उत्पीड़न की कड़वाहट का अनुभव करने के बाद मैं प्यार और नफ़रत के बीच का अंतर जान गया हूँ
मेरा नाम झाओ झी है और मैं इस साल 52 का हो गया हूँ। मैं 14 वर्षों से सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुयायी हूँ। परमेश्वर में अपना विश्वास हासिल करने से पहले मैं व्यवसायी था; मैं अक्सर मनोरंजन में व्यस्त रहता था, लोगों को उपहार भेजा करता था, और समाज में उठता-बैठता था। मैं गाने-बजाने वाली और जुआ पार्लरों जैसी मनोरंजन की जगहों पर अक्सर आया-जाया करता था। मेरी पत्नी इस पर हमेशा मुझसे बहस करती थी और अंत में तो उसने मुझे तलाक देकर घर छोड़ने की धमकी भी दे दी। उस समय, मैं पूरी तरह से इस दलदल में फंस गया था और अपने आप को इससे निकाल नहीं पा रहा था। मैं अपने परिवार की अच्छी देखभाल करने की जितनी भी कोशिश क्यों न करूँ मैं ऐसा करने में नाकाम रहता था। मुझे जीवन वास्तव में दुखदायी लगने लगा था; मैं थक गया था। जून, 1999 में, हम पर सर्वशक्तिमान परमेश्वर के उद्धार का अनुग्रह हुआ, परमेश्वर के वचनों को पढ़ने और भाई-बहनों के साथ संगति करने के बाद, मेरी पत्नी ने महसूस किया कि दुनिया का अंधकार और मानवीय भ्रष्टता पूरी तरह से शैतान द्वारा हमें नुकसान पहुंचाये जाने और हमारे साथ खिलवाड़ करने के कारण हैं। उसने मेरे हालात के बारे में अपनी समझ ज़ाहिर की और मेरे साथ संगति में दिल की सब बातें कहीं। परमेश्वर के वचनों के मार्गदर्शन से, मैंने यह भी देखा कि मैं पाप के दरिया में डूबा हुआ हूँ, और परमेश्वर को इससे घृणा व नफ़रत है। और तो और, मैंने देखा कि मुझमें इंसानियत तो थी ही नहीं। मुझे पश्चाताप और अपराध का बोध हुआ, इसलिए मैंने परमेश्वर के सामने एक नया इंसान बनने का संकल्प लिया। तब से, मैं और मेरी पत्नी हर दिन प्रार्थना करने और परमेश्वर के वचनों को पढ़ने लगे। हम अक्सर भाई-बहनों के साथ संगति के लिए इकट्ठे होते थे। हम पति-पत्नी को पता भी नहीं चला और हमारे बीच का विवाद धुएं की तरह उड़ गया और हमारा जीवन शांति और आनंद से भर गया। मैं अच्छे से जानता था कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने हमारे परिवार को बर्बादी के कगार से बचाया था, और हमें पूरी तरह से नया जीवन दिया था। अत्यधिक आभारी महसूस करने के अलावा, मैंने मन ही मन परमेश्वर के अनुग्रह का प्रतिदान करने के लिए अपने संपूर्ण अस्तित्व को अर्पित करने का संकल्प भी लिया। उसके बाद मैंने अपने कर्तव्य को पूरा करने के लिए और सुसमाचार को साझा करने के लिए खुद को झोंक दिया ताकि अंत के दिनों में परमेश्वर द्वारा हमारे लिए लाए गए उद्धार को और अधिक लोग प्राप्त कर सकें। हालाँकि, नास्तिक चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार लोगों को परमेश्वर की आराधना करने या सही रास्ता अपनाने की अनुमति नहीं देती है। विशेष रूप से यह लोगों को सुसमाचार का प्रसार करने और परमेश्वर का साक्षी बनने की अनुमति नहीं देती है। चूंकि मैं परमेश्वर में विश्वास करता था और सुसमाचार का प्रसार करता था, इसलिए मुझे सीसीपी सरकार द्वारा गिरफ्तारी और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा ...
2002 के वसंत का एक दिन था। एक दुर्भावनापूर्ण व्यक्ति ने पुलिस को मेरे और एक भाई के बारे में सूचना दे दी जब हम एक गांव में सुसमाचार सुना रहे थे। पुलिस तुरंत आई और बिना जांच-पड़ताल किए, मुझे हथकड़ी पहना दी, खींचकर पुलिस कार में बैठा दिया और मुझे पुलिस स्टेशन ले गई। जैसे ही हम पूछताछ कक्ष में घुसे, इससे पहले कि मैं कुछ सोच-समझ पाता, एक अधिकारी मेरी ओर दौड़कर आया और मेरे कॉलर को पकड़कर मुझे कई बार ज़ोर-ज़ोर से थप्पड़ मारे। मुझे तुरंत चक्कर आ गया और तारे दिखने लगे, और मैं खड़ा नहीं रह पाया और ठोकर खाकर फर्श पर गिर गया। मेरे मुँह और नाक से खून बह रहा था और मेरा चेहरा दर्द से तिलमिला रहा था। जब दुष्ट पुलिसकर्मी ने यह देखा, तो उसने मुझे बुरी तरह से लात मारी और दाँत पीसते हुए कहा, "नाकारे कहीं के, मेरे सामने नाटक मत कर। उठ!" दो अन्य अधिकारी आए, मुझे बाँहों से पकड़कर उठाया, और मुझे एक तरफ फेंक दिया, और फिर उन तीनों ने मुझे लात-घूंसे मारना शुरू कर दिया। मेरे पूरे शरीर में असहनीय दर्द हो रहा था; मैं फर्श पर गिर गया और उठ नहीं सका। वे मुझे खा जाने वाली नज़रों से एक बाघ की तरह घूर कर रहे थे। उनमें से एक ने मुझसे चिल्लाकर कहा, "तेरा नाम क्या है? तू कहाँ रहता है? तू उस आदमी के घर पर क्यों था? अगर तूने मुँह नहीं खोला, तो तेरी खैर नहीं!" मैंने मन में परमेश्वर से प्रार्थना की, उससे मेरे दिल की रक्षा करने के लिए कहा ताकि मैं परमेश्वर के सामने शांत रह सकूं। मैंने उससे विश्वास और साहस मांगा जिससे कि मैं उनकी