मुक्त हो गयी मेरी आत्मा

17 अक्टूबर, 2020

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "अपने जीवन में, यदि मनुष्य शुद्ध होकर अपने स्वभाव में परिवर्तन लाना चाहता है, यदि वह एक सार्थक जीवन बिताना चाहता है, और एक प्राणी के रूप में अपने कर्तव्य को निभाना चाहता है, तो उसे परमेश्वर की ताड़ना और न्याय को स्वीकार करना चाहिए, और उसे परमेश्वर के अनुशासन और प्रहार को अपने-आपसे दूर नहीं होने देना चाहिए, ताकि वह खुद को शैतान की चालाकी और प्रभाव से मुक्त कर सके, और परमेश्वर के प्रकाश में जीवन बिता सके। यह जान लो कि परमेश्वर की ताड़ना और न्याय प्रकाश है, मनुष्य के उद्धार का प्रकाश है, और मनुष्य के लिए इससे बेहतर कोई आशीष, अनुग्रह या सुरक्षा नहीं है" ("वचन देह में प्रकट होता है" में 'पतरस के अनुभव: ताड़ना और न्याय का उसका ज्ञान')। परमेश्वर के वचनों का यह अंश मुझे कुछ साल पहले के अपने एक अनुभव की याद दिलाता है।

अक्टूबर 2016 में, नृत्य और गायन का एक संगीत वीडियो इंटरनेट पर डाला गया, जिसके नृत्य-संयोजन में मैंने मदद की थी। भाई-बहनों ने इसे बहुत पसंद किया, और उन्होंने सिफारिश की कि कलीसिया की नृत्य टीम का प्रबंधन मैं करूं। मैं वाकई बहुत उत्साहित थी और मैंने मन-ही-मन परमेश्वर से प्रार्थना करते हुए कहा कि मैं निश्चित रूप से यह कर्तव्य ठीक ढंग से निभाऊंगी और उसकी गवाही देने के लिए और ज़्यादा वीडियो बनाऊंगी। जल्दी ही नृत्य टीम का काम बढ़ने लगा भाई-बहन वाकई मुझे आदर से देखने लगे, और अगर नृत्य को लेकर कोई समस्या होती, तो मदद के लिए मेरे पास आने लगे। इससे मेरे अभिमान को खुराक मिलने लगी, और मुझे लगने लगा कि मैं कलीसिया की एक अनिवार्य प्रतिभा हूँ। जल्दी ही, कलीसिया की अगुआ ने बहन ये को मेरे साथ काम पर लगा दिया। मैं सचमुच खुश थी, यह सोच कर कि बहन ये को नृत्य का पेशेवर तजुर्बा भी है, और उसे मेरे मुकाबले तरह-तरह की नृत्य शैलियाँ आज़माने में महारत भी हासिल है। हम एक-दूसरे की कमियों को पूरा कर सकेंगे। हम अपने कर्तव्य को ज़रूर अच्छी तरह निभायेंगे। कुछ समय बाद, हम एक संगीत वीडियो का फिल्मांकन करने की तैयारी कर रहे थे, नृत्य-संयोजन के लिए बहन ये के सुझाव मेरे सुझावों से ज़्यादा विकसित और अधिक अंतर्दृष्टि वाले थे। सभी भाई-बहनों ने उन सुझावों को पसंद किया। मैं इस बात से ज़्यादा खुश नहीं थी, मैंने सोचा, "दूसरे लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे? क्या उनको लगेगा कि मैं बहन ये जितनी माहिर नहीं हूँ? अगर वो मुझसे आगे निकल गयी, तो क्या तब भी टीम में मेरी कोई बड़ी भूमिका रहेगी?" मुझे तब ख़ास तौर पर ज़्यादा परेशानी होती जब मैं दूसरों को अपनी समस्याएँ लेकर बहन ये के पास जाते देखती। प्रभारी तो मैं थी, लेकिन जब भी कोई समस्या आती वे उसके पास जाते थे। क्या इसका मतलब यह नहीं कि वो मुझसे बेहतर है? मुझे लगा कि मुझे उससे पीछे नहीं रहना चाहिए, हमारे अगले कार्यक्रम में मुझे वाकई बढ़िया प्रदर्शन करना होगा ताकि सभी लोग मुझे उसके बराबर ही समझें।

