मेरे "आध्यात्मिक माता-पिता" का असली रंग

08 सितम्बर, 2020

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकारने के कुछ समय बाद ही, मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की वेबसाइट पर सुसमाचार फिल्म भक्ति का भेद - भाग 2 देखी। फ़िल्म में, कुछ पादरियों और एल्डरों ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार नहीं किया प्रभु यीशु के लौट आने का पता चलने पर उन्हें तो खुशी से स्वीकार करना चाहिए। इसने मुझे असमंजस में डाल दिया, क्योंकि मुझे लगता था कि पादरी और एल्डर पूरे भक्तिभाव से प्रभु की सेवा करते हैं। उन्होंने तो हमेशा यही सिखाया है कि हमें सतर्क रहकर इंतज़ार करना चाहिए ताकि हम प्रभु के आगमन का स्वागत करने से चूक न जाएँ। प्रभु यीशु के लौट आने का पता चलने पर उन्हें तो खुशी से स्वीकार करना चाहिए। वो हमें रोकेंगे क्यों? मुझे अपनी पुरानी कलीसिया के पादरी जिन की याद आ गयी। वो विश्वासियों को बहुत चाहते थे और प्रभु के लौट आने के लिए तरसते थे। अगर उन्हें पता चल जाए कि प्रभु लौट आया है, तो वे बहुत खुश हो जाएँगे और तुरंत इसे स्वीकार कर लेंगे। मैंने सत्य की समझ हासिल करने का फ़ैसला किया, ताकि उन्हें सुसमाचार सुना सकूं। लेकिन जैसा मैंने सोचा था वैसा नहीं हुआ, फिल्म की कहानी मेरी ज़िंदगी में भी दोहरायी जाने लगी।

एक दिन पादरी जिन हमारी फल की दुकान पर मुझसे मिलने आए और सीधे मुझसे पूछा, "क्या तुम सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया में जाती हो?" फिर उन्होंने कलीसिया के बारे में कुछ अपमानजनक बातें कहीं, बोले, "वो कलीसिया गवाही देती है कि परमेश्वर देह में लौट आया है। यह मुमकिन नहीं!" उनकी बात सुनकर मुझे आश्चर्य भी हुआ और बुरा भी लगा। मैंने सोचा, "प्रभु हमें दूसरों की आलोचना करने से मना करता है। आपको कलीसिया के बारे में कुछ पता नहीं, आपने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की कोई जाँच-पड़ताल नहीं की है। आप उसकी निंदा कैसे कर सकते है?" लेकिन फिर मैंने सोचा, "शायद इन्होंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन नहीं सुने हैं, इसलिए इन्हें सच्चे मार्ग का पता ही नहीं। अगर इन्हें ये पता होता कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर लौटकर आया प्रभु यीशु है, जो इंसान को शुद्ध करने और बचाने के लिए सत्य व्यक्त कर रहा है, तो यकीनन वे उसे स्वीकार कर लेते।" तो मैंने पादरी जिन से कहा, "पादरी, आपका कहना है कि प्रभु देहधारण करके नहीं आ सकता। क्या ये कहना प्रभु के वचनों पर आधारित है? क्या उसने कभी ऐसा कहा है?"

