अफवाहों के जाल से बच निकलना

28 अक्टूबर, 2020

अक्तूबर 2016 में, मैं अमेरिका के न्यू यॉर्क शहर आ गया, बाद में, एक चीनी कलीसिया में, प्रभु यीशु के नाम से मेरा बपतिस्मा किया गया, मैं एक ईसाई बन गया। लेकिन कलीसिया में साल भर से ज़्यादा गुज़र जाने के बाद भी, मैं सिर्फ़ प्रार्थना करना और भजन गाना ही सीख पाया, परमेश्वर के बारे में मेरा ज्ञान और बाइबल की मेरी समझ सतही रही। इससे मैं निराश हो गया। इसलिए, अक्सर मैं यूट्यूब पर धर्मोपदेश ढूँढ़ता, ताकि प्रभु की इच्छा को समझ सकूं।

मार्च 2018 में, न्यू यॉर्क में कुछ भाई-बहनों से मेरी मुलाक़ात हुई, तब मैंने ऐसे बहुत-से सत्य और रहस्यों को जाना, जो मैं सभाओं और उनसे की गयी संगतियों में कभी नहीं जान पाया था, जैसे कि बाइबल के पीछे की कहानी, देहधारण क्या है, उद्धार क्या है, सच्चे और झूठे मसीहों में क्या अंतर है, परमेश्वर के कार्य और इंसान के कार्य में क्या अंतर है, आदि-आदि। इससे मेरी आँखें खुल गयीं, मैंने बहुत-कुछ पाया। मुझे उन सभाओं में बहुत आनंद आया। एक सभा में, भाई लियू ने ऐसे अनेक वचन पढ़े, जो बाइबल में नहीं थे। इससे हैरान होकर मैंने पूछा कि ये किसके वचन हैं। उन्होंने कहा कि ये अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन हैं। "सर्वशक्तिमान परमेश्वर" का नाम सुनकर मैं चौंक गया। पादरी और एल्डरों ने हमें बार-बार चेतावनी दी थी कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया से किसी तरह का संपर्क न रखें। उनके अनुसार ये लोग एक इंसान में विश्वास रखते हैं, यीशु मसीह में नहीं। मैं घबरा गया, इतनी बेचैनी महसूस करने लगा कि टिक कर बैठ नहीं पाया। उसके बाद भाई लियू की बातें मेरे दिमाग में नहीं उतर रही थीं, मैं बहाना बना कर सभा से बाहर आ गया।

घर लौटने के बाद, मैं बिस्तर पर करवटें बदलता रहा, सो नहीं पाया, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के सदस्यों के साथ मेरी सभाओं के दृश्य मन में कौंध रहे थे। उनकी संगति बहुत प्रबुद्ध और व्यावहारिक है, मेरे लिए बहुत लाभकारी है। लेकिन बिस्तर पर लेटे-लेटे, मेरे कानों में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के बारे में पादरी और एल्डरों की बातें गूँज रही थीं। मैं परेशान था, समझ नहीं आया किसकी बात मानूं। मैंने अपना फोन निकाल कर अपने सबसे ज़्यादा भरोसे वाली वेबसाइट विकीपीडिया पर नज़र दौड़ायी, यह देखने के लिए कि उसमें सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के बारे में क्या कहा है। जब मैंने विकीपीडिया में पढ़ा कि कलीसिया को एक इंसान ने स्थापित किया है, यह इंसानों की संस्था है न कि परमेश्वर की कलीसिया, और इस पर सीसीपी की खतरनाक नकारात्मक रपटें हैं, तो मैं बहुत घबरा गया, अब उनकी संगति सुनने की मुझमें हिम्मत नहीं रही। मैं उनका पूरा संपर्क विवरण मिटाने ही वाला था, लेकिन मिटाने से ठीक पहले, मुझे याद आया कि मैं उनके साथ किस तरह घुल-मिल गया था। वे ईमानदार, स्नेही और धैर्यवान लोग हैं, उनके चरित्र, उनकी जीवन शैली और उनके बात करने के तरीके का मैं बड़ा प्रशंसक था। मेरे मन पर उनकी अच्छी छाप ही पड़ी थी। वे लोग वैसे नहीं हैं जैसा मैंने ऑनलाइन पढ़ा है। इस सोच ने मुझे रोक दिया। लेकिन मैं विकीपीडिया पर बहुत भरोसा करता था, इसलिए सोच-विचार करके, मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के अपने सभी संपर्कों को मिटाने, और मेरे साथ सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य की जांच-पड़ताल करने वाले भाई पीटर को बताने का फैसला किया। भाई पीटर ने कहा कि प्रभु का स्वागत करना एक महत्वपूर्ण विषय है, जिसे हमें गंभीरता से लेना