बाद में, बहन ये और मैंने कार्य की ज़रूरतों के अनुसार अपना काम बाँट लिया। मैं एक संगीत वीडियो की प्रभारी बनी, तो उसने एक मंच प्रस्तुति का भार उठाया। मैं मन-ही-मन खुश थी। पहले जब हम साथ काम करते थे, तो मैं उसके आगे फीकी पड़ जाती थी, इसलिए मुझे लगा कि मुझे इस मौके का फ़ायदा उठाना चाहिए ताकि सब लोग देख सकें कि उसके मुक़ाबले मैं ज़्यादा क़ाबिल हूँ। मैंने शोध कार्य और नृत्य-संयोजन में ज़्यादा वक्त लगाया ताकि मैं बहुत बढ़िया संगीत वीडियो बना सकूं, मगर जब मैंने देखा कि बहन ये अपनी नृत्य प्रस्तुति लगभग पूरा तैयार कर चुकी है जबकि मैं अपना नृत्य-संयोजन भी पूरा नहीं कर पायी थी, तो बहुत बेचैन हो गयी। काम में तेज़ी लाने और गुणवत्ता सुधारने की कोशिश में, हमारे रिहर्सलों में, मैं भाई-बहनों को और भी अच्छा काम करने के लिए टोक कर परेशान कर देती। एक बार मैंने एक भाई को नृत्य के कुछ मूव को गलत करते देख कर डांटने के लहज़े में झिड़की दी, इस डर से कि अगर उसने अच्छा नृत्य नहीं किया तो इससे कार्यक्रम पर असर पड़ेगा और मैं बहन ये से आगे नहीं निकल पाऊँगी। फिल्मांकन से पहले एक भाई ने संकेत दिया कि शुरुआत में जो नृत्य है वह काफी नहीं है। वैसे तो मुझे लगा कि वो सही है, मगर उस पल मैं समझ नहीं पायी कि क्या जोडूं, तो उसने सुझाया कि मैं जाकर बहन ये से चर्चा करूं। यह सुन कर मुझे वाकई अच्छा नहीं लगा। ऐसे अहम पड़ाव पर उससे बात करूं तो क्या मैं उसके मुक़ाबले कम क़ाबिल नहीं लगूंगी? अगर बहन ये इस काम से जुड़ गयी, तो अंतिम श्रेय किसे मिलेगा? मैंने इस काम के लिए इतना वक्त लगा कर मेहनत की है, और इस वीडियो को पूरा करने के कगार पर हूँ। मैं तो उससे पूछने से रही। मैंने कहा, "छोड़ो, अब इन छोटी-छोटी चीज़ों पर काम मत रोको। जब वीडियो बन जाएगा तो देखेंगे कि कुल मिलाकर कैसा लगता है।" बाद में अगुआ ने हमारा संगीत वीडियो देखा और कहा कि यह परमेश्वर की गवाही देने के स्तर का नहीं बन पाया है, इसे दोबारा बनाना पड़ेगा। यह सुनकर मैं बहुत परेशान हो गयी—लगा जैसे मेरे दिल पर छुरी चल गयी है। मैंने सोचा, "अब वाकई मेरा अपमान हुआ है। बाकी सब समझ जाएंगे कि मेरी हैसियत क्या है। वे ज़रूर सोचेंगे कि मैं बहन ये जितनी माहिर नहीं हूँ और मैं अपने काम के क़ाबिल नहीं हूँ। आज के बाद मैं टीम में कैसे बनी रह सकूंगी?" उस दौरान, मैं अपनी शोहरत और रुतबे के अलावा कुछ भी नहीं सोच पा रही थी। मैं रात को सो नहीं पाती थी, सभाओं में सो जाती थी, और अपने काम में मेरा दिल नहीं लगता था।

एक दिन, मेरी अगुआ मेरे साथ संगति करने आयी। यह देख कर कि मुझमें खुद की समझ का पूरा अभाव है, उसने मुझे उजागर करते हुए मेरा निपटान किया, उसने कहा कि अपनी शोहरत और पद को बचाने के लिए मैं किसी और की प्रतिभा से जलती हूँ, मैंने कलीसिया के कार्य का ज़रा भी ख़याल नहीं किया, मैं स्वार्थी और घिनौनी हूँ। उसने मुझे सच्चाई से आत्मचिंतन करने को कहा, और उसने परमेश्वर के वचनों का यह अंश पढ़कर सुनाया : "जैसे ही पद, प्रतिष्ठा या रुतबे की बात आती है, हर किसी का दिल प्रत्याशा में उछलने लगता है, तुममें से हर कोई हमेशा दूसरों से अलग दिखना, मशहूर होना, और अपनी पहचान बनाना चाहता है। हर कोई झुकने को अनिच्छुक रहता है, इसके बजाय हमेशा विरोध करना चाहता है—इसके बावजूद कि विरोध करना शर्मनाक है और परमेश्वर के घर में इसकी अनुमति नहीं है। हालांकि, वाद-विवाद के बिना, तुम अब भी संतुष्ट नहीं होते हो। जब तुम किसी को दूसरों से विशिष्ट देखते हो, तो तुम्हें ईर्ष्या और नफ़रत महसूस होती है, तुम्हें लगता है कि यह अनुचित है। 