उत्पीड़न का सामना करने के द्वारा परमेश्वर के कर्मों को देखना

17 दिसम्बर, 2024

ली चेन, चीन

जुलाई 2018 में आधी रात, एक बहन और मैं हमारी मेजबान के घर पर काम की चर्चा पूरी कर सोने जा रहे थे, जब अचानक हमें दरवाजे पर हलचल और एक कुत्ते के भौंकने की आवाज सुनाई दी—इससे मैं थोड़ी घबरा गई। तभी सात-आठ पुलिस अधिकारी धड़धड़ाते हुए बेडरूम में घुस आए और हमारे हाथों को पीठ के पीछे कर हथकड़ी पहना दी। बिना कोई कागजात दिखाए, वे घर की तलाशी लेने लगे और सब कुछ उलट-पलट दिया। आखिर उन्हें 7,000 युआन नकदी और 350,000 युआन की कलीसिया के पैसों की रसीद मिल गई। मैं काफी डर गई—रसीद मिलने के बाद पुलिस उन पैसों का पता-ठिकाना जानने की कोशिश जरूर करेगी। मैं नहीं जानती थी कि वे मुझे कैसी यातनाएं देंगे या कहीं पीट-पीट कर मार ही न डालें। मैंने फौरन दिल-ही-दिल में एक प्रार्थना की, परमेश्वर से मुझे शक्ति और अपनी सुरक्षा देने की विनती की, ताकि मैं यहूदा न बनूँ और उसे धोखा न दूं। फिर मुझे एक भजन “जीवन की गवाही” याद आया : “परमेश्वर की गवाही देने के कारण मुझे ले लिया जाएगा हिरासत में एक दिन और यातना दी जाएगी। यह पीड़ा है धार्मिकता के लिए, जो मैं जानता हूँ अपने दिल में। अगर मेरी ज़िंदगी पलक झपकते ही गुज़र जाती है, मुझे फिर भी है फ़ख्र मसीह के पीछे चलने का इस जीवन में उसकी गवाही देने का” (मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ)। सही बात है। आस्था रखना न्याय-संगत बात है, फिर चाहे मुझे कैसी भी क्रूर यातना का सामना करना पड़े, यह पीड़ा धार्मिकता की खातिर होगी। मैं कायर या डरपोक नहीं बन सकती—मुझे परमेश्वर पर आश्रित रहकर इस मुसीबत का सामना करना होगा। यह बात मन में आते ही, मैं धीरे-धीरे शांत हो गई।

उस दिन दोपहर में, पुलिस हम दोनों को अलग से पूछताछ करने के लिए एक होटल में ले गई। लियु नाम का एक अफसर चिल्लाया, “चलो, इन धार्मिक मामलों की सच्चाई फटाफट हमारे सामने उगल दो! 350,000 युआन की रसीद का क्या मामला है?” मैंने सोचा, “ये पैसे कलीसिया के हैं—इसका उन लोगों से कोई लेना-देना नहीं है। मैं उन्हें कुछ भी क्यों बताऊँ?” इसलिए मैं चुप ही रही। तब अफसर लियु ने गुस्से में मेरे चेहरे पर जोर का तमाचा मारा, जिससे मेरा चेहरा पीड़ा से जलने लगा। उसने मेरी गर्दन के आसपास के प्रेशर पॉइंट को बहुत जोर से दबाया, मगर मैंने दर्द के मारे अपने दांत भींच लिए और एक शब्द भी नहीं बोला। फिर एक मोटे-से अफसर ने कहा, “चलो, मैं तुम्हें थोड़ी कसरत करा देता हूँ।” उसने मेरे बालों को कसकर पकड़ लिया और ऊपर-नीचे झटके देते हुए मुझे उठक-बैठक कराने लगा। पचास-साठ बार ऐसा करने के बाद, मेरे सिर की खाल में तेज़ दर्द होने लगा और बाल जड़ से उखड़ने लगे। फिर उन्होंने एक कुर्सी खींची और उसे मेरे पीछे उल्टा करके रख दिया, जिससे कुर्सी का पिछला हिस्सा मेरी पीठ से लग गया। उन्होंने हथकड़ी बंधे मेरे हाथों को कुर्सी के पिछले हिस्से में डाल दिया जिससे वे कुर्सी की सीट पर आ गए। मैं जमीन पर बैठी थी और मेरे पैर सीधे सामने की ओर फैले हुए थे। वे लगातार मुझसे 350,000 युआन के बारे में जानकारी मांगते रहे; जब उन्होंने देखा कि मैं कुछ नहीं बताऊंगी, तो वैसी ही यातनाएं देना जारी रखा। कुछ समय बाद, मेरे कंधों के जोड़ों में भयंकर दर्द होने लगा और लगा जैसे मेरी पीठ टूट गई हो। हथकड़ी के कुंडे मेरी चमड़ी में धंसे जा रहे थे। भयंकर पीड़ा से कांपते हुए, शरीर से लगातार पसीना बहता रहा, लगा मैं अब इसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी। मैं दिल-ही-दिल में परमेश्वर से प्रार्थना कर मुझे शक्ति देने और मेरी देखरेख करने की विनती करती रही, ताकि मैं मजबूती से डटी रहूँ। तभी मुझे परमेश्वर के वचनों का एक अंश याद आया : “जब तुम कष्टों का सामना करते हो, तो तुम्हें देह की चिंता छोड़ने और परमेश्वर के विरुद्ध शिकायतें न करने में समर्थ होना चाहिए। जब परमेश्वर तुमसे अपने आप को छिपाता है, तो उसका अनुसरण करने के लिए तुम्हें अपने पिछले प्रेम को डिगने या मिटने न देते हुए उसे बनाए रखने के लिए विश्वास रखने में समर्थ होना चाहिए। परमेश्वर चाहे कुछ भी करे, तुम्हें उसकी योजना के प्रति समर्पण करना चाहिए, और उसके विरुद्ध शिकायतें करने के बजाय अपनी देह को धिक्कारने के लिए तैयार रहना चाहिए। जब परीक्षणों से तुम्हारा सामना हो, तो तुम्हें परमेश्वर को संतुष्ट करना चाहिए, भले ही तुम फूट-फूटकर रोओ या अपनी किसी प्यारी चीज से अलग होने के लिए अनिच्छुक महसूस करो। केवल यही सच्चा प्यार और विश्वास है(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जिन्हें पूर्ण बनाया जाना है उन्हें शोधन से गुजरना होगा)। परमेश्वर के वचनों से मैंने जाना कि वह मेरी आस्था और प्रेम को पूर्ण करने के लिए शैतान को मुझे सताने दे रहा है, वह देखना चाहता है कि क्या मैं इस पीड़ा का सामना करते हुए अपनी गवाही में अडिग रहकर परमेश्वर को संतुष्ट कर सकती हूँ या नहीं। शैतान मुझे शारीरिक यातनाएं दे रहा था ताकि मैं परमेश्वर को धोखा दे दूं, मगर मैं उसके आगे हार नहीं मान सकती थी। परमेश्वर का इरादा समझ लेने पर, मुझे अनजाने में ही आंतरिक शक्ति मिली और मैं इस पीड़ा को बर्दाश्त कर पाई।

