"28 मई" की अफ़वाह से उत्पन्न खलबलियाँ (भाग 1)

03 जनवरी, 2019

ज़िन्गव्यू, फ्रांस

पहली बार जब मैंने यह अफ़वाह सुनी तो मेरे दिल पर एक अँधेरा छा गया था

मेरी माँ एक श्रद्धालु ईसाई है। जब से मैं चीज़ों को समझने के लायक बड़ी हुई, वह अक्सर मुझे प्रभु यीशु के बारे में कहानियाँ बताया करतीं, और मुझसे कहा करतीं कि प्रभु यीशु ही एक मात्र सच्चा परमेश्वर है। जब मैं 13 साल की हुई, तो मैं अपनी माँ के साथ कलीसिया गई। उस समय मुझे वास्तव में पादरी के उपदेशों को सुनकर अच्छा लगा, और मुझे बहुत विश्वास हुआ। मैं प्रत्येक सहभागिता में सक्रिय रूप से भाग लिया करती थी। लेकिन मैंने धीरे-धीरे पाया कि पादरी द्वारा दिए गए उपदेशों में कोई प्रबोधन नहीं था। वे हमेशा कुछ मतों और बाइबल की जानकारी को, या कुछ धर्मशास्त्रीय सिद्धांतों को, दोहराया करते थे, और जैसे जैसे समय बीतता गया, मुझे उनके उपदेशों को सुनकर कोई आनंद नहीं मिलता था, और न ही मुझे ऐसा लगता कि मुझे जीवन प्रदान किया जा रहा था। इसलिए, मैं अब सहभागिताओं में कम से कम कम जाने लगी।

स्नातक होने के बाद मैं फ्रांस गई, और मैंने मन ही मन सोचा: "विदेशों में कलीसियाओं की स्थिति निश्चित रूप से हमारे मुल्क की कलीसियाओं की तुलना में बेहतर होनी चाहिए।" इसलिए, मैंने तुरंत कलीसिया की तलाश में शुरू कर दी। जब मैं एक चीनी कलीसिया में गई, तो मैंने पाया कि उनके दिए गए उपदेश वस्तुतः वही थे जो हमारी अपनी कलीसियाओं में दिए जाते थे, और उनके पास कहने के लिए कुछ नया नहीं था। कुछ समय बाद, उस कलीसिया ने कुछ अमरिकी पादरियों को उपदेश देने के लिए आमंत्रित किया, लेकिन उन्होंने भी किसी प्रबोधन के साथ बात नहीं की। कलीसिया को फिर से जीवंत बनाने के लिए, पादरियों और पुराने लोगों ने हम विश्वासियों के लिए एक सैर का भी आयोजन किया, ताकि दर्शनीय स्थलों की एक यात्रा और मनोरंजन का उपयोग करके विश्वासियों के उत्साह को जगाया जा सके और उनके बाहरी सामर्थ्य और प्रसिद्धि को मजबूत किया जा सके। जब मैंने देखा कि कलीसिया का हाल ऐसा था, तो मैंने बहुत निराश महसूस किया, और एक बेहतर विकल्प न होने के कारण मैंने इसे छोड़ दिया। इसके बाद, मेरी बड़ी बहन मुझे एक और कलीसिया में ले गई, और मुझे आश्चर्य हुआ कि इस कलीसियाकी स्थिति और भी बदतर थी। सारे विश्वासी प्रसिद्धि और धन के लिए संघर्ष कर रहे थे। कलीसिया के भीतर विवाद और झगड़े उठ खड़े हुए और आखिरकार उन्हें अलग करने के लिए पुलिस को बुलाना पड़ा था। इन दृश्यों को देखने के बाद मैंने फिर कभी भी किसी कलीसिया में जाना नहीं चाहा।