'मैं दूसरों से विशिष्ट क्यों नहीं हो सकता? हमेशा वही व्यक्ति दूसरों से अलग क्यों दिखता है, और मेरी बारी कभी क्यों नहीं आती है?' फिर तुम्हें कुछ नाराज़गी महसूस होती है। तुम इसे दबाने की कोशिश करते हो, लेकिन तुम ऐसा नहीं कर पाते, तुम परमेश्वर से प्रार्थना करते हो। और कुछ समय के लिए बेहतर महसूस करते हो, लेकिन जब एक बार फिर तुम्हारा सामना इसी तरह के मामले से होता है, तो तुम इससे जीत नहीं पाते हो। क्या यह एक अपरिपक्व कद नहीं दिखाता है? क्या किसी व्यक्ति का इस तरह की स्थिति में गिर जाना एक फंदा नहीं है? ये शैतान की भ्रष्ट प्रकृति के बंधन हैं जो इंसानों को बाँध देते हैं। ... तुम जितना अधिक संघर्ष करोगे, उतना ही अंधेरा तुम्हारे आस-पास छा जाएगा, तुम उतनी ही अधिक ईर्ष्या और नफ़रत महसूस करोगे, और कुछ पाने की तुम्हारी इच्छा अधिक मजबूत ही होगी। कुछ पाने की तुम्हारी इच्छा जितनी अधिक मजबूत होगी, तुम ऐसा कर पाने में उतने ही कम सक्षम होगे, जैसे-जैसे तुम कम चीज़ें प्राप्त करोगे, तुम्हारी नफ़रत बढ़ती जाएगी। जैसे-जैसे तुम्हारी नफ़रत बढ़ती है, तुम्हारे अंदर उतना ही अंधेरा छाने लगता है। तुम्हारे अंदर जितना अधिक अंधेरा छाता है, तुम अपने कर्तव्य का निर्वहन उतने ही बुरे ढंग से करोगे; तुम अपने कर्तव्य का निर्वहन जितने बुरे ढंग से करोगे, तुम उतने ही कम उपयोगी होगे। यह एक आपस में जुड़ा हुआ, कभी न ख़त्म होने वाला दुष्चक्र है। अगर तुम कभी भी अपने कर्तव्य का निर्वहन अच्छी तरह से नहीं कर सकते, तो धीरे-धीरे तुम्हें हटा दिया जाएगा" ("अंत के दिनों के मसीह की बातचीत के अभिलेख" में 'अपना सच्चा हृदय परमेश्वर को दो, और तुम सत्य को प्राप्त कर सकते हो')। परमेश्वर के इन वचनों ने मुझे ज़ोर का झटका दिया। परमेश्वर ने जो प्रकाशित किया था वह ठीक मेरी ही दशा थी। मैं बहन ये की काबिलियत से निरंतर ईर्ष्या करती थी, शोहरत और लाभ के पीछे भागती थी। इन बातों से परमेश्वर को बहुत नफ़रत थी। मैंने याद किया कि जब से बहन ये टीम में शामिल हुई और मैंने देखा कि वह बहुत माहिर है, तब से मैं किस प्रकार उससे ईर्ष्या करने लगी। मुझे डर था कि दूसरे उसका आदर करेंगे, मुझे नीची नज़र से देखेंगे और मेरा पद खतरे में पड़ जाएगा। मैं खुद को चोरी-छिपे उसके विरुद्ध रखने लगी, और खुद को साबित करने के तरीके ढूँढ़ने लगी। जब मैंने देखा कि उसके नृत्य कार्यक्रम का नृत्य-संयोजन मेरे मुकाबले ज़्यादा तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, तो मैं भाई-बहनों से और तेज़ काम करने की अपेक्षा करने लगी ताकि मैं उससे पिछड़ न जाऊं। यह स्पष्ट था कि कुछ चीज़ों पर बहन ये और मुझे सलाह-मशविरा करना चाहिए था, लेकिन इस डर से कि सारा श्रेय वही छीन लेगी, मैंने उसे दूर रखने के बहाने ढूँढ़े। नतीजा यह हुआ कि कुछ समस्याओं से समय रहते नहीं निपटा गया, और भाई-बहनों के इतना वक्त और