धमकी से न डरूँ। यह देखते हुए कि मैं कुछ बोल नहीं रहा हूँ, एक बहुत ही क्रूर दिखने वाले अधिकारी ने एक बिजली का डंडा उठाया और मेरे चेहरे के सामने लहराया। वो जानबूझकर डंडे की बिजली को चमका रहा था। उसने उसे मुझे दिखाया और धमकी देते हुए कहा, "तू बोलेगा या नहीं? अगर नहीं बोला, तो मैं तुझे झटके दे-देकर मौत के घाट उतार दूंगा।" मैं इससे थोड़ा डर गया था, मैंने जल्दी से परमेश्वर से प्रार्थना की। "हे परमेश्वर! सभी चीज़ें तेरे हाथों में हैं, जिसमें दुष्ट अधिकारियों का यह झुंड भी शामिल है। वे मेरे साथ चाहे जैसा व्यवहार करें, यह सब तेरी अनुमति से ही हो रहा है। मैं तेरे आयोजनों और व्यवस्थाओं को समर्पित होने के लिए तैयार हूँ। चूंकि मेरा आध्यात्मिक कद बहुत छोटा है, इसलिए मैं कमज़ोर और डरा हुआ महसूस कर रहा हूँ। कृपया मुझे विश्वास और शक्ति प्रदान कर और मेरी रक्षा कर ताकि मैं यहूदा न बनूँ। मुझे शैतान के सामने अपनी गवाही न खोने दे।" प्रार्थना करने के बाद, परमेश्वर के वचनों का एक अंश मुझे याद आया: "पुन:रुत्थित मसीह का जीवन हम में है। हम सचमुच परमेश्वर की उपस्थिति में विश्वास की कमी पाते हैं, परमेश्वर हम में सच्चा विश्वास जगाये। परमेश्वर के वचन निश्चित ही मधुर हैं! परमेश्वर के वचन गुणकारी दवा हैं! जो दुष्ट और शैतान को शर्मिन्दा करता है! अगर तुम परमेश्वर के वचन ग्रहण करो तो तुम्हें मदद मिलेगी और उसके वचन तुम्हारे हृदय को शीघ्र ही बचा लेंगे! वह सब बातों को दूर कर सर्वत्र शान्ति बहाल करते हैं। विश्वास लकड़ी के इकलौते लट्ठे के पुल की तरह है, जो लोग अशिष्टापूर्वक जीवन से लिपटे रहते हैं उन्हें इसे पार करने में परेशानी होगी, परन्तु जो खुद का त्याग करने को तैयार रहते हैं वे बिना किसी फ़िक्र के उसे पार कर सकते हैं। अगर हम में कायरता और भय के विचार हैं तो जान लें कि शैतान हमें मूर्ख बना रहा है जो कि इस बात से डरता है कि हम विश्वास का पुल पार कर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर जायेंगे" ("वचन देह में प्रकट होता है" में आरम्भ में मसीह के कथन के "अध्याय 6")। मैंने सोचा, "यह सच है! मुझे इतना डर इसलिए लग रहा है क्योंकि मैं शैतान की चाल में फंस गया हूँ। अधिकारियों के क्रूर होने के बावजूद, सब कुछ परमेश्वर के हाथों में है और परमेश्वर मेरा सहारा है। मुझे अपने विश्वास पर भरोसा करना है और शैतान पर जीत हासिल करने के लिए परमेश्वर के वचनों पर निर्भर रहना है!" इसलिए, मैंने अपना मुँह बंद रखा, और जब उसने देखा कि मैंने एक भी शब्द नहीं कहा है, तो उस अधिकारी ने अपना डंडा लहराया और मुझसे सटा दिया। खुद को इस यातना के लिए तैयार करने की खातिर मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपने होंठों को भींच लिया, लेकिन आश्चर्य की बात है कि डंडे के बार-बार मुझसे सटाये जाने के बाद भी मुझे कुछ महसूस नहीं हुआ। उन सबको ये अजीब लगा और वे चकराकर बोले, "आज यह काम क्यों नहीं कर रहा है? शायद ये काम नहीं कर रहा, दूसरा आज़मा कर देखो।" मुझे झटके देने के लिए वे दूसरा डंडा ले आए, लेकिन वह भी काम नहीं आया। मैं अपने दिल में लगातार कह रहा था, "हे परमेश्वर, तेरा धन्यवाद! तूने मेरी प्रार्थना सुनी और तू गुप्त रूप से मेरी रक्षा कर रहा है। तू इतना प्यारा, इतना भरोसेमंद है! परमेश्वर, भविष्य में चाहे मुझे जिस भी तरह की क्रूर यातना का सामना करना पड़े, मैं पूरे दिल से तुझ पर भरोसा करने को तैयार हूँ। मैं अपनी गवाही में अडिग रहने के लिए दृढ़ संकल्पित हूँ!" यह देखकर कि उनके डंडे का मुझ पर कोई असर नहीं हो रहा है, वे अभी भी बात ख़त्म करने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे, इसलिए उन्होंने हथकड़ी लगाई, ज़ंजीर पहनाई और मुझे पुलिस कार में घसीट ले गए। वे मुझे गाँव से दूर दो मंजिला इमारत में ले गए।
जब हम अंदर गए, तो एक अधिकारी ने दरिंदगी से मुस्कुराते हुए कहा, "तू देख सकता है कि यहाँ कुछ भी नहीं है और कोई भी कभी भी इस जगह के बारे में नहीं जान पाएगा। अब जबकि तू यहाँ है, अगर तू अभी भी ज़बान नहीं खोलता है, तो यह तेरा अंत होगा। तुझे यहीं दफन कर दिया जाएगा, और किसी को कभी पता नहीं चलेगा। खुद ही सोच के देख, अगर तू होशियार है, तो तू हमें वो बताएगा जो हम जानना चाहते हैं।" इतना सुनते ही मेरा कलेजा मुँह को आ गया। मैं वास्तव में सोच भी नहीं सकता था कि मेरे सामने खड़ी ये खून की प्यासी "लोगों की पुलिस" जो अंडरवर्ल्ड के ठगों की तरह पेश आ रही थी, मेरे साथ क्या करेगी। मैंने जल्दी से अपने दिल में परमेश्वर को पुकारा, उससे मुझे दुख का सामना करने की शक्ति और संकल्प देने को कहा ताकि मैं आने वाली क्रूर यातना को सहन कर सकूं। यह देखते हुए कि मैंने अब