एक दिन, जब मैं अपनी बहन के घर में प्रवेश कर ही रही थी, तो वह मेरे पास दौड़कर आई और बोली: "क्या तुमने सुना? एक पूर्वी बिजली कलीसिया उभर आई है, और वे बहुत ऊंचे उपदेशों का प्रचार कर रहे हैं, जो कलीसियाओं से अच्छी भेड़ों को 'चुराने' पर केंद्रित हैं। मैंने सुना है कि सभी मतों और संप्रदायों की कई अच्छी भेड़ें और उनके चरवाहों ने पूर्वी बिजली को स्वीकार कर लिया है, और वे सब इस बात को फैला रहे हैं और प्रभु यीशु की वापसी की गवाही दे रहे हैं। मैंने यह भी सुना है कि एक बार यदि तुम पूर्वी बिजली में विश्वास करना शुरू कर देते हो, तो तुम बाहर नहीं निकल सकते हो, कि अगर तुम छोड़ना चाहते हो तो वे तुम्हारी आँखें निकाल लेंगे, तुम्हारी नाक काट देंगे और तुम्हारी संपत्ति को लूट लेंगे।" मेरी बहन ने मुझे बार बार चेतावनी दी और कहा कि मुझे सावधान रहना होगा और पूर्वी बिजली के खिलाफ़ मुझे खुद को सुरक्षित रखना होगा। जब मैं घर वापस लौटी तो मेरे पति ने भी मुझे पूर्वी बिजली के बारे में कुछ नकारात्मक बातें बताईं जो उन्होंने इंटरनेट से जानी थीं। इनमें 28 मई को झाओयुआन, शेडोंग स्थित मैकडॉनल्ड्स में हुआ ह्त्या कांड विशेष था जिसकी सीसीटीवी पर एक रिपोर्ट आई थी। इसके बारे में सुनने के बाद मुझे और भी डर महसूस हुआ, और उस पल के बाद पूर्वी बिजली ने मेरे दिल पर एक निराशा की छाया डाल ली थी।

अफ़वाहों के धोखे में आकर, मैंने मेरी माँ को पूर्वी बिजली में विश्वास करने से रोक दिया

एक शाम, मुझे अचानक घर से अपने भाई का फ़ोन आया और उसने मुझे बताया कि हमारी माँ पूर्वी बिजली में विश्वास करती है। मैं इस खबर से चौंक गई: यह सच नहीं हो सकता, क्या यह हो सकता है? माँ पूर्वी बिजली में कैसे विश्वास कर सकती थी? मैंने उन अफ़वाहों के बारे में सोचा जो मैंने सुन रखी थी, और मुझे चिंता हुई कि माँ के साथ कुछ अनर्थ होगा। कई रातों तक मैं करवटें बदलती रही और सो नहीं पाई। मैंने मन ही मन सोचा" "यह ठीक नहीं है! मुझे माँ को रोकना होगा, मैं उन्हें पूर्वी बिजली में विश्वास करने नहीं दे सकती"। लेकिन हर बार जब मैंने अपनी माँ को फ़ोन किया और पूर्वी बिजली के बारे में इन्टरनेट पर रहीं अफवाहों के बारे में बताया, उन्होंने तुरंत ही फोन रख दिया। मेरे पास उन्हें मनाने का कोई तरीक़ा नहीं था। उसके बाद मेरे भाई और मैंने आपस में सलाह की और यह तय किया कि वह हमारी माँ के पीछे लगेगा और उन्हें पूर्वी बिजली में विश्वास करने से रोकेगा। बहरहाल, चाहे वह किसी भी तरीक़े का उपयोग करे, इसका कोई फ़ायदा नहीं हुआ, हमारी माँ अपने विश्वास में बिलकुल नहीं डिगी। चूँकि कोई अन्य विकल्प नहीं था, मेरे भाई-बहनों और मैंने इस पर बात की और हमने फैसला किया कि हम अपनी माँ को एक अंतिम धमकी देंगे: अगर उन्होंने पूर्वी बिजली में विश्वास करना जारी रखा, तो हम उन्हें त्याग देंगे। हमें आश्चर्य हुआ कि वे अपने दृष्टिकोण में दृढ थीं और उन्होंने पूर्वी बिजली में विश्वास करते रहने पर ज़ोर दिया। मार्च 2017 में, मेरी बड़ी बहन ने और मैंने घर जाने और हमारी माँ को फ्रांस ले आने का फैसला किया, हमने सोचा था कि अगर हमने ऐसा किया तो हम उन्हें सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर विश्वास करने से रोक सकते थे। लेकिन अप्रत्याशित रूप से, वे आने के लिए तैयार नहीं थीं, हालाँकि हम उनके वीज़ा के लिए आवेदन करने में सफल रहे थे, इसलिए मेरी बहन ने और मैंने, गर्म टिन की छत पर रही बिल्लियों की तरह घबराते हुए, यह पता लगाने की कोशिश की कि हम अपनी माँ को वहाँ से निकालने के लिए क्या कर सकते थे। आखिरकार, हमने एक अंतिम उपाय के बारे में सोचा: हम यह चाल चलेंगे कि अपनी माँ को पूर्वी बिजली में विश्वास का अभ्यास करने के लिए फ्रांस ले आयें। हमें आश्चर्य हुआ कि यह चाल काम कर गई और माँ इसके लिए यकीनन राज़ी हो गई। हालांकि, हमें उनकी एक शर्त से सहमत होना पड़ा। मैंने मन ही मन सोचा: "अगर माँ फ्रांस आ जाती हैं, तो एक तो क्या मैं दस शर्तों को भी मान लूँगा"। बाद में, मैंने पाया कि उनकी शर्त यह थी कि वे आशा करती थीं कि मेरी बहन और मैं परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य पर निगाह करेंगे। हमारी माँ को चालाकी से फ्रांस में ले आने के लिए मेरे पास इस बात से सहमत होने का नाटक करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, लेकिन मैंने मन ही मन सोचा: "आह! कोई गुंजाईश नहीं है कि मैं इसमें ध्यान दूँ! एक बार हम उन्हें फ्रांस ले आयें, तो हमारे पास उन्हें रोकने के तरीक़े होंगे"। इस तरह माँ हमारे साथ आने के लिए तैयार हो गईं क्योंकि उनकी यह धारणा थी कि हम वास्तव में उनके अनुरोध से सहमत थे।