मेहनत लगाने के बावजूद, वीडियो परमेश्वर की गवाही देने लायक अच्छा नहीं बन सका। कलीसिया की अगुआ ने मेरे साथ काम करने के लिए बहन ये की व्यवस्था इसलिए की थी ताकि हम दोनों अपनी-अपनी खूबियों को साथ लाकर परमेश्वर की गवाही देने के लिए नृत्यों का सुंदर संयोजन करें, मगर मैं परमेश्वर की इच्छा के प्रति ज़रा भी विचारशील नहीं थी। मैं निरंतर शोहरत और फायदे की होड़ में लगी रहती और कलीसिया के कार्य में गड़बड़ी पैदा करती रहती। मैंने बुराई के सिवाय कुछ भी नहीं किया और परमेश्वर का विरोध किया। इस ख़याल ने मुझे थोड़ा भयभीत कर दिया और मुझे बहुत पछतावा होने लगा। मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की और निश्चय किया कि अब मैं दूसरों की कामयाबी से ईर्ष्या नहीं करूंगी, न ही शोहरत और फायदे की होड़ करूंगी। मैं परमेश्वर के सामने प्रायश्चित करना चाहती थी, बहन ये के साथ ठीक से काम करते हुए एकमत होकर अपना कर्तव्य निभाना चाहती थी।

इसके बाद जिन नृत्य-संयोजनों में हमने साथ मिलकर काम किया, उनमें मेरा रवैया थोड़ा-बहुत सुधर गया। ऐसा वक्त भी आया जब मैंने उससे ईर्ष्या महसूस की, मगर मुझे पता था कि मुझे अपने निजी स्वार्थों का नहीं बल्कि कलीसिया के कार्य का मान रखना चाहिए। मैंने समझदारी से देह-सुख का त्याग किया और खुद को अलग रखा, सोचा कि कार्यक्रम में सुधार लाने के लिए अपनी बहन के साथ किस तरह काम करूं। जब समस्याएँ और दिक्कतें पेश आयीं, तो हमने साथ-साथ संगति की, यदि कोई भ्रष्टता नज़र आती तो उस बारे में हम तुरंत खुल कर बात करतीं और उसे दूर करने के लिए साथ-साथ सत्य को खोजतीं। इसके बाद, मैंने परमेश्वर का मार्गदर्शन और आशीष देखा—नृत्य का संयोजन काफ़ी जल्दी कर लिया गया। मुझे उस आराम और सुकून का भी एहसास हुआ जो सत्य का अभ्यास करने से मिलता है।

कुछ महीने बाद बहन ये और मैं एक मंच कार्यक्रम की योजना बनाने के लिए फिर से साथ काम कर रहे थे। शुरुआत में चीज़ें काफ़ी जल्दी-जल्दी हुईं, और हमारा नृत्य-संयोजन दूसरों ने पसंद किया। मैं अपने-आप से बहुत खुश थी। एक दिन, अगुआ ने पूछा कि नृत्य-संयोजन का काम कैसा चल रहा है, तो मैंने खुशी से जवाब दिया, "हम बढ़िया तरक्की कर रहे हैं।" तब एक बहन ने स्वर मिलाया, "बहन ये के पास बहुत अच्छे सुझाव हैं, और सामान्य ढांचा बहुत अच्छा है।" मैंने नाराज़ होते हुए सोचा, "ऐसा क्यों कहती हो? अब सभी जानते हैं कि नृत्य के नये सुझाव बहन ये के दिये हुए थे, वे सोचेंगे कि मैं उसके बराबर नहीं हूँ। मुझे खुद कुछ हासिल करने का तरीका सोचना होगा, वरना अगुआ और भाई-बहन मेरे बारे में क्या सोचेंगे?" एक बार, नृत्य-संयोजन के दौरान, मैंने एक अनोखे, कलाबाजी वाले मूव के बारे में सोचा। जोश में, मैंने सोचा, "मैं कलाबाजी में बहुत अच्छी हूँ। अगर हम इसकी अच्छी रिहर्सल करेंगे, तो इससे न केवल नृत्य में रौनक आ जाएगी, बल्कि सभी को मेरी क़ाबिलियत भी नज़र आयेगी। तब सब लोग मुझे आदर से देखेंगे।" लेकिन अगले दिन जब मैं वह मूव भाई-बहनों को सिखा रही थी, तो उन लोगों ने कहा कि इसकी गति बहुत तेज़ है और यह बहुत मुश्किल मूव है। उस शाम एक बहन ने मुझे चेतावनी दी, "इस मूव से लोग खुद को चोट