एक परिवार के उत्पीड़न के पीछे की कहानी

06 मई, 2024

चेन ली, चीन

अक्टूबर 2009 में मेरी माँ और बहन ने मेरे साथ सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों का सुसमाचार साझा किया। इसे स्वीकार करने के बाद, मैं हर दिन परमेश्वर के वचन पढ़ती, सभाओं में हिस्सा लेती और भाई-बहनों के साथ सहभागिता करने लगी। धीरे-धीरे परमेश्वर के वचनों से मैं कुछ सत्य समझ पाई। मैंने जाना कि दुनिया में अँधेरे और बुराई की जड़ क्या है, जीवन में हमें किस चीज़ का अनुसरण करना चाहिए और सार्थक जीवन कैसे जीना चाहिए। जीवन में सही मार्ग मिल जाने पर मुझे बहुत खुशी हुई, मैंने राहत और सुकून महसूस किया। मेरे पति और बेटी ने देखा कि विश्वासी बनने के बाद से मैं अच्छे मूड में रहती थी, इसलिए उन्होंने मेरी आस्था का विरोध नहीं किया। बाद में, मेरे पति को काम के सिलसिले में किसी दूसरी जगह पर जाना पड़ा, इसलिए सुसमाचार का प्रचार करने के साथ ही मैं बच्चों की देखभाल भी करने लगी।

2013 की बसंत में एक शाम मेरे पति ने एकदम से मुझे फोन करके हुक्म सुनाने वाले लहजे में कहा, “अब से, जो तुम्हारा काम है वही करो और घर पर ही रहो—अब से परमेश्वर में विश्वास करना बंद। वे लोग ऑनलाइन और टीवी समाचार में कह रहे हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के विश्वासी अपने परिवारों को छोड़ देते हैं। ऐसे मुकाम की ओर मत जाओ जहाँ तुम अपने परिवार से मुँह मोड़ लो। साथ ही, चीन में आस्था रखना कानून के खिलाफ है, अधिकारियों को पता चला तो तुम्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। हम जैसे आम लोग कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ कैसे जा सकते हैं? अगर सरकार कहती है कि तुम धार्मिक नहीं हो सकते, तो ऐसा मत करो। बेवजह की मुसीबत खड़ी मत करो!” इस डर से कि हो सकता है मेरा फोन पुलिस की निगरानी में हो, मैंने बीच में ही फोन काट दिया। फोन रखने के बाद मैं बहुत परेशान हो गई। वे कम्युनिस्ट पार्टी की उन झूठी बातों पर कैसे आँखें मूंदकर भरोसा कर सकते हैं? उन्हें पता था कि परमेश्वर में आस्था रखना अच्छी बात है, उन्होंने मेरी आस्था का समर्थन भी किया था, तो फिर उन लोगों के झूठ सुनते ही अब वे मेरे रास्ते की रुकावट क्यों बनना चाहते हैं? जाहिर है कि परमेश्वर का अनुसरण करना जीवन का सही मार्ग है—फिर कम्युनिस्ट पार्टी लोगों को आस्था रखने क्यों नहीं दे रही? विश्वासियों के तौर पर हम कुछ भी गैरकानूनी नहीं करते, तो फिर वो हमें गिरफ्तार करने और सताने पर क्यों जोर दे रही है? फिर एक सभा में मैंने अपनी इस उलझन के बारे में एक बहन को बताया, तो उसने परमेश्वर के वचनों का एक अंश मेरे साथ साझा किया। परमेश्वर ने कहा है : “बड़ा लाल अजगर परमेश्वर को सताता है और परमेश्वर का शत्रु है, और इसीलिए, इस देश में, परमेश्वर में विश्वास करने वाले लोगों को इस प्रकार अपमान और अत्याचार का शिकार बनाया जाता है...। चूँकि परमेश्वर का कार्य उस देश में आरंभ किया जाता है जो परमेश्वर का विरोध करता है, इसलिए परमेश्वर के कार्य को भयंकर बाधाओं का सामना करना पड़ता है, और उसके बहुत-से वचनों को संपन्न करने में समय लगता है; इस प्रकार, परमेश्वर के वचनों के परिणामस्वरूप लोग शुद्ध किए जाते हैं, जो कष्ट झेलने का भाग भी है। परमेश्वर के लिए बड़े लाल अजगर के देश में अपना कार्य करना अत्यंत कठिन है—परंतु इसी कठिनाई के माध्यम से परमेश्वर अपने कार्य का एक चरण पूरा करता है, अपनी बुद्धि और अपने अद्भुत कर्म प्रत्यक्ष करता है, और लोगों के इस समूह