हमारी माँ को फ्रांस में आए एक सप्ताह हो इसके पहले ही उन्होंने हमें बताया कि उन्होंने कलीसिया की एक बहन से संपर्क किया था और उन्होंने रूबरू मिलने के लिए समय भी निर्धारित कर लिया था। मैंने मन ही मन सोचा: ये तो वाकई तेज़ी से काम करते हैं। हम अभी तो आये ही हैं और इन लोगों ने संपर्क भी बना लिया है, अब हमें क्या करना चाहिए? क्या हमें सचमुच माँ को उनसे मिलने देना चाहिए या नहीं? अगर हम उनसे कहते हैं कि वे उनसे नहीं मिल सकती हैं, तो वे इसके लिए सहमत नहीं होंगी; अगर हम उन्हें मिलने देते हैं तो पूर्वी बिजली में विश्वास करने से उन्हें रोकने की हमारी आशा पर पानी फिर जाएगा। मैंने तय किया कि मैं माँ के साथ जाऊँगी, परन्तु मुझे आश्चर्य हुआ कि मेरे पति, मेरी बहन और उसके पति ने मेरा कड़ा विरोध किया। जब हमने तय किया कि माँ उनसे मिलने नहीं जाएँगी, तो उन्होंने गुस्से में कहा: "सीसीपी द्वारा गठित झूठी बातों पर भरोसा करने का तुम्हारा आग्रह क्यों है? सीसीपी क्या है? यह एक नास्तिक राजनीतिक दल है, और जब से यह सत्ता में आई है, यह लगातार धार्मिक विश्वासियों का दमन करते हुए उन्हें अवैध घोषित करती रही है, और इसने ईसाई धर्म को एक बुरे पंथ के रूप में घोषित किया है, पवित्र बाइबल को एक बुरे पंथ का काम कहा है, हर जगह ईसाइयों को अंधाधुंध गिरफ्तार किया और सताया है, जिसके परिणामस्वरूप कई ईसाइयों को जेल में डाला गया है और उन पर उस सीमा तक अत्याचार किया गया है जहाँ वे गंभीर रूप से घायल हुए हैं या मारे भी गए हैं। क्या तुम इन ऐतिहासिक तथ्यों को भूल गए हो? सीसीपी ने हमेशा परमेश्वर का विरोध किया है और यह परमेश्वर की दुश्मन रही है, यह परमेश्वर के वचन और सच्चाई से नफ़रत करती है, यह उन लोगों से नफ़रत करती है जो सच्चे परमेश्वर में विश्वास करते हैं और सही राह पर चलते हैं, और लोगों को परमेश्वर में विश्वास करने से रोकने के लिए अफवाहें शुरू करने, लोगों को बदनाम करने और झूठे आरोप लगाकर उन्हें फँसाने जैसी सभी प्रकार की बुराइयों को करती है। क्या यह हो सकता है कि तुम इसे पहचानने में भी समर्थ नहीं हो? क्या यह हो सकता है कि मैं तुम्हारी माँ होकर अपने पुत्रों और पुत्रियों को आग के कुएँ में धकेल सकती थी? मैं यहाँ फ्रांस में चली आई ताकि तुम सभी सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास कर सको, परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य का अनुसरण कर सको, और परमेश्वर के पूर्ण उद्धार को प्राप्त करने का अवसर प्राप्त करो। एक बार प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की थी कि वह वापस आएगा, और अब प्रभु यीशु लौट आया है, उसने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में देहधारण किया है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने लाखों वचनों को व्यक्त किया है, और प्रभु यीशु द्वारा किए गए छुटकारे के कार्य के आधार पर, वह परमेश्वर के घर से शुरू करते हुए अंत के दिनों के न्याय के कार्य को कर रहा है, ताकि हम सभी को जो शैतान द्वारा गहराई से भ्रष्ट हो चुके हैं, पूरी तरह शुद्ध कर हमें प्राप्त कर सके और परमेश्वर के राज्य में ला सके। यह एक बेहद दुर्लभ मौका है! सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य और वचन की तलाश किए बिना तुम केवल अफ़वाहों को क्यों सुनते हो? क्या इन सभी वर्षों में प्रभु में हमारा विश्वास प्रभु की वापसी का स्वागत करने के लिए नहीं रहा है? यदि तुम लोग मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की इस बहन को मिलने की इजाज़त नहीं देते हो तो मेरे लिए अब एक विमान-टिकट खरीद लो, मैं वापस घर जा रही हूँ!" अपनी माँ को अपने दृष्टिकोण में इतनी दृढ़ देखकर और उनसे समझदारी तथा अंतर्दृष्टि की ये बातें सुनकर, हम सभी अवाक् रह गए थे। बहरहाल, हमने फिर भी समझौता नहीं किया। हम हमारी माँ को उस बहन से मिलने के लिए ले जाने को तैयार नहीं थे। अगले कई दिनों तक, चाहे हमने अपनी माँ को खुश करने की कैसे भी कोशिश की, हम चाहे उन्हें कहीं भी ले गए हों या उनके लिए कुछ भी खरीदा हो, उन्होंने ज़रा-सा भी उत्साह नहीं दिखाया। पूरे दिन वे इतनी उदास रहीं कि वे खाना भी नहीं खाती थी। खाने-पीने के प्रति हमारी माँ की अनिच्छा ने मुझे बहुत असहज बना दिया था। मैंने सोचा कि हमारी माँ ने कैसे हमें प्यार से बड़ा किया था, उन्होंने शायद ही कभी हमारे सामने अपना आपा खोया था। यह पहली बार था जब मैंने अपनी माँ को इतना क्रोधित और आहत देखा था, और इस बात ने मुझे ढीला कर दिया। इसलिए, मैंने अपनी बहनों के साथ बात की और उनसे कहा कि इस बार मैं "ख़तरे" का बहादुरी से सामना करुँगी और उन्हें पूर्वी बिजली के उन विश्वासियों से मिलने के लिए ले जाऊँगी।

