क्या यीशु मसीह के आगमन पर हमारे रूप फ़ौरन बदल जायेंगे और हम स्वर्गिक राज्य में प्रवेश करेंगे?

30 मई, 2019

हुआन बाओ

सहकर्मियों की बैठक में, वांग जिंग, शाओ या, गाओ मिंगयुआन, लियू जी, फैन बिंग और अन्य लोगों ने कलीसिया के काम के बारे में चर्चा बस खत्म ही की थी।

वांग जिंग ने फिर गंभीरता से कहा, "भाइयो और बहनो, दुनिया वर्तमान में अकाल, भूकंप और महामारियों से ग्रस्त है, और लगातार युद्ध हो रहे हैं—बहुत सारे रक्तिम चंद्रमा दिखाई दिए हैं। ये सभी अंत के दिनों और प्रभु यीशु की वापसी के संकेत हैं! हम दुनिया के रुझानों से देख सकते हैं कि हम प्रभु के आगमन के महत्वपूर्ण समय में पहुँच चुके हैं, और शायद वह पहले ही लौट चुके हैं। हम सतर्क रहते हैं और प्रार्थना करते हैं ताकि हम उनकी वापसी का स्वागत कर सकें। मेरे दिमाग में कुछ और भी है जिस पर मैं सभी के साथ चर्चा करना चाहती हूँ। मैं नहीं जानती कि क्यों, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से मैं ऐसा महसूस कर रही हूँ कि मैं प्रभु से आध्यात्मिक रूप से दूर हो गयी हूँ। जो उत्साह और प्रेम मुझमें कभी हुआ करता था, धीरे-धीरे क्षीण हो गया है, भले ही मैं कई सालों से प्रभु के लिए सुसमाचार का प्रचार और काम कर रही हूँ, और मैंने काफी दुःख भी भोगा है, लेकिन मैंने पाया है कि मैं उनके वचनों को बनाए रखने में सर्वथा असमर्थ हूँ। मैं अब भी बार-बार खुद को पाप करते और उनकी शिक्षाओं के खिलाफ जाते हुए पाती हूँ। प्रभु यीशु की हमसे स्पष्ट आवश्यकता है कि हम निर्दोष, ईमानदार हों, केवल ईमानदार लोग ही स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं। लेकिन दूसरों के साथ अपनी बातचीत में, बस इसलिए कि अपने हितों की रक्षा कर सकूँ, मैं अक्सर झूठ बोलती हूँ, धोखा देती हूँ। अगर मैं देखती हूँ कि कलीसिया में कोई भाई या बहन है जो मेरे जितना अच्छा कार्य नहीं कर पा रहा है, तो मैं घमंडी हो जाता हूँ और उन्हें नीची नजरों से देखती हूँ, और जब मेरे घर में कुछ व्यवधान होता है, या परिवार का कोई सदस्य बीमार पड़ता है या किसी आपदा से पीड़ित होता है, तो मैं प्रभु को गलत मान लेती हूँ, उन्हें दोष देती हूँ। मैं लगातार पाप से बंधा हुई हूँ, मैंने वास्तव में न तो परमेश्वर के वचनों का अनुभव किया है, न इस पर अमल किया है; मैं प्रभु के वचनों की वास्तविकता को नहीं जी पायी हूँ। क्या आपको लगता है कि हम जैसे लोग जो हमेशा पाप करते हैं, पापस्वीकर करते हैं, और फिर से पाप करते हैं, वाकई प्रभु के आने पर स्वर्ग के राज्य में आरोहित किये जा सकता है? मैं सच में सोचती हूँ की कहीं प्रभु के आगमन पर हमें निकाल न दिया जाये।"

वांग जिंग ने जो कहा उससे कई सहकर्मी गहराई से परिचित थे, उन्होंने इस पर चर्चा शुरू की।