उन्होंने बेधड़क कहा, "मत्ती के सुसमाचार में लिखा है, 'तब मनुष्य के पुत्र का चिह्न आकाश में दिखाई देगा, और तब पृथ्वी के सब कुलों के लोग छाती पीटेंगे; और मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ्य और ऐश्‍वर्य के साथ आकाश के बादलों पर आते देखेंगे' (मत्ती 24:30)। प्रभु पूरी महिमा के साथ बादल पर सबके सामने आएगा और हर कोई देख पाएगा। पूरा धार्मिक जगत इस तथ्य को मानता है। हर ईसाई उसके बादल पर आने का इंतज़ार कर रहा है, तो वो देह में कैसे आ सकता है?" मैंने उनकी बात सुनकर कहा, "पादरी, प्रभु की वापसी को लेकर बाइबल में बहुत-सी भविष्यवाणियाँ हैं। उसी पद से चिपके रहना दिमागी संकीर्णता है। हाँ, प्रभु के बादल पर आने की भविष्यवाणियाँ हैं, लेकिन प्रभु के गुप्त रूप से आने के बारे में भी बहुत-सी भविष्यवाणियाँ हैं, जैसे, 'यदि तू जागृत न रहेगा तो मैं चोर के समान आ जाऊँगा, और तू कदापि न जान सकेगा कि मैं किस घड़ी तुझ पर आ पड़ूँगा' (प्रकाशितवाक्य 3:3), 'देख, मैं चोर के समान आता हूँ' (प्रकाशितवाक्य 16:15), 'आधी रात को धूम मची : "देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो"' (मत्ती 25:6)। ये पद प्रभु के एक चोर के रूप में आने की भविष्यवाणी करते हैं, आधी रात को गुप्त रूप से आने की, जिसके बारे में कुछ ही लोगों को पता होगा। अगर प्रभु सबके सामने बादल पर आएगा, तो क्या उसे सब लोग नहीं देख लेंगे? फिर न चिल्लाने की ज़रूरत है, न उपदेश या गवाही देने की। अगर हमारे विश्वास के अनुसार प्रभु सबके सामने बादल पर आया, तो फिर उसके गुप्त रूप से आने की भविष्यवाणियों का क्या? प्रभु निष्ठावान है, उसके वचन बेकार नहीं जाएँगे। उसके वचन सच साबित होंगे। इसलिए हमें यकीन होना चाहिए कि उसका आगमन दो चरणों में होगा। पहला, उसका गुप्त रूप से आना, फिर सबके सामने प्रकट होना। परमेश्वर बहुत पहले इंसानों के बीच कार्य करने के लिए देहधारण करके आया था, वो सर्वशक्तिमान परमेश्वर, अंत के दिनों का मसीह है। वह परमेश्वर के घर से शुरू होने वाला न्याय का कार्य करता है, इंसान को शुद्ध करने और बचाने के लिए सत्य व्यक्त करता है, और वह आपदाओं से पहले विजेताओं का समूह बनाएगा। जब परमेश्वर का गुप्त कार्य समाप्त हो जाएगा, तो वो भयंकर आपदाएँ भेजेगा, अच्छों को इनाम और दुष्टों को सज़ा देगा। उसके बाद वह सबके सामने बादल पर प्रकट होगा। उस समय, सर्वशक्तिमान परमेश्वर का विरोध और निंदा करने वाले लोग आपदाओं में नष्ट हो जाएँगे, वे रोएँगे और अपने दाँत पीसेंगे। इससे प्रकाशितवाक्य 1:7 की ये भविष्यवाणी पूरी हो जाती है, 'देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे।' जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को परमेश्वर की वाणी के तौर पर पहचानकर परमेश्वर की शरण में जाते हैं, उसके न्याय को स्वीकारते हैं, और शुद्ध किए जाते हैं, वे परमेश्वर की सुरक्षा के कारण आपदाओं से बचकर, परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करते हैं। परमेश्वर का गुप्त कार्य इंसान को बचाना है। जब वो सबके सामने प्रकट होगा, तो उसको स्वीकारने में बहुत देर हो जाएगी। वो समय सज़ा देने का होगा। ये सब मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों से समझ आया। मैंने समझ लिया है कि केवल परमेश्वर ही सत्य व्यक्त करके रहस्य पर से परदा उठा सकता है और सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही लौटकर आया प्रभु यीशु है।" मैंने पादरी जिन से कहा, मुझे उम्मीद है कि आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की अच्छी तरह जाँच-पड़ताल करेंगे।