तक एक शब्द भी नहीं कहा है, दो अधिकारी वहशी ढंग से मुझ पर टूट पड़े और मेरे सारे कपड़ों को फाड़ दिया, फिर मुझे एक तरफ खड़ा कर दिया। उनमें से एक ने मेरी ओर इशारा किया और मज़ाक उड़ाने के अंदाज़ में कहा, "देख तो, तुझे सच में कोई शर्म नहीं है।" एक दूसरा अधिकारी एक भूखे कुत्ते की तरह मेरे कपड़ों की तलाशी लेने लगा। उसे सिर्फ 30 युआन मिले, फिर अपने सिर को इधर-उधर घुमाया और अपनी जेब में पैसे डालते हुए कहा "अबे तू तो एक कमीना भिखारी निकला!" इससे मुझे क्रोध और घृणा महसूस हुई। मैंने सोचा, "ये पुलिस 'लोगों की सेवा' कैसे कर रही है? वे केवल बदमाशों और डाकुओं का एक झुंड हैं जो लोगों पर अत्याचार करते हैं और आम लोगों का शोषण करते हैं। अगर आज मैंने ये सब अपनी आँखों से नहीं देखा होता, तो मुझे नहीं पता कि सीसीपी के झूठ से मैं और कितने दिन बेवकूफ बनता रहता।" तब मुझे महसूस हुआ कि उस दिन मेरी गिरफ्तारी के पीछे परमेश्वर की मर्ज़ी थी; परमेश्वर मुझे जानबूझकर पीड़ित नहीं कर रहे थे, बल्कि ऐसा इसलिए हो रहा था ताकि मैं स्पष्ट रूप से सीसीपी सरकार के बुरे चेहरे को देख सकूं। लगभग 10 मिनट के बाद, एक अन्य अधिकारी दो बिजली के तारों के साथ आया और उसके चेहरे पर एक दुष्ट मुस्कान थी। उसने मुझे धमकाते हुए कहा, "डर गया? पिछले से पिछले साल एक और अपराधी था, जो मुँह नहीं खोलना चाहता था, लेकिन वह बिजली के झटके सह नहीं पाया। उसने तो सब कुछ उगल दिया। मुझे यकीन है कि हम तेरा मुँह भी खुलवा लेंगे!" यह देख कर कि वे मुझे बिजली के झटके देने जा रहे हैं, मुझे घृणा भी महसूस हुई और डर भी। अगर इस तरह की यातना काफी लंबे समय तक चली, तो मेरा मरना निश्चित था। मैंने जल्दी से परमेश्वर से प्रार्थना की: "परमेश्वर, ये दुष्ट अधिकारी बहुत शातिर हैं। मुझे डर है कि मैं इनसे जीत नहीं पाऊंगा। कृपया मेरी रक्षा कर और मुझे शक्ति प्रदान कर ताकि मैं यहूदा न बनूँ और शरीर की कमजोरी के कारण तुझसे विश्वासघात न करूँ।" प्रार्थना के बाद, परमेश्वर ने मुझे कलीसिया के इस भजन के बारे में सोचने के लिए प्रबुद्ध किया: "मेरा सिर फूट सकता है, मेरा लहू बह सकता है, मगर परमेश्वर-जनों का जोश कभी ख़त्म नहीं हो सकता। परमेश्वर के उपदेश दिल में बसते हैं, मैं दुष्ट शैतान को अपमानित करने का निश्चय करता हूँ। पीड़ा और कठिनाइयाँ परमेश्वर द्वारा पूर्वनिर्धारित हैं, मैं उसके प्रति वफादार बने रहने के लिए अपमान सह लूँगा। मैं फिर कभी परमेश्वर के आँसू बहाने या चिंता करने का कारण नहीं बनूँगा" (मेमने का अनुसरण करना और नए गीत गाना में "परमेश्वर के महिमा दिवस को देखना मेरी अभिलाषा है")। मैंने सोचा, "सच ही तो है, राज्य के लोगों में राज्य के एक व्यक्ति की अखंडता और धैर्य तो होना ही चाहिए। जीवन के लिए लालची होना और मृत्यु से डरना कायरता है। शैतान मूर्खता से सोचता है कि वह मुझे यातना देकर परमेश्वर को धोखा देने के लिए मजबूर कर देगा जिससे उद्धार पाने का मेरा मौका बर्बाद हो जाएगा। मैं इसकी योजना को बिल्कुल सफल नहीं होने दे सकता, मैं अपनी वजह से परमेश्वर के नाम को शर्मिंदा नहीं होने दे सकता।" इन सब पर विचार करने के बाद मुझे अपने भीतर ताकत की लहर महसूस हुई और मुझे यातना सहने का साहस मिल गया।
जब मैं यह सब सोच रहा था, दो अधिकारी मेरे पास आए, मुझे पेट के बल फर्श पर दबाया, और फिर मेरे ऊपर एक कुर्सी दबा दी। दो और अधिकारी आए, और वे मेरे दोनों ओर खड़े होकर मेरे हाथों को अपने पैरों से कुचलने लगे। ऐसा लगा जैसे फर्श पर मेरे हाथों में कीलें ठोंक दी गई हैं, मैं बिल्कुल भी नहीं हिल सकता था। जिस पुलिसकर्मी के पास बिजली के तार थे, उसने सर्किट बॉक्स से दो तार लिए और एक तार को मेरे बाएं हाथ की एक उंगली पर, और दूसरे को मेरे दाहिने हाथ की एक उंगली पर बाँध दिया, फिर सर्किट बॉक्स से बिजली चालू कर दी। मेरे शरीर में हर एक नस के माध्यम से तुरंत बिजली की एक लहर दौड़ गयी; यह सुन्न करने वाला और दर्दनाक अनुभव था, मेरे पूरे शरीर में ऐंठन होने लगी। यह इतना दर्दनाक था कि मैं चीख उठा। दुष्ट पुलिसवाले ने मेरे मुँह में फोम की चप्पल घुसा दिया। उन्होंने इस तरह से मुझे बार-बार झटके दिये, जिससे ऐसा दर्द हुआ कि मैं पूरी तरह से पसीने में भीग गया, और कुछ ही समय में मेरे सारे कपड़े पसीने में भीग गए, जैसे कि मैं पानी से नहाया हूँ। बिजली के झटके देते हुए, अधिकारी मुझ पर चिल्लाता रहा, "तू मुँह खोलेगा या नहीं? अगर तुमने मुँह नहीं खोला तो मैं बिजली के झटके दे-देकर तुझे मार डालूँगा! मुँह न खोलने की यही सज़ा है!" मैंने अपने दांतों को कसकर बंद कर लिया और बिना कोई आवाज़ किए खुद को दर्द सहने को मजबूर किया। जब उन्होंने यह देखा, तो उन्होंने बिजली चालू रखी। अंत