शाओ या ने असहज होकर कहा, "यह सच है। मैं हाल ही में इस पर भी विचार करती रही हूँ। अब दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है, उससे हम देख सकते हैं कि प्रभु का दिन निकट है, लेकिन हम अभी भी लगातार पाप करने और उसे स्वीकारने की स्थिति में रह रहे हैं। भले ही हम कठिन परिश्रम कर रहे हों, फिर भी हम निरर्थकता के पीछे भागते हैं, और पाप के सुखों में आनंद मनाते हैं। जब कोई और हमारे चेहरे, स्थिति, या रुचियों को चोट पहुँचाने के लिए कुछ करता है, तो हम तुच्छ साज़िशों में शामिल होते हैं। हमारे पास पूरी तरह से सहिष्णुता और धैर्य की कमी है, हममें विशेष रूप से प्रेमपूर्ण दिलों का भाव है। यहाँ तक कि पादरी और एल्डर भी सोहरत और निजी लाभ के लिए झगड़ते हैं, और ईर्ष्या के करण संघर्ष करते हैं। वे केवल अपने काम और उपदेशों में बाइबल और धर्मसिद्धांत की व्याख्या करते हैं, वे हमेशा दिखाव करते रहते हैं कि उन्होंने प्रभु के लिए कितना काम किया है, वे कैसे हर जगह सुसमाचार का प्रचार करते हुए दौड़-भाग करते रहे हैं—वे बिल्कुल भी प्रभु के वचनों की वास्तविकता नहीं जी रहे हैं। प्रभु पवित्र है, लेकिन हम पूरी तरह पापी हैं, फिर भी हर दिन हम प्रभु के वापस लौटने और स्वर्गिक राज्य में आरोहित किये जाने की उम्मीद कर रहे हैं। क्या यह सिर्फ एक मूर्खतापूर्ण सपना नहीं है?"

फैन बिंग के पास पहले से ही एक प्रतिक्रिया तैयार थी। "इस बारे में कोई संदेह कैसे हो सकता है? भले ही हम अभी भी अक्सर पाप करते हैं और विवश हैं, पाप से बंधे हैं, और प्रभु के कई वचनों का अभ्यास नहीं करते हैं, फिर भी हम आशा नहीं खो सकते हैं! बाइबल में, पौलुस ने कहा है: 'कि यदि तू अपने मुँह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे, और अपने मन से विश्‍वास करे कि परमेश्‍वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्‍चय उद्धार पाएगा। क्योंकि धार्मिकता के लिये मन से विश्‍वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुँह से अंगीकार किया जाता है' (रोमियों 10:9-10)। 'यदि यह अनुग्रह से हुआ है, तो फिर कर्मों से नहीं; नहीं तो अनुग्रह फिर अनुग्रह नहीं रहा' (रोमियों 11:6)। हमें विश्वास के द्वारा न्यायसंगत ठहराया गया है, इसलिए प्रभु अब हमें पापी के रूप में नहीं देखते हैं। फिलिप्पियों 3:20–21 में कहा गया है, 'पर हमारा स्वदेश स्वर्ग पर है; और हम एक उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह के वहाँ से आने की बाट जोह रहे हैं। वह अपनी शक्‍ति के उस प्रभाव के अनुसार जिसके द्वारा वह सब वस्तुओं को अपने वश में कर सकता है, हमारी दीन-हीन देह का रूप बदलकर, अपनी महिमा की देह के अनुकूल बना देगा।' 1 कुरिन्थियों 15:51-52 में, 'देखो, मैं तुम से भेद की बात कहता हूँ: हम सब नहीं सोएँगे, परन्तु सब बदल जाएँगे, और यह क्षण भर में, पलक मारते ही अन्तिम तुरही फूँकते ही होगा। क्योंकि तुरही फूँकी जाएगी और मुर्दे अविनाशी दशा में उठाए जाएँगे, और हम बदल जाएँगे।' जब प्रभु वापस लौटेंगे, तो पलक झपकते ही हमारा देह-रूप बदल जाएगा और हम अब पाप से जुड़े और बंधे नहीं रहेंगे—हम पूरी तरह से शुद्ध हो जाएंगे और फिर हमें स्वर्ग के राज्य में ले जाया जा सकता है। हमें बस प्रभु में विश्वास रखना है!"