चाहिए, फिर उसने मुझे मनाया कि इसे लापरवाही से न आंकूँ, बल्कि और अधिक प्रार्थना करके प्रभु से मार्गदर्शन पाने की कोशिश करूं...। मेरे मन में बड़ा द्वंद्व था, सोच रहा था, "वह समझदारी की बात कह रहा है। प्रभु का स्वागत करना एक अहम विषय है, जिसे हमें गंभीरता से लेना चाहिए। अगर सर्वशक्तिमान परमेश्वर वापस आया हुआ प्रभु यीशु है, और मैं इस पर गौर न करूं, तो क्या मैं प्रभु का स्वागत करने का अपना मौक़ा गँवा नहीं दूंगा?" इसलिए मैंने प्रभु से प्रार्थना की, "हे प्रभु! मैं फिलहाल बड़ी उलझन में हूँ। सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के धर्मोपदेश सच में पोषक हैं और मैंने काफ़ी-कुछ हासिल किया है। लेकिन विकीपीडिया में कहा गया है कि यह एक मानव संगठन है, परमेश्वर की कलीसिया नहीं। हे प्रभु! मुझमें समझ नहीं है। लगता है मैं भटक गया हूँ, मुझे रास्ता दिखाओ।"

एक दिन, कलीसिया जाते समय, एक बहन ने मुझे एक कहानी सुनायी : "प्रभु के एक विश्वासी ने संकट की एक घड़ी में, परमेश्वर से उसे बचाने की विनती की, तब परमेश्वर ने उसे बचाने के लिए तीन मौके बनाये, मगर उसने सारे-के-सारे गँवा दिये। उसने कहा, 'नहीं। मैंने प्रभु से प्रार्थना कर ली है। प्रभु मुझे बचायेगा।' मृत्यु के बाद, उसे एहसास हुआ कि परमेश्वर ने ये तीन मौके दिये थे, मौकों का फायदा न उठा कर उसने खुद ग़लती की थी जिससे उसकी मृत्यु हो गयी।" कलीसिया में, पादरी को भी यही कहानी सुनाते हुए देख कर मुझे हैरानी हुई। मैं चौंक गया, सोचा, "कमाल है!" एक ही दिन में मैंने दो लोगों को वही कहानी कहते हुए सुना, जिसमें मुझे परमेश्वर द्वारा बचाये जाने के अपने मौक़े का फायदा उठाने को कहा गया है। क्या प्रभु मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य की जांच-पड़ताल जारी रखने को कह रहा है?" इसलिए मैंने चमकती पूर्वी बिजली की जांच-पड़ताल जारी रखने का फैसला किया। मैंने भाई लियू से संपर्क किया और उन्हें अपनी उलझन बतायी। मैंने कहा, "मुझे पता है कि आपकी संगति में सत्य है, और इसमें पवित्र आत्मा का कार्य है। यह मेरे लिए बहुत मददगार रहा है। लेकिन मैंने विकीपीडिया में देखा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को झाओ नाम के एक इंसान ने स्थापित किया है, यह एक मानव संगठन है, परमेश्वर की कलीसिया नहीं। सीसीपी सरकार की तरफ से भी बहुत-सी नकारात्मक रपटें हैं, इससे मेरे मन में कुछ शंकाएं पैदा हो गयी हैं, मैं आपके साथ इस बारे में चर्चा करना चाहता हूँ।"

भाई लियू ने जवाब दिया, "सच्चे मार्ग की खोजबीन करते समय, हम अविश्वासी वेबसाइटों, दूसरे समूहों, राजनीतिक दलों, या लोगों की बातों पर भरोसा नहीं कर सकते। हमें देखना होगा कि क्या इस मार्ग में सच्चाई है, क्या यह परमेश्वर का कार्य है। यह सबसे बुनियादी, सबसे अहम सिद्धांत है। जब प्रभु यीशु कार्य करने आया, तो फरीसियों ने तरह-तरह की अफवाहें फैलायीं और उसका तिरस्कार किया, कहा कि पवित्र आत्मा ने उसे नहीं रचा, वह पुनर्जीवित नहीं हुआ, आदि-आदि। बहुत-से यहूदियों ने मुख्य याजकों, शास्त्रियों और फरीसियों की बातें मानीं, और प्रभु का अनुसरण करने की हिम्मत नहीं की। लेकिन पतरस, यूहन्ना और दूसरे प्रेरित समझ पाये कि उसके द्वारा प्रचारित प्रायश्चित का मार्ग, उसके चमत्कार और उसका कार्य सब परमेश्वर से आये हैं, उनमें परमेश्वर का अधिकार और सामर्थ्य है, इसलिए उन्होंने प्रभु यीशु का अनुसरण करके उससे उद्धार प्राप्त किया। यह सब दिखाता है कि सच्चे मार्ग की खोजबीन की कुंजी यह देखने में है कि क्या इसमें सत्य और पवित्र आत्मा का कार्य है। बस यही एकमात्र सिद्धांत है।" फिर भाई लियू ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों का एक अंश पढ़ा। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "सच्चे मार्ग की खोज करने में सबसे बुनियादी सिद्धांत क्या है? तुम्हें देखना होगा कि इस मार्ग में पवित्र आत्मा का कार्य है या नहीं, ये वचन सत्य की अभिव्यक्ति हैं या नहीं, किसके लिए गवाही देनी है, और यह तुम्हारे लिए क्या ला सकता है। सच्चे मार्ग और झूठे मार्ग के बीच अंतर करने के लिए बुनियादी ज्ञान के कई पहलू आवश्यक हैं, जिनमें सबसे मूलभूत है यह बताना कि इसमें पवित्र आत्मा का कार्य मौजूद है या नहीं। क्योंकि परमेश्वर पर लोगों के विश्वास का सार परमेश्वर के आत्मा पर विश्वास है, और यहाँ तक कि देहधारी परमेश्वर पर उनका विश्वास इसलिए है, क्योंकि यह देह परमेश्वर के आत्मा का मूर्त रूप है, जिसका अर्थ यह है कि ऐसा विश्वास अभी भी पवित्र आत्मा पर विश्वास है। आत्मा और देह के मध्य अंतर हैं, परंतु चूँकि यह देह पवित्रात्मा से आता है और वचन देह बनता है, इसलिए मनुष्य जिसमें विश्वास करता है, वह अभी भी परमेश्वर का अंतर्निहित सार है। अत:, यह पहचानने के लिए कि यह सच्चा मार्ग है या नहीं, सर्वोपरि तुम्हें यह देखना चाहिए कि इसमें पवित्र आत्मा का कार्य है या नहीं, जिसके बाद तुम्हें यह देखना चाहिए कि इस मार्ग में सत्य है या नहीं" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जो परमेश्वर को और उसके कार्य को जानते हैं, केवल वे ही परमेश्वर को संतुष्ट कर सकते हैं)। भाई लियू ने अपनी संगति जारी रखी। "अंत के दिनों में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर परमेश्वर के घर से शुरू करके न्याय का कार्य करता है। वह इंसान को शुद्ध कर बचाने वाला संपूर्ण सत्य व्यक्त करता है। वह परमेश्वर के प्रबंधन कार्य के लक्ष्यों, व्यवस्था, अनुग्रह और राज्य के युगों के कार्य के पीछे की कहानियों, उस कार्य से हासिल उपलब्धियों, परमेश्वर के देहधारण और नाम के रहस्यों, और भी बहुत-सी चीज़ों को प्रकट करता है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर लोगों का न्याय करके, दुनिया में बुराई और अंधकार की जड़, परमेश्वर की अवज्ञा करने वाली उनकी शैतानी प्रकृति, और उनकी भ्रष्टता के सत्य को उजागर करता है, वह बताता है कि शैतान इंसान को कैसे भ्रष्ट करता है और परमेश्वर इंसान को कैसे बचाता है। वह हमें भ्रष्टता को दूर करने और परमेश्वर से उद्धार पाने का रास्ता भी दिखाता है, और हर किस्म के इंसान के परिणामों को प्रकट करता है। उसके द्वारा व्यक्त सत्य और उसके न्याय-कार्य से प्रभु यीशु की यह भविष्यवाणी पूरी तरह से साकार होती है : 'मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा' (यूहन्ना 16:12-13)। यह भविष्यवाणी भी पूरी होती है 'क्योंकि वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्‍वर के लोगों का न्याय किया जाए' (1 पतरस 4:17)। परमेश्वर के प्रकटन और कार्य के लिए लालायित सभी संप्रदायों के बहुत-से सच्चे विश्वासियों ने देखा है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन सत्य हैं, परमेश्वर की वाणी हैं। उन्होंने तय किया है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही वापस आया हुआ प्रभु यीशु है और वे परमेश्वर की शरण में आ गये हैं। परमेश्वर से आयी हुई हर चीज़ पनपेगी। करीब 20 साल में ही, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार पूरे चीन में फ़ैल गया है, और अब पूरी दुनिया में पहुँच रहा है। यह परमेश्वर के अनूठे सामर्थ्य और अधिकार और पवित्र आत्मा के कार्य का फल है। यह परमेश्वर की बुद्धिमत्ता और सर्वशक्तिमत्ता की अभिव्यक्ति है। ये तथ्य साबित करते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही वापस आया हुआ प्रभु यीशु है और उसका कार्य ही सच्चा मार्ग है।"