को पूर्ण बनाने के लिए इस अवसर का उपयोग करता है। लोगों की पीड़ा के माध्यम से, उनकी क्षमता के माध्यम से, और इस कुत्सित देश के लोगों के समस्त शैतानी स्वभावों के माध्यम से परमेश्वर अपना शुद्धिकरण और विजय का कार्य करता है, ताकि इससे वह महिमा प्राप्त कर सके, और ताकि उन्हें प्राप्त कर सके जो उसके कर्मों की गवाही देंगे। इस समूह के लोगों के लिए परमेश्वर द्वारा किए गए सारे त्यागों का संपूर्ण महत्व ऐसा ही है(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, क्या परमेश्वर का कार्य उतना सरल है जितना मनुष्य कल्पना करता है?)। इसे पढ़ने के बाद, उसने मेरे साथ यह कहते हुए सहभागिता की : “कम्युनिस्ट पार्टी नास्तिक है; यह परमेश्वर विरोधी राक्षस है; यह किसी को आस्था रखते, परमेश्वर की आराधना करते देखना बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर सकती। यह जब से सत्ता में आई है तभी से ईसाइयों को गिरफ्तार करने और सताने में लगी है। अब अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रकट होकर कार्य कर रहा है, मानवजाति को बचाने के लिए सत्य व्यक्त कर रहा है, तो कम्युनिस्ट पार्टी को डर है कि लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़कर सत्य समझेंगे और विवेक हासिल कर लेंगे। फिर वे उसका दुष्ट चेहरा देख लेंगे और उसके झांसे में नहीं आएंगे—लोग उसका अनुसरण नहीं करेंगे। इसी वजह से वह अंधाधुंध परमेश्वर का विरोध और निंदा कर रही है, विश्वासियों का उत्पीड़न कर रही है। यह हमारे अविश्वासी दोस्तों और परिवार को गुमराह करने के लिए सभी तरह की अफवाहें और झूठ फैला रही है; हमें परमेश्वर का अनुसरण करने से रोकने और बाधित करने के लिए उन्हें उकसा रही है। कम्युनिस्ट पार्टी चाहती है कि हर कोई परमेश्वर को ठुकराए और उससे विश्वासघात करे, ताकि हम उद्धार का मौका गँवा दें और अंत में उसके साथ नर्क में दंडित किए जाएं। अगर हम अपने परिवार की बातों में आकर परमेश्वर का अनुसरण करने या कर्तव्य निभाने की हिम्मत नहीं करते, तो इसका मतलब होगा कि हम शैतान की चालों में आ गए और हमने उद्धार का अपना मौका गँवा दिया है। परमेश्वर हमें कम्युनिस्ट पार्टी के दमन और गिरफ्तारियों को सहन करने देता है—वह इसका इस्तेमाल सेवा-कर्मी के रूप में कर रहा है, ताकि हम इसके शैतानी सार को स्पष्ट रूप से देख सकें, इसे पहचानकर ठुकरा सकें। साथ ही साथ, परमेश्वर इसके ज़रिये हमारी आस्था को पूर्ण करके हमें विजेता बना सकता है। इसमें परमेश्वर की कृपालु इच्छा निहित है!” इस बहन की सहभागिता सुनने के बाद, मुझे स्पष्ट हो गया कि परमेश्वर कम्युनिस्ट पार्टी के दमन और परिवार की रुकावटों को मुझ पर आने दे रहा है, ताकि मैं अच्छी तरह जान सकूं कि कम्युनिस्ट पार्टी दुष्ट, शैतान है—परमेश्वर की दुश्मन है। यह परमेश्वर के कार्य में निहित बुद्धि है। कम्युनिस्ट पार्टी लोगों को गुमराह करने के लिए झूठ फैलाती है, ताकि वे परमेश्वर का विरोध करने और विश्वासियों को सताने के अलावा परमेश्वर के कार्य में रुकावट डालने और उसे बिगाड़ने में उसका साथ दें। यह कम्युनिस्ट पार्टी की दुष्ट मंशा है; मुझे पता था कि मैं शैतान की चालों में नहीं फंस सकती।