अगले दिन, पुलिस मुझसे कलीसिया के पैसों के बारे में पूछताछ करती रही। मगर मैं अब भी कुछ नहीं बोली, तो उनमें से एक ने लैक्रिमैटर की बोतल निकाली—यह ऐसा तरल पदार्थ है जो आँखों में आँसू ला देता है। इसे मेरे चेहरे के सामने हिलाते हुए उसने कहा, “अगर ये चीज तुम्हारे चेहरे पर छिड़क दी गई, तो तुम्हारी आँखों और नाक से लगातार पानी बहने लगेगा। इससे बहुत ही ज्यादा तकलीफ होती है। अगर तुम अब भी नहीं बोलोगी, तो हम तुम पर इसका इस्तेमाल करेंगे।” अफसर लियु ने गुस्से में कहा, “मिर्च का पानी डालो इस पर—तब पता चलेगा!” इसके बाद, वे एक टाइगर चेयर लेकर आए और मुझे यह कहकर धमकाया, “अगर तुम नहीं बोलोगी, तो हम तुम पर इसका इस्तेमाल करेंगे और बिजली के डंडे से झटके दे-देकर मार डालेंगे!” इससे मुझे काफी डर लगा—अगर वे मुझे इसी तरह यातना देते रहे, तो क्या मैंने इसे बर्दाश्त कर पाऊँगी? फिर मुझे परमेश्वर के वचन याद आए : “डरो मत, सेनाओं का सर्वशक्तिमान परमेश्वर निश्चित रूप से तुम्हारे साथ होगा; वह तुम लोगों के पीछे खड़ा है और तुम्हारी ढाल है(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 26)। परमेश्वर के वचनों से मुझे खुद को शांत करने में मदद मिली। यह सही था—मैं अकेली इस उत्पीड़न और मुश्किल का सामना नहीं कर रही थी, बल्कि परमेश्वर मेरे साथ था; परमेश्वर मेरा रक्षक था। पुलिस चाहे मुझे कितनी भी यातना दे, परमेश्वर इस मुश्किल वक्त में मेरा मार्गदर्शन और मेरी मदद करेगा। जब परमेश्वर मेरे साथ था, तो मुझे डर किस बात का। यह देखकर कि मैं अब भी कुछ नहीं बोल रही, अफसरों ने लैक्रिमैटर की बोतल और प्लास्टिक का थैला उठाया और मुझे खींचकर बाथरूम में ले गए। मैं समझ सकती थी कि वे लोग प्लास्टिक का थैला मेरे सिर पर डालने वाले थे, तो उनके ऐसा करने से ठीक पहले, मैंने एक गहरी साँस ली और उसे अंदर रोक लिया। करीब 40 सेकंड बाद, उन्होंने थैला हटाया और झट से मेरे चेहरे पर लैक्रिमैटर छिड़क दिया। क्योंकि मैंने अभी तक अपनी साँस रोक रखी थी, तो इससे मेरा दम नहीं घुटा। इसके बजाय दो अफसरों को इसका असर हो गया और वे खांसने लगे। उन्होंने फिर से प्लास्टिक का थैला मेरे सिर पर डाल दिया, इस बार करीब एक मिनट के लिए। उन्होंने फिर से लैक्रिमैटर छिड़का, इस बार उसकी मात्रा पहले से अधिक थी। हैरानी की बात थी कि मेरी गर्दन और चेहरे पर बस थोड़े जलन का एहसास हुआ—कोई और बुरा असर नहीं हुआ। पुलिस के पास मुझे वापस कमरे में लेकर जाने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं था। मेरा दिल भर आया। मैंने सच में परमेश्वर का कार्य देखा था और महसूस किया था कि परमेश्वर मेरे साथ खड़े रहकर मेरी मदद कर रहा था। उसके बाद, उन्होंने मेरे चेहरे पर जोर का तमाचा जड़ा और मेरे प्रेशर पॉइंट को दबाया। मेरे बालों को झटके देकर मुझे उठक-बैठक कराया और फिर से मेरे हाथों को कुर्सी के पीछे डाल दिया। इसी तरह वे बार-बार मुझे यातना देते रहे; मैं लगातार प्रार्थना करती हुई मजबूती से डटी रही।