पहुंचा लेंगे। मेरे ख़याल से हमें इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।" मुझे सचमुच में चिंता थी कि कहीं वे इसकी जगह कोई दूसरा मूव न ले लें, फिर समय आने पर मैं बहन ये के साथ अपनी तुलना कैसे कर सकूंगी? मैंने सब लोगों को फिर कुछ बार अभ्यास करने के लिए प्रोत्साहित किया, और मैंने इसे तभी छोड़ा जब बहुत-सी बहनें गिरने की वजह से ज़ख्मी हो गयीं। मैं परेशान थी, मुझे बुरा लग रहा था, मैंने टीम से माफी मांगी और मूव को थोड़ा बदल दिया, मगर मैंने इसके बारे में आत्मचिंतन नहीं किया। जल्दी ही फिल्मांकन शुरू होने वाला था। बहन ये और मैं दोनों ने नृत्य-प्रदर्शन में हिस्सा लिया। फिल्मांकन के दौरान, मुझे लगा कि मैंने शॉट देते समय ठीक से नृत्य नहीं किया, इसलिए मैंने निर्देशक से कई रीटेक लेने को कहा। बाद में मैंने देखा कि जिन सभी शॉट में बहन ये थी, उन सबमें वह बहुत अच्छी दिखाई दे रही थी, लेकिन मेरा जो सिर्फ एक नज़दीकी शॉट था वह भी एक तरफ से लिया हुआ था। मैं निराश थी। बाद के फिल्मांकन सत्रों में मैं मुस्करा तक नहीं सकी और मेरा नृत्य भी नीरस था। मैं बस इसी सोच में लीन थी कि मैं बहन ये से बेहतर नृत्य कैसे करूं। मुझमें नृत्य के उन दृश्यों को देखने का हौसला नहीं था जिनकी मुझे जांच करनी थी, मैं इस बात से बेपरवाह थी कि उस नृत्य-प्रदर्शन में परमेश्वर की गवाही दी गयी या नहीं। इसलिए, जब वीडियो आया, तब सभी ने कहा कि नृत्य सपाट है, उसमें लचक नहीं है, बहुत दबा-दबा सा है, न सिर्फ यह परमेश्वर की गवाही देने के लिए काफ़ी नहीं है, बल्कि परमेश्वर को शर्मसार करने वाला है। बाद में, अगुआ ने कहा कि मैं शोहरत और फायदे की होड़ में फंसी हुई हूँ और अपने कर्तव्य में मैंने कुछ भी हासिल नहीं किया है, इसलिए उसने मुझे मेरे ज़िम्मेदारी वाले पद से बरखास्त कर दिया। मैं बहुत परेशान थी। शुरू-शुरू में मैं अपना कर्तव्य ठीक ढंग से निभा कर परमेश्वर को संतुष्ट करना चाहती थी, मगर खुद के लाभ के लिए काम करने की वजह से, मैंने जो कार्यक्रम तैयार किये, वे न सिर्फ परमेश्वर की गवाही नहीं दे पाये, बल्कि उसे शर्मसार किया। यह एक अपराध था। मैंने नृत्य के जरिये अपना कर्तव्य निभाने का मौक़ा गँवा दिया था। मैं बड़ी देर तक रोती रही।

फिर, मैं निरंतर सोचती रही, "मैं अच्छी तरह जानती हूँ कि शोहरत और फायदे के लिए लड़ना सही नहीं है, तो मैं बार-बार इनके पीछे भागना क्यों नहीं बंद कर देती? इसकी असली वजह क्या है?" धार्मिक कार्य करते समय एक बार मैंने परमेश्वर के ये वचन पढ़े : "शैतान मनुष्य के विचारों को नियन्त्रित करने के लिए प्रसिद्धि एवं लाभ का तब तक उपयोग करता है जब तक लोग केवल और केवल प्रसिद्धि एवं लाभ के बारे में सोचने नहीं लगते। वे प्रसिद्धि एवं लाभ के लिए संघर्ष करते हैं, प्रसिद्धि एवं लाभ के लिए कठिनाइयों को सहते हैं, प्रसिद्धि एवं लाभ के लिए अपमान सहते हैं, प्रसिद्धि एवं लाभ के लिए जो कुछ उनके पास है उसका बलिदान करते हैं, और प्रसिद्धि एवं लाभ के वास्ते वे किसी भी प्रकार की धारणा बना लेंगे या निर्णय ले लेंगे। इस तरह से, शैतान लोगों को अदृश्य बेड़ियों से बाँध देता है और उनके पास इन्हें उतार