तथ्यों की रोशनी में अफ़वाहें ढह गईं, और परमेश्वर की आवाज़ सुनकर मैं उसके सामने लौट गई

दो दिन बाद, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की दो बहनें शाम को हमारी दुकान में आईं, और जैसे ही उन्होंने हमारी माँ को देखा, वे बहुत उत्साहित हो गईं और जाकर उन्हें गले लगा लिया। ऐसा लगा मानो वे करीबी रिश्तेदार थीं जो कई वर्षों तक एक दूसरे से अलग रहने के बाद अब फिर से मिली थीं। वे दोनों एक दूसरे के प्रति चिन्ताशील और सम्मानपूर्ण थीं। मैं यह देखकर हैरान रह गई, लेकिन दिल को छूने वाले इस दृश्य से द्रवित हुए बिना मैं न रह सकी, और मेरे चेहरे से आँसू बिना रुके टपकने लगे। ऐसा क्यों था? क्यों वे लोग, जिन्हें हम पहले कभी भी नहीं मिले थे, ऐसे लगते हैं मानो वे परस्पर स्नेह से मिलते आत्मीय-जन हों? मैंने यह भी देखा कि वे अपनी बोलचाल और अपने व्यवहार में बहुत शिष्ट थे और दूसरों के साथ पेश आने में वे बहुत मैत्रीपूर्ण और अच्छी प्रकृति के थे। वे ज़रा भी वैसे नहीं थे जैसे कि अफ़वाहों में बताये गए थे! लेकिन फिर मैंने मन ही मन सोचा: "ठीक है, यह हो सकता है कि वे इस पल में ऐसे दिखाई दें, लेकिन मैं खुद को उनसे धोखा खाने नहीं दूँगी, मुझे उनका अवलोकन करना जारी रखना चाहिए।" इसके बाद, मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के भाइयों और बहनों से संपर्क बनाये रखना शुरू कर दिया।