उसके बाद, बहन ने परमेश्वर के वचनों का एक और अंश पढ़कर सुनाया : “परमेश्वर के विश्वासी होने के नाते, तुममें से प्रत्येक को सराहना करनी चाहिए कि अंत के दिनों के परमेश्वर का कार्य ग्रहण करके और उसकी योजना का वह कार्य ग्रहण करके जो आज वह तुममें करता है, तुमने किस तरह अधिकतम उत्कर्ष और उद्धार सचमुच प्राप्त कर लिया है। परमेश्वर ने लोगों के इस समूह को समस्त ब्रह्माण्ड भर में अपने कार्य का एकमात्र केंद्रबिंदु बनाया है। उसने तुम लोगों के लिए अपने हृदय का रक्त तक निचोड़कर दे दिया है; उसने ब्रह्माण्ड भर में पवित्रात्मा का समस्त कार्य पुनः प्राप्त करके तुम लोगों को दे दिया है। इसी कारण से तुम लोग सौभाग्यशाली हो। इतना ही नहीं, वह अपनी महिमा इस्राएल, उसके चुने हुए लोगों से हटाकर तुम लोगों के ऊपर ले आया है, और वह इस समूह के माध्यम से अपनी योजना का उद्देश्य पूर्ण रूप से प्रत्यक्ष करेगा। इसलिए तुम लोग ही वह हो जो परमेश्वर की विरासत प्राप्त करोगे, और इससे भी अधिक, तुम परमेश्वर की महिमा के वारिस हो(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, क्या परमेश्वर का कार्य उतना सरल है जितना मनुष्य कल्पना करता है?)। इसे पढ़कर मैंने काफी सम्मानित महसूस किया। शैतान द्वारा इतनी गहराई तक भ्रष्ट किए गए हम लोगों को बचाने के लिए, परमेश्वर देहधारण करके दूसरी बार इस धरती पर आया है; वह कम्युनिस्ट पार्टी और धार्मिक जगत के विरोध, निंदा और तिरस्कार का सामना कर रहा है। सत्य व्यक्त करते हुए और मानवजाति को बचाने का अपना कार्य करते हुए उसने ज़बरदस्त अपमान सहन किया है; इसे अपना सारा खून, पसीना और आँसू दिया है। यह परमेश्वर का असाधारण प्रेम है! परमेश्वर का कार्य अब पूरा होने जा रहा है। यह जीवन में एक ही बार मिलने वाला उद्धार का मौका है और मैं चूक नहीं सकती—चाहे कम्युनिस्ट पार्टी कितनी ही दमनकारी क्यों हो या मेरे पति मेरे रास्ते की रुकावट क्यों न बनें, मैं जानती हूँ कि मुझे आस्था रखकर परमेश्वर का अनुसरण करना होगा। उसके बाद, मेरे पति बार-बार कॉल करके मुझे परमेश्वर में विश्वास रखने से दूर करने की कोशिश में लगे रहे, यहाँ तक कि मुझ पर चिल्लाए भी। मैं थोड़ी पीड़ा में थी, मगर मैं जानती थी कि आस्था रखना सही और उचित है, इसलिए मैं उनके रोके नहीं रुकी और अपना कर्तव्य निभाती रही।

फिर मई 2014 में, जब मेरे पति ने देखा कि मैंने अभी भी अपनी आस्था नहीं छोड़ी है, तो वे अपने काम की जगह से वापस हमारे शहर आ गए। उन्होंने बड़े ही खौफनाक अंदाज़ में मुझसे कहा, “मैंने बार-बार कहा है कि तुम्हें अपनी आस्था छोड़नी होगी, मगर तुम पर कोई असर ही नहीं होता। टीवी पर और ऑनलाइन हर कोई कह रहा है कि लोग विश्वासी बनने के बाद अपने परिवारों को छोड़ देते हैं, फिर भी तुम अभी तक इसमें बनी हुई हो?” मैंने मन में सोचा कि कम्युनिस्ट पार्टी का यह आरोप कि विश्वासी अपने परिवारों को छोड़ देते हैं, पीड़ित पर आरोप लगाना है। यह लोगों को आस्था रखने और सही मार्ग पर चलने नहीं देती; इसलिए पागलों की तरह ईसाइयों को गिरफ्तार करती और सताती है; इसने बहुत से भाई-बहनों को उनके घरों से भागने पर मजबूर किया है और वे यहाँ-वहाँ भटकते फिर रहे हैं। जाहिर है कि भाई-बहन कम्युनिस्ट पार्टी के उत्पीड़न के कारण अपने घर नहीं जा पाते हैं, लेकिन उनका कहना है कि विश्वासी बनने के बाद हम लोग अपने परिवारों को त्याग देते हैं। क्या ये सच को तोड़ना-मरोड़ना नहीं है? इसलिए, मैंने अपने पति से कहा, “लोग ऑनलाइन जो कुछ भी बोलते हैं वो सब झूठ है। वो सब कम्युनिस्ट पार्टी के सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की निंदा करके उसे बदनाम करने वाले झूठ हैं...।” लेकिन उन्होंने मेरी एक न सुनी। उन्होंने कहा, “जो भी हो, वे इंटरनेट पर यही बातें हो रही हैं, तो अगर तुम परमेश्वर में विश्वास करती रही और सरकार को पता चल गया, तो तुम्हें गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया जाएगा। कम्युनिस्ट पार्टी कुछ भी कर सकती है। अगर वो कहती है कि तुम्हें परमेश्वर पर विश्वास नहीं करना चाहिए, तो विश्वास करना बंद कर दो। एक अंडा चट्टान कैसे तोड़ सकता है? मैं घर में ही रहकर तुम पर नज़र रखूंगा। अगर तुमने विश्वास करना बंद नहीं किया, तो हमें तलाक लेना होगा!” मैं सोचने लगी : अगर हमने तलाक ले लिया और हमारे दोनों बच्चों की देखभाल के लिए कोई नहीं हुआ, तो क्या होगा? क्या वे गलत मार्ग पर चल पड़ेंगे? इतनी कम उम्र में माँ का प्यार छूट जाने से उन्हें अत्यधिक चोट पहुंचेगी! यह कदम हमारे बच्चों के लिए कितना नुकसानदेह और गलत होगा, इस विचार ने मेरे दिल को एकदम चीर दिया। मैंने फौरन परमेश्वर के पास आकर प्रार्थना की, “हे परमेश्वर! मेरे पति मुझे तलाक देना चाहते हैं; मैं अपने बच्चों को लेकर बहुत चिंतित हूँ। कृपा करके मेरी रक्षा करो और मजबूत बने रहने में मेरी मदद करो।” प्रार्थना के बाद मैंने परमेश्वर की इन बातों पर विचार किया : “मनुष्य का भाग्य परमेश्वर के हाथों से नियंत्रित होता है। तुम स्वयं को नियंत्रित करने में असमर्थ हो : हमेशा अपनी ओर से भाग-दौड़ करते रहने और व्यस्त रहने के बावजूद मनुष्य स्वयं को नियंत्रित करने में अक्षम रहता है। यदि तुम अपने भविष्य की संभावनाओं को जान सकते, यदि तुम अपने भाग्य को नियंत्रित कर सकते, तो क्या तुम तब भी एक सृजित प्राणी होते?(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, मनुष्य के सामान्य जीवन को बहाल करना और उसे एक अद्भुत मंज़िल पर ले जाना)। परमेश्वर के वचनों ने मेरे दिल को पूरी तरह रोशन कर दिया और दिखाया कि लोगों की किस्मत पूरी तरह से परमेश्वर के हाथों में है। ज़्यादा से ज़्यादा मैं यही कर सकती थी कि अपने बच्चों की थोड़ी बेहतर देखभाल करूँ; मैं यह तय नहीं कर सकती कि उनकी किस्मत कैसी होगी या उन्हें कितनी तकलीफ उठानी पड़ेगी। मुझे उन्हें परमेश्वर के हाथों में छोड़कर परमेश्वर के आयोजनों और व्यवस्थाओं के प्रति समर्पित होना चाहिए। इस विचार पर मैंने थोड़ी राहत की सांस ली—अब मेरी पीड़ा उतनी ज्यादा नहीं रह गई। मुझे यह भी एहसास हुआ कि मेरे पति कम्युनिस्ट पार्टी की झूठों से गुमराह होना; मुझे परमेश्वर का अनुसरण करने से रोकने की कोशिश करना; मुझे तलाक की धमकी देना, ये सब शैतान की चाल थी। मैं इसमें नहीं फंस सकती थी। इसलिए, मैंने उनसे कहा, “मैं अपनी आस्था कभी नहीं छोडूंगी। परमेश्वर में विश्वास करना और परमेश्वर के वचन पढ़ना, एक नेक इंसान बनना और सही मार्ग पर चलना है। आप हमेशा पार्टी का साथ क्यों देते हैं, मेरे रास्ते में क्यों खड़े होते हैं?” फिर अचानक उन्होंने मुझे बिस्तर पर धकेल दिया और गुस्से से चिल्लाने लगे, “हमारी सरकार धर्मिता विरोधी है। अगर कम्युनिस्ट पार्टी नहीं चाहती कि तुम विश्वासी बनो, तो विश्वासी मत बनो! उसे कौन हरा सकता है?” हमारी बेटी ने यह सब देखा तो बुरी तरह डर गई; वह भागकर आई और बोली, “डैड, ये आप क्या कर रहे हैं? जबसे मॉम ने परमेश्वर में विश्वास करना शुरू किया है, वो कितनी खुश रहती है। आस्था रखना अच्छी बात है! उसमें दखल मत दीजिए!” उसकी बात बिल्कुल अनुसनी करते हुए मेरे पति ने उसे एक थप्पड़ मार दिया। मुझे बहुत गुस्सा आया! उन्होंने हमारी बेटी पर सिर्फ इसलिए हाथ उठाया क्योंकि उसने मेरे बचाव में कुछ कहा था। मैंने देखा कि मेरे पति कम्युनिस्ट पार्टी का अनुसरण कर रहे थे और किसी पागल इंसान की तरह मुझे आस्था से दूर रखना चाहते थे—वे अपनी सोचने-समझने की शक्ति खो चुके थे। मैं उनसे और कुछ नहीं कहना चाहती थी; मैंने बेटी को उसके कमरे में भेज दिया। अगले दिन वे सबसे पहले सिविल अफेयर्स ब्यूरो गए। लेकिन हमारे तलाक की प्रक्रिया शुरू होने से पहले, मेरे पति के चाचा आ गए; उनकी सलाह पर, मेरे पति ने तलाक की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया।