में, मुझे लगा कि मैं इसे अब और सहन नहीं कर सकता और मरने की कामना करने लगा। मैंने अपने शरीर की शेष बची ताकत का उपयोग अपने ऊपर कुर्सी को दबाये दो अधिकारियों को धकेलने के लिए किया और फिर फर्श पर अपने सिर को जोर से पटक दिया। लेकिन अजीब बात है कि वह कठोर कंक्रीट का फर्श अचानक कपास की तरह नरम महसूस हुआ, और मेरे ज़ोरों से इस पर सिर मारने का कोई असर नहीं हुआ। तभी, परमेश्वर के वचनों की कुछ पंक्तियाँ जिस पर अक्सर संगति में चर्चा की जाती थी, अचानक स्पष्ट रूप से मेरे मन में कौंध गईं: "कुछ लोगों के कष्ट एक विशेष बिंदु तक पहुँच जाते हैं, और उनके विचार मृत्यु की ओर मुड़ जाते हैं। यह परमेश्वर के लिए सच्चा प्रेम नहीं है; ऐसे लोग कायर होते हैं, उनमें बिलकुल धीरज नहीं होता, वे कमजोर और शक्तिहीन होते हैं!" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पीड़ादायक परीक्षणों के अनुभव से ही तुम परमेश्वर की मनोहरता को जान सकते हो)। "भले ही तुम्हारी देह कष्ट उठाती है, पर तुम्हारे पास परमेश्वर का वचन है और तुम्हारे पास परमेश्वर का आशीर्वाद है। अगर तुम चाहो तो भी तुम मर नहीं सकते हो: क्या तुम यह स्वीकार कर सकते हो कि मर जाने पर तुम परमेश्वर को नहीं जानोगे और सत्य को नहीं पाओगे?" ("मसीह की बातचीतों के अभिलेख" में "केवल सत्य की खोज करके ही तू अपने स्वभाव में परिवर्तन को प्राप्त कर सकता है")। परमेश्वर के वचनों ने मुझे सौम्यता से याद दिलाया कि मैं इसलिए मरना चाहता था क्योंकि मैं दुख को सहन नहीं कर पा रहा था, इस तरह मैं परमेश्वर का साक्षी नहीं बनूंगा, बल्कि परमेश्वर को शर्मसार करने वाला और उससे विश्वासघात करने वाला बनूँगा। यह हिम्मत का अभाव होगा, यह कायरता होगी, और यह शैतान को बिल्कुल भी शर्मिंदा नहीं करेगा। परमेश्वर की प्रबुद्धता ने मुझे यह महसूस कराया कि फर्श का अचानक नरम महसूस होना वास्तव में परमेश्वर का धीरे से मुझे रोकना था, मेरी रक्षा करना था, और मुझे मरने नहीं देना था, इस उम्मीद में कि मैं इस भयानक स्थिति के बीच में गवाही दे सकूँ, इस प्रकार शैतान को शर्मिंदा और परमेश्वर को महिमान्वित कर सकूँ। परमेश्वर के प्रेम और संरक्षण को देखना मेरे लिए बहुत प्रेरणादायक था और मैंने मन ही मन एक संकल्प किया: चाहे ये दुष्ट पुलिसवाले मुझे कितना भी प्रताड़ित करें, मैं आगे बढ़ता रहूँगा, यहाँ तक कि अगर मेरी अंतिम घड़ी भी हो तो भी मैं इसे अच्छी तरह से व्यतीत करूँगा और परमेश्वर के लिए गवाह बनूँगा, और मैं उसे बिल्कुल निराश नहीं होने दूंगा। मेरे पूरे शरीर में ताकत का संचार हुआ। मैंने अपना मुँह भींचा और अधिक क्रूर विद्युत यातना के लिए तैयार हो गया।
यह देखकर कि मैं अभी भी झुक नहीं रहा हूँ, अधिकारी इतने गुस्से में थे कि उनकी नसें तड़क रही थीं। उनकी आँखें खूँखार लग रही थीं, वे अपने दांत पीस रहे थे, मुट्ठी बांध रहे थे, ऐसा लग रहा था जैसे वे मुझे खा जाने को तड़प रहे हैं। उनमें से एक, पूरी तरह से तंग आकार, मुझ पर झपटा और मेरे बालों का गुच्छा पकड़कर मेरे सिर को ऊपर की ओर खींचा, मेरे चेहरे पर झुक कर, भयानक तरह से घूरते हुए चिल्लाया, "नाली के कीड़े, तू कुछ बोलेगा या नहीं? अगर तू नहीं बोला, तो मैं तेरी चमड़ी उधेड़ कर तुझे मरने के लिए को छोड़ दूंगा। मुँह न खोलने वाले का यही हाल होता है!" उसने फिर मेरे बालों छोड़ दिया, और एक अन्य दुष्ट पुलिसकर्मी पर चिल्लाया, "इसे बिजली का घातक झटका दे दो!" इस बड़े झटके का सामना करने में असमर्थ होने के कारण मैं बेहोश हो गया। उन्होंने मुझे होश में लाने के लिए ठंडे पानी के छींटे मारे, फिर अपनी यातना जारी रखी। कई और झटकों के बाद मेरे पूरे शरीर में असहनीय दर्द हो रहा था। मैं वास्तव में अब इसे और नहीं सह सकता था, मुझे लगा कि मैं किसी भी समय मर सकता हूँ। इस संकट में, परमेश्वर ने मुझे कलीसिया के इस भजन के बारे में सोचने के लिए प्रेरित किया: "प्रतिकूलता में, परमेश्वर के वचनों की अगुवाई से मेरा हृदय मज़बूत होता है; मैं हल को पकड़ कर पीछे की ओर नहीं देख सकता। राज्य के प्रशिक्षण को स्वीकार करना अत्यंत दुर्लभ है और मैं पूर्ण किए जाने के इस अवसर को बिल्कुल नहीं गँवा सकता। परमेश्वर को नाकाम करके, मुझे आजीवन पश्चाताप होगा। अगर मैं परमेश्वर से मुंह मोड़ता हूँ तो इतिहास मेरा तिरस्कार करेगा। ... मेरा हृदय केवल सत्य को संजोता है और परमेश्वर के प्रति समर्पित है, मैं विद्रोह करके अब कभी परमेश्वर के दुख का कारण नहीं बनूँगा। मैं परमेश्वर से प्रेम करने और परमेश्वर के प्रति पूरी तरह समर्पित रहने के लिए संकल्पित हूँ और कोई भी ताकत मुझे नहीं रोक सकती। अब चाहे कितने भी मुश्किल परीक्षण और क्लेश आएँ, मैं परमेश्वर का गौरवगान करने के लिए