कुछ सहकर्मियों ने सहमति में अपना सिर हिलाया, जबकि अन्य ने अपनी भौहें सिकोड़ लीं। गाओ मिंगयुआन उठ खड़ा हुआ, अपने लिए एक गिलास में पानी लेकर, यह कहते हुए कमरे में टहलने लगा, "ये अंश जिनका उल्लेख भाई फैन ने किया है, वे सभी पौलुस द्वारा कही गई बातें हैं। क्या वास्तव में पौलुस के शब्दों के अनुसार अपना अभ्यास का मार्ग बनाना सही होगा? इतने वर्षों की सभाओं और प्रचार के बीच, शायद ही कभी हमने प्रभु यीशु के वचनों के बारे में बात की हो, हम उन्हें विशेष रूप से व्यवहार में नहीं लाते हैं। इसके बजाय, हम लगातार स्वर्ग के राज्य में प्रवेश के जैसी महत्वपूर्ण बातों में भी, पौलुस के वचनों को लगातार उच्चता देते हैं, उसकी गवाही देते हैं। हम सोचते हैं कि हम पूरी तरह से बस प्रभु में अपने विश्वास के द्वारा पूरी तरह से उचित ठहराए जा सकते हैं, इस तथ्य के बावजूद कि हम लगातार पाप कर रहे हैं और हमने शुद्धि हासिल नहीं की है, हम प्रभु के आगमन पर तुरंत रूप बदल लेंगे और स्वर्ग के राज्य में ले जाये जाएंगे। इन सभी वर्षों में हमारा अभ्यास पौलुस के शब्दों पर आधारित है—क्या हमारे पास पवित्र आत्मा के कार्य से इसकी पुष्टि है? क्या हमने अच्छी फसल पाई है? हम पौलुस के शब्दों के अनुसार काम और प्रचार करते हैं और ऐसा लगता है कि हमारे सभी भाई-बहनों का विश्वास है कि प्रभु के आने पर उन्हें स्वर्ग में आरोहित किया जायेगा। लेकिन कोई भी प्रभु के वचनों को व्यवहार में लाने और अपने दैनिक जीवन में आज्ञाओं को पालन करने पर ध्यान केंद्रित नहीं करता है। उनमें से कुछ तो अपनी दैहिक वरीयताओं का अनुसरण करते हुए, शोहरत और पद का पीछा करते हुए, दुनिया के बुरे रुझानों का अनुसरण करते हुए, बस खाने, पीने और आनंद मनाने में व्यस्त रहते हुए, अधिक से अधिक अपने आप को भोग में लिप्त कर रहे हैं। उन्हें परमेश्वर का कोई भय नहीं है, और वे सच्चे पश्चाताप के बिना पाप में जी रहे हैं। ऐसा मालूम देता है कि हमारे सभी भाई-बहनों मानते हैं कि चूँकि प्रभु ने हमारे पापों को क्षमा कर दिया है, इसलिए भले ही हम अभी तक पवित्र नहीं हुए हैं, प्रभु अपने आगमन पर एक चुटकी में हमें पवित्र बनाने में सक्षम होंगे, और फिर जैसी उम्मीद है वैसे ही हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करेंगे। क्या आप सभी वास्तव में सोचते हैं कि इस तरह का विश्वास प्रभु की इच्छा के अनुरूप है? परमेश्वर कहते हैं, 'इसलिये तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ' (लैव्यव्यवस्था 11:45)। और बाइबल कहती है, '... उस पवित्रता के खोजी हो जिसके बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा' (इब्रानियों 12:14)। प्रभु पवित्र और धर्मी हैं, और केवल वे ही जो अपने पापों से मुक्त हुए हैं, स्वर्ग में प्रवेश कर सकते हैं। हम उस शुद्धता को प्राप्त नहीं कर सकते, इसलिए हम प्रभु का चेहरा देखने के योग्य नहीं हैं। हम लगातार पाप कर रहे हैं और प्रभु के वचनों को व्यवहार में नहीं ला रहे हैं, लेकिन हम निरंतर प्रतीक्षा कर रहे हैं कि प्रभु हमें स्वर्गिक राज्य में ले जाएं—क्या यह हवाई महल नहीं है?"

