना अधिकारपूर्ण है। यह ज़रूर परमेश्वर से ही आया है। कोई इंसान ऐसा नहीं कह सकता!" फिर उन्होंने कहा, "प्रभु की प्रतीक्षा करते हुए, मैंने तो यही जाना है कि धार्मिक जगह के याजक-वर्ग की बात ही सुननी चाहिए, मगर ऐसा करके मैंने पवित्र आत्मा के वचनों को अनदेखा कर दिया। मैं भी कितना बड़ा मूर्ख था!" मैं यह देखकर रोमांचित था कि वे इस बात को कितनी अच्छी तरह समझ रहे हैं। उसके बाद हमने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के बहुत से वचन पढ़े, जैसे कि "देहधारण का रहस्य," "मसीह न्याय का कार्य सत्य के साथ करता है," "परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों को जानना ही परमेश्वर को जानने का मार्ग है," और "केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है।" इन्हें पढ़ते हुए, भाई शू ने भावुक होकर कहा, "सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने उन सभी सत्यों और रहस्यों को प्रकट किया है जिन्हें हम बरसों की आस्था के बाद भी नहीं जान पाये। यह परमेश्वर की वाणी और वचन हैं। प्रभु लौट आया है! आख़िरकार मैंने प्रभु का स्वागत कर लिया है! मुझे यह सुसमाचार फौरन दूसरे भाई-बहनों को भी सुनाना है।" भाई शू और मैं सुसमाचार साझा करने के लिए निकल पड़े। हमने जल्दी ही 20 से ज़्यादा लोगों का मन बदल दिया। उन सभी ने कहा, वे बहुत किस्मत वाले हैं कि उन्होंने अपने जीवनकाल में प्रभु का स्वागत किया, अब वे हर दिन सभाएं करना चाहते थे।

मगर कुछ दिनों बाद जब मैं भाई यांग के साथ एक सभा में गया, तो अंदर जाते ही मुझे कुछ अलग सा महसूस हुआ। उनमें से एक भाई ने मेरे पास आकर कहा, "क्या आप लोग कोई माफिया हैं? आप सुसमाचार साझा कर रहे हैं या पैसे हड़पने की कोशिश कर रहे हैं? अगर आपने सब कुछ अच्छी तरह नहीं समझाया, तो मैं पुलिस को शिकायत कर दूँगा!" सबने हमें घेर लिया, कुछ लोग कहने लगे कि हम उनकी कलीसिया से भेड़ें चुरा रहे हैं। मैंने इस तरह के अनुभव का सामना पहली बार किया था, मुझे नहीं पता था इससे कैसे निबटा जाये। 20 से ज़्यादा लोगों को इस तरह हमसे उलझते देखकर, मुझे घबराहट के साथ थोड़ा डर भी लगने लगा। मैं सोच रहा था कि उन्होंने पुलिस से हमारी शिकायत करने का फैसला कर लिया है, अगर हम पुलिस के हत्थे चढ़ गए, तो क्या पता हमें कैसी-कैसी यातनाएं दी जाएंगी। मैं जल्द से जल्द वहां से निकल जाना चाहता था, और परमेश्वर से हमारा मार्गदर्शन करने की विनती कर रहा था। फिर मैंने परमेश्वर के कुछ वचनों को याद किया : "क्या तूने कभी सोचा है कि परमेश्वर का हृदय कितना व्याकुल और चिंतित है? जिस मानवजाति को उसने अपने हाथों से रचा, उस निर्दोष मानवजाति को ऐसी पीड़ा में दु:ख उठाते देखना वह कैसे सह सकता है? आखिरकार मानवजाति को विष देकर पीड़ित किया गया है। यद्यपि मनुष्य आज तक जीवित है, लेकिन कौन यह जान सकता था कि उसे लंबे समय से दुष्टात्मा द्वारा विष दिया गया है? क्या तू भूल चुका है कि शिकार हुए लोगों में से तू भी एक है? परमेश्वर के लिए अपने प्रेम की खातिर, क्या तू उन जीवित बचे लोगों को बचाने का इच्छुक नहीं है? क्या तू उस परमेश्वर को प्रतिफल देने के लिए अपना सारा ज़ोर लगाने को तैयार नहीं है जो मनुष्य को अपने शरीर और लहू के समान प्रेम करता है?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तुझे अपने भविष्य के मिशन पर कैसे ध्यान देना चाहिए?)। यह सचमुच मेरे दिल को छू गया। सुसमाचार को स्वीकार करने के ठीक बाद मैं भी उनकी ही तरह था, धार्मिक जगत और सीसीपी सरकार के झूठ सुन रहा था। मुझे कुछ संदेह और चिंताएं थीं, मगर मेरे साथ सहभागिता करने के लिए भाई-बहनों ने बार-बार गिरफ्तार होने का खतरा उठाया ताकि मैं उन चिंताओं से बेफिक्र रह सकूँ, आखिरकार मैंने सत्य को समझा, विवेक हासिल किया और परमेश्वर के घर में आ गया। परमेश्वर ने मेरे लिये बड़ी कीमत चुकाई है, मगर मैं खतरे का पहला संकेत देखते ही उन भाई-बहनों को छोड़कर भाग जाना चाहता था। ये तो इंसानियत नहीं थी! परमेश्वर चाहता था कि मैं उसके प्रकटन की राह देख रहे और भी सच्चे विश्वासियों को उसके पास लाऊं, ताकि वे उसके उद्धार को स्वीकार कर सकें। यही परमेश्वर की इच्छा थी। अगर ऐसे वक्त में मैं भगोड़ा साबित हुआ, तो परमेश्वर को बहुत ठेस पहुंचेगी और उसे निराशा होगी। मैं जानता था कि मुझे वहीं डटे रहकर उनके साथ अच्छी सहभागिता करनी होगी, अपना कर्तव्य निभाना होगा। परमेश्वर के वचनों के