उसकी गवाही दूँगा। मैं सत्य और परमेश्वर की पूर्णता प्राप्त करके एक सार्थक जीवन जीऊँगा" (मेमने का अनुसरण करना और नए गीत गाना में "मैं परमेश्वर के प्रति समर्पित रहने के लिये पूर्णत: संकल्पित हूँ")। मैंने परमेश्वर के इन वचनों के बारे में भी सोचा: "अगर तुम्हारी एक भी सांस बाकी है तो, परमेश्वर तुम्हें मरने नहीं देगा" ("वचन देह में प्रकट होता है" में आरम्भ में मसीह के कथन के "अध्याय 6")। परमेश्वर के वचनों के मार्गदर्शन में, मेरा कमजोर दिल एक बार फिर मजबूत हो गया। मैंने मन में सोचा, "तुम दुष्टात्माओं का झुंड कितना भी वहशी क्यों न हो, तुम केवल मेरे शरीर पर अत्याचार कर सकते हो और मेरे जीवन को मृत्यु से भी बदतर बना सकते हो, लेकिन तुम कभी भी परमेश्वर का अनुसरण करने की मेरी इच्छा को नहीं बदल सकते। जितना अधिक तुम मुझे पीड़ा देते हो, उतना ही स्पष्ट रूप से मैं तुम सबके दुष्ट चेहरों को देखता हूँ, और परमेश्वर का अनुसरण करने का मेरा संकल्प और मजबूत हो जाता है। यह सोचने की हिम्मत भी मत करना कि तुम मुझे एक भी भाई या बहन को दगा देने पर मजबूर कर सकते हो, भले ही इसके कारण मैं आज मर जाऊं, लेकिन मैं परमेश्वर को ज़रूर संतुष्ट करूंगा!" एक बार जब मैं अपने जीवन का बलिदान करने के लिए तैयार हो गया, तो मैंने एक बार फिर परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता के साथ-साथ मेरे लिए उसकी दया और परवाह भी देखी। उन्होंने मुझे और-भी कई बार बिजली के झटके दिये, और जब उन्होंने देखा कि मेरे पूरे शरीर में वास्तव में गंभीर ऐंठन हो रही है, तो उन्होंने और झटके देने की हिम्मत नहीं की। उन्हें डर था कि मैं मर जाऊंगा और उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाएगा। लेकिन वे अभी भी हार नहीं मान रहे थे, उन्होंने मुझे फिर से जमीन से उठाया, मेरी पीठ के पीछे मेरी बाहों को घुमाकर रस्सी से कसकर बांध दिया। रस्सी इतनी ज़ोर से धी गयी थी कि मेरी कलाई में बहुत दर्द हो रहा था। कुछ ही समय में मेरे हाथ ठंडे पड़ गए और उनमें सूजन आ गई; मेरे हाथ इतने सुन्न हो गए थे कि मुझे उनमें कोई संवेदना महसूस नहीं हो रही थी। दुष्ट पुलिसकर्मी मुझे और अधिक यातना देने के लिए मुझे लटकाना चाहते थे, लेकिन हर बार जब वे रस्सी को ऊपर खींचते तो वो ढीली पड़ जाती थी। उन्होंने कई बार ऐसा करने की कोशिश की, लेकिन हर बार असफलता ही हाथ लगी। हैरान होकर उन्होंने कहा, "आज हो क्या रहा है? रस्सी को संभालना कितना कठिन हो रहा है, यह सच में बड़ा अजीब है! शायद यह एक संकेत है कि हमें इस आदमी को मारना नहीं चाहिए?" उनमें से एक ने कहा, "बहुत हो चुका! आज के लिए इतना काफी है। देर हो रही है।" वो भयानक अधिकारी जो मुझे लटकाना चाहता था, उसके पास उनकी बात मानने के अलावा कोई चारा नहीं था, लेकिन उसने मुझे उँगली दिखाते हुए धमकी भरे लहजे में कहा, "आज तो किस्मत तेरा साथ दे गयी, लेकिन देखते जा कि मैं कल तेरे साथ क्या करता हूँ!" मुझे पता था कि परमेश्वर ने एक बार फिर मेरी रक्षा की है, और मैंने उसे अपने दिल में कई बार धन्यवाद दिया। तभी, परमेश्वर के ये वचन मेरे मन में आए: "ब्रह्मांड की सभी चीज़ें मेरे हाथों में हैं। मैं जो भी कहूंगा वही होगा। मेरा आदेश पूरा होगा। शैतान मेरे पैरों के तले है, वह एक अथाह गड्ढे में है!" ("वचन देह में प्रकट होता है" में आरम्भ में मसीह के कथन के "अध्याय 15")। "मैं तुम्हारे पीछे हूँ और तुममें एक मर्द बच्चे की भावना होनी चाहिए! शैतान अपनी मौत की पीड़ा में अंतिम प्रहार कर रहा है लेकिन यह फिर भी मेरे न्याय से बच निकलने में असमर्थ ही रहेगा। शैतान मेरे पैरों तले है और यह तुम लोगों के पैरों के नीचे भी कुचला हुआ है—यह सच है!" ("वचन देह में प्रकट होता है" में आरम्भ में मसीह के कथन के "अध्याय 17")। उस दिन, मैंने व्यक्तिगत रूप से परमेश्वर द्वारा की गयी मेरी चमत्कारिक सुरक्षा देखी, और मैंने खुद अनुभव किया कि परमेश्वर वास्तव में सर्वशक्तिमान है और वह हर चीज पर शासन करता है, स्वर्ग और पृथ्वी में सब कुछ उसके हाथों में है, और सभी चीजें, जीवित या निष्प्राण, पूरी तरह से परमेश्वर द्वारा शासित हैं। मैंने देखा कि वे दुष्ट पुलिस अधिकारी विशेष रूप से परमेश्वर के आयोजन के अधीन थे, और भले ही वे बाहर से वहशी नज़र आ रहे थे, लेकिन परमेश्वर की अनुमति के बिना वे मेरा बाल भी बांका नहीं कर सकते थे। जब तक मुझे परमेश्वर में विश्वास था और उसे संतुष्ट करने के लिए मैं अपनी जान देने को तैयार था, और उसके लिए गवाही देने के लिए तैयार था, तब तक वे दुष्टात्माएँ निश्चित रूप से शर्मिंदा और पराजित होंगी। यह परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता और उसकी पूर्ण विजय का मूर्त रूप था!