उसके बाद, मेरे पति मुझे दबाते हुए मेरी आस्था के मार्ग में खड़े हो गए। वे लगातार मुझे ताने देते, जब भी किसी सभा से वापस आते देखते, तो मुँह लटका लेते। उनका रवैया बद से बदतर होता चला गया। एक रात करीब 10 बजे मेरे पति नशे में घर लौटे और मुझे पागलों की तरह बिस्तर पर खींच लिया; दबाव डालते हुए कहने लगे, “तुम परमेश्वर में विश्वास करती हो, इसलिए मैं बाहर किसी को मुँह दिखाने के काबिल नहीं रहा। हर कोई तुम्हारे धर्म की बात कर रहा है। हमारे दोस्त अब मेरे में क्या सोचते होंगे? अगर तुम परमेश्वर पर विश्वास करने की जिद पर अड़ी रही, तो तुम्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा और फिर सरकार ही तुमसे निपटेगी। आखिर में, हमारे परिवार का कोई भी सदस्य सिर उठाकर नहीं चल पाएगा। तुम्हें परमेश्वर में विश्वास रखना बंद करना होगा!” मैं डरपोक इंसान थी, तो उनके खौफनाक चेहरे को देखकर डर गई। वे गुस्से से तमतमाये हुए थे और काफी शराब पी रखी थी—मैं नहीं जानती थी कि वे क्या कर बैठेंगे। मैं अपनी रक्षा के लिए परमेश्वर को पुकारती रही; धीरे-धीरे खुद को शांत कर लिया। यह देखकर कि मैं अभी भी अपनी आस्था छोड़ने को तैयार नहीं थी, मेरे पति को और भी ज़्यादा गुस्सा आ गया। उन्होंने मुझे बिस्तर से उठाकर जमीन पर पटक दिया; फिर कई बार मेरे चेहरे पर मुक्के मारे, जिससे मेरी आँखें सूजकर काली पड़ गईं। मैंने उनसे कहा, “आस्था रखने में कुछ भी गलत नहीं है। आप मुझे क्यों मार रहे हैं? आप हमेशा कम्युनिस्ट पार्टी का पक्ष लेकर मुझ पर अत्याचार क्यों करते हैं?” उन्होंने मेरी किसी बात पर ध्यान नहीं दिया; फिर मुझे जमीन से उठाकर खिड़की की ओर चल दिए; वे बिल्कुल पागलों जैसी हरकतें कर रहे थे। मैं मन-ही-मन बार-बार परमेश्वर से प्रार्थना कर रही थी। वे मुझे खींचकर खिड़की के पास ले आए, मुझे घुटनों से पकड़कर मेरे सिर को नीचे की ओर लटका दिया; मेरा पूरा शरीर खिड़की के बाहर झूल रहा था। फिर वे जोर से चिल्लाए, “बोलो! बोलो कि तुम अपनी आस्था छोड़ दोगी! अगर तुमने ना कहा, तो अभी तुम्हें नीचे फेंक दूंगा!” हम पांचवीं मंजिल पर रहते थे, अगर उन्होंने मुझे नीचे फेंक दिया तो मैं नहीं बचती। मैं बहुत डर गई, परमेश्वर से प्रार्थना करती रही, “हे परमेश्वर! मेरी रक्षा करो, मुझे आस्था दो। अगर मैं आज मर भी गई, तब भी शैतान के आगे हार नहीं मानूँगी!” तभी अचानक मुझे अय्यूब के अनुभव की याद आई। उसके परीक्षण के दौरान, परमेश्वर ने उस पर नज़र रखी थी और शैतान की नज़र भी उस पर बनी हुई थी। आखिर में, अय्यूब परमेश्वर के लिए अपनी गवाही में मजबूत रहा और शैतान शर्मिंदा होकर पीछे हट गया। मैंने दिल ही दिल में शैतान से कहा, “शैतान, तुम मेरे खिलाफ कितनी भी दुष्ट चालें चलो, मुझे उसकी परवाह नहीं—मैं परमेश्वर को कभी धोखा नहीं दूंगी। मैं उसमें विश्वास और उसका अनुसरण करती रहूँगी, भले ही ऐसा करते हुए मैं मर ही क्यों जाऊँ!” जैसे ही मैंने यह संकल्प लिया, मुझे लगा जैसे मेरा शरीर बहुत हल्का हो गया है; मैं उल्टा लटकी हुई थी, फिर भी ऐसा बिल्कुल नहीं लगा कि शरीर का खून मेरे सिर में जा रहा हो। मुझे ऐसा लगा जैसे कोई ताकत मेरे शरीर को पकड़े हुए थी। मैं जानती थी कि मेरे पति में मुझे पकड़े रहने