प्रोत्साहन से, मैंने हिम्मत जुटाई और कहा, "भाइयो और बहनो, मैं समझता हूँ कि आपको कैसा महसूस हो रहा है। आपको अपनी आस्था से भटक जाने का डर है। हम दो हफ़्ते से ज़्यादा समय से हर दिन परमेश्वर के वचनों पर सहभागिता कर रहे हैं। क्या आपने कभी हमें अंडरवर्ल्ड के लोगों जैसा बर्ताव करते हुए देखा है? ज़रा सोचिये। इस दौरान क्या हमने आपसे एक भी पैसा लिया है? नहीं लिया। इस मामले में सावधानी बरतना अच्छी बात है। सबसे ज़रूरी है झूठे मार्ग और सच्चे मार्ग में अंतर करने के सिद्धांतों को समझना। इसके बिना और सत्य की खोज किये बिना, हमेशा दूसरों की बातें सुनने से, आप पक्के तौर पर गलत मार्ग को चुन लेंगे। हम सब जानते हैं कि अनुग्रह के युग में जब प्रभु यीशु कार्य कर रहा था, तब फरीसियों से उसके बारे में तरह- तरह की अफवाहें फैलायीं, ताकि विश्वासियों को उसका अनुसरण करने से रोका जा सके। उन्होंने कहा, यीशु शैतानों के राजा की मदद से शैतानों को बाहर निकाल कर रहा है, उन्होंने झूठी गवाही दी कि यीशु का पुनरुत्थान नहीं हुआ था। यहूदी लोग जिन्होंने प्रभु यीशु के सत्य को सुनने के बजाय आँखें मूंदकर अपने धार्मिक अगुआओं का अनुसरण किया, उनके साथ प्रभु यीशु का विरोध किया और उसकी निंदा की, और आखिर में उसे क्रूस पर चढ़ा दिया, जिसके कारण परमेश्वर ने उन्हें शाप देकर दंडित किया। अब प्रभु यीशु सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में वापस आ गया है, वह मानवजाति को शुद्ध करके बचाने के लिये सभी सत्य व्यक्त कर रहा है। आपने हमारी सभाओं में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को सुना है, आपने यह माना है कि ये वचन सत्य हैं, इनमें अधिकार और सामर्थ्य है। ये साफ तौर पर परमेश्वर से आये हैं। मगर आप यह नहीं सोच रहे हैं कि क्या सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन सत्य और परमेश्वर की वाणी हैं, क्या सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया में पवित्र आत्मा का कार्य और सत्य का पोषण है, बल्कि आँखें मूंदकर याजक-समूह की बातें सुन रहे हैं और सर्वशक्तिमान परमेश्वर को नकार कर उसकी निंदा कर रहे हैं। क्या यह प्रभु को फिर से क्रूस पर चढ़ाना नहीं है?" सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "यीशु की वापसी उन लोगों के लिए एक महान उद्धार है, जो सत्य को स्वीकार करने में सक्षम हैं, पर उनके लिए जो सत्य को स्वीकार करने में असमर्थ हैं, यह दंडाज्ञा का संकेत है। तुम लोगों को अपना स्वयं का रास्ता चुनना चाहिए, और पवित्र आत्मा के ख़िलाफ़ निंदा नहीं करनी चाहिए और सत्य को अस्वीकार नहीं करना चाहिए। तुम लोगों को अज्ञानी और अभिमानी व्यक्ति नहीं बनना चाहिए, बल्कि ऐसा बनना चाहिए, जो पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन का पालन करता हो और सत्य की खोज के लिए लालायित हो; सिर्फ़ इसी तरीके से तुम लोग लाभान्वित होगे। मैं तुम लोगों को परमेश्वर में विश्वास के रास्ते पर सावधानी से चलने की सलाह देता हूँ। निष्कर्ष पर पहुँचने की जल्दी में न रहो; और परमेश्वर में अपने विश्वास में लापरवाह और विचारहीन न बनो। तुम लोगों को जानना चाहिए कि कम से कम, जो परमेश्वर में विश्वास करते हैं उन्हें विनम्र और श्रद्धावान होना चाहिए। जिन्होंने सत्य सुन लिया है और फिर भी इस पर अपनी नाक-भौं सिकोड़ते हैं, वे मूर्ख और अज्ञानी हैं। जिन्होंने सत्य सुन लिया है और फिर भी लापरवाही के साथ निष्कर्षों तक पहुँचते हैं या उसकी निंदा करते हैं, ऐसे लोग अभिमान से घिरे हैं। जो भी यीशु पर विश्वास करता है वह दूसरों को शाप देने या निंदा करने के योग्य नहीं है। तुम सब लोगों को ऐसा व्यक्ति होना चाहिए, जो समझदार है और सत्य स्वीकार करता है। शायद, सत्य के मार्ग को सुनकर और जीवन के वचन को पढ़कर, तुम विश्वास करते हो कि इन 10,000 वचनों में से सिर्फ़ एक ही वचन है, जो तुम्हारे दृढ़ विश्वास और बाइबल के अनुसार है, और फिर तुम्हें इन 10,000 वचनों में खोज करते रहना चाहिए। मैं अब भी तुम्हें सुझाव देता हूँ कि विनम्र बनो, अति-आत्मविश्वासी न बनो और अपनी बहुत बढ़ाई न करो। परमेश्वर के लिए अपने हृदय में इतना थोड़ा-सा आदर रखकर तुम बड़े प्रकाश को प्राप्त करोगे। यदि तुम इन वचनों की सावधानी से जाँच करो और इन पर बार-बार मनन करो, तब तुम समझोगे कि वे सत्य हैं या नहीं, वे जीवन हैं या नहीं। शायद, केवल कुछ वाक्य पढ़कर, कुछ लोग इन वचनों की आँखें