भाई लियू की संगति ने मुझे हाल में पढ़े हुए सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों की याद दिलायी। इन वचनों ने अनेक रहस्यों और सत्य को प्रकट किया था। परमेश्वर के अलावा कौन सत्य व्यक्त कर सकता है? अगर सच्चे मार्ग की खोज में, मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के सत्य को न पढूं, इसके बजाय कुछ वेबसाइटों और सीसीपी द्वारा फैलाये गये झूठ पर आँख मूँद कर भरोसा कर लूं, तो यह बहुत बड़ी बेवकूफ़ी होगी। भाई लियू ने मुझे परिवार में रक्तिम पुनर्शिक्षा नामक फिल्म देखने को कहा। इसमें मुख्य किरदार के पिता कम्युनिस्ट पार्टी के यूनाइटेड फ्रंट के प्रधान हैं, उनकी बातें ठीक वैसी ही हैं जैसी मैंने विकीपीडिया में देखीं। वे कहते हैं कि इस कलीसिया की स्थापना झाओ नामक एक इंसान ने की, इसके सभी सदस्य कहते हैं कि यह वो इंसान है जिसका पवित्र आत्मा ने इस्तेमाल किया, वे हर समय उसके धर्मोपदेश सुनते रहते हैं, यानी यह एक मानव संगठन है, परमेश्वर की कलीसिया नहीं। इसके जवाब में मुख्य किरदार यह कहता है : "ईसाई धर्म और कैथोलिक धर्म की स्थापना किसने की थी? क्या इनकी स्थापना करने वाले पौलुस या पतरस थे? यहूदी धर्म की स्थापना किसने की? क्या मूसा ने? ये सब बकवास है। नास्तिकों ने परमेश्वर का देहधारी होना तो दूर, परमेश्वर का होना भी कभी स्वीकार नहीं किया। देहधारी मसीह चाहे जितना भी सत्य व्यक्त करे, उसका कार्य चाहे जितना भी महान हो, उसका उद्धार चाहे जितना भी महान हो, वे उसे नकारने, छिपाने, और उसकी निंदा करने की भरसक कोशिश करते हैं। उन्हें लगता है कि ईसाई धर्म भी इंसान द्वारा ही स्थापित है, और यह बिल्कुल बकवास है। प्रभु यीशु के प्रकटन और कार्य के बिना प्रभु का कोई विश्वासी और अनुयायी होता ही नहीं, और ईसाई धर्म भी अस्तित्व में नहीं होता। यह एक सच्चाई है। प्रेरित चाहे जितने भी गुणी क्यों न रहे हों, वे कलीसिया की स्थापना कैसे कर सकते थे? सिर्फ़ इसलिए कि लोगों ने प्रेरितों की अगुआई और मार्गदर्शन को स्वीकार किया, क्या इसका यह अर्थ होगा कि ईसाई धर्म की स्थापना इंसानों ने की? सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया पूरी तरह से परमेश्वर के प्रकटन और कार्य की बदौलत बनी। सर्वशक्तिमान परमेश्वर बहुत-से सत्य व्यक्त करता है, लोग जानते हैं कि यह परमेश्वर की वाणी है और वे परमेश्वर की शरण में आते हैं, इसलिए यह कलीसिया अस्तित्व में आयी। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अपना कार्य शुरू करने के बाद, उसने पवित्र आत्मा द्वारा इस्तेमाल किये गये इंसान को कलीसिया के अगुआ के रूप में गवाही दी। वह व्यवस्था के युग में मूसा या अनुग्रह के युग में प्रेरितों के जैसा है। परमेश्वर के चुने हुए लोगों का सिंचन करने, उन्हें रास्ता दिखाने, और उनकी अगुआई करने के लिए परमेश्वर उसका इस्तेमाल करता है। वह एक इंसान का कर्तव्य निभाता है। परमेश्वर के चुने हुए लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर के नाम से प्रार्थना करते हैं, सभाओं में वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़ते और उनके बारे में संगति करते हैं। परमेश्वर के चुने हुए लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के अनुसार इस इंसान की अगुआई को स्वीकार कर उसके सामने समर्पण करते हैं। सीसीपी बेशर्मी से झूठ बोलती है कि हमारी आस्था इस इंसान में है। वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकटन और कार्य को नकारते हैं, और उसके द्वारा व्यक्त सत्य को झुठलाते हैं। उनके कुछ छिपे हुए इरादे हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर का प्रकटन और कार्य न होता, तो सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का अस्तित्व ही नहीं होता। इस सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता।"