उन्होंने मुझे तिरस्कार से देखते हुए कहा, "तुम्हें बाइबल का कोई ज्ञान नहीं और मुझे सिखाने चली हो? क्या मैंने ही तुम्हें ये चीज़ें नहीं सिखायी हैं?" उनकी इस तरह की बातें सुनकर मैं बहुत निराश हुई। क्या ये वही पादरी जिन हैं जिन्हें मैं जानती थी? मुझे लगता था, ये बहुत ही विनम्र इंसान हैं। हमसे कहा करते थे बुद्धिमान कुँवारी बनो और प्रभु के आगमन पर नज़र रखो ताकि हम उसका स्वागत कर सकें। लेकिन अब तो ये प्रभु के आगमन की खोज करने के बजाय, उसका मज़ाक और उड़ा रहे थे। मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी और उनकी मदद करना चाहती थी, तो मैंने उनसे कहा, "हाँ, आप बाइबल के बारे में मुझसे ज़्यादा जानते हैं, इसलिए आपको विनम्र मन से प्रभु के आगमन की खोज और जाँच-पड़ताल करनी चाहिए! फरीसियों को तो बाइबल रटी हुई थी और वे सोचते थे, बाइबल को जानना ही परमेश्वर को जानना है। लेकिन जब प्रभु यीशु ने प्रकट होकर कार्य किया, तो उन्होंने उसकी खोज या जाँच-पड़ताल नहीं की। वो लोग बस ये सोचकर ही बाइबल से चिपके रहे कि कोई 'मसीहा' नामक व्यक्ति ही परमेश्वर हो सकता है। कोई ऐसा व्यक्ति ही परमेश्वर हो सकता है जो उन्हें रोमन शासन से मुक्ति दिलाए। उन्होंने अपनी धारणाओं के आधार पर प्रभु यीशु का तिरस्कार कर दिया और आखिरकार उसे सूली पर चढ़ा दिया। उन्होंने परमेश्वर के स्वभाव का अपमान किया और उसके दंड के भागी बने। क्या आपको लगता है, बाइबल को अच्छी तरह समझने का अर्थ है परमेश्वर को जानना और ऐसा इंसान प्रभु का विरोध नहीं करेगा? हमें फरीसियों की नाकामी से सीखना चाहिए, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की यूँ ही निंदा नहीं करनी चाहिए। हमें खुले मन से परमेश्वर की वाणी को सुनना चाहिए। तभी हम प्रभु का स्वागत कर सकते हैं।" मैं उनकी सलाह नहीं मान रही, ये देख उन्होंने मुँह बनाते हुए कहा, "चूँकि तुम अपनी आस्था में इतने सालों तक एक उत्साही खोजी रही हो, मैं तुम्हारे लिए दुआ करूँगा। सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया छोड़ दो।" वो अकड़ कर चले गए।

उनके जाने के बाद, मैंने सोचा, "वो प्रभु के आगमन को अधिक गंभीरता से क्यों नहीं ले रहे? हमें तो वो विनम्रता से खोज करने के लिए कहा करते थे, लेकिन खुद इतना अजीबो-गरीब व्यवहार क्यों कर रहे हैं?" मैंने हमेशा पादरी जिन को अपना आध्यात्मिक पिता माना है। मैं उनसे कुछ भी पूछ सकती थी, और वो बाइबल के पदों का इस्तेमाल कर, तसल्ली से जवाब दिया करते थे। हमेशा मेरे घरवालों का हालचाल पूछा करते थे, और कोई परेशानी आने पर हमारे लिए दुआ किया करते थे। उन्होंने बरसों से प्रभु में आस्था रखी है, काम करते हुए खुद को खपाया है, क्या इन सबकी वजह प्रभु के आगमन की उनकी कामना नहीं थी? मैंने इंतज़ार करने का फैसला किया। मुझे उनसे परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य के बारे में एक बार और बात करनी है।

कुछ दिनों के बाद, पादरी जिन हमारी फलों की दुकान पर एक बार फिर आए। मुझे लगा उन्होंने बाइबल देखी होगी और समझ गए होंगे कि प्रभु किस प्रकार वापस आकर कार्य करता है। लेकिन मुझे आश्चर्य हुआ जब उन्होंने कहा, "उपयाजक ली, बाइबल में लिखा है, 'हे गलीली पुरुषो, तुम क्यों खड़े आकाश की ओर देख रहे हो? यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा' (प्रेरितों 1:11)। ये एकदम स्पष्ट है। प्रभु यीशु एक यहूदी के रूप में सफेद बादल पर स्वर्ग गया था, इसलिए वो एक यहूदी के रूप में सफेद बादल पर ही वापस आएगा। तुम्हारे साथ धोखा हुआ है। लौट आओ।" वो प्रभु के बादल पर वापस आने की बात पर ही अड़े रहकर, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य की आलोचना और निंदा कर रहे थे। मुझे समझ में नहीं आया, मैंने सोचा, "प्रभु के वापस