मूँदकर यह कहते हुए निंदा करेंगे, 'यह पवित्र आत्मा की थोड़ी प्रबुद्धता से अधिक कुछ नहीं है,' या 'यह एक झूठा मसीह है जो लोगों को धोखा देने आया है।' जो लोग ऐसी बातें कहते हैं वे अज्ञानता से अंधे हो गए हैं! तुम परमेश्वर के कार्य और बुद्धि को बहुत कम समझते हो और मैं तुम्हें पुनः शुरू से आरंभ करने की सलाह देता हूँ! तुम लोगों को अंत के दिनों में झूठे मसीहों के प्रकट होने की वजह से आँख बंदकर परमेश्वर द्वारा अभिव्यक्त वचनों का तिरस्कार नहीं करना चाहिए और चूँकि तुम धोखे से डरते हो, इसलिए तुम्हें पवित्र आत्मा के ख़िलाफ़ निंदा नहीं करनी चाहिए। क्या यह बड़ी दयनीय स्थिति नहीं होगी? यदि, बहुत जाँच के बाद, अब भी तुम्हें लगता है कि ये वचन सत्य नहीं हैं, मार्ग नहीं हैं और परमेश्वर की अभिव्यक्ति नहीं हैं, तो फिर अंततः तुम दंडित किए जाओगे और आशीष के बिना होगे। यदि तुम ऐसा सत्य, जो इतने सादे और स्पष्ट ढंग से कहा गया है, स्वीकार नहीं कर सकते, तो क्या तुम परमेश्वर के उद्धार के अयोग्य नहीं हो? क्या तुम ऐसे व्यक्ति नहीं हो, जो परमेश्वर के सिंहासन के सामने लौटने के लिए पर्याप्त सौभाग्यशाली नहीं है? इस बारे में सोचो! उतावले और अविवेकी न बनो और परमेश्वर में विश्वास को खेल की तरह पेश न आओ। अपनी मंज़िल के लिए, अपनी संभावनाओं के वास्ते, अपने जीवन के लिए सोचो और स्वयं से खेल न करो। क्या तुम इन वचनों को स्वीकार कर सकते हो?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जब तक तुम यीशु के आध्यात्मिक शरीर को देखोगे, परमेश्वर स्वर्ग और पृथ्वी को नया बना चुका होगा)। परमेश्वर के वचनों को सुनकर उन्हें काफी सुकून मिला और एक-एक करके वहां से चले गये।

हमारी मेजबानी कर रहे भाई ली ने बाद में हमें बताया कि उनकी कलीसिया के बड़े अगुआओं ने उन्हें चमकती पूर्वी बिजली का विरोध करने वालीपुस्तिका दी है जिसमें कहा गया है कि हमारा संबंध अंडरवर्ल्ड से है, जो लोगों के पैसे हड़प लेता है। इसी का डर उन लोगों में था। भाई ली ने कहा, "अगर उस पुस्तिका की बातें सही होतीं, तो मैं कभी आपकी मेजबानी नहीं करता, मगर चूंकि आपकी सहभागिता इतनी अच्छी है, मैं आपको बाहर नहीं करना चाहता। और आप इस कड़ाके की सर्दी में कहां जाएंगे? वहां खाने के लिये कुछ बचा है, उसे खाकर आप अटारी वाले कमरे में रात को ठहर सकते हैं।" वे थोड़े सचेत थे। भाई यांग ने कहा, "आज तो उन्होंने जैसे पुलिस को बुला ही लिया था। अगर उनके अगुआ आ जाते, तो क्या पता वे हमारे साथ क्या करते यहाँ रहना खतरनाक है—हमें निकल जाना चाहिए।" मुझे भी डर लग रहा था, मगर फिर मैंने सोचा कि हम सिर्फ इसलिए उन नए विश्वासियों को नहीं छोड़ सकते कि वे अफ़वाहों के झांसे में आ गए हैं। ऐसे मौके पर उन्हें छोड़ देना उनसे मुँह मोड़ लेना होगा। फिर मुझे परमेश्वर के वचनों का यह अंश याद आया। "तुम्हें पता होना चाहिए कि क्या तुम्हारे भीतर सच्चा विश्वास और सच्ची वफादारी है, क्या परमेश्वर के लिए कष्ट उठाने का तुम्हारा कोई इतिहास है, और क्या तुमने परमेश्वर के प्रति पूरी तरह से समर्पण किया है। यदि तुममें इन बातों का अभाव है, तो तुम्हारे भीतर अवज्ञा, धोखा, लालच और शिकायत अभी शेष हैं। चूँकि तुम्हारा हृदय ईमानदार नहीं है, इसलिए तुमने कभी भी परमेश्वर से सकारात्मक स्वीकृति प्राप्त नहीं की है और प्रकाश में जीवन नहीं बिताया है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तीन चेतावनियाँ)। इस पर विचार करने के बाद, मैंने जाना कि सुसमाचार का प्रचार करने में चाहे कितना ही अधिक खतरा और तकलीफ़ क्यों न हो, निजी हितों और सुरक्षा को अनदेखा करना, कीमत चुकाना, लोगों को परमेश्वर के पास लाना, सत्य को समझने और परमेश्वर के उद्धार को स्वीकार करने में उनकी मदद करना, यही तो परमेश्वर में सच्ची आस्था है और यही तो सच्ची निष्ठा है। मैंने प्रभु के प्रेरितों और शिष्यों के बारे में सोचा। उन्होंने सुसमाचार साझा करते हुए बहुत-सी मुश्किलों और उत्पीड़न का सामना किया। कुछ लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया, तो कुछ लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। बाइबल कहती है, "और सारा संसार उस दुष्‍ट के वश में पड़ा है" (1 यूहन्ना 5:19)। ऐसी अँधेरी और बुरी दुनिया में सुसमाचार साझा करना खतरों और मुश्किलों से भरी सड़क पर चलना है। ऐसा करते हुए भला कौन तकलीफ़ नहीं उठाएगा और कीमत नहीं चुकाएगा? मुझे पता था कि मैं पीछे नहीं मुड़ सकता, बल्कि मुझे अपना कर्तव्य निभाने के लिए परमेश्वर पर भरोसा रखना होगा। मैंने भाई यांग के साथ अपने विचारों को साझा किया, उन्होंने भी यहीं रहकर आगे बढ़ने का फैसला किया। हम दोनों ने साथ मिलकर परमेश्वर से प्रार्थना की और उससे राह दिखाने की विनती की, हमें बुद्धि देने और तकलीफ़ों को सहन करने के साथ-साथ मुश्किलों का सामना करने का संकल्प देने की गुहार लगाई।