कई बार उनसे मिलने के बाद मुझे एहसास हुआ कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के भाई-बहन हमारे साथ सिर्फ सच्चाई के बारे में सहभागिता करना चाहते थे और अपने अनुभव और ज्ञान को साझा करना चाहते थे, उन्होंने हमें किसी भी तरह से धोखा नहीं दिया, और न ही उन्होंने हमें नुकसान पहुँचाया। इसके विपरीत, उन्होंने बहुत धीरज और सहानुभूति के साथ हमें परमेश्वर पर विश्वास करने में होती कुछ परेशानियों और कठिनाइयों को समझने में मदद की। प्रारंभ में उन्होंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रभु यीशु के प्रकटन होने की गवाही दी। मैंने इसे अपने दिल में स्वीकार नहीं किया, इसलिए उन्होंने बाइबल का इस्तेमाल कर धैर्यपूर्वक मुझे उन कारणों को समझाया कि धार्मिक दुनिया इतनी उजाड़ क्यों हो गई है। उन्होंने मुझे एक उदाहरण देते हुए कहा: "यह क्यों था कि व्यवस्था के युग के अंत में मंदिर चोरों के अड्डे में बदल गया जहाँ धन का आदान-प्रदान होता था और पशुधन और मुर्गियों को बेचा जाता था? इसका एक कारण यह था कि धार्मिक अगुआ परमेश्वर के नियमों और आदेशों का पालन नहीं करते थे, वे केवल उन नियमों के अनुसार चल रहे थे जिनका मनुष्य परंपरागत पालन कर रहा था, और वे अवैध कर्म कर रहे थे, परमेश्वर का विरोध कर रहे थे और वे परमेश्वर द्वारा नकारे गए थे; इसका एक और कारण यह था कि पवित्र आत्मा का कार्य पहले ही विकसित हो चुका था, परमेश्वर पहले ही देहधारण कर मंदिर के बाहर अनुग्रह के युग का कार्य पूरा कर रहा था। पवित्र आत्मा मंदिर में अब और काम नहीं कर रहा था, मंदिर उजाड़ हो चुका था। इसी तरह, कलीसिया भी आज उजाड़ हो चुकी है क्योंकि पादरी और एल्डर्स परमेश्वर के मार्ग का अनुसरण नहीं कर रहे हैं, वे परमेश्वर के आदेशों के खिलाफ़ जा रहे हैं, वे प्रभु के नए कार्य का अंधाधुंध विरोध कर रहे हैं, परमेश्वर ने बहुत पहले उन्हें अस्वीकार कर दिया है, पवित्र आत्मा उनके बीच कार्य नहीं कर रहा है; साथ ही, यह इसलिए भी है कि परमेश्वर अंत के दिनों में नया कार्य कर रहा है, कि उसने पूरे ब्रह्मांड में आत्मा के सभी कार्यों को वापस ले लिया है और इसे अपने नए कार्य का अनुसरण करने वालों को सौंप दिया है। इन लोगों को पहले ही पवित्र आत्मा का कार्य दुबारा प्राप्त हुआ है और इन्होंने "बारिश" के नगर में प्रवेश किया है। लेकिन जिन लोगों को परमेश्वर का नया कार्य नहीं मिला है, उन्हें उस नगर में छोड़ा जाएगा जहाँ "बारिश" नहीं है और वहाँ वे सूख जाएँगे। इस "बारिश" का तात्पर्य पवित्र आत्मा के कार्य से है, यह परमेश्वर के नए वचन को संदर्भित कर रही है। इससे आमोस 4:7 की किताब में जो कहा गया है, वह पूरा हुआ है: 'जब कटनी के तीन महीने रह गए, तब मैं ने तुम्हारे लिये वर्षा न की; मैं ने एक नगर में जल बरसाकर दूसरे में न बरसाया; एक खेत में जल बरसा, और दूसरा खेत जिस में न बरसा, वह सूख गया।'"