उन अधिकारियों ने मुझे उस दो मंजिला इमारत में 2 बजे से शाम 6 बजे तक बिना रुके यातना दी, फिर मुझे वापस पुलिस स्टेशन ले गए। जब हम वापस आए, तो उन्होंने मुझे एक लोहे के पिंजरे में डाल दिया और मुझे खाने या पीने के लिए कुछ भी नहीं दिया। ठंड से परेशान, भूखा और शारीरिक रूप से कमज़ोर, मैं पिंजरे की सलाखों पर झुक गया और उस दिन जो कुछ हुआ उस पर वापस सोचा। मेरे मन में परमेश्वर के कुछ वचन गूँजे: "सह-अपराधियों का समूह![1] वे नश्वर भोग के सुख में लिप्त होने और विकार फ़ैलाने के लिए मनुष्यों के बीच आते हैं। उनका उपद्रव दुनिया में अस्थिरता का कारण बनता है और मनुष्य के दिल में आतंक ले आता है, और उन्होंने मनुष्य को विकृत कर दिया है ताकि मनुष्य असहनीय कुरूपता वाले जानवरों के समान दिखे, मूल पवित्र व्यक्ति की थोड़ी-सी भी पहचान रखे बिना। यहाँ तक कि वे धरती पर अत्याचारियों की तरह ताकत ग्रहण करना चाहते हैं। वे परमेश्वर के कार्य में बाधा डालते हैं ताकि यह मुश्किल से आगे बढ़ सके और मानव को जैसे तांबे और इस्पात की दीवारों के पीछे बंद कर दिया जा सके। इतने सारे पाप करने और इतनी परेशानी का कारण बनने के बाद वे ताड़ना की प्रतीक्षा करने के अलावा कैसे अन्य किसी भी बात की उम्मीद कर सकते हैं?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, कार्य और प्रवेश (7))। तथ्यों के साथ परमेश्वर के वचनों की तुलना करते हुए, मैंने अंत में स्पष्ट रूप से देखा कि पहले मैं जिन पुलिस अधिकारियों का सम्मान करता था, वे वास्तव में अविश्वसनीय रूप से बर्बर और क्रूर थे। वे बहुत इज्ज़तदार दिखाई देते हैं और हमेशा कर्तव्य और निष्ठा के बारे में बोलते रहते हैं, "लोगों के सेवक" के रूप में परोपकार का मुखौटा पहनते हैं, लेकिन वास्तव में, वे क्रूर और संवेदनाहीन जानवरों का एक झुंड हैं, दुष्टात्माएँ हैं जो बिना पलक झपकाए किसी की भी हत्या कर सकते हैं। मैं परमेश्वर में विश्वास करता हूँ इसमें गलत क्या है? परमेश्वर की आराधना करना गलत क्यों है? उन दुष्ट अधिकारियों ने मुझे एक कट्टर दुश्मन की नज़र से देखा और मेरे साथ बहुत ही अमानवीय क्रूरता का व्यवहार किया, मुझे मौत के कगार पर धकेल दिया। एक इंसान इस तरह की चीज़ें कैसे कर सकता है? क्या ये ऐसी चीजें नहीं हैं जो केवल एक दानव ही कर सकता है? तभी मुझे महसूस हुआ कि वे पुलिस अधिकारी बाहर से इंसान दिखते थे, लेकिन अंदर से उनका सार दानवों और बुरी आत्माओं का था जो सत्य और परमेश्वर से घृणा करते हैं, और जो परमेश्वर के स्वाभाविक शत्रु हैं। वे दुनिया में विशेष रूप से लोगों को नुकसान पहुंचाने और निगल जाने के लिए जीते-जागते भूत के रूप में आए हैं। मैं उनके प्रति घृणा से भर गया और साथ ही साथ मुझे परमेश्वर की दयालुता और मनोहरता का गहरा अनुभव भी हुआ। हालाँकि मैं शैतान की मांद में गिर गया था, लेकिन परमेश्वर हमेशा मेरे साथ था और चुपचाप मेरी रक्षा कर रहा था, मुझे प्रोत्साहित कर रहा था और मुझे अपने वचनों से सांत्वना दे रहा था, मुझे विश्वास और शक्ति दे रहा था ताकि मैं उन दुष्टात्माओं द्वारा किए जा रहे अत्याचार और विनाश के सामने हर समय टिक सकूँ। यहाँ तक कि कई बार जब मैं मृत्यु के कगार पर था, परमेश्वर ने मुझे अपने महान सामर्थ्य से बचाया, मुझे मरने से बचाया। परमेश्वर का मेरे लिए जो प्यार है वो बहुत वास्तविक है! मैंने मन-ही-मन अपने आप को समझाया: आगे ये राक्षस मुझे चाहे जैसे भी सतायेँ, मैं गवाह बनकर परमेश्वर को संतुष्ट करूंगा। परमेश्वर के वचनों की प्रबुद्धता और मार्गदर्शन ने मेरे दिल को सुकून दिया और मेरे शारीरिक दर्द को काफी कम किया। परमेश्वर के प्यार के सहारे, मैंने इस लंबी रात को काटा।
अगले दिन, दो अधिकारी नाश्ता करने के बाद सलाखों के सामने आकर खड़े हो गए। उनमें से एक ने धूर्तता से मुस्कुराते हुए कहा, "कैसा है तू? क्या पिछली रात तुझे सोचने का समय मिला? तो, आज तू मुँह खोलेगा या नहीं?" मैंने उसकी तरफ देखा लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। यह देखते ही उसने तुरंत अपनी धुन बदल दी। उसने सलाखों के बीच से एक हाथ डालकर मेरे बालों को पकड़ लिया, और मुझे अपने चेहरे के ठीक सामने खींच लिया। फिर उसने अपनी सिगरेट की नोक से मेरी नाक को जलाया और दरिंदगी से मेरी ओर देखते हुए कहा, "मैं तुझे बता रहा हूँ, बहुत सारे अपराधी यहाँ आते हैं और मुँह खोलने के सबसे ज्यादा अनिच्छुक लोग भी मेरे चंगुल से बच नहीं पाते हैं। अगर तू यहाँ नहीं भी मरता है, तो भी मैं तेरी खाल उधेड़ दूंगा!" कुछ ही समय में दो अन्य अधिकारी भी आ गए। उन्होंने पिंजरे को खोला और मुझे बाहर निकाला। तब तक मुझे अपने पैर रबड़ जैसे और कमज़ोर महसूस हो रहे थे और मैं खड़ा नहीं हो पा रहा था। मैं फर्श पर गिर गया। अधिकारियों में से एक को लगा कि मैं नाटक कर रहा हूँ, इसलिए वह मेरे पास आया और वहशी ढंग से मुझे लातें मारीं और चिल्लाया, "तुझे लगता है कि तू मेरे साथ मरने का नाटक कर सकता है?" दो अन्य अधिकारियों ने मुझे उठाया और मुझे चेहरे और ऊपरी शरीर पर मुक्के मारे। कुछ समय तक मुझे मारने के बाद, उन्होंने देखा कि मेरा शरीर एक लाश की तरह झूल रहा है, मेरी नाक और मुँह से खून निकल रहा था, और मेरा चेहरा खून से सना था और उसमें कोई प्रतिक्रिया नहीं थी। उनमें से एक ने कहा, "छोड़ो इसे, जाने दो। ऐसा लगता है कि ये ज़्यादा नहीं टिकेगा, अगर यह हमारे हाथों मर गया, तो इससे हमें बहुत परेशानी होगी।" तब जाकर उन्होंने मुझ पर अपना हिंसक हमला रोका और मुझे एक किनारे कर दिया। मैं उन्हें चुपचाप आपस में बात करते हुए सुन रहा था, और उनमें से एक ने कहा, "इतने समय से मैं एक पुलिस अधिकारी हूँ लेकिन मैंने इसके जैसा मजबूत आदमी नहीं देखा। इसने पूरे समय में एक भी शब्द नहीं कहा है, कुछ तो बात है!" मैंने महसूस किया कि मैं शैतान के सिर लटकाने की आवाज़ को सुन सकता हूँ, उनकी बातचीत में वह निराशा से आहें भर