उस रात कड़ाके की सर्दी में, उस हवादार अटारी वाले कमरे में हम बिल्कुल भी सो नहीं पाये, हमने सहभागिता करते हुए एक दूसरे का हौसला बढ़ाया। हमें अनुभवों से जुड़ा एक भजन याद आया, "परमेश्वर के प्रेम ने मेरे दिल को पिघला दिया है।" "हे परमेश्वर! तेरा प्रेम बहुत वास्तविक है, इसने मेरे हृदय को पिघला दिया है। तू धैर्यपूर्वक इंसान के पश्चाताप की प्रतीक्षा करता है—मैं अब और देरी कैसे कर सकती हूँ? मैंने तेरे प्रेम का इतना आनंद लिया है, मुझे तेरी इच्छा के प्रति और भी विचारशील होना चाहिए; मैंने सत्य का अनुसरण करने और अपने कर्तव्य को अच्छे से निभाने, और तेरे प्रेम का प्रतिदान देने का संकल्प करती हूँ। मैं परीक्षण और शुद्धिकरण को सहने, और तुझे संतुष्ट करने के लिए गवाही देने को तैयार हूँ। मैं सच में तुझसे प्रेम करूँगी और तेरे वचनों के अनुसार जियूँगी; मैं सदा तेरा अनुसरण और तेरी गवाही दूँगी" (मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ)। इसे गाकर मुझे काफी हिम्मत मिली और मैंने महसूस किया कि भले ही हमने तकलीफ़ उठाई है, मगर इन मुश्किलों के दौरान परमेश्वर हर पल हमारे साथ खड़ा था। परमेश्वर के प्रेम और उसने जो कीमत चुकाई है उसकी तुलना में हमारी ज़रा सी तकलीफ़ कोई मायने नहीं रखती है। मैंने सोचा कि कैसे हमारे उद्धार के लिए परमेश्वर ने दो बार देहधारण किया, इतनी तकलीफें सहीं, मगर मैं सुसमाचार फैलाने के दौरान ज़रा सी मुश्किल आते ही शिकायत करने लगा, मैं उन भाई-बहनों को छोड़कर भाग जाना चाहता था। मुझमें कोई विवेक या समझ नहीं थी। मैंने महसूस किया कि मैं परमेश्वर का बहुत ऋणी हूँ। मैंने प्रार्थना की, मैं उसका ऋण चुकाने के लिए अपनी हर चीज़ उसे सौंप देने को तैयार था। जब मैंने इस तरह से सोचा, तो मुझे बुरा नहीं लगा।

अगली सुबह, हमने हमेशा की तरह सूअरों के लिए घास काटने में भाई ली की मदद की। हमने कलीसिया के एक सहकर्मी को रसोई में उनसे यह कहते सुना, "बीती रात हम बिल्कुल भी नहीं सो पाये। मैं उन दो भाइयों के बारे में सोच रहा था जो दो हफ़्तों से हमारे साथ सुसमाचार साझा कर रहे थे। उनमें ऐसी कोई बात नहीं लगती जिनके बारे में उस पुस्तिका में कहा गया है। हमने उनकी यात्रा के खर्चों के लिये थोड़े पैसे भी इकट्ठा किये, मगर उन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया, उन्होंने हमें किताबें भी मुफ़्त में ही दीं। उन्होंने कहा कि जीवन का सजीव जल लोगों को मुफ़्त में मिलना चाहिए। उनका उपदेश भी बहुत शानदार है। यह हम सभी को पोषण देता है और अब हमें उस पर विश्वास है।" उसने आगे कहा, "आपने भाई-बहनों को सभाओं में हिस्सा लेने को लेकर इतना उत्साहित कब देखा था? यह पवित्र आत्मा का कार्य है। मगर जहां तक हमारे याजक-वर्ग की बात है, वे कुछ भी सहभागिता नहीं कर रहे, बल्कि हमेशा अधिक से अधिक भेंटों की माँग करते हैं, और हमें उनको अच्छा खाना भी खिलाना पड़ता है। ये भाई हमारे याजक-वर्ग की तुलना में बेहतर मिसाल पेश कर रहे हैं।" फिर भाई ली ने कहा, "मैं भी सो नहीं पाया। इन भाइयों ने इतने साधारण खान-पान पर भी अपने नाक-भौं नहीं सिकोड़े, वे किसी भी काम में मदद करने को तैयार हैं। वे परिवार की तरह लगते हैं, वे ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगते जैसा कि हमारे अगुआ उनके बारे में कहते हैं। अगुआओं से प्रभावित होकर, कल मैंने उन्हें आधा कटोरा बचा-खुचा खाना दे दिया और उस गंदे-से अटारी वाले कमरे में सोने को कहा। पता नहीं इस कड़ाके की सर्दी में उन्होंने कैसे रात गुजारी। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।" फिर उन्होंने कहा, "मैं यह तय करता हूँ, भले ही दूसरे लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर को न स्वीकारें, मैं तो स्वीकार करूंगा।" उस सहकर्मी ने कहा कि नाश्ते के बाद वह सभा के लिए सभी को इकट्ठा करेगा। इस बातचीत को सुनकर हम बहुत उत्साहित थे, मैंने मन-ही-मन बार-बार परमेश्वर का धन्यवाद किया। थोड़ी और सहभागिता के बाद, सभी भाई-बहन हमेशा की तरह फिर से सभाएं करने लगे, हमने एक को भी नहीं गंवाया। उन्होंने पूरे उत्साह के साथ हमसे कहा कि वे तो अपने याजक-वर्ग के झांसे में आ ही गये थे, प्रभु के स्वागत का मौका करीब-करीब गँवा ही दिया था।