उनकी सहभागिता वास्तव में बाइबल के अनुरूप थी, और यह प्रभु के वचन के अनुरूप थी। उन्होंने जो कहा वह बहुत अर्थपूर्ण था, लेकिन चूँकि मैं सीसीपी और धार्मिक दुनिया के पादरियों और एल्डर्स द्वारा प्रसारित अफ़वाहों से गहराई से प्रभावित हो गई थी, इसलिए मैं अब भी उनके खिलाफ़ सावधान रही और मैंने दिल में उनका विरोध किया। किसी कमी को खोज निकालने की मैंने पूरी कोशिश की ताकि मैं इसका उपयोग कर उन्हें अस्वीकार कर सकूँ। मैंने उनसे भले ही ऐसा व्यवहार किया, उन्होंने फिर भी मेरे साथ बहुत धैर्यपूर्वक सहभागिता की, जिससे मुझे परमेश्वर की इच्छा का एहसास हुआ और मैं परमेश्वर के कार्य को जान सकी। बाद में, उन बहनों ने परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों की सच्चाई के बारे में भी मेरे साथ सहभागिता की। यह सुनकर मैं हैरान रह गई, लगता है अंत के दिनों के मसीह—सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने मानव जाति को बचाने के लिए परमेश्वर की 6,000 साल की प्रबंधन योजना के सभी रहस्यों को उजागर कर दिया है। व्यवस्था के युग में परमेश्वर का कार्य यह था कि उसने इस्राएलियों के जीवन का नेतृत्व करने के लिए "यहोवा" नाम का इस्तेमाल किया, और मूसा के द्वारा नियम जारी करने के माध्यम से उसने मनुष्य को अपने पापों से अवगत कराया; अनुग्रह के युग में परमेश्वर का कार्य यह था कि छुटकारे के काम को करने के लिए उसने "यीशु" नाम का उपयोग किया, और अंत में वह क्रूस पर मनुष्य के लिए पापबलि के रूप में चढ़ाया गया, अर्थात उसने मानवजाति के पापों को अपने ऊपर लेकर मनुष्य को पापमुक्त कर दिया; राज्य के युग में परमेश्वर का कार्य यह है कि वह मनुष्यों का न्याय करने और अंत के दिनों में मनुष्य को शुद्ध करने के काम को पूरा करने के लिए "सर्वशक्तिमान परमेश्वर" नाम का उपयोग कर रहा है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने मनुष्यों का न्याय करने और मनुष्यों को दंडित करने के लिए वचनों को जारी किया है, और इस प्रकार मनुष्य को अपनी पापी प्रकृति का त्याग कर शुद्ध होने और परमेश्वर के उद्धार को प्राप्त करने की अनुमति दी है, ताकि उसे परमेश्वर के राज्य में लाया जा सके और एक नए स्वर्ग और एक नई पृथ्वी में प्रवेश किया जा सके। परमेश्वर के कार्य के तीन चरण आपस में घनिष्ठता से जुड़े हुए हैं, वे क्रमशः गहरे होते जाते हैं, एक दूसरे के पूरक हैं, उनमें से एक भी अनावश्यक नहीं है, वे एक ही परमेश्वर के कार्य हैं, और यह प्रकाशितवाक्य पुस्तक की भविष्यवाणियों को पूरा करता है जहाँ कहा गया है: "प्रप्रभु परमेश्‍वर, जो है और जो था और जो आनेवाला है, जो सर्वशक्‍तिमान है, यह कहता है, मैं ही अल्फ़ा और ओमेगा हूँ" (प्रकाशितवाक्य1:8)। उस पल में मुझे ऐसा लगा कि मेरा दिल जाग रहा था, और मुझे बहुत उत्साहित महसूस हुआ। अब तक मैंने बीस वर्षों से अधिक समय से प्रभु में विश्वास किया था, लेकिन चाहे वह मुख्यभूमि चीन में हो या विदेश में, मैंने पहले कभी किसी पादरी या एल्डर से उपदेश का ऐसा प्रचार नहीं सुना था। जहाँ तक परमेश्वर की योजना और बाइबल की भविष्यवाणियों का प्रश्न है, ये सभी रहस्य हैं, इन्हें कोई भी नहीं जानता है, फिर भी जो लोग पूर्वी बिजली में विश्वास करते हैं, वे इतनी सारी चीज़ों के बारे में बहुत स्पष्ट रूप से बोलते हैं, जैसे मानव जाति के प्रबंधन के लिए परमेश्वर की योजना, और परमेश्वर के कार्य के प्रत्येक युग में हासिल किए जाने वाले कदम, सिद्धांत, विवरण और परिणाम, साथ ही परमेश्वर द्वारा व्यक्त किया गया स्वभाव, और परमेश्वर की मानवजाति से अपेक्षाएँ और उसकी इच्छा, मानो कि ये लोग अपने परिवार के क़ीमती सामानों की गणना कर रहे हों। मुझे अपने दिल में यह पुष्टि महसूस हुई कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर का वचन सत्य के आत्मा की अभिव्यक्ति है, यह वास्तव में परमेश्वर की आवाज़ है। प्रभु यीशु ने एक बार कहा था: "परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा" (यूहन्ना 16:13)। "ये बातें पूरी हो गई हैं। मैं अल्फा और ओमेगा, आदि और अन्त हूँ" (प्रकाशितवाक्य 21:6)। अब इन भविष्यवाणियों को अंत के दिनों में प्रकट हुए सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य के माध्यम से निष्पादित और पूर्ण किया गया है! सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रभु यीशु की वापसी है, और यह सब वास्तव में एक ही परमेश्वर द्वारा किया गया कार्य है।

