यातना से मुक्ति और उत्कर्ष

03 नवम्बर, 2019

मो झिजीयन, चीन

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "कई जगहों पर परमेश्वर ने सीनियों के देश में विजेताओं के एक समूह को प्राप्त करने की भविष्यवाणी की है। चूँकि विजेताओं को दुनिया के पूर्व में प्राप्त किया जाना है, इसलिए परमेश्वर अपने दूसरे देहधारण में जहाँ कदम रखता है, वह बिना किसी संदेह के सीनियों का देश है, ठीक वह स्थान, जहाँ बड़ा लाल अजगर कुंडली मारे पड़ा है। वहाँ परमेश्वर बड़े लाल अजगर के वंशजों को प्राप्त करेगा, ताकि वह पूर्णतः पराजित और शर्मिंदा हो जाए। परमेश्वर पीड़ा के बोझ से अत्यधिक दबे इन लोगों को जगाने जा रहा है, जब तक कि वे पूरी तरह से जाग नहीं जाते, वह उन्हें कोहरे से बाहर निकालेगा, और उनसे उस बड़े लाल अजगर को अस्वीकार करवाएगा। वे अपने सपने से जागेंगे, बड़े लाल अजगर के सार को जानेंगे, परमेश्वर को अपना संपूर्ण हृदय देने में सक्षम होंगे, अँधेरे की ताक़तों के दमन से बाहर निकलेंगे, दुनिया के पूर्व में खड़े होंगे, और परमेश्वर की जीत का सबूत बनेंगे। केवल इसी तरीके से परमेश्वर महिमा प्राप्त करेगा" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, कार्य और प्रवेश (6))। मुझे परमेश्वर के इन वचनों के बारे में कुछ बातें साझा करनी हैं।

28 नवंबर, 2002 को जब मैं एक ईसाई कलीसिया के किसी अगुआ को औरों के साथ सुसमाचार सुना रहा था, तभी दर्जन भर पुलिसवाले कमरे में आ धमके। कुछ के पास बंदूकें थीं, कुछ के पास डंडे, वे चिल्लाए अपने हाथों को सिर पर रखो और दीवार की तरफ मुंह करके खड़े हो जाओ। उन्होंने हम सबकी तलाशी ली, हमसे करीब 5,000 युआन और अन्य चीजें छीन लीं। दो युवा बहनें घबरायी हुई थीं, इसलिए मैंने फुसफुसाकर कहा, "डरो मत। सब ठीक होगा। बस परमेश्वर पर भरोसा रखो।" कुछ अधिकारी तुरंत दौड़कर मेरे पास आए और डंडों से पीटने लगे। उन्होंने सब कुछ लूट लिया। एक बहन दूसरे कमरे में छिपी थी, एक अधिकारी ने भीतर घुसकर उसे जबरन बाहर खींच लिया। दूसरे ने खूबसूरत पाकर उसे जबरन छूना शुरू कर दिया। वह उससे लड़ नहीं पाई, बस चीख पड़ी। सौभाग्य से, मकान मालिक के रोकने पर उन्होंने उसे अकेला छोड़ दिया। पुलिस के घृणित व्यवहार से मेरा खून खौल उठा। फिर वे हमें एक वैन में डालकर थाने ले गए जहां उन्होंने हमें हथकड़ी लगाकर, बिना भोजन या पानी के दो दिनों तक एक दालान में छोड़ दिया। उन्होंने एक भाई से कलीसिया के बारे में जानकारी उगलवाने की कोशिश की। जब उसने कुछ नहीं बताया, तो उन्होंने फर्श पर पटककर उसके मुंह में कुत्ते का मल ठूंस दिया। यह उसके धैर्य की इंतहा थी। उसे तड़पते देख, मुझे बहुत गुस्सा आया। पुलिस पर हैवानि‍यत सवार थी! मैंने मन ही मन परमेश्वर से प्रार्थना की कि हमें गवाही देने, शैतान की यातनाएं सहने और दृढ़ता से टिके रहने की शक्ति प्रदान करें।