की ताकत नहीं थी। यह परमेश्वर की सुरक्षा थी; मैंने दिल से परमेश्वर को बार-बार धन्यवाद किया। तभी हमारी दूसरी बालकनी से बच्चों ने देखा कि वहाँ क्या चल रहा है—वे भागकर आए और जोर-जोर से दरवाज़ा पीटने लगे। वे रो रहे थे, चिल्ला रहे थे, लेकिन मेरे पति ने दरवाज़ा अंदर से बंद कर रखा था, इसलिए वे अंदर नहीं आ सके। हमारी बेटी दूसरी बालकनी में जाकर चिल्लाने लगी, “डैड, ये आप क्या कर रहे हैं?” वह जोर-जोर से रो रही थी और चीख-चीख कर अपने डैड से मुझे नीचे नहीं फेंकने की गुहार लगा रही थी। फिर अचानक ऐसा लगा जैसे उन्हें होश आया हो, उन्होंने मुझे वापस ऊपर खींच लिया। मैंने परमेश्वर का बहुत आभार माना। अगर परमेश्वर की सुरक्षा नहीं होती, तो मेरा बच पाना नामुमकिन था।

उस रात मैं बिल्कुल नहीं सो पाई। मैं उन दिनों के बारे में सोच रही थी जब मेरे पति और मैं साथ मिलकर कड़ी मेहनत करते थे—हम हमेशा अच्छी तरह मिल-जुलकर रहते थे। जब मैंने पहले-पहल आस्था रखी, तब वे मेरे रास्ते की रुकावट बिल्कुल नहीं बने। लेकिन अब वे कम्युनिस्ट पार्टी के झूठों में विश्वास करके बार-बार मुझ पर जुल्म कर रहे हैं। मैं कितना भी चीज़ों को समझाने की समझाने की कोशिश करूँ, वे मेरी बात सुनते ही नहीं, मुझे मेरी आस्था छोड़ने को मजबूर करने के लिए तलाक देने तक की धमकी दे रहे हैं। यहाँ तक कि मुझ पर हाथ तक उठाया, उन्होंने तो पांचवीं मंजिल से मुझे फेंक ही दिया था। वे बिल्कुल अलग इंसान जैसा बर्ताव कर रहे हैं। यह बहुत दिल दुखाने और परेशान करने वाली बात है। मैं समझ नहीं पाई कि मेरे पति इस तरह कैसे बदल सकते हैं। तभी मुझे परमेश्वर के ये वचन याद आए : “विश्वासी और अविश्वासी संगत नहीं हैं, बल्कि वे एक दूसरे के विरोधी हैं” और “जो भी देहधारी परमेश्वर को नहीं मानता, दुष्ट है और इसके अलावा, वे नष्ट किए जाएँगे। ... शैतान कौन है, दुष्टात्माएँ कौन हैं और परमेश्वर के शत्रु कौन हैं, क्या ये वे परमेश्वर के प्रतिरोधी नहीं जो परमेश्वर में विश्वास नहीं रखते?(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर और मनुष्य साथ-साथ विश्राम में प्रवेश करेंगे)। मुझे एहसास हुआ, ऐसा नहीं था कि मेरे पति बदल गए थे, बल्कि उनका सार सामने आ गया था। वे अच्छी तरह जानते थे कि परमेश्वर में आस्था रखना अच्छी बात है, लेकिन फिर भी उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी का पक्ष लिया, मेरा विरोध किया। सार में, उन्होंने परमेश्वर से नफरत की और उसके खिलाफ गए। यही कारण था कि वे मेरे साथ इतनी दुष्टता कर पाए। उन्होंने तो करीब-करीब मुझे मार ही डाला था; वे अपनी सोचने-समझने की शक्ति खो बैठे थे—यह एक दानव की अभिव्यक्ति थी! मैं एक ऐसे शैतान के साथ रह रही थी जो परमेश्वर के बिल्कुल खिलाफ था; हमारे रास्ते अलग-अलग थे—तो हम साथ मिलकर खुश कैसे रह सकते थे? पहले मेरे साथ उनका बर्ताव अच्छा था, लेकिन यह सिर्फ इसलिए था क्योंकि मैंने उनके बच्चे पैदा किए और घर की देखभाल की। लेकिन अब जब मेरी आस्था उनके हितों से टकराने लगी, तो उनका असली चेहरा सामने आ गया। इसका एहसास होने पर, मुझे अपने पति के वास्तविक सार को समझने में मदद मिली; मैंने उन्हें अपने दिल से निकालने में थोड़ी कामयाब हुई। बाद में, मैंने परमेश्वर के वचनों में ये पढ़ा : “जब परमेश्वर कार्य करता है, किसी की देखभाल करता है, उस पर नजर रखता है, और जब वह उस व्यक्ति पर अनुग्रह करता और उसे स्वीकृति देता है, तब शैतान करीब से उसका पीछा करता है, उस व्यक्ति को धोखा देने और नुकसान पहुँचाने की कोशिश करता है। अगर