बाद में मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन को भी पढ़ा जहाँ यह कहा गया है: "अंतिम दिनों का मसीह जीवन लेकर आता, और सत्य का स्थायी एवं अनन्त मार्ग प्रदान करता है। इसी सत्य के मार्ग के द्वारा मनुष्य जीवन को प्राप्त करेगा, और एक मात्र इसी मार्ग से मनुष्य परमेश्वर को जानेगा और परमेश्वर का अनुमोदन प्राप्त करेगा। यदि तुम अंतिम दिनों के मसीह के द्वारा प्रदान किए गए जीवन के मार्ग को नहीं खोजते हो, तो तुम कभी भी यीशु के अनुमोदन को प्राप्त नहीं कर पाओगे और कभी भी स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के योग्य नहीं बन पाओगे क्योंकि तुम इतिहास के कठपुतली और कैदी दोनों हो। ...परमेश्वर के आये बिना, क्या तुम अपने आप को परमेश्वर के साथ पारिवारिक आनन्द मनाने के लिए स्वर्ग में ले जा सकते हो क्या तुम अभी भी स्वप्न देख रहे हो? मैं तुम्हें सुझाव देता हूं, कि तुम स्वप्न देखना बंद कर दो, और उनकी ओर देखो जो अभी कार्य कर रहे हैं, इन अंतिम दिनों में कौन मनुष्यों को बचाने के लिए कार्य कर रहा है। यदि तुम ऐसा नहीं करते हो, तो तुम कभी भी सत्य को नहीं प्राप्त कर सकते, और कभी भी जीवन प्राप्त नहीं कर सकते हो" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "केवल अंतिम दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनन्त जीवन का मार्ग दे सकता है")। सर्वशक्तिमान परमेश्वर का वचन परमेश्वर के अधिकार और महिमा से भरा हुआ है, और यह परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव को प्रकट करता है। मुझे पता है कि अंत के दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर का कार्य सत्य को व्यक्त करना और मनुष्य को जीवन प्रदान करना है। जब तक हम अंत के दिनों के मसीह—सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकार करते हैं, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त किए गए वचन को भी स्वीकार करते हैं, तो हम अंततः हमारे पाप के मूल कारण को हल करने में सक्षम होंगे। केवल तभी हम अनंत जीवन के मार्ग को प्राप्त करने में समर्थ होंगे। और जो लोग परमेश्वर के कार्य की गति के साथ निभाने में सक्षम नहीं हैं, जो अंत के दिनों में परमेश्वर के उद्धार को स्वीकार नहीं करते हैं, वे कभी भी स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के योग्य नहीं होंगे, और अंत में वे केवल परमेश्वर द्वारा हटाये जा सकते हैं, जिससे वे तबाह और नष्ट हो जाएँगे। परमेश्वर के न्याय के वचनों के सामने, मैंने सोचा कि किस तरह मैं पिछले कुछ वर्षों में प्रभु की वापसी के तथ्य को समझने में इतनी लापरवाह रही थी, और मैं कुछ डरे बिना नहीं रह सकी, और अब मैं इस तथ्य के साथ इस तरह अनादर का व्यवहार करने की हिम्मत न कर सकी। मैंने उन परिस्थितियों के बारे में भी सोचा जब मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के भाई-बहनों से मिली थी और मैंने देखा था कि वे परमेश्वर के वचनों से जीवन पाते थे: चाहे मैंने कोई भी मुद्दे उठाये हों, वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन का उपयोग करते हुए मुझे उत्तर देने में हमेशा बहुत धीरज रखते थे, वे तब तक नहीं रुकते थे जब तक मैं समझ नहीं लेती थी; कभी-कभी बहनें मेरी दुकान में आती थीं, और चूँकि