जब उनके याजक-वर्ग ने देखा कि उनके झूठ काम नहीं कर रहे हैं, तो वे अपने लोगों को सच्चे मार्ग से दूर रखने की कोशिश में पागल ही हो गये। एक दिन जब मैं भाई शू से मिलने पहुंचा, तो दरवाज़े पर कदम रखते ही लगा कि वे बहुत डरे हुए हैं, उन्होंने कहा, "आप लोगों को जाना होगा।" मैंने उनसे पूछा कि क्या हुआ, तो उन्होंने कहा, उनके बड़े अगुआ जान गये हैं कि हम वहां सुसमाचार साझा कर रहे थे, वे हमें गिरफ्तार करवाने और पुलिस थाने ले जाने पर अड़े हुए हैं, अब वे हमें नहीं बचा सकते, इसलिए हमें चले जाना चाहिए। उन्होंने हमें बताया कि जब हम उनके घर में सुसमाचार साझा कर रहे थे, तो उनके एक कलीसिया अगुआ ने कहा था कि वो हमें गिरफ्तार करवा देंगे, अब वे आने ही वाले हैं, मगर किसी दुर्घटना की वजह से अब तक नहीं आ सके। हम गिरफ्तार होने ही वाले थे। सच कहूँ, तो मैं उस समय काफी डर गया था, और वहां से निकल जाने की सोचने लगा, मगर फिर मैंने सोचा अगर हम यहां से चले गये और हिम्मत हार गये तो वह शैतान की जीत होगी। इस तरह तो यहां सुसमाचार फैलाया नहीं जा सकेगा। यह सोचकर, मैंने फौरन प्रार्थना की। फिर मैंने परमेश्वर के वचनों के इन अंशों को याद किया : "संसार में घटित होने वाली समस्त चीजों में से ऐसी कोई चीज नहीं है, जिसमें मेरी बात आखिरी न हो। क्या कोई ऐसी चीज है, जो मेरे हाथ में न हो?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 1)। "हमें विश्वास है कि परमेश्वर जो कुछ प्राप्त करना चाहता है, उसके मार्ग में कोई भी देश या शक्ति ठहर नहीं सकती। जो लोग परमेश्वर के कार्य में बाधा उत्पन्न करते हैं, परमेश्वर के वचन का विरोध करते हैं, और परमेश्वर की योजना में विघ्न डालते और उसे बिगाड़ते हैं, अंततः परमेश्वर द्वारा दंडित किए जाएँगे" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 2: परमेश्वर संपूर्ण मानवजाति के भाग्य का नियंता है)। इससे मुझे भरोसा और हिम्मत मिली। सभी चीज़ें परमेश्वर के हाथों में हैं, कोई भी ताकत उसके कार्य को नहीं रोक सकती। उन धार्मिक अगुआओं का आना या न आना, हमारा गिरफ्तार होना या न होना, सब परमेश्वर के हाथों में था। उस समय वे किसी भी तरह हमें पकड़ने को तैयार थे, मगर आधे रास्ते में ही लौट गये, क्या यह पूरी तरह से परमेश्वर का चमत्कारिक कार्य, उसकी योजना और व्यवस्था नहीं थी? मुझे अपनी आस्था पर भरोसा करके, बुद्धि के साथ और परमेश्वर पर आश्रित रहकर आगे बढ़ना था। सिर्फ आस्था के ज़रिये ही मैं परमेश्वर के कर्मों को देख सकता था। परमेश्वर की इच्छा को समझने के बाद, मैंने परमेश्वर के वचनों की मदद से भाई शू के साथ सहभागिता की और फिर उनका डर खत्म हो गया। उन्होंने कहा कि हमें भाई ली के यहां जाकर छिप जाना चाहिए।

एक दिन भाई ली के घर जाते हुए, मैं उनके एक पड़ोसी के घर जा पहुंचा। उसने मुझे रोकते हुए कहा, "क्या आपको डर नहीं लगता? कल ही तो कई पुलिसवाले आपको ढूंढते हुए आये थे। इतनी जल्दी आप वापस क्यों आ गए?" मैंने महसूस किया कि उन्होंने पुलिस को बुलाया था, मैंने सोचा क्या उन्होंने भाई यांग को पकड़ लिया होगा। मैं तेज़ी से भाई ली के घर गया और जब मैंने देखा कि सब लोग वहां मौजूद हैं, तो राहत की साँस ली। उन्होंने बताया कि पुलिस दूसरे शहर के दो सुसमाचार प्रचारकों को घर-घर जाकर ढूंढ रही है, उन्होंने भाई ली के घर के अंदर-बाहर भी ढूँढा। उस समय भाई यांग रसोई में खाना पका रहे थे। पुलिसवालों ने उन्हें गलती से यहीं का समझकर अनदेखा कर दिया। जब मैंने भाई यांग के बाल-बाल बचने के बारे में सुना, तो परमेश्वर का धन्यवाद किया। हम किसी भी समय, कहीं भी परमेश्वर के कर्मों को देख सकते हैं। उनके धार्मिक अगुआ और सीसीपी सरकार सुसमाचार को फैलने से रोकने की कोशिश में पागल हुई जा रही है, मगर भाई-बहनों ने अपने कदम वापस नहीं खींचे। उन्होंने याजक-वर्ग को परमेश्वर के ख़िलाफ़ झूठ फैलाते हुए देखा और उन्हें यह बात समझ आ गई है। इससे, सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करने का उनका संकल्प और मजबूत हो गया। परमेश्वर की बुद्धि सचमुच शैतान की चाल के हिसाब से काम करती है। मैंने इस कहावत की सच्चाई को खुद अनुभव किया।