हमने काउंटी पुलिस ब्यूरो में एक-एक से की जा रही पूछताछ का जवाब देते हुए तीसरी रात बिताई। ब्यूरो के वाइस-चीफ़ ने मुझे लुभाने की कोशिश की, "हमें बताओ तुम्हारी कलीसिया का अगुआ कौन है और कलीसिया का पैसा कहां रखा जाता है, फिर तुम घर जा सकते हो। तुम्हारे घरवाले चाहते हैं कि तुम ठीक-ठाक घर वापस जाओ। अपने लिए नहीं, तो उनके लिए ही बता दो।" दिल में थोड़ा-सा लालच आया, मैंने सोचा, "अगर उन्हें कुछ महत्वहीन बातें बता दूं, तो शायद वे मुझे छोड़ देंगे। अधिक कष्ट नहीं झेलने पड़ेंगे। वापस घर जाकर अपने परिवार की देखभाल कर सकूंगा।" तभी, मुझे परमेश्वर के वचन याद आए: "मैं उन लोगों पर अब और दया नहीं करूँगा जिन्होंने गहरी पीड़ा के दिनों में मेरे प्रति रत्ती भर भी निष्ठा नहीं दिखाई है, क्योंकि मेरी दया का विस्तार केवल इतनी ही दूर तक है। इसके अतिरिक्त, मुझे ऐसा कोई इंसान पसंद नहीं है जिसने कभी मेरे साथ विश्वासघात किया हो, ऐसे लोगों के साथ जुड़ना तो मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है जो अपने मित्रों के हितों को बेच देते हैं। चाहे व्यक्ति जो भी हो, मेरा स्वभाव यही है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, अपनी मंजिल के लिए पर्याप्त अच्छे कर्म तैयार करो)। मुझे एकदम से होश आया। क्या मैं परमेश्वर से गद्दारी करने की सोच रहा था? मुझे एहसास हुआ कि मैं शैतान के जाल में फंस चुका हूं। अगर मैं अपने देह-सुख, परिवार, और आराम को लेकर चिंतित हूं, गद्दार की तरह, परमेश्वर को धोखा देने और अपने भाई-बहनों को बेचने की सोच रहा हूं, तो परमेश्वर की नफरत झेलूंगा, और उनके स्वभाव का अपमान करूंगा! मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की, "भले ही वे मुझे अपंग बना दें या मार डालें, मैं आपके साथ कभी विश्वासघात या गद्दारी नहीं करूंगा।" "अच्छी पुलिस" की छवि को चकनाचूर कर पुलिस ने दिखा दिया कि वे सभी अंदर से शैतान हैं। एक अधिकारी ने अपनी पूरी ताकत के साथ अपने जूते की एड़ी से मेरे पैर के अंगूठे को कुचल दिया। असहनीय पीड़ा के मारे मेरे मुंह से चीख निकल गई। मेरे कपड़े पसीने से लथपथ हो गए। पीड़ा सहते हुए मैंने परमेश्वर से अपने दिल की रक्षा करने और शैतान से मुकाबले के लिए विश्वास और ताकत देने की प्रार्थना की। जब वो अधिकारी रुका, तो मेरे पैर के अंगूठे से खून बहने लगा। मेरे अंगूठे का पूरा नाखून निकल आया। पुलिस मुझसे कुछ भी नहीं उगलवा पायी, लेकिन उन्होंने अभी तक हार नहीं मानी। उन्होंने मुझे, एक दूसरे भाई और एक बहन को आगे की पूछताछ के लिए स्वाट टीम डिवीजन में भेज दिया।

जब हम वहां पहुंचे, तो पुलिस ने हम सबको पूरी तरह से नंगा कर दिया, उन्होंने हमारे हाथ-पैरों में बेडि़यां डाल दीं। और अपमानित करने के इरादे से उन्होंने हमें जंपिंग जैक करने के लिए मजबूर किया। हमारे चारों ओर बहुत सारे पुलिसवाले इकट्ठा होकर हँसने लगे। मुझे बेहद शर्म आई। मैं छलांग लगाते-लगाते अंदर से सुलग रहा था। अगर ये सब खुद मेरे साथ न हुआ होता तो मैं कभी विश्वास न कर पाता कि "जनता की पुलिस" हमें इस तरह के घृणित, नीच और अमानवीय तरीकों से प्रताड़ित कर सकती है। मुझे उन शैतानों से नफरत हो गई। परमेश्वर के वचनों के अनुसार: "हज़ारों सालों से यह भूमि मलिन रही है। यह गंदी और दुःखों से भरी हुई है, चालें चलते और धोखा देते हुए, निराधार आरोप लगाते हुए,[1] क्रूर और दुष्ट बनकर इस भुतहा शहर को कुचलते हुए और लाशों से पाटते हुए प्रेत यहाँ हर जगह बेकाबू दौड़ते हैं; सड़ांध ज़मीन पर छाकर हवा में व्याप्त हो गई है, और इस पर ज़बर्दस्त पहरेदारी[2] है। आसमान से परे की दुनिया कौन देख सकता है? ... धार्मिक स्वतंत्रता? नागरिकों के वैध अधिकार और हित? ये सब पाप को छिपाने की चालें हैं!" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, कार्य और प्रवेश (8))। हम विश्वासी कानून नहीं तोड़ते या किसी को चोट पहुंचाने की चेष्टा नहीं करते। हम तो केवल परमेश्वर का सुसमाचार फैलाते हैं, ताकि लोग उनकी आराधना करें, सत्य को प्राप्त करें, शैतान के चुंगल से मुक्त होकर बचाये जा सकें। लेकिन सीपीपी ने हमें परमेश्वर पर विश्वास करके सही मार्ग पर नहीं चलने दिया, परमेश्वर सुसमाचार फैलाने का तो सवाल ही नहीं था। इसने हमारा पीछा करने, गिरफ्तार करने और बेरहमी से यातना देने की भरसक कोशिश की, वे परमेश्वर के सभी विश्वासियों को मारने के लिए बेताब थे। अब सच्चाई सामने थी, कि सीसीपी बुराई में आकंठ डूबी हुई है, यह सत्य से नफरत और परमेश्वर का विरोध करती है। मुझे इससे नफ़रत हो गई, इसलिए उसे दिल से नकार दिया। मैं गवाही दूंगा, शैतान पर लानत भेजूंगा और अंत में उसे परास्त करुंगा।