परमेश्वर इस व्यक्ति को पाना चाहता है, तो शैतान परमेश्वर को रोकने के लिए अपने सामर्थ्य में सब-कुछ करता है, वह परमेश्वर के कार्य को प्रलोभित करने, उसमें विघ्न डालने और उसे खराब करने के लिए विभिन्न बुरे हथकंडों का इस्तेमाल करता है, ताकि वह अपना छिपा हुआ उद्देश्य हासिल कर सके। क्या है वह उद्देश्य? वह नहीं चाहता कि परमेश्वर किसी भी मनुष्य को प्राप्त कर सके; परमेश्वर जिन्हें पाना चाहता है, वह उन पर कब्जा कर लेना चाहता है, वह उन पर नियंत्रण करना, उनको अपने अधिकार में लेना चाहता है, ताकि वे उसकी आराधना करें, ताकि वे बुरे कार्य करने और परमेश्वर का प्रतिरोध करने में उसका साथ दें। क्या यह शैतान का भयानक उद्देश्य नहीं है?(वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है IV)। मैंने परमेश्वर के वचनों पर विचार किया तो यह समझ आया कि शैतान लोगों की आस्था को तोड़ने के लिए सभी तरह की दुष्ट चालें इस्तेमाल करता है; वह लोगों के लिए परमेश्वर से होड़ करने में कोई कसर नहीं छोड़ता। इस तरह हर कोई शैतान की पूजा करेगा और परमेश्वर को धोखा देगा; फिर उद्धार का अपना मौका गँवा देगा। परमेश्वर में अपनी आस्था में मजबूत बने रहना, उसकी आज्ञा का पालन करते रहना और मजबूत रहकर उसके लिए गवाही देना, शैतान की चालों से लड़ने और उसे वाकई शर्मिंदा करने का एकमात्र रास्ता है। मैंने अय्यूब के अनुभव को याद किया : अय्यूब परमेश्वर का भय मानता था और बुराई से दूर रहता था, इसलिए शैतान को अय्यूब से नफरत थी, उसने उस पर हमले किए और उसकी परीक्षा ली। शैतान की वजह से अय्यूब की सारी संपत्ति और बच्चे छिन गए; लेकिन अय्यूब ने परमेश्वर को दोष नहीं दिया; बल्कि परमेश्वर का गुणगान करता रहा। तब शैतान ने अय्यूब के पूरे शरीर पर फोड़े पैदा कर दिए; उसकी पत्नी द्वारा उस पर हमले करवाया, ताकि वह परमेश्वर को त्याग दे। अय्यूब न सिर्फ इन बातों में नहीं आया बल्कि उसने अपनी पत्नी को एक मूर्ख महिला कहकर फटकार भी लगाई। आखिर में, अय्यूब ने परमेश्वर के लिए ज़बरदस्त गवाही दी, और शैतान पूरी तरह शर्मिंदा हुआ। मैंने अपने अनुभव और कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा फैलाए गए झूठों पर विचार किया, कैसे इसने बार-बार मेरी आस्था का विरोध करने के लिए मेरे पति का इस्तेमाल किया, ताकि मैं परमेश्वर को धोखा देकर आखिर में नर्क जाऊं और उसके साथ दंड की भागी बनूँ। मैं जानती थी कि मुझे अय्यूब की मिसाल पर चलना होगा; शैतान चाहे मेरे खिलाफ कैसी भी दुष्ट चालों का इस्तेमाल करे, मैं उसका साथ नहीं दे सकती। मुझे परमेश्वर में आस्था रखनी होगी, उस पर भरोसा रखना होगा और उसके लिए गवाही में मजबूत रहना होगा। इस विचार ने मुझे काफी राहत दी; मैंने खुद को इतना आज़ाद महसूस किया जितना पहले कभी नहीं किया था। इसके बाद, मेरे पति ने देखा कि मैं परमेश्वर में विश्वास करने और सुसमाचार का प्रचार करने के प्रति अभी समर्पित थी, तब उन्होंने मेरी आस्था से मतलब रखना छोड़ दिया।

उसके बाद, मेरी बेटी ने यूनिवर्सिटी का टेस्ट दिया, लेकिन मेरे बेटे ने ऐसा नहीं किया। मेरे पति उसे आर्मी में भेजने के लिए जो बन पड़े करना चाहते थे। एक दिन, मेरे पति वापस आए और गुस्से में कहा, “तुमने और तुम्हारी मॉम ने मुझे बर्बाद कर दिया! मैंने हमारे बेटे को आर्मी में भेजने की कोशिश की, लेकिन उन्हें पता चला कि तुम्हारी मॉम धार्मिक है; इसलिए उन्हें मनाने के लिए हर मुमकिन कोशिश करनी पड़ी, ऊपर से मैंने पैसे खर्च किए, उन्हें उपहार भेजे ताकि बात पक्की कर सकूँ। मत सोचना कि सब ठीक हो गया