रहा है, मैं उसे असफलता के समाने घबराहट में भागते हुए देख सकता था। मैं भी परमेश्वर को महिमा प्राप्त करने के कारण मुस्कुराते हुए देख सकता था, मुझे ऐसे आनन्द की अनुभूति हुई जिसे मैं बयाँ नहीं कर सकता। मैंने मन में परमेश्वर को धन्यवाद दिया और अपने दिल में कलीसिया के "राज्य" नामक एक भजन गाने से खुद को रोक नहीं पाया: "परमेश्वर मेरा सहारा है, मैं किससे डरूं? अंत तक शैतान के साथ लड़ने के लिए अपने जीवन को सौंपने की मैं प्रतिज्ञा करता हूं। परमेश्वर हमें उठाता है, हमें सब कुछ पीछे छोड़कर मसीह के लिए गवाही देने के लिए लड़ना चाहिए। परमेश्वर पृथ्वी पर अपनी इच्छा पूरी करेगा। मैं अपना प्यार और वफ़ादारी तैयार करूंगा और परमेश्वर को ये सब समर्पित करूंगा। जब वह महिमा में उतरेगा, तो मैं ख़ुशी से परमेश्वर की वापसी का स्वागत करूंगा, और जब मसीह का राज्य साकार होगा, मैं उससे फिर से मिलूंगा। ... विपत्तियों से निकलते हैं अनेक विजयी अच्छे सैनिक। हम परमेश्वर के साथ विजयी हैं और परमेश्वर की गवाही बनते हैं। उस दिन का इंतज़ार करो जब परमेश्वर महिमा प्राप्त करेगा, यह एक अप्रतिरोधी शक्ति के साथ आता है। परमेश्वर की रोशनी में चलते हुए सभी लोग इस पर्वत तक आते हैं। राज्य की अद्वितीय महिमा पूरी दुनिया में प्रकट होनी चाहिए" (मेमने का अनुसरण करना और नए गीत गाना में "राज्य")। मैं जितना गाता गया, उतना ही ऊर्जावान महसूस करता गया। मैंने महसूस किया कि परमेश्वर का अनुसरण करने में, इस तरह के उत्पीड़न और कष्ट को अनुभव कर पाना सच में मेरे लिए एक सम्मान की बात है। मेरा विश्वास बहुत तेज़ी से बढ़ा, और मैंने अंत तक शैतान के खिलाफ लड़ाई करने की कसम खाई। इस तरह से मैंने दूसरा दिन काटा।
तीसरे दिन सुबह करीब 9 बजे एक पुलिस अधिकारी आया। जैसे ही वो आया उसने अपना परिचय दिया और कहा कि वह उस स्टेशन का पुलिस प्रमुख है। वह मेरे सामने खड़ा हो गया, और झूठी शिष्टता के साथ कहा, "तुमने सच में बहुत सहा है। मैं पिछले कुछ दिनों से बैठकों के लिए ज़िले में था; मैं अभी वापस आया और तुम्हारे साथ जो हो रहा है उसके बारे में सुना। मैंने उन्हें बहुत बुरी तरह से फटकार लगाई है। वे स्थिति समझे बिना ही किसी को इस तरह मनमाने ढंग से कैसे मार सकते हैं? यह वास्तव में बहुत गलत हुआ।" मैं एक दुष्ट पुलिस अधिकारी की इस अप्रत्याशित "दयालुता" को देखकर उलझन में पड़ गया, लेकिन तभी मुझे परमेश्वर के कुछ वचनों ने याद दिलाया: "हर समय, मेरे लोगों को शैतान की चालाक योजनाओं से सतर्क होना होगा" ("वचन देह में प्रकट होता है" में संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन के "अध्याय 3")। मुझे समझ में आ गया कि यह शैतान की एक चाल है। जब उसने देखा कि छड़ी काम नहीं आ रही है, तो यह मुझे परमेश्वर को धोखा देने और कलीसिया से दगा करने के लिए लालच देने की कोशिश कर रहा है। मेरा दिल उज्ज्वल हो गया और मुझे भीतर से आत्मविश्वास महसूस हुआ। मैंने सोचा, "परमेश्वर की बुद्धि शैतान की चाल के आधार पर उससे आगे रहती है। दुष्ट शैतान, चाहे तुम कितने ही चालाक और कपटी हो, मेरा मार्गदर्शन करने के लिए मेरे पास परमेश्वर के वचन हैं। अगर तुम्हें लगता है कि तुम्हारी तरकीबें सफल होंगी, तो तुम सपने देख रहे हो!" उसने मुझे लुभाने के लिए कितनी भी "अच्छी बातें" क्यों न कीं हों, मैंने उस पर थोड़ा भी ध्यान नहीं दिया। यह देखकर कि सब कुछ बेकार है, उसके पास जाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था। उसके बाद, दो अन्य अधिकारी अंदर आए और गुस्सा होते हुए मुझ पर चिल्लाए, "नाली के कीड़े, रुक तू। अगर तूने मुँह नहीं खोला तो तू यहाँ से कभी नहीं निकल पाएगा! तुझे सज़ा दिलाने के लिए हमें किसी सबूत की ज़रूरत नहीं। तू तो बस देखता जा!" मैं उनकी धमकियों को सुनकर बहुत शांत था, मन में सोच रहा था, "मेरा मानना है कि सब कुछ परमेश्वर के हाथों में है, मुझे सज़ा मिलेगी या नहीं, यह भी उसके हाथों में है। इन राक्षसों का कहा निर्णायक नहीं है, परमेश्वर का कहा अंतिम होता है। चाहे कुछ भी हो जाये, मेरा मानना है कि परमेश्वर की हर बात का मतलब है और मैं अंत तक उसकी आज्ञा मानने को तैयार हूँ।"
पुलिस के पास दोष साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं था, लेकिन वे अभी भी मुझे जाने देने के लिए तैयार नहीं थे। उन्होंने मुझे कई दिनों तक भोजन और पानी देने से मना कर दिया। उस शाम मैं इतना भूखा था कि मेरे अंदर कोई शारीरिक ताकत नहीं बची थी, मैंने सोचा कि अगर सब इसी तरह चलता रहा तो मैं भूखा ही मर जाऊँगा। तभी मैंने सोचा, "लोगों की किस्मत परमेश्वर के हाथों में है, इसलिए अगर परमेश्वर नहीं चाहता कि कोई मरे, तो वह नहीं मरेगा। मुझे बस परमेश्वर की व्यवस्थाओं और आयोजनों के लिए समर्पित होना है।" थोड़ी ही देर में, पुलिस छह लोगों को पकड़ कर लाई जिन्हें जुआ खेलते हुए पकड़ा गया था। उन छह लोगों ने अधिकारियों से कुछ डंपलिंग मंगवाईं, और अधिकारी कुछ ज़्यादा ही ले आए। उन लोगों ने अपने जुर्माने का भुगतान किया और जल्दी ही रिहा हो गए; उन लोगों ने जाने से पहले, पुलिस की जानकारी के बिना अपने बचे हुए डंपलिंग मुझे दे दिए। मैंने एक बार फिर देखा कि सभी लोग, घटनाएँ, और चीज़ें परमेश्वर के हाथों में हैं। मेरी आँखों से आँसू बह निकले और मैं भावनाओं से इतना ओत-प्रोत हो गया कि बता नहीं सकता। मुझे महसूस हुआ कि परमेश्वर कितना प्यारा और कितना चमत्कारिक है! भले ही मैं राक्षस की खोह में गिर गया था, लेकिन परमेश्वर हर समय मेरे साथ था, मेरी देखभाल कर रहा था और मेरी निगरानी कर रहा था, मेरी आंतरिक जीवन शक्ति के रूप में कार्य कर रहा था, मुझे बार-बार शैतान द्वारा प्रलोभित होने से बचाने के लिए सहारा दे रहा था। उसने मेरी कमज़ोरी के प्रति भी दया दिखाई, मुझे इन कठिनाइयों से गुज़रने में मदद दी। परमेश्वर बहुत व्यावहारिक है, और उसका प्यार बहुत वास्तविक है!