पुलिसवालों ने, कलीसिया से जुड़ी जानकारी जुटाने के लिए चार दिन बाद मुझसे फिर पूछताछ की। मैंने ज़बान नहीं खोली, तो वे मुझे और दूसरे भाई को खींचकर अहाते में ले आए। हमारे हाथ-पैरों में बेड़ियां लगी थीं, और सिर पर काले थैले बंधे थे, उन्होंने हमें अहाते के बीच में एक बड़े पेड़ से लटका दिया। गुस्से से पागल होकर, उन्होंने पेड़ पर ढेरों चींटियां छोड़ दीं, जो हमारे ऊपर चढ़ गईं और पूरे शरीर को काट खाया। ऐसा लगा मानो वे मेरी हड्डियों को काट रही हैं। इच्छा हुई कि अभी मर जाऊँ। मुझे पता था कि मैं सह नहीं पाऊंगा, मैंने परमेश्वर से सहायता मांगी ताकि मैं उनके साथ विश्वासघात न करूं। मैंने हिम्मत और सहनशक्ति मांगी। मुझे परमेश्वर के वचन याद आए: "मेरी खातिर सभी लोगों को आखिरी कठिनाई का सामना करना है, ताकि मेरी महिमा सारे ब्रह्मांड को भर सके। क्या तुम लोग मेरी इच्छा को समझते हो? यह आखिरी अपेक्षा है जो मैं मनुष्य से करता हूँ, जिसका अर्थ है, मुझे आशा है कि सभी लोग बड़े लाल अजगर के सामने मेरे लिए सशक्त और शानदार ज़बर्दस्त गवाही दे सकते हैं, कि वे मेरे लिए अंतिम बार स्वयं को समर्पित कर सकते हैं और एक आखिरी बार मेरी अपेक्षाओं को पूरा कर सकते हैं। क्या तुम लोग वाकई ऐसा कर सकते हो? तुम लोग अतीत में मेरे दिल को संतुष्ट करने में असमर्थ थे—क्या तुम लोग अंतिम बार इस प्रतिमान को तोड़ सकते हो?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 34)। परमेश्वर के वचन याद करके मुझे बहुत शर्म आई। मैंने कभी परमेश्वर को प्रसन्न नहीं किया था, लेकिन अब मुझे मज़बूती से शैतान का मुकाबला करना था, मुझे पता था कि अपने शरीर की पीड़ा के कारण मैं परमेश्वर को धोखा नहीं दे सकता। परमेश्वर ही सच्चा सृजनकर्ता और सर्वोच्च सत्ता है। हमें बचाने के लिए, उन्होंने शरीर धारण किया और अपमान झेला, सीपीपी की प्रताड़ना और दुनिया का तिरस्कार सहा, फिर भी वे हमारी खातिर सत्य व्यक्त करते हैं। परमेश्वर ने हमारे लिए इतनी बड़ी कीमत चुकाई। हमारी थोड़ी-सी पीड़ा की उनसे क्या तुलना? परमेश्वर को संतुष्ट करने और उसका गौरव बढ़ाने के लिए मैंने जान देने का निर्णय लिया। यह सोचकर मेरी ताकत लौट आई। इस तरह मैं पल-पल की यातना से निजात पाने के लिए परमेश्वर पर आश्रित हुआ। दो और दिनों के बाद, मैं वास्तव में टूट चुका था। सर्दी की शुरुआत थी और बाहर बारिश हो रही थी। मैं पतली-सी कमीज़ पहने, नंगे पैर पेड़ से लटक रहा था। दो दिनों से मैंने कुछ खाया-पिया नहीं था, मेरा पूरा शरीर ज़ख्मी था। दर्द से बेचैन, मैं मर जाना चाहता था। परमेश्वर से प्रार्थना करता रहा, डरता रहा कहीं मेरे शरीर की कमजोरी उसे धोखा न दे दे। इसी दर्द के बीच, मुझे अनुग्रह के युग के प्रेरित स्तिफनुस का विचार आया जिन्‍हें प्रभु का सुसमाचार फैलाने के कारण भीड़ ने पत्‍थर मारकर मौत के घाट उतार दिया था। मृत्यु से पहले, उसने परमेश्वर से अपनी आत्मा को शरण देने का आग्रह किया, और मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की: "हे प्रभु, अब ये पीड़ा मुझसे बर्दाश्त नहीं होती। मेरी आत्‍मा को अपनी शरण में ले लो। मैं मर जाऊंगा, लेकिन आपके साथ विश्‍वासघात नहीं करूंगा!" और फिर, एक चमत्कार हुआ: मेरी आत्मा ने शरीर छोड़ दिया! मैंने खुद को घास के एक विशाल मैदान पर पाया, जहां तक नज़र जाती, हरी-भरी घास और मवेशी नज़र आते। मुझे बेहद शांति महसूस हुई, और मुंह से परमेश्वर की स्तुति निकलने लगी: "सर्वशक्तिमान परमेश्वर की जय हो, स्वर्ग और पृथ्वी की सभी चीजें तुम्हारी स्तुति करती हैं। सभी स्वर्गदूत तुम्‍हारा गुणगान करते हैं। स्वर्गिक यजमान तुम्‍हारी जय-जयकार करते हैं, समस्त ब्रह्मांड तुम्‍हारी महिमा गाता है, सर्वशक्तिमान परमेश्वर! चमकते सितारे तुम्‍हारा गुणगान करते हैं। आकाश, पृथ्वी और जल, सब तुम्हारी स्‍तुति करते हैं। पर्वत और पहाड़ियां स्तुतिगान करती हैं, लहरें और तरंगे सर्वशक्तिमान परमेश्वर का स्तुतिगान करती हैं। सभी सर्वोच्च स्थान पर, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की स्तुति करते हैं! ... सर्वशक्तिमान परमेश्वर, तुम्‍हारी जय हो! गूंजते जयकारे तुम्‍हारा यशगान करते हैं, गुणगान करते हैं विशाल आकाश सर्वशक्तिमान परमेश्वर का स्तुतिगान करता है। समस्‍त जीव तुम्‍हारी महिमा गाते हैं। महिमा के गायन से पूरी पृथ्वी हिलोरे ले रही है। परमेश्वर तुम्‍हारी जय हो!" मैं अतुलनीय आनंद और शांति से सराबोर हो गया, परम विश्राम की अवस्था में पहुंच गया। पेड़ से लटकते हुए महसूस हुआ जैसे दर्द, भूख, और ठंड, चींटियों के काटने से हुई सारी पीड़ा गायब हो गई। जब मैं आया था, तो रात थी, पुलिस ने मुझे पेड़ से नीचे उतारा। मैं अभी ज़िंदा था, बल्कि, मेरी आत्मा में नई शक्‍ति आ गई थी। यह परमेश्वर की सर्वशक्तिमान और चमत्कारिक सुरक्षा थी! मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर का आभार जताया और स्‍तुति की। मैंने देखा हमारा जीना-मरना परमेश्वर के हाथ में है, उनमें मेरी आस्‍था और दृढ़ हो गई। परमेश्वर के लिए गवाही देने का मेरा संकल्‍प पक्‍का हो गया।