मुझे लगा कि मुख्य किरदार ठीक कह रहा है। परमेश्वर के प्रकटन और कार्य के कारण ही यह कलीसिया अस्तित्व में आयी, लेकिन सिर्फ़ इसलिए कि परमेश्वर कलीसिया की अगुआई करने के लिए किसी इंसान का इस्तेमाल करता है, वे कहते हैं कि कलीसिया की स्थापना एक इंसान ने की। क्या यह बकवास नहीं है? सीसीपी को पता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के ईसाई सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास रखते हैं, तो वे ऐसा क्यों कहते हैं कि यह इंसान द्वारा स्थापित एक मानव संगठन है? मैं इसी उधेड़बुन में था कि मुख्य किरदार ने अपनी बात जारी रखी, "फिर सीसीपी सरकार क्यों कहती है कि यह कलीसिया एक मानव संगठन है? वे देहधारी परमेश्वर का ज़िक्र क्यों नहीं करते? वे वचन देह में प्रकट होता है का कभी क्यों ज़िक्र नहीं करते? सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त सत्य से सीसीपी बहुत डरती है, क्योंकि उसे मालूम है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के सभी विश्वासियों ने वचन देह में प्रकट होता है को पढ़ने के कारण ही उसे स्वीकार किया है। इसलिए वे अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होकर कार्य करने के सत्य को छिपाने के लिए लोगों को यह कह कर भटकाने की कोशिश करते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की स्थापना इंसान ने की। वे ऐसा लोगों को परमेश्वर का अनुसरण करने से रोकने, और परमेश्वर की कलीसिया का दमन करने के लिए करते हैं। यही उनका असली मक़सद है।" यह काफ़ी आँखें खोलनेवाला था। मैंने समझ लिया कि सीसीपी का दावा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया एक मानव संगठन है, सच्चाई की सोची-समझी तोड़-मरोड़ कर की गयी पेशकश है, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के दमन और उत्पीड़न का एक बहाना है। यही नहीं, वे ऐसा लोगों को गुमराह करने और सच्चे मार्ग को खोजने से रोकने के लिए कहते हैं। यह लोगों को आस्था रखने और परमेश्वर का अनुसरण करने से रोकने के लिए है। यही सीसीपी की बुरा मंसूबा है!

उस फिल्मांश को देखने के बाद, भाई लियू ने संगति की, "सीसीपी द्वारा ऐसी अफवाहें फैलाने और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की निंदा करने को, सत्य से घृणा और परमेश्वर का विरोध करने वाली उसकी दानवी प्रकृति से अलग करके नहीं देखा जा सकता। हम सभी जानते हैं कि सीसीपी नास्तिक है और वह मार्क्सवाद-लेनिनवाद में विश्वास रखती है। वह किसी भी और चीज़ से ज़्यादा, सत्य और परमेश्वर के प्रकट होकर कार्य करने से नफ़रत करती है, 1949 में देश की स्थापना के बाद से उसने धार्मिक आस्था का पागलों की तरह दमन और उत्पीड़न किया है। उसने ईसाई धर्म और अन्य गृह कलीसियाओं की दुष्ट कुपंथ के रूप में निंदा की है, और बाइबल की अनगिनत प्रतियों को जला कर नष्ट कर दिया है। उसने अनगिनत ईसाइयों को गिरफ़्तार और उत्पीड़ित कर बंदी बनाया है। शी जिनपिंग के सत्ता में आने के बाद से धार्मिक उत्पीड़न पहले से भी ज़्यादा क्रूर हो गया है। थ्री-सेल्फ कलीसिया को बंद करके नष्ट कर दिया गया है और अनगिनत सलीबों को तोड़ कर गिरा दिया गया है। धार्मिक आस्था को पूरी तरह से मिटा देने के लिए वे बाइबल और कुरान को भी फिर से लिखने की योजना बना रहे हैं। अंत के दिनों का मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर चीन में प्रकट हुआ, इसलिये सीसीपी ऊँच-नीच सभी को टटोलते हुए उसका पीछा करती रही है, ईसाइयों को अंधाधुंध गिरफ़्तार करके उनका उत्पीड़न करती रही है। बहुतों को जेल में बंद करके तब तक बर्बर यातनाएं दी गयी हैं, जब तक वे लूले-लंगड़े नहीं हो गये या मर नहीं गये, लाखों लोगों को अपना घर छोड़ कर भागने को मजबूर किया गया है। सीसीपी मीडिया के ज़रिये अफवाहें फैलाती और मुश्किलें खड़ी करती है, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को झूठे मामलों में फंसा कर उसकी बदनामी करवाती है। यह चीन और दुनिया के लोगों को उकसाने और गुमराह करने के लिए किया जाता है, ताकि वे भी कलीसिया का विरोध करके उसकी निंदा करें। वह परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को मिटा देने की कोशिश कर रही है। इस सच्चाई से हम समझ सकते हैं कि सीसीपी एक दुष्ट दानव है, जो परमेश्वर का विरोध करती है और लोगों को गुमराह कर उन्हें नुकसान पहुंचाती है। यह एक जंगली जानवर है, प्रकाशितवाक्य में बताया गया बड़ा अजगर! यह बाइबल की इन भविष्यवाणियों को पूरी तरह से साकार करता है : 'तब वह बड़ा अजगर, अर्थात् वही पुराना साँप जो इब्लीस और शैतान कहलाता है और सारे संसार का भरमानेवाला है' (प्रकाशितवाक्य 12:9)। 'उसने परमेश्‍वर की निन्दा करने के लिये मुँह खोला कि उसके नाम और उसके तम्बू अर्थात् स्वर्ग के रहनेवालों की निन्दा करे' (प्रकाशितवाक्य 13:6)। सच्चे मार्ग की जांच-पड़ताल और परमेश्वर के प्रकटन की खोज करते समय सीसीपी के झूठ को सुनना बेतुका है! सच्चे मार्ग पर गौर करते समय कुछ लोग विकीपीडिया को पढ़ते हैं, यह कहकर कि वे उस पर भरोसा करते हैं, और वे इस पर तभी विश्वास करेंगे जब विकीपीडिया कहेगा कि यही सच्चा मार्ग है। वे यह सच्चा मार्ग है या नहीं, इसे तय करने के लिए विकीपीडिया की मदद लेते हैं। क्या यह सत्य के अनुरूप है? क्या विकीपीडिया में सत्य होता है? यह अविश्वासियों की वेबसाइट है। वे सारी सामग्री इकट्ठा कर उसे अविश्वासियों के नज़रिये से लिखते हैं। सभी अविश्वासी शैतान द्वारा गहराई से भ्रष्ट होकर परमेश्वर को धोखा दे चुके हैं। वे आस्थावान लोग नहीं हैं। वे सिर्फ भीड़ के साथ चलते हैं और झूठ पर झूठ बोलते हैं। वे बस सीसीपी की हर बात को दोहराते रहते हैं। क्यों न कलीसिया से ही साक्षात्कार किया जाए? उसके बारे में उचित और निष्पक्ष रूप से क्यों न लिखें? सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन और कलीसिया के सदस्यों की तरह-तरह की गवाहियाँ कुछ समय से ऑनलाइन उपलब्ध हैं। इनका बिल्कुल भी ज़िक्र क्यों नहीं किया जाता? सीसीपी सरकार कलीसिया का बर्बरता से उत्पीड़न कर रही है, अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार संगठनों की वेबसाइटों पर इसका प्रचार किया गया है। वे इसका संदर्भ क्यों नहीं देते? सीसीपी और धार्मिक जगत सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के बारे में अफवाहें फैला कर उसकी झूठी निंदा करते हैं, और विकीपीडिया बस उन्हें दोहराता है। क्या वे जान-बूझ कर सत्य को छिपा नहीं रहे हैं, सरकार के झूठ को फैला नहीं रहे हैं? वे लोगों को गुमराह करने के लिए शैतान द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे भ्रामक प्रचार साधन हैं। सच्चे मार्ग पर गौर करते समय अगर हम विकीपीडिया पर यकीन करें, उसके झूठ पर विश्वास करें, तो क्या यह बेवकूफ़ी नहीं होगी? अगर कोई सरकार और धार्मिक जगत द्वारा किये गये सच्चे मार्ग के आकलन के आधार पर किसी चीज़ को सच्चा मार्ग मान ले, तो क्या उसे असली विश्वासी कहा जा सकता है? परमेश्वर के वचनों की खोज न करने या अपनी खोज में परमेश्वर की वाणी को न सुनकर, शैतान की बातों पर यकीन करने, सीसीपी और धार्मिक याजक वर्ग की बातों पर विश्वास करने का अर्थ है कि वे शैतान में विश्वास रखकर उसका अनुसरण करते हैं, उन्हें जंगली जानवर ने गुमराह करके अपने वश में कर लिया है, उन पर जंगली जानवर की छाप है।"