आने को लेकर बाइबल में ढेरों भविष्यवाणियाँ हैं। आखिर वो उन्हें खोजते क्यों नहीं?" तभी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों का एक अंश मेरे मन में आया। मैंने पादरी जिन को वो पढ़कर सुनाया। "मैं तुम लोगों को बता दूँ कि जो परमेश्वर में संकेतों की वजह से विश्वास करते हैं, वे निश्चित रूप से वह श्रेणी होगी, जो नष्ट की जाएगी। जो देह में लौटे यीशु के वचनों को स्वीकार करने में अक्षम हैं, वे निश्चित ही नरक के वंशज, महादूत के वंशज हैं, उस श्रेणी में हैं, जो अनंत विनाश झेलेगी। बहुत से लोगों को शायद इसकी परवाह न हो कि मैं क्या कहता हूँ, किंतु मैं ऐसे हर तथाकथित संत को, जो यीशु का अनुसरण करते हैं, बताना चाहता हूँ कि जब तुम लोग यीशु को एक श्वेत बादल पर स्वर्ग से उतरते अपनी आँखों से देखोगे, तो यह धार्मिकता के सूर्य का सार्वजनिक प्रकटन होगा। शायद वह तुम्हारे लिए एक बड़ी उत्तेजना का समय होगा, मगर तुम्हें पता होना चाहिए कि जिस समय तुम यीशु को स्वर्ग से उतरते देखोगे, यही वह समय भी होगा जब तुम दंडित किए जाने के लिए नीचे नरक में जाओगे। वह परमेश्वर की प्रबंधन योजना की समाप्ति का समय होगा, और वह समय होगा, जब परमेश्वर सज्जन को पुरस्कार और दुष्ट को दंड देगा। क्योंकि परमेश्वर का न्याय मनुष्य के देखने से पहले ही समाप्त हो चुका होगा, जब सिर्फ़ सत्य की अभिव्यक्ति होगी। वे जो सत्य को स्वीकार करते हैं और संकेतों की खोज नहीं करते और इस प्रकार शुद्ध कर दिए गए हैं, वे परमेश्वर के सिंहासन के सामने लौट चुके होंगे और सृष्टिकर्ता के आलिंगन में प्रवेश कर चुके होंगे। सिर्फ़ वे जो इस विश्वास में बने रहते हैं कि 'ऐसा यीशु जो श्वेत बादल पर सवारी नहीं करता, एक झूठा मसीह है' अनंत दंड के अधीन कर दिए जाएँगे, क्योंकि वे सिर्फ़ उस यीशु में विश्वास करते हैं जो संकेत प्रदर्शित करता है, पर उस यीशु को स्वीकार नहीं करते, जो कड़े न्याय की घोषणा करता है और जीवन का सच्चा मार्ग बताता है। इसलिए केवल यही हो सकता है कि जब यीशु खुलेआम श्वेत बादल पर वापस लौटे, तो वह उनके साथ निपटे। वे बहुत हठधर्मी, अपने आप में बहुत आश्वस्त, बहुत अभिमानी हैं। ऐसे अधम लोग यीशु द्वारा कैसे पुरस्कृत किए जा सकते हैं?" (वचन देह में प्रकट होता है)। वो बहुत गुस्से में दिख रहे थे, बोले, "प्रभु के वापस आने को लेकर बाइबल एकदम स्पष्ट है। तुम्हें कोई और पुस्तक पढ़ने की क्या ज़रूरत है? अगर सर्वशक्तिमान परमेश्वर सच्चा परमेश्वर है, तो हर धार्मिक अगुआ उसकी निंदा क्यों करता है? तुम्हें तुरंत वापस आ जाना चाहिए! मैंने तुम्हारे पति, उपयाजक पियाओ से कहा है वो तुमसे बात करे, लेकिन तुम तो अड़ियल हो।" उसके यह सब कहने के बाद, मैंने उससे पूछा, "क्या आपने वचन देह में प्रकट होता है पढ़ी है? इस पुस्तक में राज्य के युग में बोले गए सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन हैं। इस पुस्तक के सभी वचन सत्य हैं। आपको इसे पढ़कर छानबीन करनी चाहिए। यूँ ही निंदा मत कीजिये—" लेकिन मुझे बीच में ही टोककर बोले, "सदियों पहले पढ़ चुका हूँ। ये परमेश्वर के वचन नहीं हैं, अब तुम्हें भी नहीं पढ़नी चाहिए।" मैं उनकी बातों और तिरस्कारपूर्ण अंदाज़ से चिढ़ गयी। कितने बेतुके इंसान हैं! सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन सत्य हैं। उनमें अधिकार और सामर्थ्य है। लेकिन उनकी समझ में नहीं आए। क्योंकि वो परमेश्वर की भेड़ नहीं थे। फिर उन्होंने कहा, "अगर तुम इसी विश्वास पर अड़ी रही, और कुछ उल्टा-सीधा हुआ तो मुझे दोष मत देना। मैं तो कलीसिया से कह दूँगा, तुम पाखंड पर विश्वास करती हो, तुम्हें निकाल दिया जाए। हर आदमी तुमसे बचेगा और तुम्हें नकार देगा!"