फेंकने की न तो सामर्थ्‍य होती है न ही साहस होता है। वे अनजाने में इन बेड़ियों को ढोते हैं और बड़ी कठिनाई से पाँव घसीटते हुए आगे बढ़ते हैं। इस प्रसिद्धि एवं लाभ के वास्ते, मनुष्यजाति परमेश्वर को दूर कर देती है और उसके साथ विश्वासघात करती है, तथा निरंतर और दुष्ट बनती जाती है। इसलिए, इस प्रकार से एक के बाद दूसरी पीढ़ी शैतान के प्रसिद्धि एवं लाभ के बीच नष्ट हो जाती है। अब शैतान की करतूतों को देखने पर, क्या उसकी भयानक मंशाएँ बिलकुल ही घिनौनी नहीं हैं? हो सकता है कि आज तुम लोग अब तक शैतान की भयानक मंशाओं की वास्तविक प्रकृति को नहीं देख पा रहे हो क्योंकि तुम लोग सोचते हो कि प्रसिद्धि एवं लाभ के बिना कोई जी नहीं सकता है। तुम सोचते हो कि यदि लोग प्रसिद्धि एवं लाभ को पीछे छोड़ देते हैं, तो वे आगे के मार्ग को देखने में समर्थ नहीं रहेंगे, अपने लक्ष्यों को देखने में समर्थ नहीं रह जायेँगे, उनका भविष्य अंधकारमय, मद्धिम एवं विषादपूर्ण हो जाएगा। परन्तु, धीरे-धीरे तुम सभी लोग यह समझ जाओगे कि प्रसिद्धि एवं लाभ ऐसी भयानक बेड़ियाँ हैं जिनका उपयोग शैतान मनुष्य को बाँधने के लिए करता है। जब वो दिन आएगा, तुम पूरी तरह से शैतान के नियन्त्रण का विरोध करोगे और उन बेड़ियों का पूरी तरह से विरोध करोगे जिनका उपयोग शैतान तुम्हें बाँधने के लिए करता है। जब वह समय आएगा कि तुम उन सभी चीज़ों को फेंकने की इच्छा करोगे जिन्हें शैतान ने तुम्हारे भीतर डाला है, तब तुम शैतान से अपने आपको पूरी तरह से अलग कर लोगे और तुम सच में उन सब से घृणा करोगे जिन्हें शैतान तुम तक लाया है। केवल तभी मानवजाति के पास परमेश्वर के लिए सच्चा प्रेम और लालसा होगी" (वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है VI)। परमेश्वर के वचनों ने इंसान को भ्रष्ट करने में प्रयुक्त शैतान की चालों और दुष्ट इरादों को प्रकाशित किया। शैतान लोगों को भ्रष्ट कर काबू में करने के लिए शोहरत और फायदे का इस्तेमाल करता है, ताकि वे ज़्यादा-से-ज़्यादा दुष्ट और भ्रष्ट हो जाएं, बुरे काम करें और परमेश्वर का विरोध करें। बचपन से ही मैं शैतान द्वारा शिक्षित और प्रभावित हुई थी। "भीड़ से ऊपर उठो और अपने पूर्वजों का नाम करो," और "एक व्यक्‍ति जहाँ रहता है वहाँ अपना नाम छोड़ता है, जैसे कि एक हंस जहाँ कहीं उड़ता है आवाज़ करता जाता है।" ये शैतानी फलसफे मेरे भीतर गहराई से जड़ें जमाये हुए थे। मैं जिस किसी भी समूह में रहती, मेरी इच्छा ख़ास लगने, प्रशंसा और सम्मान पाने की होती। किसी को उत्कृष्ट काम करता देख मैं ईर्ष्या करने लगती और उससे आगे बढ़ने की तमाम हरकतें करती, शैतान की चालबाजी से मजबूर होकर हमेशा शोहरत और फायदे के लिए लड़ती। मेरा स्वभाव भी ज़्यादा-से-ज़्यादा घमंडी और दुष्ट हो गया। नृत्य-संयोजन की बात करूं, तो मैं अपने तकनीकी हुनर से बहन ये को पीछे छोड़ देना चाहती थी, मगर कलाकार शारीरिक तौर पर यह जिम्मेदारी निभा पायेंगे या नहीं, इस बात की परवाह नहीं करती थी, इसके चलते कई बहनें रिहर्सलों के दौरान ज़ख़्मी हो गयीं। फिल्म बनाते समय, मैं बहन ये से खुद को बेहतर दिखाने के लिए सिर्फ़ अपना ही क्लोज़-अप इस्तेमाल करना चाहती