स्तब्ध, वांग जिंग मन में सोचने लगी, "भाई गाओ ने जो कहा वह सच है! हमारी खोज पौलुस के शब्दों पर आधारित है, और भले ही यह अधिक आसान है, हम अपने जीवन में किसी भी वृद्धि का अनुभव नहीं करते हैं। न केवल प्रभु के प्रति प्रेम हमारा विश्वास और समर्पण थोड़ा भी नहीं बढ़ा है, बल्कि हम उनके वचनों का अभ्यास करने पर कम से कम ध्यान दे रहे हैं, कई बार खुद को आनंद भोगने और जानबूझकर पाप करने में लिप्त कर लेते हैं, समय के साथ हम अब खुद को फटकारना भी बंद कर देते हैं...। पौलुस के शब्दों का अभ्यास करने से, न केवल हम पाप कम करने में विफल रहे हैं, बल्कि हम बिना किसी सच्चे पश्चाताप के लगातार पाप में जी रहे हैं। प्रभु पवित्र हैं—यदि हम इसी तरह आगे बढ़ते रहे, तो हम संभवतः उनका चेहरा नहीं देख सकते, तो हम स्वर्ग के राज्य में आरोहित किये जाने का सपना कैसे देख सकते हैं?"

फैन बिंग ने भाई गाओ से चिढ़ कर कहा, "भाई गाओ, आप ऐसा नहीं कह सकते! प्रभु यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया, उन्होंने हमें हमारे पापों से छुड़ाया, इसलिए हम उनके प्रति अपने विश्वास के द्वारा बहुत स्पष्ट रूप से उचित ठहराए जा चुके हैं। कोई भी हमारे पापों के लिए हमारी निंदा नहीं कर सकता। जैसा कि पौलुस ने कहा है, 'परमेश्‍वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्‍वर ही है जो उनको धर्मी ठहरानेवाला है। फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा?' (रोमियों 8:33-34)। चूंकि परमेश्वर ने हमें सही ठहराया है और हम पहले ही एक बार बचाये गए हैं, तो हम सभी अनंत काल के लिए बच गए हैं, हमें इस बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है कि हम पाप करते हैं या नहीं, या हमें शुद्ध किया गया है या नहीं। जब तक हम पौलुस के शब्दों को मानते हैं, तब तक प्रभु के आगमन पर, पलक झपकते ही हम रूप बदल लेंगे और स्वर्ग के राज्य में पहुंच जायेंगे। यदि हमें इस पर भी विश्वास नहीं है, तो क्या हम अभी भी प्रभु के विश्वासी हैं?"

फैन बिंग ने अपना आखिरी शब्द कहा ही था कि जब लियू जी ने यह खंडन पेश किया: "भाई फैन, आपने जो अभी कहा है मैं उससे असहमत हूँ। परमेश्वर के चुने हुए कौन हैं? जो लगातार पाप करते और उसे स्वीकारते हैं, जो पश्चाताप के बारे में कुछ नहीं जानते हैं? क्या वे जिनके हृदयों में परमेश्वर के प्रति श्रद्धा का अभाव है, जो उनका पालन नहीं कर सकते, बल्कि हमेशा उनके खिलाफ विद्रोह करते हैं, उनका प्रतिकार करते हैं, उनके बलिदानों को चुराते हैं, जो व्यभिचारी हैं, वे विश्वसी हैं? क्या ऐसे लोग परमेश्वर के चुने हुए हो सकते हैं? आपके विचारों के आधार पर, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम विश्वासियों के रूप में किस प्रकार के पाप करते हैं, प्रभु हमें क्षमा कर देंगे, जब वह आएंगे तो हमें स्वर्ग के राज्य में निश्चित आरोहित किया जाएगा। अगर वाकई ऐसा होता, तो आप प्रकाशितवाक्य 21:27 की व्याख्या कैसे करेंगे? 'परन्तु उसमें कोई अपवित्र वस्तु, या घृणित काम करनेवाला, या झूठ का गढ़नेवाला किसी रीति से प्रवेश न करेगा, पर केवल वे लोग जिनके नाम मेम्ने के जीवन की पुस्तक में लिखे हैं।' इब्रानियों 10:26-27 में भी लिखा है: 'क्योंकि सच्‍चाई की पहिचान प्राप्‍त करने के बाद यदि हम जान बूझकर पाप करते रहें, तो पापों के लिये फिर कोई बलिदान बाकी नहीं। हाँ, दण्ड का एक भयानक बाट जोहना और आग का ज्वलन बाकी है जो विरोधियों को भस्म कर देगा।' मुझे लगता है कि केवल सच्ची गवाही देने वाले, प्रभु के वचनों के अनुसार अभ्यास करने में सक्षम लोग ही परमेश्वर के चुने हुए हैं। और तो और, प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की थी कि जब वह अंत के दिनों में वापस आयेंगे, तो वह भेड़ को बकरियों से, जंगली पौधों से गेहूँ को, बुरे से अच्छे नौकरों को अलग करेगा। अगर हम बस इसलिए सीधे स्वर्ग के राज्य में पहुँच सकते हैं, क्योंकि हम विश्वास से न्यायसंगत हैं, क्योंकि हम अनुग्रह से बचाये गए हैं, तो प्रभु यीशु की उन भविष्यवाणियों को कैसे पूरा किया जाएगा? मैं वास्तव में यह नहीं सोचती कि यह उतना सरल है जितना कि हम कल्पना करते हैं।"