मुझे लगा कि भाई लियू की संगति वाकई गहरी दृष्टि वाली है, मैं पूरी तरह आश्वस्त हो गया। मैं विकीपीडिया को हमेशा सबसे बड़ा ऑनलाइन एन्साइक्लोपीडिया मानता था, जिसमें सब-कुछ है। मैं वाकई इस पर भरोसा करता था, लेकिन तब मुझे एहसास हुआ कि यह अविश्वासियों की वेबसाइट है। इसमें कोई सत्य नहीं है, न ही परमेश्वर इसकी गवाही देता है। सीसीपी सरकार जो भी तोडी-मरोड़ी पाखंडी बातें फैलाती है, विकीपीडिया उन भ्रांतियों को दोहराती है। इसमें कही गयी बातें दूषित न हों, ऐसा कैसे हो सकता है? इस पर भरोसा कैसे किया जा सकता है? सच्चे मार्ग की जांच-पड़ताल करते समय मुझे देखना चाहिए था कि क्या इस मार्ग में सत्य है, क्या इसे परमेश्वर ने व्यक्त किया है और क्या इसमें पवित्र आत्मा का कार्य है, क्योंकि केवल परमेश्वर ही सत्य, मार्ग और जीवन है, और केवल परमेश्वर ही हमें अभ्यास का मार्ग दिखा सकता है। मगर यह देखने के बाद भी कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर का वचन ही सत्य है और परमेश्वर से आया है, मैं अभी भी आधिकारिक मानी जाने वाली वेबसाइट पर मौजूद सीसीपी की अफवाहों और बातों के काबू में था, मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य की जांच-पड़ताल करने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था। मैं सच में बड़ी उलझन में था! सौभाग्य से, परमेश्वर सत्य के बारे में मुझसे संगति करने के लिए मेरे भाई-बहनों का इस्तेमाल कर रहा था, मेरी मदद और मार्गदर्शन कर रहा था, ताकि मैं किसी से धोखा न खाऊँ। वरना, मैं प्रभु की वापसी का स्वागत करने का अपना मौक़ा गँवा देता।

फिर भाई लियू ने अपनी संगति जारी रखी : "यह सीसीपी का झूठ है, जो सच्चे मार्ग पर गौर करने वाले लोगों को गुमराह कर उन्हें रोकता है, तो परमेश्वर ऐसे झूठ को क्यों बने रहने देता है? सीसीपी के इन झूठों को फैलाने के पीछे परमेश्वर के नेक इरादे और उसकी बुद्धिमत्ता है।" आओ, हम सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कुछ वचन पढ़ें। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "मेरी योजना में, शैतान आरंभ से ही, प्रत्येक कदम का पीछा करता आ रहा है। मेरी बुद्धि की विषमता के रूप में, हमेशा मेरी वास्तविक योजना को बाधित करने के तरीक़े और उपाय खोजने की कोशिश करता रहा है। परंतु क्या मैं उसके कपटपूर्ण कुचक्रों के आगे झुक सकता हूँ? स्वर्ग में और पृथ्वी पर सब कुछ मेरी सेवा करते हैं; शैतान के कपटपूर्ण कुचक्र क्या कुछ अलग हो सकते हैं? ठीक यही वह जगह है जहाँ मेरी बुद्धि बीच में काटती है; ठीक यही वह है जो मेरे कर्मों के बारे में अद्भुत है, और यही मेरी पूरी प्रबंधन योजना के परिचालन का सिद्धांत है। राज्य के निर्माण के युग के दौरान भी, मैं शैतान के कपटपूर्ण कुचक्रों से बचता नहीं हूँ, बल्कि वह कार्य करता रहता हूँ जो मुझे करना ही चाहिए। ब्रह्माण्ड और सभी वस्तुओं के बीच, मैंने अपनी विषमता के रूप में शैतान के कर्मों को चुना है। क्या यह मेरी बुद्धि का आविर्भाव नहीं है? क्या यह ठीक वही नहीं है जो मेरे कार्यों के बारे में अद्भुत है?