थी, इसलिए जब मुझे शॉट में अपने मूव अच्छे नहीं लगे, तो मैंने निर्देशक से बहुत-से रीटेक लेने को कहा, और काम में रुकावट पैदा की। अंत में, जब मैंने देखा कि फिल्म में मेरे चेहरे का बाजू का हिस्सा ही नज़र आ रहा है, जबकि बहन ये के सभी शॉट सामने से हैं, तो मुझे बहुत रोष हुआ, मैं निराश और प्रतिरोधी बनकर जीने लगी, परमेश्वर की गवाही देने के लिए ठीक से नृत्य करने का हौसला नहीं जुटा पायी। नतीजा यह हुआ कि मेरे नृत्य ने परमेश्वर को शर्मिंदा कर दिया। मेरा नृत्य-संयोजन परमेश्वर की गवाही के लिए नहीं, बल्कि अपने दिखावे के लिए था। शोहरत और फायदे की मेरी लड़ाई ने कलीसिया के काम में गंभीर रुकावट पैदा की और मेरे भाई-बहनों का दिल दुखाया। मेरा व्यवहार परमेश्वर के लिए बहुत घिनौना, और अप्रिय था! फिर परमेश्वर के ये वचन मेरे मन में कौंधे : "यह 'कुमार्ग' मुटठीभर बुरे कार्यों को संदर्भित नहीं करता, बल्कि उस बुरे स्रोत को संदर्भित करता है, जिससे लोगों का व्यवहार उत्पन्न होता है" (वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II)। परमेश्वर के वचनों ने यह समझने में मेरी मदद की कि किन्हीं खराब कामों की वजह से मुझे अपने कर्तव्य से नहीं निकाला गया, बल्कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मेरे कर्मों का मूल और मैं जिस रास्ते पर चल रही थी, वो सब बुरे थे। जब से बहन ये ने मेरे साथ काम करना शुरू किया था, मैं उससे जलने लगी थी, और अपने हितों के लिए लड़ने लगी थी। मैं अपना निजी उपक्रम चला रही थी। बस दुष्टता और परमेश्वर का विरोध कर रही थी। मैं भयग्रस्त थी। मैं समझ गयी कि शोहरत और रुतबे के पीछे भागना परमेश्वर के विरोध का मार्ग था, और अगर मैंने पश्चाताप नहीं किया, तो आखिरकार मुझे हटा कर दंड दिया जाएगा। मुझे भयंकर पछतावा हुआ। मैं फूट-फूट कर रोयी और मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की : "हे परमेश्वर! मुझे मेरे काम से बरखास्त कर दिया गया है। यह मेरे लिए प्रकाशित आपका धार्मिक स्वभाव है और मेरे लिए आपकी रक्षा है। सही समय पर मुझे अपने बुरे रास्तों पर रोकने की खातिर इस परिस्थिति की व्यवस्था करने के लिए धन्यवाद। मैं आपके सामने प्रायश्चित करना चाहती हूँ।"

इसके बाद वाले दिनों में, मैंने धार्मिक कार्य और आत्मचिंतन करते हुए, कलीसिया में सुसमाचार का प्रचार किया। अपने काम में सिर्फ शोहरत और फायदे के लिए की गयी हरकतों के बारे में मैं जब भी सोचती, मुझे पछतावे के सिवाय कुछ नहीं महसूस होता। नृत्य टीम में परमेश्वर द्वारा दिये गये अवसर को न संजोने के लिए मैं खुद से नफ़रत करती। जब मैंने वो संगीत वीडियो देखे, तो मैं इन्हें बिल्कुल नये सिरे से बनाने को बेताब हो गयी, लेकिन मुझे मालूम था कि यह नामुमकिन है। मैं बस अपने पहले के अपराधों की भरपाई करने के लिए सुसमाचार के काम को ईमानदारी से पूरा कर सकती थी। यह देख कर मुझे हैरत हुई कि कलीसिया के अगुआ ने बस एक महीने बाद ही मुझे फिर से नृत्य टीम में शामिल कर लिया। यह ख़बर मेरे दिल को इस कदर छू गयी कि मेरे आंसू रोके नहीं रुके, मैंने इस मौके को संजोने, शोहरत और फायदे के पीछे न भागने, भाई-बहनों के साथ मिल कर काम करने और परमेश्वर के प्रेम का मूल्य चुकाने के लिए अपना कर्तव्य ठीक ढंग से निभाने का संकल्प किया।