चौथे दिन दोपहर तक, यह देखकर कि मैं अब भी उन्हें कुछ नहीं बता रही, अफसर लियु ने मेरी ठुड्डी पर जोर से चिकोटी काटी और क्रूरता से कहा, “तुम्हारे जैसे मामलों में पूछताछ की कोई समयसीमा नहीं होती। राष्ट्रीय सरकार ने आदेश दिया है कि तुम जैसे लोगों को या तो मार डाला जाए, हवालात में बंद रखा जाए या प्रायश्चित्त के लिए मजबूर किया जाए। हमारे पास काफी समय है। अगर तुमने अपना मुँह नहीं खोला, तो आज दोपहर में इसका अंजाम भुगतने को तैयार रहना!” मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा, मुझे नहीं पता वे मुझे किस तरह की यातना देने वाले हैं। मैं बेहद घबराई हुई थी। मैंने मन-ही-मन परमेश्वर से प्रार्थना की, उससे मुझे आस्था और हिम्मत देने की विनती की। फिर मुझे परमेश्वर के वचन याद आए : “तुम लोग निश्चय ही मेरी रोशनी के नेतृत्व में, अंधकार की शक्तियों के गढ़ को तोड़ोगे। तुम अंधकार के मध्य निश्चय ही मेरी रोशनी का मार्गदर्शन नहीं खोओगे। तुम सब निश्चय ही सम्पूर्ण सृष्टि के स्वामी होगे। तुम लोग निश्चय ही शैतान के सामने विजेता बनोगे। तुम सब निश्चय ही बड़े लाल अजगर के राज्य के पतन के समय मेरी विजय के सबूत के रूप में असंख्य लोगों की भीड़ में खड़े होगे। तुम लोग निश्चय ही सिनिम के देश में दृढ़ और अटूट खड़े रहोगे। तुम लोग जो कष्ट सह रहे हो, उनसे तुम मेरे आशीष प्राप्त करोगे और निश्चय ही सकल ब्रह्माण्ड में मेरी महिमा को चमकाओगे(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 19)। परमेश्वर के वचनों ने मुझे हिम्मत दी। बड़े लाल अजगर के बर्बर अत्याचार के बीच परमेश्वर विजेताओं के एक समूह को पूर्ण बनाएगा, इन विजेताओं को चाहे कितनी भी पीड़ा और मुश्किलों का सामना करना पड़े, वे अंत तक परमेश्वर के प्रति समर्पित होकर उन पर श्रद्धा रखने में सक्षम होंगे। यह यातना कितनी भी बर्बर क्यों न हो, बड़े लाल अजगर की डोर भी परमेश्वर के हाथों में ही है; यह सिर्फ परमेश्वर के चुने हुए लोगों को पूर्ण करने के लिए परमेश्वर की सेवा कर रहा है। पुलिस ने मेरे लिए कितनी ही भयानक यातना का इंतजाम किया हो, मुझे बस सच्चे मन से परमेश्वर पर आश्रित रहना होगा और भरोसा रखना होगा कि वह शैतान के अत्चाचार का सामना करने में मेरी अगुआई करेगा। परमेश्वर के वचनों के मार्गदर्शन से, अब मुझे कोई चिंता या डर का एहसास नहीं रहा।

उस दिन दोपहर में, पुलिस ने अपनी यातना जारी रखी। अफसर लियु लगातार मुझे तमाचे जड़ता रहा जिससे मेरे कानों में घंटी बजने लगी। वह मेरी कनपटी के थोड़े से बाल हाथ में लेकर उसे आगे-पीछे झटके देने लगा, फिर मेरी गर्दन, कानों और गर्दन की हड्डियों के आसपास के प्रेशर पॉइंट को जोर से दबाने लगा। दर्द के मारे पसीना छूटने लगा। दूसरा अफसर मेरे बाल पकड़कर उठक-बैठक कराने लगा। उसने कम से कम 90 बार ऐसा किया। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं इतना सब कुछ बर्दाश्त कर पाऊँगी, मगर मेरे पैर भी सुन्न नहीं पड़े। अफसर लियु ने जबरन मेरी गर्दन के आसपास के प्रेशर पॉइंट को जोर से दबाया, पहले तो काफी दर्द हुआ, पर थोड़ी देर बाद मैं इसे बर्दाश्त कर पायी। इससे चिढ़कर उसने कहा, “तुम्हारी कद-काठी बहुत मजबूत है!” उसके मुँह से यह सुनकर मैंने बार-बार परमेश्वर का धन्यवाद किया। ऐसा नहीं था कि मेरी कद-काठी मजबूत थी, बल्कि यह पूरी तरह से परमेश्वर की सुरक्षा थी। इसके बाद, उन्होंने मेरे हाथों को फिर से कुर्सी की सीट में फँसा दिया। मैं नहीं जानती थी कितना समय बीत चुका था, पर मेरे हाथों का दर्द बर्दाश्त से बाहर होने लगा, और मेरा पूरा शरीर लगातार कांपने लगा। तभी अफसर लियु ने मेरे चेहरे पर पैर रखकर मुझे हिलने-डुलने से रोक दिया। उसने अपने पैर से मेरा चेहरा उठाया और अपना जूता मेरे मुँह में डालकर बोला, “अगर तुम अब भी नहीं बोली, तो मैं अपने मोज़े उतारकर तेरे मुँह में ठूँस दूंगा। याद रहे, मेरे पैरों की दुर्गंध भयानक है।” उसकी भयानक हँसी ने मुझे गुस्से से भर दिया। मैं तो बस एक विश्वासी हूँ—मैंने कोई गैर-कानूनी काम नहीं किया, पर राक्षसों का यह गिरोह यातना देकर मेरे साथ खिलवाड़ कर रहा था। मेरा रोम-रोम उनसे घोर नफरत करने लगा। मैं मन-ही-मन लगातार परमेश्वर से प्रार्थना करती रही, उससे मुझे हिम्मत देने और मेरी देखरेख करने की विनती करती रही, ताकि मैं मजबूती से डटी रहूँ। धीरे-धीरे, मेरे हाथों की पीड़ा कम होने लगी और मैं फर्श पर शांत होकर बैठ पाई। मेरा दिल भर आया—मैंने एक बार फिर अपने लिए परमेश्वर की दया का अनुभव किया। मैं परमेश्वर की बहुत आभारी थी, मैं अपने आँसू नहीं रोक पायी। बाद में, यह देखकर कि उन्हें मुझसे उन पैसों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलने वाली, तो उन्होंने मुझे प्रायश्चित्त के पत्र पर दस्तखत करने के लिए मजबूर करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि अगर मैं इस पर दस्तखत नहीं करूंगी तो मुझे जेल जाना पड़ेगा; उन्होंने मुझे धमकाते हुए कहा : “जेल में तुम्हें इससे भी भयानक पीड़ा झेलनी पड़ेगी। वहाँ हर दिन कड़ी मेहनत करनी होगी, तुम्हें मारा-पीटा और डांटा भी जाएगा; खाना ऐसा मिलेगा जो इंसानों के खाने लायक नहीं होगा। तब तक पछतावे के लिए काफी देर हो चुकी होगी! बेहतर होगा तुम अभी अच्छे से सोच लो। दस्तखत करने के लिए तुम्हारे पास अभी भी समय है।” मैंने सोचा, “मेरी आस्था कोई कानून नहीं तोड़ रही, तो मैं इस पत्र पर दस्तखत नहीं करूंगी। ऐसा करना परमेश्वर को धोखा देना और उसे शर्मिंदा करना होगा। जेल की तकलीफ कितनी भी बड़ी क्यों न हो, मैं परमेश्वर पर आश्रित रहकर दृढ़ता से डटे रहने को तैयार हूँ।” मैंने जवाब दिया, “मैं दस्तखत नहीं करूंगी।” गुस्से में उसने कहा, “ठीक है! अगर तुम कष्ट सहना चाहती हो, तो कोई बात नहीं,” फिर वह बाहर निकल गया।