मैं भौंचक्की रह गयी। मैंने सोचा, "आप तो सच्चाई को एकदम तोड़मरोड़ रहे हैं! मैं तो सर्वशक्तिमान परमेश्वर में आस्था रखकर, प्रभु का स्वागत कर रही हूँ और मेमने के पदचिह्नों पर चल रही हूँ। आप कैसे कह सकते हैं कि मैं पाखंड पर विश्वास कर रही हूँ? आप परमेश्वर के कार्य की खोज करने के बजाय, मेरी निंदा करेंगे और मुझे निकाल देंगे। इतने पुराने विश्वासी को ऐसा नहीं करना चाहिए!" उससे कुछ दिन पहले ही, मेरे पति ने रूखेपन से मुझसे कहा था, "पादरी जिन ने कहा है, जो लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर में आस्था रखते हैं, उन्हें कलीसिया से निकाल दिया जाएगा। क्या तुम्हें डर नहीं लगता, ऐसा ही तुम्हारे साथ भी होगा? अगर भाई-बहनों ने हमें नकार दिया तो हम क्या करेंगे? कुछ को तो तुम्हारी आस्था के बारे में पहले ही पता लग चुका है, वो लोग हमारी दुकान के सामने से गुज़रते हुए हमें अनदेखा करते हैं। अब तुम्हें कलीसिया जाने की इजाज़त भी नहीं है।" मुझे लग गया कि मेरे पति के ज़रिए मुझे रोकने की ये चाल पादरी जिन की है। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि विश्वासियों को सत्य मार्ग की जाँच-पड़ताल से रोकने के लिए वो निकालने की धमकी भी दे सकते हैं। उनका ये कदम कपट और दुर्भावना से भरा है! मैंने हमेशा उन्हें प्रभु-सेवा में लीन एक विनम्र और स्नेही इंसान के तौर देखा था, लेकिन ये लोगों को फँसाने की उनकी एक चाल थी। मुझे उस फिल्म के उन पादरियों की याद आ गयी जो विश्वासियों के इर्द-गिर्द विनम्र और धर्मात्मा बनकर घूमते हैं, लेकिन उन्हें सच्चे मार्ग की जाँच-पड़ताल करने से रोकने के लिए गोपनीय हथकंडे अपनाते हैं। पादरी जिन उस फिल्म के पादरी की तरह ही पेश आ रहे थे। मुझे उनसे चिढ़ हो गयी थी। मेरे मन में उनकी जो छवि थी, वो चकनाचूर हो चुकी थी। मेरा उन्हें नज़रंदाज़ करना अखर गया था।

अगले दो हफ्ते तक वो मेरी दुकान पर आते-जाते रहे, मुझे आश्वस्त करने की कोशिश करते रहे कि मैं सच्चे मार्ग को छोड़ दूँ और सर्वशक्तिमान परमेश्वर से धोखा करूँ। एक दिन, वो गुस्से में दनदनाते हुए मेरी दुकान में घुसे और पहले की तरह उपयाजक कहकर संबोधित किए बिना, सीधे कहा, "न तो तुम सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास रखोगी और न ही अपने दोनों बच्चों को रखने दोगी! तुम्हारे पति के घरवाले सच्चे विश्वासी हैं। दोनों बच्चों के दादा-दादी बहुत ही धर्मपरायण थे, मैं तुम्हें उस परिवार को तबाह नहीं करने दूँगा!" उनके इस आरोप से मैं उखड़ गयी। सर्वशक्तिमान परमेश्वर में मेरी आस्था का मतलब है, मुझे परमेश्वर के सिंहासन के सामने आरोहित किया गया है, ये बड़ी बात है। वो मुझ पर ऐसा आरोप कैसे लगा सकते हैं? मुझे ज़्यादा गुस्सा इसलिए आया कि वो मुझे रोकने के अलावा, मेरे बच्चों की आस्था की आज़ादी पर भी अंकुश लगाने की कोशिश कर रहे थे। वो किसी को सच्चे मार्ग की खोज करने से कैसे रोक सकते हैं। मैंने उचित और सख्त जवाब दिया, "परमेश्वर की भेड़ उसकी वाणी सुनती है और कोई भी उसे परमेश्वर में विश्वास रखने से नहीं रोक