दुकान छोटी थी और उनको बिठाने के लिए पर्याप्त जगह नहीं थी, वे कई घंटों तक खड़ी ही रहती थीं, और वे अपने लिए खुद ही खाना भी लेकर आती थीं; कभी-कभी, मेरे व्यापार पर असर न पड़े इसलिए, वे रात के समय की प्रतीक्षा करती थीं ताकि मैं अपना काम पूरा कर सकूँ और वे सच्चाई के बारे में मुझसे सहभागिता कर सकें, और हमारी सभा के ख़त्म होते और उनके घर लौट पाने तक आधी रात हो जाती थी। एक बार दो बहनें मेरे साथ रात में इतनी देर तक सहभागिता करती रही कि उनके घर लौटने के लिए अब कोई ट्रेन नहीं थी, और उन्होंने बाकी रात मेट्रो स्टेशन पर ही बिताई थी। मैंने इन भाइयों और बहनों को बहुत कठिनाइयों का सामना करते और बहुत सहानुभूति और धीरज रखते हुए देखा, और मैं बाइबल में जो यह कहा गया है उसके बारे में सोचे बिना न रह सकी: "उनके फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे। क्या लोग झाड़ियों से अंगूर, या ऊँटकटारों से अंजीर तोड़ते हैं? इसी प्रकार हर एक अच्छा पेड़ अच्छा फल लाता है और निकम्मा पेड़ बुरा फल लाता है। अच्छा पेड़ बुरा फल नहीं ला सकता, और न निकम्मा पेड़ अच्छा फल ला सकता है"(मत्ती 7:16-18)। जब से मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के भाइयों और बहनों के संपर्क में रहने लगी थी, मैंने देखा कि वे जिस तरह से रहते थे वह काफी प्रशंसनीय था, कि वे उन दो महान आज्ञाओं का पालन करते थे जिनका अभ्यास करने के लिए प्रभु यीशु ने मनुष्यों से कहा था: "तू परमेश्‍वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख। बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है। और उसी के समान यह दूसरी भी है कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख" (मत्ती 22:37-39)। मैं यह कहने की हिम्मत तो नहीं करुँगी कि वे पहले ही प्रभु की अपेक्षाओं तक पहुँच चुके थे, लेकिन मैंने देखा कि वे इन दो आज्ञाओं की वास्तविकता का एक भाग जी रहे थे। और जब इसकी तुलना विभिन्न पंथों और संप्रदायों के भाई-बहन किस तरह जीते थे, उससे की गई तो ये स्वर्ग और पृथ्वी के समान भिन्न थे, वो भाई-बहन ज़रा भी क्षमा और धैर्य से नहीं रहते थे, वे ईर्ष्या और कलह से भरे हुए थे, और वे एक दूसरे के साथ लड़ते तथा संघर्ष करते थे, यहाँ तक कि वे कलीसिया के भीतर ही एक दूसरे से प्रसिद्धि, लाभ और पदवी के लिए लड़ते थे, और जहाँ तक वे किस प्रकार के पेड़ के थे इसका प्रश्न है, यह उस फल को देखकर बताया जा सकता है जो उस पेड़ ने दिए थे। लेकिन जिस तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के भाई-बहन जीते थे, उससे मुझे अपने दिल में एक पुष्टि मिली कि, उनके रहने का ढंग नकली नहीं था, परमेश्वर के वचनों का पालन करने के बाद यह उनके जीवन की अभिव्यक्ति थी। चूँकि वे मेमने के चरणों का अनुसरण करते थे, चूँकि उनके पास पवित्र आत्मा का कार्य था, और उनके जीवन के रूप में परमेश्वर का वचन था, वे एक ऐसे सच्चे ईसाई की सदृशता को जीने में सक्षम थे जो परमेश्वर के लिए महिमा लाता है और परमेश्वर की गवाही देता है। इस समय, परमेश्वर के वचन के नेतृत्व में और इन तथ्यों के शक्तिशाली जवाबी हमलों के तहत, पूर्वी बिजली के बारे में ये अफ़वाहें धीरे-धीरे मेरे दिल में ढह पड़ीं।

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