अगस्त महीने की शुरुआत में, मुझे मेरे शहर के स्थानीय जन सुरक्षा अधिकारियों के पास भेज दिया गया। पुलिस मुझे पूछताछ के लिए सीधे एक होटल लेकर गई। मुझे याद है, वहाँ छह अधिकारी मौजूद थे, जो जोड़ियों में बँटकर बारी-बारी मेरी निगरानी कर रहे थे ताकि मैं सो न जाऊं। वे यातना देने के इस तरीके को “बाज को थकाना” कहते हैं—यानी किसी को लंबे समय तक सोने न देने से उसका हौसला टूट जाता है, फिर जब वह कुछ सोचने-समझने की स्थिति में नहीं होता है, तब उससे पूछताछ कर गुनाह कबूल करने के लिए कहा जाता है। यह यातना देने के लिए पुलिस द्वारा अपनाया जाने वाला एक सामान्य तरीका है। पहले तो उन्होंने नास्तिकता और विकास के बारे में बातें करके मेरा मन बदलने की पूरी कोशिश की, उन्होंने सभी तरह की भ्रांतियों और पाखंडों के बारे में बताया जो परमेश्वर को ठुकराते और उसका विरोध करते थे। कभी-कभी वे कोई वीडियो चला देते जिसमें परमेश्वर के तिरस्कार और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को कलंकित करने वाली बातें होतीं—यह सब बेहद घृणास्पद था। पहले तो मैंने उनसे बहस की, मगर बाद में समझ आया कि वे तो परमेश्वर विरोधी राक्षस हैं, परमेश्वर के शत्रु हैं, तो मैं चाहे कितना भी कहूँ, यह सिर्फ अपनी ताकत बर्बाद करना ही होगा। तब से, मैंने उन्हें अनदेखा कर दिया। फिर एक अधिकारी मेरे लिए कुछ पढ़ने को लेकर आया जिसमें परमेश्वर का तिरस्कार किया गया था। जब मैंने इसे पढ़ने से इनकार कर दिया, तो उसने मुझे जोरदार तमाचा मारा और बेहूदी हँसी हँसते हुए मुझे धमकाया : “अगर तुम इसे नहीं पढ़ोगी, तो हम तुम्हारे सारे कपड़े उतारकर यह ईशनिंदा तुम्हारे पूरे शरीर पर चिपका देंगे।” मुझे उन राक्षसों से बहुत नफरत हो गई, जो मुझे परमेश्वर को धोखा देने के लिए मजबूर करने की कोशिश में ऐसी दुष्ट और घिनौनी चालें आजमा रहे थे। मैंने संकल्प लिया, अपनी जिंदगी की कसम खाई कि मैं कभी परमेश्वर का तिरस्कार नहीं करूंगी। मैंने अपना चेहरा घुमा लिया और उन लोगों को अनदेखा कर दिया। वहाँ रहकर जैसे ही मैं थोड़ी सी ऊंघने लगती, एक अधिकारी चिल्लाता, “सोना नहीं!” उन पलों में, मैं मन-ही-मन प्रार्थना करती, चुपचाप परमेश्वर के वचनों का पाठ करती या कोई भजन गुनगनाती, मुझे पता भी नहीं चला कब मेरी नींद पूरी तरह से गायब हो गई। यह सिलसिला जितनी देर तक चला मुझे उतनी ही ऊर्जा महसूस हुई; दूसरी ओर, पुलिसवालों का सब्र जवाब दे रहा था—कुछ तो बीमार हो गए थे। इस तरह, मैं परमेश्वर के वचनों पर आश्रित रहकर आठ दिनों तक “बाज को थकाने” वाली यातना झेलती रही। इससे मेरा दिल भर आया। अपने दम पर, इतने दिनों तक बिना सोए रहती तो मुझमें ज़रा-सी भी हिम्मत नहीं बचती। मैं जानती थी यह पूरी तरह से परमेश्वर का कार्य था और मैं परमेश्वर की सुरक्षा की बहुत आभारी थी। इससे मेरा आत्मविश्वास भी मजबूत हुआ कि मैं आगे किसी भी पूछताछ का सामना करते हुए परमेश्वर के लिए अपनी गवाही में अडिग रह सकती हूँ। यह देखकर कि मैं अब भी कुछ नहीं बोल रही, उनमें से एक ने गुस्से से मेरे गालों पर थप्पड़ रसीद दिया, मुझे कुर्सी से खींचकर उठाया, बाल पकड़े और दीवार और फर्श पर पटका। फिर उसने मुझे मजबूती से पकड़ लिया और अपने बूट से मेरे बाएं पैर पर इतनी जोर से दबाया कि मैं हिल भी न सकी, जबकि दूसरे अधिकारी ने मेरे दाएं पैर पर जोर से ठोकर मारी, जिससे मेरे दोनों पैर करीब 120 डिग्री पर फैल गए। मैं दर्द से चिल्लाने लगी। पूरे एक मिनट बाद उन्होंने मुझे छोड़ा और उनमें से एक ने मुझे धमकाया : “अगर तुम चुप रही, तो हम तुम्हारे कपड़े उतारकर नंगा कर देंगे, दीवार पर टांगकर तुम्हारी चमड़ी उधेड़ देंगे! चीन में, परमेश्वर में विश्वास रखना एक राजनीतिक अपराध है। इससे पहले, तुम फायरिंग स्क्वाड के हाथों मारी जाती, पर अब हम तुम्हारे साथ जंगली जानवरों जैसा सलूक करेंगे। हम तुम्हारे साथ जो चाहें वो कर सकते हैं!” उसके ऐसा कहने पर मैं गुस्से से लाल हो उठी, पर डर भी लगा। मैं नहीं जानती वे राक्षस आगे मुझे कैसी यातना देंगे और कितना अपमानित करेंगे। अगर उन्होंने सच में मेरे सारे कपड़े उतार दिए और टांग दिया, तो क्या होगा? अपनी पीड़ा में, मैं लगातार परमेश्वर से प्रार्थना करती रही, उससे मुझे हिम्मत देने और मेरी रक्षा करने की गुहार लगाती रही, ताकि मैं मजबूती से डटी रहूँ। प्रार्थना करने के बाद, मुझे एक भजन याद आया—“राज्य” :