पुलिस को रिपोर्ट किये जाने या धार्मिक अगुआओं द्वारा हमले और पुलिस की गिरफ्तारी का खतरा हमेशा बना रहता है। मगर मैंने सुसमाचार साझा करने के दौरान अक्सर परमेश्वर के मार्गदर्शन और उसके चमत्कारिक कर्मों को देखा है। एक बार हुनान प्रांत में, एक गृह कलीसिया की मध्य-स्तरीय अगुआ, बहन जियांग और उनके सहकर्मी, भाई चेन ने परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार कर लिया, फिर उन्होंने इसे अपनी कलीसिया के सदस्यों के साथ साझा किया। जल्दी ही 100 से ज़्यादा लोग जुड़ गये। एक दिन, एक भाई ने आकर हमें बताया कि जब उनकी कलीसिया के दूसरे अगुआओं को पता चला कि बहुत-से लोगों ने परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार कर लिया है तो उन्हें बहुत गुस्सा आया, उन्होंने 20 से ज़्यादा लोगों को ट्रक में भरकर चमकती पूर्वी बिजली के लोगों का सामना करने की योजना बना डाली, और कहा कि वे किसी को नहीं छोड़ेंगे। यह सुनकर मेरी चिंता बढ़ गई, मैं यह पक्का करना चाहता था कि हमारे सभी लोग सुरक्षित रहें, और नए विश्वासियों को डराया न जा सके। मैंने फौरन परमेश्वर से प्रार्थना की : "सर्वशक्तिमान परमेश्वर! पहले जब भी मैंने खतरे का सामना किया, तो मैंने हमेशा स्वार्थी बनकर खुद की रक्षा की। मैंने आपके कार्य का काफी अनुभव किया है और आपके बहुत से कर्मों को देखा है। मेरा मानना है कि सब कुछ तुम्हारे हाथों में हैं। मैं इस बार मुँह मोड़कर नहीं भागूंगा, बल्कि पूरी जिम्मेदारी के साथ अपना कर्तव्य निभाऊंगा।" हमने सुसमाचार साझा करने वाले हर किसी को सूचित करने के लिए रात भर काम किया, और परमेश्वर पर भरोसा करके उस चुनौती का सामना करने की तैयारी की। अगली सुबह जब मैंने दरवाज़ा खोला, तो सब कुछ शांत था। भारी बर्फबारी ने सभी रास्तों को जाम कर दिया था, सब कुछ जम गया था। याजक-वर्ग के सभी लोग पहाड़ी के नीचे रहते थे, उन्होंने कितने भी लोगों को इकट्ठा क्यों न किया हो, वे पहाड़ी पर नहीं चढ़ सकते थे। हम बिना किसी चिंता के सुसमाचार साझा करना जारी रख सकते थे। मैंने देखा परमेश्वर के कर्म बहुत अद्भुत हैं। हर कोई बहुत खुश था, सभी लगातार परमेश्वर का धन्यवाद कर रहे थे।

अगले दिन दोपहर को जब हम सात लोग बहन जियांग के यहां सभा के लिए जुटे, तो अचानक उनका बेटा अपनी प्रेमिका के साथ वहां आ गया। हम सभी को जगह देने के हिसाब से उनका घर बहुत छोटा था, इसलिए हमें एक पास के घर में सभा करनी पड़ी। हमारे वहां से निकलते ही बहन जियांग को एक कॉल आया और हमने एक पुलिस अधिकारी को जोर से चिल्लाते हुए सुना, "यह पुलिस की कॉल है! तुम कहां हो? हमने तुम्हारे घर को चारों तरफ से घेर लिया है।" पुलिस ने उस जगह को घेर लिया था जहां हम थोड़ी देर पहले सभा कर रहे थे। अगर हमने आखिरी पलों में बदलाव न किया होता, तो हम सब गिरफ्तार हो जाते। किसी ने यह रिपोर्ट कर दी थी कि बहन जियांग ने लियु जिंग को किडनैप कर लिया है। वह एक नई विश्वासी थी जो सुसमाचार फैलाने में हमारी मदद कर रही थी। बहन जियांग ने लियु जिंग को फ़ोन दिया, पुलिस ने कुछ सवाल करके यह पुष्टि की कि उसे किडनैप नहीं किया गया है, फिर फ़ोन काट दिया। जब बहन जियांग ने पूछा, तो पुलिस ने बताया कि किसी और विश्वासी ने इसकी रिपोर्ट की थी। उन्हें बहुत गुस्सा आया, और बोलीं, "हमारे याजक-वर्ग ने वाकई अपनी सीमा लाँघ दी है! वे खुद को विश्वासी कैसे कह सकते हैं? हमें गिरफ्तार करवाने के लिये झूठ कैसे बोल सकते हैं?" मैंने उनके साथ सहभागिता करते हुए कहा कि 2,000 पहले जब प्रभु यीशु आया था, तब फ़रीसी अपने रुतबे को बचाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने प्रभु यीशु के बारे में झूठ फैलाया, उस पर झूठे आरोप लगाये और उसे गिरफ्तार कराया। उन्होंने उसे रोमन सरकार के हाथों में सौंप दिया और उसे क्रूस पर चढ़ा दिया गया। परमेश्वर के कार्य के ज़रिये वे मसीह-विरोधियों के रूप में उजागर हुए। धार्मिक पादरी और एल्डर उनके आधुनिक समकक्ष हैं। लोगों को बचाने के लिए सर्वशक्तिमान परमेश्वर को सत्य व्यक्त करते देखकर, वे न केवल परमेश्वर की भेड़ों को उसके हाथों में सौंपने से इनकार कर रहे हैं, बल्कि इतने सारे लोगों को सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करते देखकर, उन्हें अपने पदों के खोने का डर सता रहा है, इसलिए वे गुस्से में हैं और भाई-बहनों को गिरफ्तार कराने के लिए पुलिस को रिपोर्ट कर रहे हैं। वे भला फरीसियों से अलग कैसे