गाओ मिंगयुआन ने बाइबल खोली और कहा, "सिस्टर लियू की संगति बिल्कुल सटीक है—स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करना उतना आसान नहीं है जितना हम सोचते हैं। प्रकाशितवाक्य 22:12 में लिखा है, 'देख, मैं शीघ्र आनेवाला हूँ; और हर एक के काम के अनुसार बदला देने के लिये प्रतिफल मेरे पास है।' इससे हमें पता चलता है कि जब प्रभु अंत के दिनों में लौटेंगे, तो वह प्रत्येक व्यक्ति को उनके कार्यों के अनुसार इनाम या दंडित करेंगे। विश्वासियों के नाते, स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने में सक्षम होने का सीधा संबंध इससे है कि हम प्रभु के वचनों को व्यवहार में लाते हैं या नहीं और प्रभु के मार्ग पर चलते हैं या नहीं। पौलुस ने जो कहा, उसके आधार पर, इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि हम उनके मार्ग का पालन करते हैं या हम कितना पाप करते हैं—जब प्रभु वापस लौटेंगे तो हम तुरंत एक नया रूप लेंगे और सीधे स्वर्ग के राज्य में ले जाये जायेंगे। तो फिर प्रभु यीशु का 'हर एक के काम के अनुसार बदला देने' का कथन कैसे पूरा होगा? हम इससे देख सकते हैं कि पौलुस के शब्द उस मार्ग से जो परमेश्वर ने निर्धारित किया है और उनकी मनुष्य से जो आवश्यकताएं हैं उनसे पूरी तरह से भटक गये हैं। यदि हम अपने विश्वास में पौलुस के शब्दों का पालन करते हैं, तो यह अंततः आत्म-पराजय होगा और हम परमेश्वर से दूर होते जायेंगे। किसी भी कीमत पर हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के लिए परमेश्वर की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकते। यह हमारे लिए और भी स्पष्ट करता है कि पौलुस ने विश्वास के द्वारा उचित ठहराए जाने और प्रभु के आने पर तुरंत एक नया रूप ले लेने के बारे में जो कहा, वह ज़रा भी सत्य के अनुरूप नहीं है—यह उसकी अपनी धारणाओं और कल्पनाओं के अलावा और कुछ भी नहीं है! प्रभु यीशु स्वर्ग के परमेश्वर हैं, और केवल परमेश्वर ही यह निर्धारित कर सकते हैं कि किस प्रकार का व्यक्ति स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करता है। पौलुस सिर्फ एक भ्रष्ट इंसान था, इसलिए यह निर्धारित करना उस पर नहीं है कि हमें परमेश्वर के राज्य में जाने दिया जाएगा या नहीं। यदि हम प्रभु के वचनों को उनके आगमन की प्रतीक्षा और स्वर्ग के राज्य में आरोहित किये जाने के संबंध में अपने आधार के रूप में नहीं लेते हैं, यदि हम उनके वचनों को पूरा नहीं करते हैं, बल्कि पौलुस ने जो भी कहा है, उसके अनुसार अपने भ्रमों को पकड़कर, बस प्रभु के आने की प्रतीक्षा करते हैं जिससे हम एक पल में पूरी तरह से बदल जायें, तो हम स्वयं को प्रभु द्वारा निकाल दिए जाने के जोखिम में डाल देते हैं! इसलिए विश्वासियों के नाते, विशेष रूप से परमेश्वर के आगमन के बारे में हमें प्रभु के वचनों के अनुसार चलने की जरूरत है। हमें विशेष रूप से प्रभु के वचनों को अपना आधार बनाना होगा—यह उनकी इच्छा को पूरा करने का एकमात्र तरीका है।"