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2 ... परमेश्वर मेरा सहारा है, मैं किससे डरूं? अंत तक शैतान के साथ लड़ने के लिए अपने जीवन को सौंपने की मैं प्रतिज्ञा करता हूं। परमेश्वर हमें उठाता है, हमें सब कुछ पीछे छोड़कर मसीह के लिए गवाही देने के लिए लड़ना चाहिए। परमेश्वर पृथ्वी पर अपनी इच्छा पूरी करेगा। मैं अपना प्यार और वफ़ादारी तैयार करूंगा और परमेश्वर को ये सब समर्पित करूंगा। जब वह महिमा में उतरेगा, तो मैं ख़ुशी से परमेश्वर की वापसी का स्वागत करूंगा, और जब मसीह का राज्य साकार होगा, मैं उससे फिर से मिलूंगा।

3 ... विपत्तियों से निकलते हैं अनेक विजयी अच्छे सैनिक। हम परमेश्वर के साथ विजयी हैं और परमेश्वर की गवाही बनते हैं। उस दिन का इंतज़ार करो जब परमेश्वर महिमा प्राप्त करेगा, यह एक अप्रतिरोधी शक्ति के साथ आता है। परमेश्वर की रोशनी में चलते हुए सभी लोग इस पर्वत तक आते हैं। राज्य की अद्वितीय महिमा पूरी दुनिया में प्रकट होनी चाहिए। ...

—मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ

इस भजन ने सच में मेरे अंदर कुछ एहसास जगा दिया। अपनी आस्था में ऐसे उत्पीड़न और मुश्किलों का अनुभव करना और शैतान के सामने परमेश्वर की गवाही देने का मौका पाना, मेरे लिए सम्मान की बात थी। मैंने उस समय के बारे में सोचा जब प्रभु यीशु कार्य कर रहा था; उसके प्रेरितों और शिष्यों ने उसका सुसमाचार फैलाने के प्रयास में काफी अत्याचार सहे। कुछ को पत्थरों से मार डाला गया तो कुछ के पैरों को खींचकर धड़ से अलग कर दिया गया, मगर उन सबने परमेश्वर की जोरदार गवाही दी और शैतान पर विजय हासिल की। अंत के दिनों में, परमेश्वर देहधारी होकर कार्य करने आया है, ताकि मानवता को पूरी तरह पाप से बचाया जा सके और हमें एक खूबसूरत मंजिल पर पहुंचाया जा सके। मगर कम्युनिस्ट पार्टी एक दुष्ट पार्टी है जो परमेश्वर से नफरत और उसका विरोध करती है। यह लोगों को आस्था रखने और परमेश्वर की आराधना करने नहीं देती है, पागलों की तरह ईसाइयों को दबाती और सताती है। बहुत-से भाई-बहनों को गिरफ्तार कर बेरहमी से यातनाएं दी गई हैं, मगर वे परमेश्वर पर आश्रित रहकर, उसकी खूबसूरत गवाही देने में कामयाब रहे। मैं जानती थी कि मुझे उनकी मिसाल पर चलना होगा, मैं शारीरिक पीड़ा और अपमान से नहीं डर सकती, बल्कि मुझे अपनी गवाही में मजबूती से डटे रहकर शैतान को शर्मिंदा करना होगा।

कुछ दिन बाद पुलिस ने अपनी पूछताछ फिर से शुरू की, मुझे अपने भाई-बहनों को धोखा देने और कलीसिया के पैसों के बारे में बताने के लिए मजबूर करने की कोशिश की। जब मैंने उन्हें कुछ नहीं बताया, तो उन्होंने मुझे दीवार के सहारे पीठ टिकाकर बैठने को मजबूर किया और मेरे दोनों पैर फैला दिए। एक अधिकारी ने मेरी बायीं टांग को दीवार की तरफ खींचा और मेरे हाथों को कसकर पकड़ लिया, ताकि मैं हिल-डुल न सकूँ, जबकि दूसरे ने निर्दयता से मेरी दायीं टांग पर ठोकर मारकर उसे दीवार की दूसरी तरफ कर दिया। मैं भयानक दर्द के मारे कराह उठी। वे रात 8 बजे से लेकर 11 बजे तक लगातार मुझे यातना देते रहे। मुझे याद नहीं कि कितनी बार उन्होंने मेरे साथ ऐसा किया। आखिर में, उन्होंने मेरी दायीं टांग को 180 डिग्री पर दीवार से सटा दिया, जबकि मैं फर्श पर कंधे झुकाए बैठी रही, शरीर की सारी ताकत खत्म हो चुकी थी। सुबह होने पर मैंने देखा कि मेरे दोनों पैर बुरी तरह सूज गए हैं और उन पर नील पड़ चुके हैं। खासकर मेरी दायीं जांघ का अंदरूनी हिस्सा पूरी तरह बैंगनी हो गया था और खड़ी होकर बाथरूम जाने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ रही थी। मुझे टॉयलेट पर बैठने में भी किसी की मदद की जरूरत थी। एक अधिकारी ने मुझे डराने की कोशिश करते हुए कहा, “अब तुम्हारे पैरों का ये हाल है, अगर हम तुम्हें यातना देते रहे, तो यह कल के मुकाबले और अधिक बुरा होगा। हर बार यह और ज्यादा दुखेगा। इसलिए बस अपना गुनाह कबूल कर लो!” यह देखकर कि मैं उन्हें कुछ नहीं बता रही, दूसरे अधिकारी ने बेरहमी से मेरे दोनों पैरों को खींचकर अलग किया, 90 डिग्री से आगे जाने पर मुझे काफी तेज पीड़ा महसूस हुई। दर्द बर्दाश्त से बाहर हो गया, तो मैं चिल्ला उठी। उसने कहा, “बस इतना ही फैलाया, और दर्द से चीख निकल गई! सच कह रहा हूँ, इस यातना को खास तौर पर विशेष महिला एजेंटों के लिए आजमाया जाता है। तेरा शरीर इसे बर्दाश्त कर पाएगा? अच्छी तरह सोच ले।” दूसरा मोटा अधिकारी बोला, “इससे पहले मैंने जिनसे पूछताछ की है, वे सभी हत्यारे थे। आखिर में, उन सबने अपने माँ-बाप को याद करते हुए अपना गुनाह कबूल किया। ऐसी पीड़ा बर्दाश्त करने से पहले वे मर जाने को तैयार थे।” यह सुनकर मुझे काफी डर लगा। अपराधियों ने सजा पाने से मर जाना बेहतर समझा—यह जरूर कोई भयंकर यातना होगी! मर जाने की हद तक यातना झेलने के विचार से मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा। मैं मन-ही-मन परमेश्वर से एक के बाद एक प्रार्थना करती रही। तभी मुझे प्रभु यीशु की यह बात याद आई : “जो शरीर को घात करते हैं, पर आत्मा को घात नहीं कर सकते, उनसे मत डरना; पर उसी से डरो, जो आत्मा और शरीर दोनों को नरक में नष्‍ट कर सकता है(मत्ती 10:28)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन भी कहते हैं : “जब लोग अपने जीवन का त्याग करने के लिए तैयार होते हैं, तो हर चीज तुच्छ हो जाती है, और कोई उन्हें हरा नहीं सकता। जीवन से अधिक महत्वपूर्ण क्या हो सकता है? इस प्रकार, शैतान लोगों में आगे कुछ करने में असमर्थ हो जाता है, वह मनुष्य के साथ कुछ भी नहीं कर सकता(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, “संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचनों” के रहस्यों की व्याख्या, अध्याय 36)। परमेश्वर ने वचनों ने मेरा हौसला बढ़ाया। पुलिस मुझे बर्बर यातना दे सकती है, पर वे सिर्फ मेरे शारीरिक अस्तित्व को मिटा सकते हैं। वे मेरी आत्मा को छू भी नहीं सकते। अगर मैंने शारीरिक तकलीफ के डर से परमेश्वर को धोखा दिया, तो मैं यहूदा बनकर एक नीच जीवन जीने को मजबूर हो जाऊँगी और आखिर में मेरी आत्मा, मेरे जमीर और मेरे शरीर, सभी को दंडित किया जाएगा। शैतान मेरी शारीरिक कमजोरी का इस्तेमाल कर रहा था ताकि मैं परमेश्वर को धोखा दूँ। मैं उसकी चालों में नहीं फँस सकती थी। पुलिस चाहे मुझे कितनी भी यातना दे, भले ही मुझे पीट-पीटकर मार डाले, मैं अपनी गवाही में मजबूती से डटे रहकर शैतान को नीचा दिखाने का संकल्प ले चुकी थी।