अगले दिन, पुलिस ने मुझसे और कई सवाल किये वे चाहते थे कि मैं कलीसिया से गद्दारी करूं और परमेश्वर को धोखा देकर उनका तिरस्कार करूं। गुस्से में, मैंने कहा, "सर्वशक्तिमान परमेश्वर सृष्टिकर्ता है, एकमात्र सच्चा परमेश्वर जो सभी पर शासन करता है! आप कहते हैं कि झूठ को सच कहकर निर्दोष को फंसा दो।" एक बड़ा पुलिसवाला पगला गया और मुझे एक बेंच से बेतहाशा पीटने लगा। मेरे मुंह से खून बहने लगा और मैं फर्श पर ढेर हो गया। उन्होंने ठंडा पानी छिड़क कर मुझे जगाया और खड़ा करके फिर पीटा। मुझे बहुत कमजोरी महसूस हुई, लेकिन मैंने परमेश्वर के वचनों पर चिंतन किया: "क्या तुम लोगों ने कभी मिलने वाले आशीषों को स्वीकार किया है? क्या कभी तुमने उन वादों को खोजा जो तुम्हारे लिए किए गए थे? तुम लोग निश्चय ही मेरी रोशनी के नेतृत्व में, अंधकार की शक्तियों के गढ़ को तोड़ोगे। तुम अंधकार के मध्य निश्चय ही मार्गदर्शन करने वाली ज्योति को नहीं खोओगे। तुम सब निश्चय ही सम्पूर्ण सृष्टि के स्वामी होगे। तुम लोग निश्चय ही शैतान के सामने विजेता बनोगे। तुम सब निश्चय ही बड़े लाल अजगर के राज्य के पतन के समय, मेरी विजय की गवाही देने के लिए असंख्य लोगों की भीड़ में खड़े होगे। तुम लोग निश्चय ही सिनिम के देश में दृढ़ और अटूट खड़े रहोगे। तुम लोग जो कष्ट सह रहे हो, उनसे तुम मेरे आशीष प्राप्त करोगे और निश्चय ही सकल ब्रह्माण्ड में मेरी महिमा का विस्तार करोगे" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 19)। मैं इतना अभिभूत हो गया कि मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की: "भले ही वे मुझे पीट-पीटकर मार डालें, लेकिन मैं आपके साथ कभी गद्दारी नहीं करूंगा।" पुलिस की कई दिनों की प्रताड़ना के बाद, मेरे शरीर पर जख्म के असंख्‍य निशान और गंभीर चोटें थीं। हफ्ते भर बाद भी, मेरा मूत्र लाल था और उसमें खून आ रहा था। मेरी दायीं किडनी इतनी खराब हो गई थी कि उसमें आज भी दर्द होता है।