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 8)। फिर भाई लियू ने संगति की, "परमेश्वर के वचन हमें दिखाते हैं कि अपने कार्य में वह शैतान की चालों से दूर नहीं भागता, बल्कि अपने कार्य की खातिर सेवा करने के लिए उनका इस्तेमाल करता है, ताकि वह इंसान को बचाने के लिए अपनी प्रबंधन योजना को पूरा कर सके। राज्य के युग में परमेश्वर का कार्य उसके द्वारा इंसान के उद्धार का अंतिम चरण है। परमेश्वर लोगों को उनकी किस्म के अनुसार अलग करेगा, नेक लोगों को पुरस्कृत और दुष्ट लोगों को दंडित करके पूरे युग के कार्य को न्याय के द्वारा पूरा करेगा। परमेश्वर उन सभी को विजेता बना देगा, जो उसमें निष्ठा से विश्वास रखते हैं और सत्य से प्रेम करते हैं, वह उन्हें अपने राज्य में ले आयेगा। वह बेकार घास-फूस, बकरों, और भर पेट रोटी खाने की चाह रखने वाले अविश्वासियों को, परमेश्वर का प्रतिरोध करने वाले दुष्ट लोगों और मसीह-विरोधियों के साथ ही उजागर कर हटा देगा। ये झूठ वो साधन हैं जिन्हें परमेश्वर अपने कार्य को पूरा करने की सेवा में इस्तेमाल करता है। झूठ के इस तूफ़ान में, सच्चे और झूठे विश्वासियों, गेंहू और घास-फूस सब को प्रकाशित कर दिया जाएगा। परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार करने वाले हर किसी को इस परीक्षण से गुज़रना होगा। प्रभु यीशु ने कहा था, 'मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं; मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं; ... और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा' (यूहन्ना 10:27-28)। सत्य से प्रेम करने वाले सच्चे विश्वासी, सीसीपी या धार्मिक जगत की बातों या मीडिया या वेबसाइटों में लिखी बातों की परवाह नहीं करते। वे बस देखते हैं कि यह परमेश्वर की वाणी और उसका कार्य है या नहीं। एक बार पक्का कर लेने के बाद कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन परमेश्वर की वाणी हैं, वे उसका अनुसरण करते हैं, किसी इंसान, चीज़ या घटना के कारण नहीं रुकते। वे परमेश्वर का अनुसरण करने की ठान लेते हैं। वे ही बुद्धिमान कुँवारियाँ हैं। अविश्वासी, जो सत्य से प्रेम नहीं करते और सिर्फ़ भरपेट खाने की ही कोशिश में रहते हैं, वे सत्य को नहीं खोजते, बल्कि आँखें बंद करके शैतान के झूठ को स्वीकार कर लेते हैं, सीसीपी के साथ मिलकर झूठ फैलाते हैं, अंधाधुंध आलोचना और निंदा कर परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की निंदा करते हैं। वे सब घास-फूस, कुत्तों, दुष्ट सेवकों और मसीह-विरोधियों के रूप में उजागर किये जाते हैं। उन्हें हटा कर दंडित किया जाएगा, और विपत्तियों में वे रोते हुए अपने दांत भींचेंगे। सीसीपी और धार्मिक जगत के झूठ, गेंहू और घास-फूस, भेड़ और बकरी, नेक और दुष्ट सेवकों को प्रकाशित करते हैं। आखिरकार, परमेश्वर यह देख कर लोगों के परिणाम तय करेगा कि उन्होंने परमेश्वर के कार्य को किस तरह से देखा, उन्होंने क्या कर्म किये। शैतान की चालें और उसके झूठ साफ़ तौर पर परमेश्वर के कार्य के लिए सेवा कर रहे हैं।"

इन अफवाहों और झूठ ने वाकई मुझे अँधेरे में रखा था। मेरे लिए राज्य के दरवाज़े क़रीब-क़रीब बंद हो चुके थे। इस विचार ने मुझे डरा दिया। अब मैं जानता हूँ कि सच्चे मार्ग की जांच-पड़ताल की कुंजी परमेश्वर की वाणी को सुनना, और देखना है कि वह परमेश्वर का कार्य है या नहीं। हम सीसीपी दानव के झूठ पर पूरी तरह से यकीन नहीं कर सकते, हमें पादरियों, एल्डरों और वेबसाइटों की बातों पर भी समझदारी से सोच-विचार करना होगा। हम उनकी बातों पर आँखें बंद करके यकीन नहीं कर सकते, वरना हम किसी भी पल शैतान के जाल में फंस सकते हैं। समझदार न होना और अपनी आस्था में सत्य की खोज न करना वाकई खतरनाक है। अफवाहों की गिरफ़्त से निकल कर प्रभु की वापसी का स्वागत करना, मेरे लिए परमेश्वर की कृपा और उद्धार है! सर्वशक्तिमान परमेश्वर का धन्यवाद!

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