इसके बाद भी कई दिनों तक पुलिस मुझसे पूछताछ करती रही, फिर से मुझे दोनों पैर फैलाकर बैठाने की धमकी देती रही। उन्होंने कहा कि वे मुझे एक यातना कक्ष में लेकर जाएंगे और हर तरीके की क्रूर यातना मुझ पर आजमाएंगे; और जब तक मैं उन्हें कलीसिया की जानकारी न दे दूं, वे बिल्कुल नहीं रुकेंगे। मैंने पैरों को फैलाकर बैठने की पीड़ा को याद किया—यह ऐसा था मानो मेरे पैरों को जबरन शरीर से चीरकर अलग कर दिया गया हो। मैं फिर कभी ऐसी भयंकर पीड़ा नहीं झेलना चाहती थी। मुझे लगा मानो ऐसी भयंकर यातना झेलने से मर जाना ही बेहतर है। मैंने भूख-हड़ताल कर दिया, लगातार कई बार खाना खाने से इनकार कर दिया। पुलिस मुझ पर चीखती-चिल्लाती, गुस्से में कहती कि अगर मैंने खाने से इनकार किया तो वे मुझे जबरन खाना खिलाएंगे। हैरान होकर, आखिर में मुझे समझ आया कि मुझे परमेश्वर का इरादा खोजना होगा। तभी मुझे परमेश्वर के वचन याद आए : “कुछ लोगों के कष्ट चरम तक पहुँच जाते हैं, और उनके विचार मृत्यु की ओर मुड़ जाते हैं। यह परमेश्वर के लिए सच्चा प्रेम नहीं है; ऐसे लोग कायर होते हैं, उनमें धीरज नहीं होता, वे कमजोर और शक्तिहीन होते हैं! ... इस प्रकार, इन अंत के दिनों में तुम लोगों को परमेश्वर की गवाही देनी चाहिए। चाहे तुम्हारे कष्ट कितने भी बड़े क्यों न हों, तुम्हें बिल्कुल अंत तक चलना चाहिए, यहाँ तक कि अपनी अंतिम साँस पर भी तुम्हें परमेश्वर के प्रति निष्ठावान और उसके आयोजनों के प्रति समर्पित होना चाहिए; केवल यही वास्तव में परमेश्वर से प्रेम करना है, और केवल यही सशक्त और जोरदार गवाही है(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पीड़ादायक परीक्षणों के अनुभव से ही तुम परमेश्वर की मनोहरता को जान सकते हो)। परमेश्वर के वचनों से मैंने जाना कि शारीरिक पीड़ा के डर से मौत की कामना करना कायरता है। ऐसा करके न सिर्फ मैं परमेश्वर की महिमा नहीं बढ़ाती, बल्कि शैतान की हँसी की पात्र भी बन जाती। परमेश्वर को मुझसे उम्मीद थी कि मैं शैतान के सामने उसके लिए गवाही दूँ, अपनी आखिरी साँस तक उसके प्रति समर्पित रहूँ और शैतान के आगे कभी हार न मानूँ। यह एक मजबूत गवाही होगी जिससे शैतान पर प्रहार होगा। परमेश्वर का इरादा जानने के बाद, मैंने खाना खाने से इनकार करना बंद कर दिया। लेकिन जब पुलिस के हाथों लगातार यातना सहने की संभावना के बारे में सोचा, जहाँ इसका कोई अंदाजा नहीं था कि यह सब कब खत्म होगा, मेरे दिल में थोड़ी कमजोरी महसूस हुई। फिर मुझे एक भजन याद आया, “प्रभु यीशु का अनुकरण करो” : “यरूशलम जाने के मार्ग पर यीशु बहुत संतप्त था, मानो उसके हृदय में कोई चाकू भोंक दिया गया हो, फिर भी उसमें अपने वचन से पीछे हटने की जरा-सी भी इच्छा नहीं थी; एक सामर्थ्यवान ताक़त उसे लगातार उस ओर बढ़ने के लिए बाध्य कर रही थी, जहाँ उसे सलीब पर चढ़ाया जाना था। अंततः उसे सलीब पर चढ़ा दिया गया और वह मानवजाति के छुटकारे का कार्य पूरा करते हुए पापमय देह के सदृश बन गया। वह मृत्यु एवं अधोलोक की बेड़ियों से मुक्त हो गया। उसके सामने नैतिकता, नरक एवं अधोलोक ने अपना सामर्थ्य खो दिया और उससे परास्त हो गए(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के इरादों के अनुरूप सेवा कैसे करें)। परमेश्वर के वचनों पर विचार करते हुए मुझे याद आया कि जब प्रभु यीशु मानवजाति के छुटकारे का अपना काम पूरा कर रहा था तो कैसे रोमन सैनिकों ने उस पर चाबुक बरसाए, उसे कांटों का ताज पहनने को मजबूर किया और भयंकर पीड़ा में एक-एक कदम चलाकर उसेसलीब वाली जगह पर लेकर गए। आखिर में उसने असहनीय पीड़ा बर्दाश्त करते हुए क्रूस पर अपने खून का आखिरी कतरा तक बहा दिया। हमें बचाने के लिए, परमेश्वर ने बिना कोई संकोच किए अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी—परमेश्वर का प्रेम कितना महान है! लेकिन अपनी बात करूँ, तो जब मैंने ऐसी भयंकर यातना देखी जिससे बचकर नहीं भाग सकती थी, तो मैं अब कष्ट नहीं झेलना चाहती थी। मैंने परमेश्वर के लिए गवाही देने का अपना संकल्प भुला दिया—मुझे लगा यह बेहद शर्मनाक था। परमेश्वर ने हमारे लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया, तो उसके प्रेम का मूल्य चुकाने के लिए मैं खुद को भेंट क्यों नहीं कर सकती? परमेश्वर के प्रेम को महसूस कर, आँखों से लगातार आंसुओं की धार बहने लगी। मैंने मन-ही-मन प्रार्थना की, “परमेश्वर, मुझे जब तक या जितनी भी पीड़ा सहनी पड़े, मैं अपनी गवाही में मजबूती से डटे रहना चाहती हूँ!”