एक महीने बाद भी पुलिस के पास कोई सबूत नहीं था, इसलिए उन्होंने मुझे जेल भेजने से पहले, फर्जी साक्ष्‍य बनाकर मेरे हस्‍ताक्षर करवा लिए। तीन महीने बाद, सीसीपी ने कानून को कमज़ोर करने का आरोप लगाकर मुझे एक साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। लेबर कैंप में, खाना कम था और दिन में करीब दस घंटे काम करना पड़ता था। सभी गार्डों ने मेरे साथ बदसलूकी की, पशुओं को हांकने वाले डंडों का इस्तेमाल किया, मुझे अकेले बंद रखा। परमेश्वर की देखभाल और सुरक्षा न होती, तो उन दुष्ट शैतानों ने मुझे मौत के घाट उतार दिया होता। 7 नवंबर, 2003 को मुझे रिहा किया गया, और मुझे आखिरकार उस नरक से मुक्‍ति मिली।

हालांकि मेरे शरीर को काफी नुकसान पहुंचा था सीपीपी द्वारा प्रताड़ित किए जाने के बाद, मुझे विवेक प्राप्त हुआ। मैंने सीसीपी के राक्षसी स्वभाव को देखा, जो सत्य और परमेश्वर से नफरत करता है, मैंने परमेश्वर के चमत्कारिक कर्मों, उसकी सर्वशक्तिमान संप्रभुता का अनुभव किया। तब परमेश्वर में मेरा विश्वास और मजबूत हुआ। मैंने परमेश्वर के वचनों की शक्ति को भी अनुभव किया। परमेश्वर के वचनों ने मुझे शैतान की साजिशों को समझने का रास्‍ता दिखाया, जब मैं मृत्यु के द्वार पर था, तो परमेश्वर के वचनों ने मुझे विश्वास और शक्ति प्रदान की, फिर मैंने सीसीपी शैतानों को परास्‍त कर उनकी यातनाओं और प्रलोभनों से मुक्‍ति पाई। इस अनुभव के बल पर मैंने बड़े लाल अजगर का तिरस्‍कार किया और इससे परमेश्वर का अनुसरण करने का मेरा विश्वास बढ़ा।

फुटनोट :

1. "निराधार आरोप लगाते हुए" उन तरीकों को संदर्भित करता है, जिनके द्वारा शैतान लोगों को नुकसान पहुँचाता है।

2. "ज़बर्दस्त पहरेदारी" दर्शाता है कि वे तरीके, जिनके द्वारा शैतान लोगों को यातना पहुँचाता है, बहुत ही शातिर होते हैं, और लोगों को इतना नियंत्रित करते हैं कि उन्हें हिलने-डुलने की भी जगह नहीं मिलती।

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