टीम में फिर से शामिल होने के बाद, हमारी एक रिहर्सल में, बहन ये ने कहा कि जो एक नृत्य मूव मैंने भाई-बहनों को सिखाया था, वह सही स्तर का नहीं है। उस पल मैंने बहुत शर्मिंदगी महसूस की, और सोचा, "दूसरों के सामने तुम मेरी इस तरह आलोचना कैसे कर सकती हो? अब वे यकीनन सोचेंगे कि मैं तुम्हारे बराबर की नहीं हूँ। वे मुझे नीची नज़र से देखें यह मुझे मंज़ूर नहीं। तुम जानती हो कि मैं भी पेशेवर हूँ, और मैंने देखा है कि तुम्हारे नृत्य मूव भी एकदम बढ़िया नहीं हैं।" मैं उसके द्वारा संयोजित नृत्य मूव को खारिज कर देना चाहती थी। तब, मेरी समझ में आया कि मैं फिर से अपनी शोहरत और फायदे के बारे में सोचने लगी हूँ, इसलिए मैंने मन-ही-मन परमेश्वर से प्रार्थना की। प्रार्थना के बाद, मैंने परमेश्वर के इन वचनों को याद किया : "कोई पल जितना अधिक संकटकालीन हो, यदि उसी के अनुसार लोग समर्पण करने में सक्षम हों और अपने स्वार्थ, मिथ्याभिमान और दंभ को त्याग सकें, तथा अपने कर्तव्यों को उचित रूप से पूरा कर सकें, केवल तभी वे परमेश्वर द्वारा याद किए जाएँगे। वे सभी अच्छे कर्म हैं! चाहे लोग जो भी करें, अधिक महत्वपूर्ण क्या है—उनका मिथ्याभिमान और दंभ, या परमेश्वर की महिमा? (परमेश्वर की महिमा)क्या अधिक महत्वपूर्ण हैं—तुम्हारे दायित्व, या तुम्हारे स्वार्थ? तुम्हारे दायित्वों को पूरा करना अधिक महत्वपूर्ण है, और तुम उनके प्रति कर्तव्यबद्ध हो। ... तुम पहली प्राथमिकता अपने कर्तव्य को दोगे, परमेश्वर की इच्छा को, उसके लिए गवाही देने को, और तुम्हारे अपने दायित्वों को दोगे। गवाही देने का यह एक शानदार तरीक़ा है, और यह शैतान को शर्मिंदा करता है!" ("अंत के दिनों के मसीह की बातचीत के अभिलेख" में 'परमेश्‍वर और सत्‍य को प्राप्‍त करना सबसे बड़ा सुख है')। मेरे भीतर रोशनी फ़ैल गयी। क्या परमेश्वर इस परिस्थिति के साथ मेरी परीक्षा नहीं ले रहा है? जब कभी मेरे निजी हितों और परमेश्वर के घर के हितों के बीच संघर्ष हो, तब मुझे परमेश्वर की इच्छा पूरी करने और शैतान को अपमानित करने के लिए सत्य का अभ्यास करने पर ध्यान देना चाहिए। जब मैंने शांति से इस बारे में सोचा तो समझ गयी कि मैंने सचमुच में उन्हें वह मूव सही ढंग से नहीं सिखाया था। बहन ये की बेबाकी मेरे लिए शर्मिंदगी का कारण थी, मगर वह सही थी, और मुझे पता था कि मुझे उसका सुझाव मान लेना चाहिए। खुद को दरकिनार कर और अपने इरादों को ठीक करने के बाद, बहन ये और मैंने मिलकर नृत्य-संयोजन को बड़ी जल्दी पूरा कर लिया। मुझे अपना कर्तव्य इस प्रकार निभाकर आराम और सुकून भी महसूस हुआ।

इस अनुभव ने सच में मुझे दिखाया कि परमेश्वर का न्याय और ताड़ना मेरे लिए उसका प्रेम और उद्धार हैं। परमेश्वर के न्याय और ताड़ना ने मुझे जगा दिया औरशोहरत और फायदे के पीछे भागने के सार और खतरनाक नतीजों को समझने लायक बनाया। इनसे मेरा ग़लत नज़रिया सुधर गया, मैं सत्य का अनुसरण करने लगी, दिल लगा कर अपना कर्तव्य निभाने लगी और इंसानियत के साथ जीने लगी।

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