है! अगर तुम अपनी आस्था पर बनी रही और सरकार को इस बारे में पता चला, तो हमारे बेटे को आर्मी में नहीं लिया जाएगा; हमारी बेटी को भी यूनिवर्सिटी में दाखिला नहीं मिलेगा। उनका कोई भविष्य नहीं होगा। तुम हमारे घर और हमारे बच्चों के बारे में क्यों नहीं सोचती? अगर तुम अपनी आस्था बनाए रखने पर अड़ी रही, तो हमारा साथ रह पाना नामुमकिन हो जाएगा। हमें तलाक लेना पड़ेगा। इस बारे में अच्छे से सोच लो!” उनके ऐसा कहने पर मुझे बहुत गुस्सा आया। कम्युनिस्ट पार्टी हद दर्जे की दुष्ट है; यह मेरे बच्चों का भविष्य खराब करने की धमकी दे रही है, ताकि मैं परमेश्वर को धोखा दे दूँ। मैं इससे तहेदिल से नफरत करने लगी! पर जब मैंने अपनी आस्था के अपने बच्चों के भविष्य पर बुरा असर पड़ने के बारे में सोचा, तो यह सोचकर काफी परेशान हो गई कि इसके लिए वे पक्के तौर पर मुझे दोष देंगे और मुझसे नफरत करेंगे; मुझे लगा मैं उनकी कर्जदार हूँ। फिर मैंने परमेश्वर के इन वचनों को याद किया : “कोई किस व्यवसाय को अपनाता है, कोई आजीविका के लिए क्या करता है, और कोई जीवन में कितनी धन-सम्पत्ति संचित करता है, यह उसके माता-पिता, उसकी प्रतिभा, उसके प्रयासों या उसकी महत्वाकांक्षाओं से तय नहीं होता, बल्कि सृजनकर्ता द्वारा पूर्व निर्धारित होता है(वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है III)। सही बात है। लोगों की किस्मत परमेश्वर के हाथों में है; मेरे बच्चों की किस्मत भी परमेश्वर के हाथों में है। उनका करियर कैसा होगा, उनका भविष्य कैसा होगा, यह सब बहुत पहले परमेश्वर ने तय कर दिया है। मैं इसमें कोई फेरबदल नहीं कर सकती; इस पर कम्युनिस्ट पार्टी का भी कोई नियंत्रण नहीं है। अगर कम्युनिस्ट पार्टी ने यह पक्का कर दिया कि मेरी बेटी को यूनिवर्सिटी में दाखिला न मिले और उसे कोई अच्छी नौकरी न मिले, तो इसका मतलब यही होगा कि उनकी नीतियां बहुत बुरी हैं; इसमें मेरा कोई दोष नहीं होगा। जब मैंने इस तरह विचार किया, तो मेरी चिंताएं धीरे-धीरे खत्म हो गईं; मैंने अपने पति से कहा, “मैंने इस पर अच्छी तरह विचार कर लिया है। मेरी आस्था में कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन अगर आपको इस चक्कर में फंस जाने का डर है और आप तलाक लेना चाहते हैं, तो कागजी कार्रवाई शुरू कर दीजिए।” उन्होंने कहा, “अगर हम तलाक लेते हैं, तो तुम्हें हमारी पारिवारिक संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलेगा!” यह सुनकर मुझे और भी ज़्यादा गुस्सा आया। हमारी शादी को 20 साल हो गए, लेकिन वे सिर्फ इसलिए तलाक लेना चाहते हैं क्योंकि मैं परमेश्वर में विश्वास करती हूँ औरइसी वजह से वे हमारे परिवार की लाखों युआन की संपत्ति में से मुझे एक ढेला भी नहीं देना चाहते। वे मुझे खाली हाथ छोड़ देना चाहते हैं। यह बेरहमी है! मैंने “वैवाहिकप्रेम” का असली चेहरा देख लिया था, मैंने बिना किसी संकोच के अपने पति से तलाक ले लिया।

सिविल अफेयर्स ब्यूरो के ऑफिस से बाहर निकलते वक्त मुझे काफी सुकून महसूस हुआ और मैं बिल्कुल आज़ाद हो गई। परमेश्वर हर कदम पर मेरा मार्गदर्शन कर रहा था; उसके वचनों के मार्गदर्शन से मैंने शैतान की परीक्षाओं और हमलों का डटकर सामना किया। मैं परमेश्वर की कृपा और सुरक्षा की बहुत आभारी थी! चीन में, आस्था रखने का मतलब है हर तरह के अत्याचार और मुश्किलों का सामना करना; अब आने वाले समय में मुझे चाहे जिस भी चीज़ का सामना करना पड़े, यह पक्का है कि मैं अंत तक परमेश्वर का अनुसरण करूँगी!

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