उस दिन शाम को फर्श पर बैठे-बैठे मैंने अपने पूरे शरीर में शक्ति का संचार होता महसूस किया और मेरी मनोदशा पहले से बेहतर थी। एक पुलिस अधिकारी लगातार मुझसे कलीसिया के बारे में पूछताछ करता रहा। मैंने दृढ़तापूर्वक उससे कहा, “मैं तुम्हें कुछ भी नहीं बताने वाली।” वह गुस्से से भड़क उठा, दरवाजे पर जोर से लात मारी। जल्दी ही, वह पुलिस अधिकारी पूछताछ वाली एकदम नई कुर्सी लेकर आया, उसमें मुझे हथकड़ी से जकड दिया और कहा कि अगला दिन मेरे लिए बेहद भयानक होगा। देर रात मैंने देखा कि मेरी निगरानी करने वाले दोनों अधिकारी सो गए थे, तो मैंने किसी तरह हथकड़ी खोलने की कोशिश करने का फैसला किया। मुझे हैरानी हुई, वह काफी ढीली थी और मेरे हाथ आसानी से बाहर आ गए। मैंने मन में प्रार्थना की, “परमेश्वर, क्या तूने मेरे लिए रास्ता खोला है? मुझे कोई अंदाजा नहीं कि इस कमरे के बाहर क्या है या मैं भागकर कहाँ जाऊँ। मैं खुद को तेरे हाथों में सौंप रही हूँ—मुझे राह दिखाओ!” प्रार्थना के बाद मैं उस कुर्सी से उठी और किसी तरह दरवाजे तक पहुँची। मैंने धीरे से दरवाजा खोला और होटल के मुख्य द्वार की ओर भागी। मुझे हैरानी हुई, जब दरवाजे पर मौजूद पहरेदार भी नींद में टेबल पर झुके हुए थे, तो मैं बिना रोक-टोक होटल से निकल गई और एक गली में भाग गई। मेरे पैर बहुत बुरी तरह घायल थे, पर कमाल की बात थी कि उस वक्त उनमें ज़रा-सी भी पीड़ा नहीं हो रही थी। मैं अपनी जिंदगी बचाने के लिए भागती रही। मैं बेहद घबराई हुई थी, डर था कि कहीं पुलिस मुझे पकड़कर वापस न ले जाए। क्या करूँ, कहाँ जाऊं, मुझे कुछ नहीं पता था, भाई-बहनों के पास जाने की भी हिम्मत नहीं हुई, इस डर से कि कहीं मैं उन्हें खतरे में न डाल दूँ। मुझे वह घर याद आया जो मेरे परिवार ने हाल ही में खरीदा था जिसके बारे में शायद पुलिस को अभी तक जानकारी नहीं थी। मैं वहाँ जाकर कुछ समय के लिए छिप जाना चाहती थी, तो तेजी से घर की ओर कदम बढ़ा दिए। मेरे वहाँ पहुँचने के कुछ ही देर बाद मेरी माँ वापस आ गई। उसने घबराकर कहा, “पुलिस तुम्हारी तस्वीर लेकर हर जगह तुम्हारे बारे में पूछताछ कर रही है। तुम यहाँ नहीं रह सकती—तुम्हें फौरन यहाँ से निकलना होगा।” इससे मैं वाकई घबरा गई, मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा। मैंने फौरन घुटने टेककर प्रार्थना की, “परमेश्वर, मैं नहीं जानती कि अब कहाँ जाऊँ। मुझे राह दिखाओ। मुझे नहीं पता कि मेरा भागकर निकलना सफल होगा भी या नहीं, पर मैं सब कुछ तुम्हारे हाथों में छोड़ती हूँ, तुम्हारी व्यवस्थाओं पर छोड़ती हूँ। अगर मैं भाग न सकी, तो अपनी गवाही में मजबूती से डटे रहने के लिए अपना जीवन त्यागने को तैयार हूँ।” प्रार्थना करने के बाद मैंने धीरे-धीरे खुद को शांत किया। उसके बाद, मेरे पिताजी अपनी इलेक्ट्रिक स्कूटर पर बिठाकर मुझे दूसरी जगह ले गए। हम अपार्टमेंट के परिसर के पिछले दरवाजे पर ही पहुँचे थे, तभी मैंने देखा कि जो अधिकारी मुझसे पूछताछ कर रहा था, कुछ ही दूरी पर हाथ में एक तस्वीर लेकर वहाँ से गुजरने वाले लोगों से सवाल पूछ रहा था। मेरा कलेजा हलक में आ गया और पूरा शरीर पसीने से भीग गया। जब उनका ध्यान हमारी ओर नहीं था, तो मैं स्कूटर से उतरी और छिपने के लिए सीधे पास की बिल्डिंग में घुस गई। मेरे पिताजी शांत रहने का दिखावा करते हुए आगे बढ़ गए। मैं लगातार परमेश्वर से प्रार्थना कर उससे मुझे राह दिखाने की विनती करती रही। जल्दी ही मेरे पिताजी मुझे लेने आए और कहा कि पुलिस चली गई है। अपार्टमेंट परिसर के पिछले दरवाजे पर कोई पहरा नहीं था, तो मैंने वहाँ से बच निकलने के लिए उस मौके का फायदा उठाया। थोड़ी बाधाओं और नाकामियों के बाद, अपने भाई-बहनों की मदद से, मुझे छिपने के लिए अपेक्षाकृत एक सुरक्षित स्थान मिल गया।