वांग जिंग ने इस पर सहमति जताई और कहा, "मैं प्रभु को धन्यवाद देती हूँ। इस संगति में वास्तव में प्रकाश है और यह पवित्र आत्मा के प्रबोधन से आया है। यह सोचकर कि हम कैसे प्रभु में विश्वास तो करते हैं, लेकिन अपने वचनों को व्यवहार में लाने पर ध्यान केंद्रित नहीं करते हैं या अपने भ्रष्टाचार को खत्म करने और शुद्ध होने की तलाश नहीं करते हैं, बल्कि पौलुस के शब्दों को बरकरार रखते हैं और पौलुस के शब्दों को अपनी खोज का आधार बनाते हैं, क्या यह प्रभु के वचनों के बदले पौलुस के शब्दों का प्रयोग करना नहीं है? इस तरह, हम केवल नाम में प्रभु पर विश्वास करते हैं, लेकिन व्यवहार में हम सिर्फ पौलुस पर विश्वास करते हैं। यह परमेश्वर के विरोध में है! प्रभु के आगमन का स्वागत करने जैसी महत्वपूर्ण बात में प्रभु के नहीं, बल्कि पौलुस के वचनों के अनुसार खोजना क्या बहुत ही नासमझी भरा और मूर्खतापूर्ण नहीं है?"

शाओ या ने भी कहा, "यह सही है, अब मुझे एहसास है कि अगर हम प्रभु के वचनों को अमल में लाने में प्रयास नहीं करते हैं या गंभीरता से उन पर विचार और उनकी इच्छा जानने का प्रयास नहीं करते हैं, बल्कि एक इंसान के शब्दों को अपने अभ्यास को आधार बनाते हैं, तो यह वास्तव में अनजाने में प्रभु के विरुद्ध जाना होगा। यह वास्तव में भयानक है!"

यह सुनकर अचानक वांग जिंग के मन में कुछ आया और उसने जल्दी से पूछा, "भाइयो और बहनो, चूंकि केवल वे ही जो अपने पापों से मुक्त हो चुके हैं, स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं, तो हम पाप के बंधन को कैसे मिटा सकते हैं और कैसे शुद्ध किये जा सकते हैं? मैं खुद को भ्रष्टाचार से मुक्त करना चाहती हूँ लेकिन मैं हर समय पाप करने से खुद को नहीं रोक पाती हूँ। मैं अपने आप पर लगाम लगाने की कोशिश करती हूँ लेकिन मैं ऐसा कर ही नहीं पाती। इसके लिए आख़िर क्या किया जा सकता है?"