हैं? क्या वे ऐसे दुष्ट सेवक और मसीह-विरोधी नहीं हैं, जिन्हें परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य के ज़रिये उजागर किया गया है? हालात की गंभीरता को देखते हुए, और सहभागिता करने का समय नहीं था। उस पहाड़ी गाँव में ऐसे और भी बहुत से नये विश्वासी थे जिन्हें अभी तक मजबूत नींव नहीं मिली थी। अगर कलीसिया के याजक-वर्ग ने उन्हें परेशान किया या गिरफ़्तारी का डर दिखाया, तो उनका मजबूत बने रहना मुश्किल होगा, इसलिए हम जल्द से जल्द उनकी मदद करने की योजनाएं बनाने लगे। हम तीन-तीन लोगों की टीम में बंट गये, और उस रात 7 बजे से लेकर अगली सुबह 9 बजे तक लगातार चलते रहे। सड़कें इस कदर बर्फीली थीं कि उन पर चलना करीब-करीब नामुमकिन था। हमने घर्षण के लिए अपने जूतों पर पट्टियां बाँध ली थीं, फिर भी एक-एक कदम उठाना मुश्किल हो रहा था। हम न जाने कितनी बार गिरे, एक भाई के हाथ में चोट आई और हाथ बुरी तरह सूज गया। एक बहन पहाड़ी रास्ते पर चढ़ते-चढ़ते फिसलकरनीचे आ गिरी, वह एक चट्टान से गिरते-गिरते बची। यह देखकर कि हम भाई-बहन उनकी मदद करने के लिए कितनी मेहनत कर रहे हैं, नए विश्वासियों को बहुत हौसला मिला, उन्होंने कहा कि यह सब सिर्फ पवित्र आत्मा के कार्य से ही मुमकिन था। उन्हें और भी ज़्यादा यकीन हो गया कि यही सच्चा मार्ग है।

बर्फीले मौसम के कारण एक के बाद एक करके गाड़ियां टकरा रही थीं। एक दुल्हन के साथ चल रहा सुरक्षाकर्मियों का कारवाँ सड़क पर फिसल गया और कई लोग चट्टान से नीचे गिर जा गिरे। कोई भी जिंदा नहीं बचा। धार्मिक अगुआओं और पुलिस ने पहाड़ पर चढ़ने की हिम्मत नहीं की, इसलिए हमने उस मौके का फायदा उठाकर और सुसमाचार साझा किया। जल्दी ही, 200 से अधिक भाई-बहनों ने परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार कर लिया और धीरे-धीरे उन्हें सच्चे मार्ग की मजबूत नींव मिली। जब बर्फ़ पिघलने लगी, तो कलीसिया का याजक-वर्ग कुछ लोगों को साथ लेकर इन भाई-बहनों को रोकने आया, मगर उन सभी को समझ आ गई थी और उन्होंने उनकी बात सुनने से इनकार कर दिया। इससे उनका गुस्सा इस कदर बढ़ गया कि उन्होंने सभी नये विश्वासियों के नाम लेकर पुलिस में रिपोर्ट कर दी। पुलिस उनके घरों में जाकर उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज देने की धमकी देती रही, सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकार करने वाले किसी भी दूसरे इंसान की रिपोर्ट करने के लिए कहती रही, पुलिस ने उन्हें धमकाया कि अगर वे सब कुछ नहीं बताएंगे, तो उनकी नौकरियां छीन ली जाएंगी। पुलिस की धमकी के कारण एक टीचर ने अपनी आस्था छोड़ दी, मगर ज़्यादातर लोग सहायता मिलने के दौरान मजबूत बने रहे। उन्हें विश्वास था कि वे पीछे हटे बिना इन हालात से बाहर निकल जाएंगे। इससे उन्हें अपनी कलीसिया के याजक-वर्ग की असलियत को जानने में भी मदद मिली। बहन जियांग ने भावुक होते हुए कहा, "मैं हमेशा अपनी कलीसिया के बड़े अगुआओं की बहुत प्रशंसा करती थी, वे जब भी मेरे घर आते, मैं उनका भरपूर स्वागत करती। मगर अब, सिर्फ इसलिए कि मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकार करके प्रभु की वापसी का स्वागत किया है, और अब मैं उनका अनुसरण करते हुए उनकी पूजा नहीं करती, तो उन्होंने मुझ पर किडनैप का झूठा आरोप लगाकर पुलिस में रिपोर्ट कर दी। कितने दुष्ट हैं! वे प्रभु का स्वागत करने वाले सच्चे विश्वासी नहीं, बल्कि मसीह-विरोधियों का गिरोह हैं जो अपने रुतबे के लिए परमेश्वर और उसके लोगों के साथ लड़ रहा है। वे आधुनिक समय के फरीसी हैं।" फिर मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों का एक अंश उसे पढ़कर सुनाया। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "ऐसे भी लोग हैं जो बड़ी-बड़ी कलीसियाओं में दिन-भर बाइबल पढ़ते रहते हैं, फिर भी उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर के कार्य के उद्देश्य को समझता हो। उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर को जान पाता हो; उनमें से परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप तो एक भी नहीं होता। वे सबके सब निकम्मे और अधम लोग हैं, जिनमें से प्रत्येक परमेश्वर को सिखाने के लिए ऊँचे पायदान पर खड़ा रहता है। वे लोग परमेश्वर के नाम का झंडा उठाकर, जानबूझकर उसका विरोध करते हैं। वे परमेश्वर में विश्वास रखने का दावा करते हैं, फिर भी मनुष्यों का माँस खाते और रक्त पीते हैं। ऐसे सभी मनुष्य शैतान हैं जो मनुष्यों की आत्माओं को निगल जाते हैं, ऐसे मुख्य राक्षस हैं जो जानबूझकर उन्हें विचलित करते हैं जो सही मार्ग पर कदम बढ़ाने का प्रयास करते हैं और ऐसी बाधाएँ हैं जो परमेश्वर को खोजने वालों के मार्ग में रुकावट पैदा करते हैं। वे 'मज़बूत देह' वाले दिख सकते हैं, किंतु उसके अनुयायियों को कैसे पता चलेगा कि वे मसीह-विरोधी हैं जो लोगों से परमेश्वर का विरोध करवाते हैं? अनुयायी कैसे जानेंगे कि वे जीवित शैतान हैं जो इंसानी आत्माओं को निगलने को तैयार बैठे हैं?