बाद में मैंने सुना कि उसी दिन, मेरे माता-पिता के घर से निकलने के कुछ ही देर बाद बहुत सी पुलिस-कारें वहाँ आईं और अपार्टमेंट के परिसर को चारों ओर से घेर लिया। वे कई दिनों तक घर-घर जाकर तलाशी लेते रहे। मेरे बारे में पता चलने पर उन्होंने मेरे माता-पिता के घर को उलट-पुलट कर रख दिया और मेरा पता-ठिकाना जानने के लिए पूछताछ करने मेरे पिता को पुलिस थाने लेकर गए। इतना ही नहीं, उन्होंने मेरे माता-पिता के घर के ठीक सामने की इमारत पर एक हाई डेफिनेशन कैमरा भी लगा दिया। पुलिस ने मेरी दादी के घर के आसपास भी गहरी छानबीन की। जब पास में रहने वाली एक बुजुर्ग महिला ने अपने पास खड़े किसी आदमी से कान में कुछ कहा, तो पुलिस ने उससे मुझे उनके हवाले कर देने का आदेश दिया, फिर उसे पुलिस थाने लेकर गई और रात भर वहीं बिठाए रखा। उसके बाद उन्होंने मेरी आंटी को गिरफ्तार कर उनसे मेरा पता-ठिकाना जानने के लिए पूछताछ करती रही। मेरे सभी रिश्तेदार पुलिस की निगरानी में थे। इस बारे में सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया। कम्युनिस्ट पार्टी एकदम पागल है—मेरी आस्था ने कोई कानून नहीं थोड़ा था, फिर भी वे मुझे पकड़ने की कोशिश में किसी भी हद तक जाने को तैयार थे। मुझे परमेश्वर के वचनों का यह अंश याद आया : “प्राचीन पूर्वज? प्रिय अगुआ? वे सभी परमेश्वर का विरोध करते हैं! उनके हस्तक्षेप ने स्वर्ग के नीचे की हर चीज को अंधेरे और अराजकता की स्थिति में छोड़ दिया है! धार्मिक स्वतंत्रता? नागरिकों के वैध अधिकार और हित? ये सब पाप को छिपाने की चालें हैं! ... दिल में हजारों वर्ष की घृणा भरी हुई है, हजारों साल का पाप दिल पर अंकित है—इससे कैसे न घृणा पैदा होगी? परमेश्वर का बदला लो, उसके शत्रु को पूरी तरह से समाप्त कर दो, उसे अब और बेकाबू न दौड़ने दो, और उसे अत्याचारी के रूप में शासन मत करने दो! यही समय है : मनुष्य अपनी सभी शक्तियाँ लंबे समय से इकट्ठा करता आ रहा है, उसने इसके लिए सभी प्रयास किए हैं, हर कीमत चुकाई है, ताकि वह इस दुष्ट के घृणित चेहरे से नकाब उतार सके और जो लोग अंधे हो गए हैं, जिन्होंने हर प्रकार की पीड़ा और कठिनाई सही है, उन्हें अपने दर्द से उबरने और इस दुष्ट बूढ़े शैतान से विद्रोह करने दे(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, कार्य और प्रवेश (8))। परमेश्वर ने अंत के दिनों में देहधारण किया है और वह मानवजाति को बचाने के लिए सत्य व्यक्त कर रहा है। वह हमारे लिए सुसमाचार लेकर आया है ताकि हम बचाए जा सकें और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकें, पर कम्युनिस्ट पार्टी लोगों को आस्था रखने और परमेश्वर का अनुसरण करने की अनुमति नहीं देती है। यह पागलों की तरह ईसाइयों को गिरफ्तार करती और सताती है, हमें क्रूर यातनाएं देकर जेल में डाल देती है, यहाँ तक कि हमें अपाहिज करने या मार डालने से भी नहीं चूकती। कम्युनिस्ट पार्टी अंडरवर्ल्ड की दुष्ट राक्षसी है! वह अपना उत्पीड़न जितना तेज करती है उतना ही मुझे उसका शैतानी सार साफ-साफ दिखता है; उतना ही मैं दिल की गहराइयों से इससे नफरत और इसके विरुद्ध विद्रोह करती हूँ। मैं कसम खाती हूँ कि जिंदगी भर परमेश्वर का अनुसरण करती रहूँगी।

गिरफ्तार होने और सताए जाने के इस अनुभव ने मुझे परमेश्वर की सर्वशक्तिमान सत्ता और उसके चमत्कारी कर्मों की एक झलक दिखाई। संकट के दौर में, परमेश्वर ने मेरी देखरेख की, ताकि मैं शैतान की बर्बरता पर विजय हासिल कर सकूँ। परमेश्वर के वचनों ने ही मुझे बार-बार आस्था और हिम्मत दी। मैंने सचमुच उसके वचनों के अधिकार और सामर्थ्य का अनुभव किया, उसके प्रेम और संरक्षण को महसूस किया। मैं परमेश्वर की आभारी हूँ और अपने दिल की गहराइयों से उसका गुणगान करती हूँ!

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