सकता। मेरे बच्चे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़कर परमेश्वर की वाणी को पहचान चुके हैं। ये परमेश्वर का मार्गदर्शन है! पहले जब मैंने बाकी संप्रदायों की छानबीन की थी, तो मेरे बच्चे वहाँ नहीं जाना चाहते थे, लेकिन अब वो सर्वशक्तिमान परमेश्वर में आस्था रखना चाहते हैं। वो उसमें आस्था रखने के लिए स्वतंत्र हैं और मैं उन्हें रोकूँगी नहीं। आप किस आधार पर उनकी वो आज़ादी छीनना चाहते हैं?" एक पल के लिए तो वो अवाक रह गए, फिर गुस्से में मुझे धिक्कारते हुए निकल गए। पादरी जिन की हरकतों से मैं हैरान थी। वो हमेशा मेरे परिवार के लिए प्रार्थना किया करते थे। वो इतने दुष्ट कैसे हो गए? क्या मेरे लिए उनकी नफरत, उत्पीड़न और शाप का कारण सिर्फ यही था कि मैंने परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार किया था? मैं बेचैन हो गयी।

कुछ समय बाद, मैंने अपनी पुरानी कलीसिया की दो बहनों को सर्वशक्तिमान परमेश्वर का सुसमाचार सुनाया। वो सुनकर बहुत खुश हुईं और हम लोग लगातार मिलते रहे। जल्दी ही पादरी जिन को इस बारे में पता चल गया। पता नहीं उन्होंने क्या धमकी दी लेकिन उन बहनों ने मुझसे संपर्क तोड़ दिया और मिलने से बचने लगीं। मैं बेचैन हो गयी और गुस्सा भी आया। मुझे वो बात याद आ गयी जो प्रभु यीशु ने फरीसियों से कही थी : "हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम मनुष्यों के लिए स्वर्ग के राज्य का द्वार बन्द करते हो, न तो स्वयं ही उसमें प्रवेश करते हो और न उस में प्रवेश करनेवालों को प्रवेश करने देते हो" (मत्ती 23:13)। "हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम एक जन को अपने मत में लाने के लिये सारे जल और थल में फिरते हो, और जब वह मत में आ जाता है तो उसे अपने से दूना नारकीय बना देते हो" (मत्ती 23:15)। पादरी जिन ने परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकारने से इंकार कर दिया था, और दूसरों को भी इसकी छानबीन करने से रोकने की पूरी कोशिश की। उन्होंने हर तरह से भाई-बहनों को धमकाया। क्या उनकी हरकतें वैसी ही नहीं थीं जैसी बरसों पहले फरीसियों की थीं? वो न तो खुद परमेश्वर के राज्य में जाने की कोशिश कर रहे थे, न ही दूसरों को जाने दे रहे थे। वो अपने साथ भाई-बहनों को भी नरक में घसीट रहे थे। परमेश्वर ऐसी दुष्ट हरकतें करने वालों को सज़ा देता है।

एक दिन, एक सभा में, मैंने भाई-बहनों को सारी बातें बतायी। बहन ली ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के कुछ अंश पढ़कर सुनाए। "क्या तुम लोग कारण जानना चाहते हो कि फरीसियों ने यीशु का विरोध क्यों किया? क्या तुम फरीसियों के सार को जानना चाहते हो? वे मसीहा के बारे में कल्पनाओं से भरे हुए थे। इससे भी ज़्यादा, उन्होंने केवल इस पर विश्वास किया कि मसीहा आएगा, फिर भी जीवन-सत्य की खोज नहीं की। इसलिए, वे आज भी मसीहा की प्रतीक्षा करते हैं क्योंकि उन्हें जीवन के मार्ग के बारे में कोई ज्ञान नहीं है, और नहीं जानते कि सत्य का मार्ग क्या है? तुम लोग क्या कहते हो, ऐसे मूर्ख, हठधर्मी