छठे दिन तक, पुलिस मुझे किसी अपराध के लिए दोषी ठहराने की ख़ातिर कोई सबूत नहीं पा सकी, इसलिए उन्होंने मुझ पर 200 युआन का जुर्माना लगाया और मुझे जाने दिया। मैं अच्छी तरह से जानता था कि परमेश्वर इस सब पर शासन कर रहा है, और परमेश्वर निश्चित रूप से जानता है कि मुझे कितना दुख सह सकता हूँ और मुझे कितनी राहों पर चलना चाहिए। परमेश्वर मुझे एक भी दिन अतिरिक्त पीड़ा नहीं सहने देगा। मुझे पता था कि पुलिस मुझे उस दिन जाने नहीं देना चाहती थी, क्योंकि अपनी शैतानी, भयावह प्रकृति के कारण, वे मुझे कभी भी आसानी से जाने नहीं देते। लेकिन चूंकि परमेश्वर ने इससे ज़्यादा की अनुमति नहीं दी, इसलिए इस मामले में उनकी एक नहीं चली। इससे मैं यह भी देख पाया कि परमेश्वर द्वारा अपने चुने हुए लोगों को पूर्ण बनाने के काम में शैतान और दुष्टात्माएँ परमेश्वर को अपनी सेवाएँ प्रदान कर रही हैं, भले ही वे बहुत भयावह दिखाई दें, परमेश्वर हर चीज पर शासन करता है। जब तक हम वास्तव में परमेश्वर का सहारा लेते हैं और उसे समर्पित होते हैं, तब तक वह हमारी रक्षा करेगा ताकि हम सभी दानवी शक्तियों को परास्त कर सकें, और खतरे से निकलकर सुरक्षित स्थान में आ जाएँ।
मुझे पुलिस स्टेशन में पूरे छह दिनों तक यातनाएं दी गईं, और उन छह दिनों के असाधारण अनुभव ने मुझे सच में सीसीपी सरकार के कुरूप चेहरे और उसकी दुष्ट, प्रतिक्रियावादी प्रकृति और सार को देखने में मदद की। मैंने देखा कि यह एक दानव है जो परमेश्वर का दुश्मन है, और यह बदमाशों के एक गिरोह से बना है। इसने मुझे परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता, संप्रभुता, चमत्कारिकता और ज्ञान को समझने और व्यक्तिगत रूप से परमेश्वर के प्रेम और उद्धार का अनुभव करने की अनुमति दी; मुझे समझ में आया कि परमेश्वर एक सर्वशक्तिमान, विश्वासयोग्य, महान और प्यारा परमेश्वर है, और वह हमेशा मानवजाति के विश्वास और आराधना के योग्य है। इससे भी अधिक, वह मानवजाति के प्यार के योग्य है। वह अनुभव मेरे विश्वास के जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ बन गया क्योंकि इसके बिना, मेरे अंदर शैतान के प्रति कभी भी इतनी भयंकर नफ़रत पैदा नहीं होती, न ही मुझे परमेश्वर के बारे में सच्ची समझ प्राप्त होती। तब परमेश्वर में मेरा विश्वास बहुत खोखला होता और मैं पूर्ण उद्धार प्राप्त नहीं कर पाता। सीसीपी सरकार द्वारा उस क्रूर उत्पीड़न और दमन से गुज़रने के बाद ही मुझे पता चला कि शैतान और दानव क्या हैं, पृथ्वी पर नर्क क्या होता है और अंधेरी, बुरी ताकतें क्या होती हैं। केवल उस अनुभव के माध्यम से मैं महसूस कर सकता था कि परमेश्वर ने मुझ पर कितनी भारी कृपा और करुणा दिखाई है कि मैं, ऐसी अंधेरी, बुरी, गंदी भूमि चीन में पैदा हुआ एक इंसान, शैतान के पंजे से बच सका, विश्वास की राह पर चल पाया और जीवन में प्रकाश खोज पाया! मैंने परमेश्वर के वचनों के अधिकार और शक्ति का भी अनुभव किया। उसके वचन वास्तव में किसी व्यक्ति का जीवन बन सकते हैं, वे लोगों को शैतान के प्रभाव से बचा सकते हैं और मृत्यु के बंधनों को दूर करने में उनकी मदद कर सकते हैं। मैंने सच में यह भी अनुभव किया कि केवल परमेश्वर ही लोगों के लिए सच्चे प्रेम और लोगों के सच्चे उद्धार में सक्षम है, जबकि शैतान और दानव केवल लोगों को धोखा दे सकते हैं, उन्हें नुकसान पहुँचा सकते हैं, और निगल सकते हैं। मुझे सही और गलत के बीच अंतर करने, स्पष्ट रूप से अच्छाई और बुराई को देखने में समर्थ करने के वास्ते सीसीपी सरकार के उत्पीड़न का उपयोग करने के लिए मैं परमेश्वर को धन्यवाद देता हूँ। इस दिन से, मैं परमेश्वर के बारे में सच्चे ज्ञान को प्राप्त करने के लिए, और परमेश्वर के सुसमाचार को सक्रिय रूप से फैलाने और उसके नाम का साक्षी बनने के लिए सत्य को अधिक से अधिक समझने और प्राप्त करने का प्रयास करना चाहता हूँ ताकि अधिक लोग परमेश्वर के समक्ष आ सकें और उसकी आराधना कर सकें।
फुटनोट:
1. "सह-अपराधियों का समूह" "गुंडों के गिरोह" की ही किस्म का है।
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