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर को न जानने वाले सभी लोग परमेश्वर का विरोध करते हैं)। तथ्यों और परमेश्वर के वचनों ने हर किसी को यह दिखाया कि धार्मिक अगुआ सिर्फ नाम के लिए परमेश्वर की सेवा करते हैं, मगर असल में वे अपने रुतबे को बचाने में लगे रहते हैं। वे विश्वासियों को मजबूती से अपने काबू में करके रखते हैं, प्रभु के लौटकर आने की बात सुनने पर, वे उसकी खोज या जांच-पड़ताल करने की परवाह नहीं करते। उन्हें बस अपने रुतबे और इसके फायदों के खोने का डर लगा रहता है। वे विश्वासियों को सच्चे मार्ग को स्वीकार करने से रोकने के लिए हर किताबी तरकीब को आजमाते हैं, लोगों को गुमराह करने और डराने के लिए झूठ गढ़ते हैं, यहां तक कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के लोगों को गिरफ्तार करवाने के लिए पुलिस को रिपोर्ट भी कर देते हैं। क्या वे ऐसे शैतान नहीं हैं जो मनुष्यों की आत्माओं को निगल जाते हैं और क्या वे ऐसे मुख्य राक्षस नहीं हैं जो जानबूझकर उन्हें विचलित करते हैं जो सही मार्ग पर कदम बढ़ाने का प्रयास करते हैं? अगर परमेश्वर ने उन्हें उजागर करने के लिए ऐसे हालत नहीं बनाये होते, तो उनकी मसीह-विरोधी प्रकृति और सार को भला कौन देख पाता? हालाँकि उनका याजक-वर्ग पागलों की तरह उनके मार्ग में रुकावट बनने की कोशिश कर रहा था, मगर सभी मजबूती से डटे रहे और देखा कि उनके याजक-वर्ग दरअसल किस तरह के लोग हैं। यह परमेश्वर की बुद्धि और सर्वशक्तिमत्ता थी।

इतने बरसों में, मैंने सिर्फ बुद्धि और गहरी समझ ही हासिल नहीं की है, बल्कि मेरी आस्था भी मजबूत हुई है, मुझे यह और स्पष्ट हो गया है कि धार्मिक जगत और याजक-वर्ग कैसे परमेश्वर के ख़िलाफ़ काम करता है। मैंने खुद यह अनुभव किया है कि परमेश्वर सर्वशक्तिमान है और हर चीज़ पर उसकी सत्ता है। शैतान की दुष्ट ताकतें कितनी ही पागल क्यों न हों, वे कभी परमेश्वर के कार्य को फैलने से नहीं रोक सकतीं। जैसा कि परमेश्वर कहता है, "आज परमेश्वर अपना कार्य करने के लिए संसार में लौट आया है। उसका पहला पड़ाव तानाशाही शासन का नमूना है : नास्तिकता का कट्टर गढ़ चीन है। परमेश्वर ने अपनी बुद्धि और सामर्थ्य से लोगों का एक समूह प्राप्त कर लिया है। इस अवधि के दौरान चीन की सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा उसका हर तरह से शिकार किया जाता रहा है और उसे अत्यधिक पीड़ा का भागी बनाया जाता रहा है, उसे अपना सिर टिकाने के लिए भी कोई जगह नहीं मिली और वह कोई आश्रय पाने में असमर्थ रहा। इसके बावजूद, परमेश्वर अभी भी वह कार्य जारी रखे हुए है, जिसे करने का उसका इरादा है : वह अपनी वाणी बोलता है और सुसमाचार का प्रसार करता है। कोई भी परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता की थाह नहीं पा सकता। चीन में, जो परमेश्वर को शत्रु माननेवाला देश है, परमेश्वर ने कभी भी अपना कार्य बंद नहीं किया है। इसके बजाय, और अधिक लोगों ने उसके कार्य और वचन को स्वीकार किया है, क्योंकि परमेश्वर मानवजाति के हर एक सदस्य को अधिक से अधिक बचाता है, जो वह कर सकता है। हमें विश्वास है कि परमेश्वर जो कुछ प्राप्त करना चाहता है, उसके मार्ग में कोई भी देश या शक्ति ठहर नहीं सकती। जो लोग परमेश्वर के कार्य में बाधा उत्पन्न करते हैं, परमेश्वर के वचन का विरोध करते हैं, और परमेश्वर की योजना में विघ्न डालते और उसे बिगाड़ते हैं, अंततः परमेश्वर द्वारा दंडित किए जाएँगे" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 2: परमेश्वर संपूर्ण मानवजाति के भाग्य का नियंता है)। इस मार्ग पर चलते हुए इतने बरसों में, मैंने सचमुच परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता, बुद्धि और उसके चमत्कारिक कर्मों को देखा है। मैं परमेश्वर का बहुत आभारी हूँ!

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