और अज्ञानी लोग परमेश्वर का आशीष कैसे प्राप्त करेंगे? वे मसीहा को कैसे देख सकते हैं? उन्होंने यीशु का विरोध किया क्योंकि वे पवित्र आत्मा के कार्य की दिशा नहीं जानते थे, क्योंकि वे यीशु द्वारा बताए गए सत्य के मार्ग को नहीं जानते थे और इसके अलावा क्योंकि उन्होंने मसीहा को नहीं समझा था। और चूँकि उन्होंने मसीहा को कभी नहीं देखा था और कभी मसीहा के साथ नहीं रहे थे, उन्होंने मसीहा के नाम के साथ व्यर्थ ही चिपके रहने की ग़लती की, जबकि हर मुमकिन ढंग से मसीहा के सार का विरोध करते रहे। ये फरीसी सार रूप से हठधर्मी एवं अभिमानी थे और सत्य का पालन नहीं करते थे। परमेश्वर में उनके विश्वास का सिद्धांत था : इससे फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम्हारा उपदेश कितना गहरा है, इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम्हारा अधिकार कितना ऊँचा है, जब तक तुम्हें मसीहा नहीं कहा जाता, तुम मसीह नहीं हो। क्या ये दृष्टिकोण हास्यास्पद और बेतुके नहीं हैं?" "ऐसे भी लोग हैं जो बड़ी-बड़ी कलीसियाओं में दिन-भर बाइबल पढ़ते रहते हैं, फिर भी उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर के कार्य के उद्देश्य को समझता हो। उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर को जान पाता हो; उनमें से परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप तो एक भी नहीं होता। वे सबके सब निकम्मे और अधम लोग हैं, जिनमें से प्रत्येक परमेश्वर को सिखाने के लिए ऊँचे पायदान पर खड़ा रहता है। वे लोग परमेश्वर के नाम का झंडा उठाकर, जानबूझकर उसका विरोध करते हैं। वे परमेश्वर में विश्वास रखने का दावा करते हैं, फिर भी मनुष्यों का माँस खाते और रक्त पीते हैं। ऐसे सभी मनुष्य शैतान हैं जो मनुष्यों की आत्माओं को निगल जाते हैं, ऐसे मुख्य राक्षस हैं जो जानबूझकर उन्हें विचलित करते हैं जो सही मार्ग पर कदम बढ़ाने का प्रयास करते हैं और ऐसी बाधाएँ हैं जो परमेश्वर को खोजने वालों के मार्ग में रुकावट पैदा करते हैं। वे 'मज़बूत देह' वाले दिख सकते हैं, किंतु उसके अनुयायियों को कैसे पता चलेगा कि वे मसीह-विरोधी हैं जो लोगों से परमेश्वर का विरोध करवाते हैं? अनुयायी कैसे जानेंगे कि वे जीवित शैतान हैं जो इंसानी आत्माओं को निगलने को तैयार बैठे हैं?" (वचन देह में प्रकट होता है)

उन्होंने फिर यह सहभागिता की : "परमेश्वर के वचन फरीसियों और पादरी समूह के परमेश्वर विरोधी सार और मूल कारणों को साफ तौर पर समझाते हैं। इसका मूल कारण है उनका ज़िद्दी और अहंकारी होना, परमेश्वर का बिल्कुल भय न मानना। उन्हें सत्य से बेहद घृणा है। यहूदी फरीसी यहूदी उपासनागृहों में हमेशा धर्मशास्त्रों की व्याख्या करते हुए बहुत धर्मपरायण नज़र आते थे। लेकिन प्रभु के आकर कार्य करने पर, ये जानते हुए भी कि उसके वचनों में अधिकार और सामर्थ्य है, वो उनकी जाँच-पड़ताल नहीं करना चाहते थे। उन्हें डर था कि उनके विश्वासी प्रभु यीशु का अनुसरण करने लगेंगे फिर उनका रुतबा और रोज़ी-रोटी छिन जाएगी, इसलिए उन्होंने अफवाहें गढ़ीं, झूठी