गाओ मिंगुआन ने वहाँ मौजूद सभी को देखा और मुस्कुराते हुए कहा, "हम पाप में रहते हैं और हम केवल आत्म-नियंत्रण के माध्यम से समस्या की जड़ को हल नहीं कर सकते हैं। केवल परमेश्वर ही हमें पापों की बेड़ियों से बचा सकते हैं। वास्तव में, प्रभु यीशु ने बहुत समय पहले हमारे लिए रास्ता बताया था। प्रभु यीशु ने कहा है, 'मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा' (यूहन्ना 16:12-13)। 'यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता; क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ। जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा' (यूहन्ना 12:47-48)। 'मैं यह विनती नहीं करता कि तू उन्हें जगत से उठा ले; परन्तु यह कि तू उन्हें उस दुष्‍ट से बचाए रख। ...सत्य के द्वारा उन्हें पवित्र कर: तेरा वचन सत्य है। ...और उनके लिये मैं अपने आप को पवित्र करता हूँ, ताकि वे भी सत्य के द्वारा पवित्र किये जाएँ' (यूहन्ना 17:15, 17, 19)। हम प्रभु के वचनों से देख सकते हैं कि अंत के दिनों में जब प्रभु यीशु वापस आएंगे तो वे सत्य व्यक्त करेंगे और अपने न्याय के कार्य के चरण को करेंगे, हम सभी सत्य में प्रवेश करायेंगे। इस तरह हम पाप से बच सकते हैं, शुद्धि और पूर्ण मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं। परमेश्वर का कार्य बहुत व्यावहारिक है, यह बिल्कुल भी वैसा नहीं है जैसा हम कल्पना करते हैं, पलक झपकते ही पूरी तरह से बदल जाना और हमें शुद्ध बना देना। इसके बजाय, उनका कार्य और वचन बहुत वास्तविक हैं, बहुत व्यावहारिक हैं। वह मनुष्य के पापों का न्याय करने और उन्हें शुद्ध करने के लिए वचनों का उपयोग करते हैं ताकि हम भ्रष्टाचार से मुक्त हो सकें। यदि हम परमेश्वर के वचनों के न्याय और ताड़ना को स्वीकार करते हैं, उनके कार्य का अनुभव करते हैं, उनके वचनों को व्यवहार में लाते हैं, तब ही हम पाप के बंधनों से पूरी तरह से बच पाएंगे और शुद्ध हो सकेंगे, और फिर परमेश्वर के राज्य में आने, उनका आशीष और वादा प्राप्त करने के योग्य होंगे।"

शाओ या की आँखें चमक उठीं, उसने खुशी से कहा, "ओह, तो प्रभु अंत के दिनों में लौटने वाले हैं, अधिक वचनों को व्यक्त करने और न्याय का कार्य करने वाले हैं। वे हमें परमेश्वर के वचनों से सभी सत्य को समझने और शुद्ध होने की अनुमति देने वाले हैं। इतनी बातें तो तर्कसंगत हैं साथ ही 1 पतरस 4:17 में भी लिखा है, 'क्योंकि वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्‍वर के लोगों का न्याय किया जाए; और जब कि न्याय का आरम्भ हम ही से होगा तो उनका क्या अन्त होगा जो परमेश्‍वर के सुसमाचार को नहीं मानते?' बाइबल में बहुत पहले ही भविष्यवाणी की गई थी कि अंत के दिनों में प्रभु आएंगे और हमें शुद्ध करने के लिए न्याय के कार्य का एक चरण करेंगे। प्रभु का धन्यवाद, अब हमारे पास पाप से बचने और शुद्ध होने का मार्ग है!"

वांग जिंग ने भी भावना से भरकर कहा, "हाँ, प्रभु का कार्य वास्तव में बहुत व्यावहारिक है! यदि हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश और शुद्धि की तलाश करना चाहते हैं, तो हमें बहुत ही व्यावहारिक तरीके से परमेश्वर के वचनों के न्याय और शुद्धता का अनुभव करना होगा, और परमेश्वर के वचनों के माध्यम से परिवर्तन की तलाश करनी होगी। मैं इस प्रबुद्धता और मार्गदर्शन के लिए प्रभु को धन्यवाद देती हूँ। आज की संगति ने वास्तव में मेरे गलत दृष्टिकोण को हटा दिया है, अन्यथा मैं अभी भी पौलुस के वचनों के आधार पर तलाश करना जारी रखती। इसके परिणाम तो अकल्पनीय होते! मैं सच में प्रभु को धन्यवाद देती हूँ! ओह, सहकर्मी गाओ, आज आपके द्वारा साझा की गई इस प्रबोधन देने वाली संगति का स्रोत क्या था?"

मुस्कुराते हुए, गाओ मिंगयुआन ने कहा, "जब तक मैंने एक किताब नहीं पढ़ी थी, तब तक मैं इनमें से किसी भी चीज़ को नहीं समझता था। मैं आज इसे लेकर आया हूँ। क्यों न हम सब साथ में इसके कुछ अंश पढ़ें?"

सभी ने कहा, "बहुत बढ़िया!"

फैन बिंग के अपवाद के साथ, जिसके चेहरे पर बहुत शोक था, बैठक में बाकी सभी ने महसूस किया कि इस संगति में पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता और रोशनी थी और इसने उनके कुछ गहनतम प्रश्नों को हल किया था। वे सभी प्रभु के मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद दिए बिना न रह सके।

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