गवाही दी, और प्रभु यीशु की घोर निंदा की। उन्होंने पूरी कोशिश की कि लोग प्रभु का अनुसरण न करें, और आखिरकार उसे सूली पर चढ़ाकर जघन्य पाप के भागी बने। प्रभु यीशु और सत्य के प्रति उनका जो रवैया था, और लोगों पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए जिस ढंग से वो परमेश्वर से लड़े, उससे साफ ज़ाहिर है कि फरीसियों ने परमेश्वर की कोई सेवा नहीं की। वो मसीह-विरोधी लोग सत्य से घृणा और परमेश्वर का विरोध करते थे। आज धार्मिक दुनिया के पादरियों और एल्डरों को बाइबल की अच्छी समझ है, वे बाइबल और धर्म के सिद्धांतों पर उपदेश दे सकते हैं, वे विनम्र और धर्मपरायण भी लगते हैं। लेकिन अब परमेश्वर ने अपना कार्य करने के लिए देहधारण कर लिया है, वो जानते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया बरसों पहले गवाही दे चुकी है कि प्रभु लौट आया है, वह सत्य व्यक्त करते हुए न्याय का कार्य कर रहा है, लेकिन जाँच-पड़ताल करने के बजाय, वो लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर का घोर विरोध और निंदा करते हैं। वो लोग बाइबल के वचनों और अपनी ही धारणाओं एवं कल्पनाओं से चिपके हुए हैं। वो यही मानते हैं कि प्रभु बादल पर ही आ सकता है, वो हर तरह का पाखंड फैला रहे हैं, विश्वासियों को धोखा देने और फँसाने के लिए कुछ भी कर रहे हैं, और लोगों को सच्चे मार्ग से दूर रख रहे हैं। वे परमेश्वर की भेड़ों को मज़बूती से अपने कब्ज़े में रखकर परमेश्वर से लड़ते हैं। वे वही कर रहे हैं जो फरीसियों ने किया था। उन्हें सत्य और परमेश्वर के कार्य से घृणा है, वो अंत के दिनों के मसीह के विरोधी हैं। वो परमेश्वर के कार्य से उजागर हुए दुष्ट सेवक और मसीह-विरोधी हैं।"

उनकी संगति सुनकर मेरा दिल रोशन हो गया। परमेश्वर का कार्य कितना बुद्धिमत्तापूर्ण है! परमेश्वर का अंत के दिनों का कार्य इन पाखंडी फरीसियों को उजागर करता है। ये पादरी और एल्डर, ये "प्रभु के सेवक" परमेश्वर-विरोधी दुष्ट सेवक हैं। ये मसीह का विरोध करने वाले हैवान हैं जो हमारी आत्माओं को निगल जाते हैं! मैं पादरी जिन की नकली धर्मनिष्ठा के झाँसे में आकर, उन्हें कभी पहचान नहीं पायी। मुझे लगता था, वो प्रभु की सेवा करते हैं और प्रभु के सच्चे सेवक हैं, इसलिए मैं उन्हें अपना आध्यात्मिक पिता मानती थी। फिल्म में पादरियों और एल्डर्स को लोगों को सच्चे मार्ग से दूर रखने के लिए किसी भी हद तक जाते हुए देखने के बावजूद, मैं अपनी धारणाओं और कल्पनाओं के मुताबिक यही मानती थी कि पादरी जिन अलग इंसान हैं। जब मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार लिया और पादरी जिन ने मुझे बार-बार रोकने की कोशिश की तो आखिरकार मैंने उनका असली पाखंडी रंग देख लिया, और जान लिया कि वो घोर मसीह-विरोधी हैं, उन्हें सत्य से घृणा है और परमेश्वर के खिलाफ हैं। अंतत: मैं फरीसियों के कपट और बंधन से और मसीह-विरोधी धार्मिक जगत से आज़ाद हो गयी। मैं परमेश्वर के समक्ष लौट आयी और मेमने के विवाह-भोज में शामिल हुई।

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